PM Modi Meditation: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ध्यान साधना (PM Modi Meditation) में चले गए हैं। PM मोदी पूरे 45 घंटे रॉक मैमोरियल के अंदर ध्यान साधना में व्यस्त रहेंगे। PM मोदी ध्यान साधना (PM Modi Meditation) के दौरान न तो जल ग्रहण करेंगे और न ही 45 घंटे तक एक भी दाना अन्न ग्रहण करेंगे। इस दौरान PM मोदी की ध्यान साधना ( PM Modi Meditation) को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री (PM Modi Meditation) पर राजनीति भी शुरू हो गई है।
क्या है PM Modi Meditation की ध्यान साधना
भारत में सातवें एवं अंतिम चरण का लोकसभा चुनाव एक जून को होना है। अंतिम चरण के चुनाव प्रचार की समय सीमा समाप्त होते ही प्रधानमंत्री मोदी ध्यान हेतु तमिलनाडु के कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंच चुके हैं। प्रधानमंत्री ने वहां पहुंचकर श्री भगवती अम्मन टेंपल, जिन्हें देवी कन्याकुमारी भी कहा जाता है, में पूजा अर्चना की और वावाथुरई बीच से फेरी द्वारा विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचे। वहां मोदी 45 घंटे की मौन साधना (PM Modi Meditation) करेंगे।
प्रधानमंत्री 1 जून की शाम तक स्मारक के ध्यान कक्ष में रहेंगे। इसके पहले 2019 में भी चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद PM Modi बाबा केदारनाथ की गुफा में ध्यान समाधि के लिए गए थे जहां से ध्यान एवं पूजा के अनेक समाचार आए थे। विपक्ष का आरोप है कि मोदी जी एकान्त में ध्यान के लिए जाते हैं तो साथ में कैमरे क्यों ले जाते हैं? क्या यह PM मोदी का साइलेंट प्रचार का तरीका है? इस बार भी कुछ ऐसा ही है। विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर मोदी जी के ध्यान योग को कवर करने के लिए न्यूज़ मीडिया वहां पहुंच चुका है।
इस दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी चुनावी सभा में कहा है कि यदि मोदी जी की ध्यान योग की तस्वीरें व खबरें टीवी चैनलों पर दिखाई जाएगी तो वह चुनाव आयोग में आचरण संहिता के उल्लंघन के संबंध में इसकी शिकायत करेंगी क्योंकि चुनाव प्रचार का समय समाप्त हो चुका है और अब चुनाव प्रचार नहीं किया जा सकता।
PM मोदी की ध्यान साधना (PM Modi Meditation) में भाग लेने आए गुजरात लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य एस आर पाटनी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को श्री भगवति अम्मन मंदिर में दर्शन और चट्टान पर ध्यान लगाने के बाद भारत माता के दर्शन हुए थे। इसी तरह मोदी जी जो स्वामी विवेकानंद के प्रबल अनुयाई हैं अपने ध्यान के बाद नए और विकसित भारत के लिए कई विचार लेकर आएंगे।
भाजपा के नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने आध्यात्मिक प्रवास के लिए कन्याकुमारी को चुनने का निर्णय देश के लिए स्वामी विवेकानंद के दृष्टिकोण को साकार करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्यों प्रसिद्ध है विवेकानंद रॉक मेमोरियल
तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी में वावाथुरई बीच से 500 मीटर दूर स्थित विवेकानंद राक मेमोरियल तीन समुद्रो हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर के मिलन स्थल पर स्थित है। जो कि प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत एवं प्रख्यात वेदांती स्वामी विवेकानंद के नाम पर बनाया गया है। स्वामी विवेकानंद का प्रारंभिक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था ।इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। विवेकानंद प्रारंभ से ही आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे ।उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस थे जिनसे वह अत्यधिक प्रभावित थे। उनका मानना था कि मनुष्य जाति की सेवा द्वारा भी परमात्मा की सेवा की जा सकती है रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद विवेकानंद द्वारा बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की गई और भारत की तत्कालीन स्थितियों का ज्ञान प्राप्त किया गया ।
