Pension Scheme For Trees : ठीक पढ़ा आपने इंसानों की तरह से ही पेड़ों को भी वृद्धावस्था पेंशन मिलेगी। वृक्षों (पेड़ों) को वृद्धावस्था पेंशन की इस नायाब योजना पर खूब चर्चा चल रही है। वृक्षों को वृद्धावस्था पेंशन की बात ही इतनी निराली है कि इस विषय पर चर्चा तथा बहस होना लाजमी हो जाता है। जरा धैर्य से पढ़ें कि क्या है यह अनोखी योजना जिसमें वृक्षों को भी वृद्धावस्था पेंशन मिलेगी।
आपको कहीं ऐसा तो नहीं लग रहा है कि आपके साथ मजाक चल रहा है। पेड़ों को भी कहीं बुजुर्गों की तरह पेंशन मिलती है। मगर यह मजाक नहीं बल्कि हकीकत है। यह अभिनव योजना शुरू की गई है । भारत के एक राज्य हरियाणा में।
हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा पेड़ों को पेंशन योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना का आरंभ करके हरियाणा राज्य देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला ऐसा राज्य हो गया है जिसने बुजुर्ग नागरिकों की तरह 75 वर्ष से अधिक उम्र के पेड़ों को भी वार्षिक पेंशन देने की योजना शुरू की है। इस पेंशन योजना का नाम “प्राण वायु देवता पेंशन योजना” रखा गया है। इस योजना के अंतर्गत चुने गए पेड़ों को सालाना रुपए 2750/– की पेंशन दी जाएगी। कहीं आपके मन में यह ख्याल तो नहीं आ रहा कि पेड़ों को रूपए पैसे का क्या काम? आखिर यह पेड़ इन रूपयों का क्या करेंगे,तो आपको बता दें कि यह सालाना पेंशन की राशि उस व्यक्ति के बैंक खाते में भेजी जाएगी जो कि इन वृक्षों का संरक्षण, संवर्धन व देखभाल करेगा ।योजना के अंतर्गत वार्षिक पेंशन में प्रतिवर्ष वृद्धि भी की जाएगी।
Pension Scheme For Trees
योजना के अंतर्गत वृक्षों की 40 तरह की प्रजातियों को चुना गया है। जिसमें मुख्य रूप से लंबी जीवन अवधि वाली प्रजातियों जैसे पीपल, बरगद, नीम, आम जाल, गूलर, पिलखन, कृष्ण कदम्ब आदि प्रजातियां शामिल हैं। यह सभी पेड़ भारतीय हैं जिनका अत्यधिक पारिस्थितिकीय ( इकोलॉजिकल) महत्व है। यह योजना किसी व्यक्ति के घर, आंगन ,निजी भूमि पर खड़े वृक्षों के लिए है। जिस व्यक्ति की भूमि पर 75 वर्ष से अधिकआयु का वृक्ष स्थित है वह राज्य के वन विभाग में आवेदन कर पेंशन प्राप्त कर सकता है। योजना की शुरुआत में 3810 पेड़ों का चयन किया गया है।
धरती के लिए वरदान हैं पेड़-पौधे
आपको पता ही है कि पेड़-पौधे तथा वृक्ष धरती के लिए वरदान हैं। इसी वरदान को संरक्षित करेगी पेड़ों को मिलने वाली पेंशन।क्या आप जानते हैं कि पेड़ वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का अवशोषण कर सूर्य के प्रकाश एवं इसकी पत्तियों में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की मदद से उसे भोजन में रूपांतरित कर देते हैं ।इस क्रिया को प्रकाश संश्लेषण( फोटोसिंथेसिस )कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण की इस प्रक्रिया में वृक्ष ऑक्सीजन गैस (प्राण वायु -वह गैस जो जीवित प्राणियों को सांस लेने के लिए परम आवश्यक है) छोड़ते हैं ।इस प्रकार वृक्ष वातावरण से हानिकारक गैसों को कम करते हैं, प्राण वायु को छोड़ते हैं साथ ही साथ समस्त जीवधारियों के लिए भोजन का उत्पादन भी करते हैं ।पर्यावरण संरक्षण एवं ग्रीनहाउस गैसों के हानिकारक प्रभावों को कम करके ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में पेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका है जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता।
Pension Scheme For Trees
पेड़ों से भूजल के स्तर में वृद्धि होती है। पेड़ों से आच्छादित जगह का तापमान आसपास के तापमान से 3 से 4 डिग्री तक कम होता है। इस प्रकार पेड़ ग्लोबल वार्मिंग को कम करते हैं ।पेड़ों की जड़ मिट्टी को जकड़ कर रखती हैं जिससे मिट्टी का क्षरण कम होता है। पेड़ पौधे वर्षा कराने में भी सहायक है। यद्यपि किसी पेड़ द्वारा उत्सर्जित ऑक्सीजन गैस की मात्रा उसके फैलाव एवं वृक्ष के तने की मोटाई पर निर्भर होती है, फिर भी एक स्वस्थ पेड़ औसतन प्रतिदिन 230 लीटर ऑक्सीजन गैस उत्सर्जित करता है। इस मुफ्त में मिलने वाली ऑक्सीजन गैस का मूल्य कोविड के दौरान हम सभी ने बखूबी समझा है जब एक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लोगों ने कई- कई घंटे लाइन लगाई है।
पुराने पेड़ों का संरक्षण कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में योगदान देना पेड़ों को दी जाने वाली वृद्घावस्था पेंशन इस योजना का मुख्य उद्देश्य है ,साथ ही पेड़ों की कटाई पर रोक लगेगी एवं लोग ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने हेतु उत्साहित होंगे। इसके अतिरिक्त छोटे एवं भूमिहीन कृषकों की आय में भी वृद्धि होगी ।पुराने वृक्षों के संरक्षण से जैव विविधता का भी संरक्षण होगा क्योंकि पुराने पेड़ों के विस्तार एवं फैलाव में विभिन्न पक्षियों को अपने घोंसले बनाने में सुविधा होती है। पेड़ों को भी इंसानों की तरह वृद्धावस्था में देखभाल की जरूरत होती है और इस जरूरत की पहचान कर हरियाणा सरकार ने पेड़ों को पेंशन देकर एक सराहनीय कदम उठाया है। क्या हम उम्मीद करें कि अन्य राज्य सरकारें भी हरियाणा सरकार की इस पहल का अनुकरण करेंगी। Pension Scheme For Trees
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