Parliament News : बुलडोजर और अग्निपथ पर हमलावर हो सकता है विपक्ष
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 02:24 PM
New Delhi : नई दिल्ली। 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के हंगामेदार होने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि सत्र के दौरान बल्डोजन एक्शन, अग्निपथ योजना जैसे मुद्दो पर विपक्ष हमलावर हो सकता है। इसके अलावा दंगे और पुलिस की गोलीबारी के साथ जम्मू कश्मीर में प्रवासियों पर हमले का मुद्दोें के भी छाये रहने की संभावना है। सूचना का अधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, 2021 की जनगणना की स्थिति और विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के मुद्दे भी सांसदों के द्वारा उठाए जा सकते हैं।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्यों में कई ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिनमें कथित तौर पर उग्र प्रदर्शनों में शामिल रहने वालों के घरों को ध्वस्त कर दिया गया। प्राधिकारियों का दावा था कि इन मकानों का निर्माण अवैध तरीके से हुआ था और जमीन संबंधी दस्तावेजों में भी अनियमितताएं थीं। अर्धसैनिक बलों में अग्निवीरों के लिए आरक्षण का मुद्दा हालांकि अतारांकित प्रश्न के माध्यम से सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि विपक्षी दल इस मुद्दे को अन्य माध्यमों से भी उठाएं। केंद्र सरकार ने 14 जून को सेना में साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष के युवाओं की रक्षा सेवाओं में भर्ती के लिए महत्वाकांक्षी अग्निपथ योजना आरंभ किए जाने की घोषणा की थी। इसके तहत सैनिकों की भर्ती चार साल की लघु अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी और भर्ती होने वाले सैनिकों को अग्निवीर नाम दिया जाएगा। चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही नियमित सेवा में रहने का मौका दिया जाएगा। इस योजना के विरोध में देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हुए थे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में 10 नौकरियों में अग्निवीरों को आरक्षण दिया जाएगा। संसद के इस सत्र के दौरान अर्धसैनिक बलों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने, नक्सली हमले, दंगे, कर्फ्य और पुलिस की गोलीबारी की वारदात, सीमापार से मादक द्रव्यों की तस्करी, आतंकवादी हमलों की घटनाएं जैसे मुद्दे भी उठाए जाने की संभावना है। अर्धसैनिक बलों में नियुक्ति में हो रही देरी, जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी घटनाएं, भारी बारिश के कारण हुई जानमाल की क्षति, केंद्र शासित लद्दाख में बेराजगारी का मुद्दा, जम्मू एवं कश्मीर में भूमि अधिग्रहण जैसे कुछ मुद्दे भी संभावित प्रश्नों के रूप में सूचिबद्ध हैं। समाज में बढ़ती धार्मिक कट्टरता, अर्धसैनिक बलों के कर्मियों का मानसिक स्वास्थ्य, बाढ़ व चक्रवातों से हुए नुकसान, केंद्र व राज्यों के संबंधों, जम्मू एवं कश्मीर में रोजगार की दर और अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध के मामलों जैसे मुद्दे भी संसद के दोनों सदनों में उठाए जा सकते हैं।
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भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 02:24 PM
New Delhi : नई दिल्ली। 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के हंगामेदार होने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि सत्र के दौरान बल्डोजन एक्शन, अग्निपथ योजना जैसे मुद्दो पर विपक्ष हमलावर हो सकता है। इसके अलावा दंगे और पुलिस की गोलीबारी के साथ जम्मू कश्मीर में प्रवासियों पर हमले का मुद्दोें के भी छाये रहने की संभावना है। सूचना का अधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, 2021 की जनगणना की स्थिति और विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के मुद्दे भी सांसदों के द्वारा उठाए जा सकते हैं।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्यों में कई ऐसी घटनाएं सामने आईं, जिनमें कथित तौर पर उग्र प्रदर्शनों में शामिल रहने वालों के घरों को ध्वस्त कर दिया गया। प्राधिकारियों का दावा था कि इन मकानों का निर्माण अवैध तरीके से हुआ था और जमीन संबंधी दस्तावेजों में भी अनियमितताएं थीं। अर्धसैनिक बलों में अग्निवीरों के लिए आरक्षण का मुद्दा हालांकि अतारांकित प्रश्न के माध्यम से सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि विपक्षी दल इस मुद्दे को अन्य माध्यमों से भी उठाएं। केंद्र सरकार ने 14 जून को सेना में साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष के युवाओं की रक्षा सेवाओं में भर्ती के लिए महत्वाकांक्षी अग्निपथ योजना आरंभ किए जाने की घोषणा की थी। इसके तहत सैनिकों की भर्ती चार साल की लघु अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी और भर्ती होने वाले सैनिकों को अग्निवीर नाम दिया जाएगा। चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही