Supreme Court : मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में सीजेआई को शामिल किया जाए : सुप्रीम कोर्ट

Supreme court
CJI should be involved in the appointment process of Chief Election Commissioner : Supreme Court
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 Nov 2022 11:10 PM
bookmark
Supreme Court : नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए परामर्श प्रक्रिया में देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को शामिल करने से निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी। उच्चतम न्यायालय का कहना था कि केंद्र में कोई भी सत्तारूढ़ दल सत्ता में बने रहना पसंद करता है और मौजूदा व्यवस्था के तहत पद पर एक ‘यस मैन’ (हां में हां मिलाने वाला व्यक्ति) नियुक्त कर सकता है। शीर्ष अदालत कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली का अनुरोध किया गया है।

Supreme Court :

केंद्र ने दलील दी कि 1991 के अधिनियम ने सुनिश्चित किया है कि निर्वाचन आयोग अपने सदस्यों के वेतन और कार्यकाल के मामले में स्वतंत्र रहता है और ऐसा कोई बिंदु नहीं है जो अदालत के हस्तक्षेप को वांछित करता हो। उसने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए अपनाई गई व्यवस्था निर्वाचन आयुक्तों के बीच वरिष्ठता है। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि संस्थान की स्वतंत्रता उस सीमा पर सुनिश्चित की जानी चाहिए, जिसके लिए प्रवेश स्तर पर नियुक्ति की जांच पड़ताल की जानी है। पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार शामिल हैं।

New Delhi News : प्रीति चंद्रा की जमानत पर अपना रुख साफ करे ईडी : हाईकोर्ट

पीठ ने कहा कि केंद्र में प्रत्येक सत्तारूढ़ राजनीतिक दल खुद को सत्ता में बनाए रखना पसंद करता है। अब, हम सीईसी की नियुक्ति के लिए परामर्श प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और इस प्रक्रिया में भारत के प्रधान न्यायाधीश को शामिल करने से आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी। केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि निर्वाचन आयोग अधिनियम, 1991 एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसके तहत निर्वाचन आयुक्तों को वेतन और कार्यकाल में स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई। उन्होंने कहा कि दिनेश गोस्वामी समिति की रिपोर्ट के बाद संसद द्वारा कानून पारित किया गया था। कानून यह सुनिश्चित करता है कि आयोग अपने सदस्यों के वेतन और कार्यकाल के मामले में स्वतंत्र रहता है जो किसी संस्थान की स्वतंत्रता के लिए आंतरिक विशेषताएं हैं।

Ayodhya News: 108 एकड़ तक बढ़ाया जा सकता अयोध्या श्रीराम मंदिर परिसर

पीठ ने वेंकटरमणि से कहा कि 1991 के जिस कानून का वह जिक्र कर रहे हैं, वह केवल सेवा शर्त की शर्तों से संबंधित है, जो इसके नाम से ही स्पष्ट है। पीठ ने कहा कि मान लीजिए सरकार हां में हां मिलाने वाले एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति करती है, जो उसकी विचारधारा का है। कानून उसे कार्यकाल और वेतन में सभी छूट प्रदान करता है, लेकिन संस्था में कोई तथाकथित स्वतंत्रता नहीं है। यह एक निर्वाचन आयोग है, जहां शुरुआती बिंदु पर स्वतंत्रता सुनिश्चित की जानी चाहिए। वेंकटरमणि ने कहा कि स्वतंत्रता और वेतन के विभिन्न पहलू हैं और निश्चित कार्यकाल उनमें से एक है। निर्वाचन आयोग अपने सदस्यों के वेतन और कार्यकाल के मामले में स्वतंत्र रहता है और ऐसा कोई बिंदु नहीं है, जो अदालत के हस्तक्षेप को वांछित करता हो। वर्तमान में अपनाई गई व्यवस्था यह है कि सबसे वरिष्ठ निर्वाचन आयुक्त को मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) के रूप में नियुक्त किया जाता है।

Supreme Court :