इन्हीं यात्राओं के दौरान विवेकानंद कन्याकुमारी के वावाथुरई बीच पर पहुंचे और उनको वहां से 500 मीटर दूर समुद्र में स्थित रॉक दिखाई दी ।उस राक तक विवेकानंद जी तैर कर पहुंचे थे तथा वहां तीन दिन तक ध्यान मग्न रहे थे ।कहा जाता है कि इसी समाधि और ध्यान के दौरान उन्हें प्रबोधन प्राप्त हुआ था। विवेकानंद जी का कहना था कि, “in a conflict between heart and brain follow your heart “अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से स्वामी विवेकानंद द्वारा सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया गया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर देश में स्वामी विवेकानंद की वाक् शक्ति के कारण ही पहुंचा ।उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की जो आज भी अपना काम कर रहा है जो कि एक मानवतावादी संगठन है।
यद्यपि शिकागो सम्मेलन में उन्हें बोलने के लिए मात्र 2 मिनट का ही समय दिया गया था किंतु उनके द्वारा प्रमुख रूप से अपने भाषण का प्रारंभ” मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों” के साथ करने के लिए जाना जाता है उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने ही सब का दिल जीत लिया था। वेदांत दर्शन यह मानता है कि सारे जीवों में ही परमात्मा का अस्तित्व है इसलिए सभी मनुष्य समान है और मनुष्यता की सेवा द्वारा भी परमात्मा की प्राप्ति की जा सकती है। विवेकानंद की प्रसिद्धि एक देशभक्त सन्यासी के रूप में है और उनके जन्मदिन12 जनवरीको ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। “उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए “यह स्वामी विवेकानंद जी का प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय नारा है।
विवेकानंद राकॅ मेमोरियल के निर्माण का विचार उनके जन्म शती वर्ष 1963 में आया। इसके लिए विवेकानंद स्मारक समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष एकनाथ रानाडे थे जो की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य थे। इन्हीं के प्रयासों से वर्ष 1970 में रॉक मेमोरियल बनकर तैयार हुआ। जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि द्वारा किया गया था। यहां पर दो मंडप हैं जिसमें से एक का नाम विवेकानंद मंडपम एवं दूसरे का नाम श्रीपद मंडपम है विवेकानंद मंडपम में विवेकानंद की मूर्ति व ध्यान हेतु हाल है एवं श्रीपद मंडपम में देवी भगवती अम्मन के पद चिन्ह है। इसी के समीप तमिल के महान कवि तिरुवल्लुवर की भी 133 लंबी प्रतिमा स्थापित है। राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि प्रधानमंत्री द्वारा इस स्थान का चयन साधना (PM Modi Meditation) राजनीतिक लाभ के दृष्टिकोण से किया गया है।
कोलकाता में मोदी का रोड शो विवेकानंद के पैतृक घर में समाप्त हुआ था।यात्रा के दौरान मोदी ने विवेकानंद की विरासत का बार-बार जिक्र किया। रामकृष्ण मिशन का भी उनके जीवन में विशेष स्थान है और विवेकानंद की शिक्षाओं ने उन्हें गहरे से प्रभावित किया है । पश्चिम बंगाल की 9 सीटों पर 1 जून को चुनाव होना है यह सभी सीटे ऐसी हैं जिनमें पिछले चुनाव में भाजपा को कोई भी सीट प्राप्त नहीं हुई थी ।भाजपा को उम्मीद है कि विवेकानंद नाम की नैया चुनाव में उनका बेड़ा पार लगाएगी क्योंकि स्वामी विवेकानंद पूरे पश्चिम बंगाल में अत्यंत ही सम्मानित व लोकप्रिय संत के रूप में पूज्य हैं और अधिकांश हिंदू जनता उनसे आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त करती है।
रामकृष्ण परमहंस मिशन भी अनेक प्राकृतिक एवं मानवीय त्रासदियों के समय जन सामान्य की सेवा में लगा रहता है उसका भी बंगाल पर अत्यधिक प्रभाव है। प्रधानमंत्री की वाराणसी सीट पर भी 1 जून को चुनाव होना है यह स्थान देवी भगवती या देवी कन्याकुमारी के लिए प्रसिद्ध है जिन्हे पार्वती देवी का ही एक रूप माना जाता है। कहा जाता है की देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इस स्थान पर कठोर तपस्या की थी ।
इस प्रकार वाराणसी और कन्याकुमारी आपस में शिव और पार्वती के स्थान होने के कारण आपस में धार्मिक रूप से सम्बद्ध हैं। राजनीतिक हानि लाभ के गणित के कारण ही डीएमके एवं कांग्रेस द्वारा PM मोदी ध्यान साधना (PM Modi Meditation) के मीडिया पर प्रचार प्रसार पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग में शिकायत की गई है। यह देखना बेहद दिलचस्प होने वाला है कि रॉक मेमोरियल में PM मोदी की ध्यान साधना (PM Modi Meditation) क्या गुल खिलाती है।
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