नियमित सेवा में रहने का मौका दिया जाएगा। इस योजना के विरोध में देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हुए थे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में 10 नौकरियों में अग्निवीरों को आरक्षण दिया जाएगा। संसद के इस सत्र के दौरान अर्धसैनिक बलों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने, नक्सली हमले, दंगे, कर्फ्य और पुलिस की गोलीबारी की वारदात, सीमापार से मादक द्रव्यों की तस्करी, आतंकवादी हमलों की घटनाएं जैसे मुद्दे भी उठाए जाने की संभावना है। अर्धसैनिक बलों में नियुक्ति में हो रही देरी, जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी घटनाएं, भारी बारिश के कारण हुई जानमाल की क्षति, केंद्र शासित लद्दाख में बेराजगारी का मुद्दा, जम्मू एवं कश्मीर में भूमि अधिग्रहण जैसे कुछ मुद्दे भी संभावित प्रश्नों के रूप में सूचिबद्ध हैं। समाज में बढ़ती धार्मिक कट्टरता, अर्धसैनिक बलों के कर्मियों का मानसिक स्वास्थ्य, बाढ़ व चक्रवातों से हुए नुकसान, केंद्र व राज्यों के संबंधों, जम्मू एवं कश्मीर में रोजगार की दर और अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध के मामलों जैसे मुद्दे भी संसद के दोनों सदनों में उठाए जा सकते हैं।
Corona : भारत में बूस्टर डोज लेने से कतरा रहे लोग, 92 फीसदी लोगों ने किया किनारा
Corona Vaccine
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 03:59 PM
New Delhi: नई दिल्ली। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की अपील के बावजूद कोरोना के बूस्टर डोज के प्रति आम लोगों की लापरवाही भारी पड़ सकती है। देश में गुरुवार को कोरोना के 20 हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं। मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है, लेकिन नागरिकों की लापरवाही जस की तस है। एक मीडिया रिपोर्ट्स में बूस्टर डोज के बाबत चौंकाने वाले आंकडे सामने आए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक 92 फीसदी लोगों ने अब तक बूस्टर डोज के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई है, जो पात्र हैं। हालांकि सरकार ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए आगामी 75 दिनों के लिए मुफ्त टीका लगाने का ऐलान किया है। देश में अब तक लगभग 59.4 करोड़ वयस्क बूस्टर डोज लेने में देर कर चुके हैं।
सरकार ने सभी वयस्कों के लिए कोरोना टीकों की बूस्टर डोज की घोषणा तीन महीेने से अधिक समय पहले की कर दी थी, लेकिन लोगों की उदासीनता के कारण सरकार ने अब निःशुल्क टीका लगाने का ऐलान किया है। केंद्र सरकार ने छह जुलाई को दूसरी खुराक और बूस्टर खुराक के बीच के अंतर को नौ से घटाकर छह महीने करने की घोषणा की थी।
एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ने 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों और फ्रंटलाइन व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बूस्टर डोज मुफ्त देने की घोषणा की थी। 12 जुलाई को जारी आंकड़े से पता चला है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स में से 35 प्रतिषत पात्र और हेल्थकेयर वर्कर्स में से 39 फीसदी ने बूस्टर शॉट नहीं लिया था। सबसे अधिक अनिच्छा 60 वर्ष से ऊपर के लोगों में देखी गई, जिनमें 73 फीसदी लोगों ने बूस्टर डोज नहीं लिया है।
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भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 03:59 PM
New Delhi: नई दिल्ली। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की अपील के बावजूद कोरोना के बूस्टर डोज के प्रति आम लोगों की लापरवाही भारी पड़ सकती है। देश में गुरुवार को कोरोना के 20 हजार से अधिक नए मामले सामने आए हैं। मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है, लेकिन नागरिकों की लापरवाही जस की तस है। एक मीडिया रिपोर्ट्स में बूस्टर डोज के बाबत चौंकाने वाले आंकडे सामने आए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक 92 फीसदी लोगों ने अब तक बूस्टर डोज के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई है, जो पात्र हैं। हालांकि सरकार ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए आगामी 75 दिनों के लिए मुफ्त टीका लगाने का ऐलान किया है। देश में अब तक लगभग 59.4 करोड़ वयस्क बूस्टर डोज लेने में देर कर चुके हैं।
सरकार ने सभी वयस्कों के लिए कोरोना टीकों की बूस्टर डोज की घोषणा तीन महीेने से अधिक समय पहले की कर दी थी, लेकिन लोगों की उदासीनता के कारण सरकार ने अब निःशुल्क टीका लगाने का ऐलान किया है। केंद्र सरकार ने छह जुलाई को दूसरी खुराक और बूस्टर खुराक के बीच के अंतर को नौ से घटाकर छह महीने करने की घोषणा की थी।
एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ने 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों और फ्रंटलाइन व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बूस्टर डोज मुफ्त देने की घोषणा की थी। 12 जुलाई को जारी आंकड़े से पता चला है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स में से 35 प्रतिषत पात्र और हेल्थकेयर वर्कर्स में से 39 फीसदी ने बूस्टर शॉट नहीं लिया था। सबसे अधिक अनिच्छा 60 वर्ष से ऊपर के लोगों में देखी गई, जिनमें 73 फीसदी लोगों ने बूस्टर डोज नहीं लिया है।
चार साल बाद धर्मशाला से लद्दाख की यात्रा पर दलाई लामा
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 01:40 AM
Dharmshala : धर्मशाला। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने गुरुवार से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की दो दिवसीय यात्रा शुरू की है। कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद धर्मशाला से बाहर उनका ये पहला आधिकारिक दौरा है। ये दौरा भारत और चीन के बीच 17 जुलाई से कोर कमांडर स्तर की 16वें दौर की बैठक से ठीक तीन दिन पहले हो रहा है। दलाई लामा की इस यात्रा से पड़ोसी चीन का रक्तचाप बढ़ने का अंदेशा है।
हाल ही में अपना 87वां जन्मदिन मनाने वाले दलाई लामा को पीएम मोदी ने शुभकामनाएं दी थी। उसकी बीजिंग ने आलोचना की थी। चीन ने कहा था कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का उपयोग करना बंद कर देना चाहिए। चीन की प्रतिक्रिया पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी करारा जवाब देते हुए कहा था कि दलाई लामा को भारत में अतिथि के रूप में मानने की सरकार की लगातार नीति रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया से कहा कि दलाई लामा भारत में सम्मानित अतिथि और धार्मिक नेता हैं। उन्हें धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों को करने के लिये उचित शिष्टाचार एवं स्वतंत्रता प्रदान की गई है। इनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि दलाई लामा का जन्मदिन भारत और दुनियाभर में उनके अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। गौरतलब है कि भारत में शरण लेने के बाद से बीजिंग का दलाई लामा के साथ हमेशा से विवाद रहा है। 1950 के दशक में जब चीन ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था, तब तिब्बती आध्यात्मिक नेता को भारत में शरण लेनी पड़ी। दलाई लामा ने तिब्बत के मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए चीन के साथ बीच-बीच में बातचीत की वकालत करने की कोशिश की।
इस बीच, भारत और चीन अप्रैल-मई 2020 से फिंगर एरिया, गलवान वैली, हॉट स्प्रिंग्स और कोंगरुंग नाला सहित कई क्षेत्रों में चीनी सेना द्वारा किए गए उल्लंघन को लेकर गतिरोध जारी है। जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के बाद स्थिति और खराब हो गई।
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 01:40 AM
Dharmshala : धर्मशाला। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने गुरुवार से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की दो दिवसीय यात्रा शुरू की है। कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद धर्मशाला से बाहर उनका ये पहला आधिकारिक दौरा है। ये दौरा भारत और चीन के बीच 17 जुलाई से कोर कमांडर स्तर की 16वें दौर की बैठक से ठीक तीन दिन पहले हो रहा है। दलाई लामा की इस यात्रा से पड़ोसी चीन का रक्तचाप बढ़ने का अंदेशा है।
हाल ही में अपना 87वां जन्मदिन मनाने वाले दलाई लामा को पीएम मोदी ने शुभकामनाएं दी थी। उसकी बीजिंग ने आलोचना की थी। चीन ने कहा था कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का उपयोग करना बंद कर देना चाहिए। चीन की प्रतिक्रिया पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी करारा जवाब देते हुए कहा था कि दलाई लामा को भारत में अतिथि के रूप में मानने की सरकार की लगातार नीति रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मीडिया से कहा कि दलाई लामा भारत में सम्मानित अतिथि और धार्मिक नेता हैं। उन्हें धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों को करने के लिये उचित शिष्टाचार एवं स्वतंत्रता प्रदान की गई है। इनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि दलाई लामा का जन्मदिन भारत और दुनियाभर में उनके अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। गौरतलब है कि भारत में शरण लेने के बाद से बीजिंग का दलाई लामा के साथ हमेशा से विवाद रहा है। 1950 के दशक में जब चीन ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था, तब तिब्बती आध्यात्मिक नेता को भारत में शरण लेनी पड़ी। दलाई लामा ने तिब्बत के मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए चीन के साथ बीच-बीच में बातचीत की वकालत करने की कोशिश की।
इस बीच, भारत और चीन अप्रैल-मई 2020 से फिंगर एरिया, गलवान वैली, हॉट स्प्रिंग्स और कोंगरुंग नाला सहित कई क्षेत्रों में चीनी सेना द्वारा किए गए उल्लंघन को लेकर गतिरोध जारी है। जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के बाद स्थिति और खराब हो गई।