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कोई कानून नहीं होने का फायदा उठाये जाने की प्रवृत्ति को ‘तकलीफदेह’ करार दिया था। अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 324 के विषय को उठाया था, जिसमें निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के बारे में कहा गया है। अदालत ने कहा था कि इसमें इस तरह की नियुक्तियों के लिए प्रक्रिया नहीं दी गयी है। अदालत ने कहा था कि इसके अलावा, उसने इस संबंध में संसद द्वारा एक कानून बनाने की परिकल्पना की थी, जो पिछले 72 वर्षों में नहीं किया गया है, जिसके कारण केंद्र द्वारा इसका फायदा उठाया जाता रहा है। अदालत ने कहा था कि 2004 से किसी मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के 10 साल के शासन में छह मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के आठ साल में आठ मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे हैं।  
अगली खबर पढ़ें

Maharashtra politics क्या महाराष्ट्र छोड़ना चाहते हैं राज्यपाल कोश्यारी? क्यों गरमा रही राजनीति

16 1
Maharashtra
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 06:48 PM
bookmark

Maharashtra politics: महाराष्ट्र में अब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को लेकर राजनीति शुरु हो गई है। बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने दावा किया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें बताया कि वह अपने पद को छोड़ना चाहते हैं।

Maharashtra politics

आपको बता दें कि मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कोश्यारी की हाल की टिप्पणियों से असहमति जताते हुए उन्होंने यह भी पूछा कि क्या कोश्यारी केंद्र सरकार को उन्हें महाराष्ट्र से हटाने के लिए विवश करने के वास्ते ऐसे विवादित बयान दे रहे थे। आपको बता दें कि भगत सिंह कोश्यारी भाजपा नेता हैं और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

पवार, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की हालिया विवादित टिप्पणी को लेकर पूछे गए एक पत्रकार के सवाल का जवाब दे रहे थे। कोश्यारी ने शिवाजी महाराज को पुराने जमाने का आदर्श बताया था।

महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता पवार ने कहा कि कई बार जब मैं राज्यपाल कोश्यारी से मिलने राज भवन जाता था तो वह कई दफा कहते थे कि वह राज्य को छोड़ना चाहते हैं। मैंने उनसे यह बात अपने वरिष्ठों को बताने के लिए भी कहा था ताकि वे उनकी इच्छा पर गौर कर सकें।

उन्होंने शिवाजी महाराज को लेकर की गयी टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि कोश्यारी को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए। जब कोई सरकारी अधिकारी अपनी इच्छा के विरुद्ध किसी पद पर तैनात होता है तो वे कुछ विवाद खड़ा करते है ताकि सरकार को उनके तबादले का आदेश जारी करना पड़े। क्या कोश्यारी भी ऐसा कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं...मैं कह नहीं सकता।

पहले भी समाज सुधारक दंपति ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को लेकर की गयी कोश्यारी की टिप्पणियों से विवाद पैदा हुआ था।

Ajab Gajab इस व्यक्ति की हैं 10 बीवियां और 98 बच्चे

देश दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

Rajsthan News : राजस्थान में मंदिर हटाने गये पुलिसकर्मियों पर पथराव, चार पुलिस वाले घायल

Atikraman
प्रतिकात्मक फोटो।
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:32 PM
bookmark
Rajsthan News : जयपुर। धार्मिक स्थल हर किसी के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र होता है। उसके साथ छेड़छाड़ किसी को भी सहन नहीं होता है। ऐसा ही एक वाकया बुधवार को राजस्थान के सिरोही जिले में देखने को मिला। यहां आबूरोड क्षेत्र में एक मंदिर हटाने का विरोध कर रहे लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गये। अधिकारी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने एक तालाब के पास अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था।

Rajsthan News :

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आबूरोड तालाब के पास बने एक छोटे मंदिर के ढांचे को उच्च न्यायालय के निर्देश पर हटाया जा रहा था, उसी दौरान कुछ लोगों ने पथराव शुरू कर दिया।

COVID-19: सावधान, बच्चों में स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा सकता है कोविड-19

सिरोही पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता ने बताया कि पथराव में चार पुलिसकर्मी घायल हो गये। मंदिर को हटाये जाने की कार्रवाई उच्च न्यायालय के निर्देश पर की जा रही थी। वहां पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जैसे ही शुरू हुई वहां स्थानीय लोग जमा हो गए और विरोध करने लगे। उन्होंने बताया कि बाद में भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। इसमें चार पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। इस मामले में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है।