प्रदूषण खत्म करने के लिए क्या केजरीवाल सरकार उठाएगी ये 5 कदम

Pollution in delhi Kejriwal
प्रदूषण का असर
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 10:50 AM
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भारत में फेफड़ों के कैंसर से मरने वाले 100 में से 40 लोग ऐसे हैं जो सिगरेट या किसी तरह का धूम्रपान नहीं करते। उनके फेफड़ों में कैंसर होने की वजह है- प्रदूषण। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में केवल नवंबर-दिसंबर में नहीं, पूरे साल वायु की गुणवत्ता बेहद खराब रहती है। यानी, हवा में धूल के छोटे या बड़े (2.5 माइक्रोग्राम से 10 माइक्रोग्राम) कणों की मात्रा सामान्य से चार से सात गुना ज्यादा रहती है। यही वजह है कि भारत में फेफड़ों के कैंसर के मामले अजीबो-गरीब तरीके से बढ़ रहे हैं। ऐसा क्यों होता है? दो विशेषज्ञों (डॉ. मुकेश शर्मा, प्रो. ओंकार दीक्षित) ने 2016 में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में बताया गया कि यहां वायु प्रदूषण का स्तर गर्मियों में चार गुना और ठंड में सात गुना ज्यादा होता है। यानी, नवंबर या दिवाली के आसपास हल्ला मचाने वाले यह नहीं जानते कि दिल्ली में पूरे साल ही लोग जहरीली हवा में सांस लेते हैं। क्यों है ऐसे हालात? आईआईटी कानपुर के डॉ. मुकेश शर्मा और प्रो. ओंकार दीक्षित ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के लिए मुख्य तौर पर 5 चीजों को जिम्मेदार बताया है। 1. सड़कों से उड़ने वाली धूल (56%) 2. वाहनों से निकलने वाला धुआं (26%) 3. लकड़ी, कोयले और उपलों के जलाने से निकला धुआं (26%) 4. कूड़ा जलने से निकलने वाला धुआं (8%) 5. उधोगों से निकलने वाला धुआं (10%) इन पांच चीजों के अलावा कंस्ट्रक्शन, पराली, पटाखों का योगदान 5% से ज्यादा नहीं होता। ठंड के मौसम में पूरे दिल्ली-एनसीआर में हवा चलनी लगभग बंद हो जाती है। ऐसे में पराली, पटाखे और कंस्ट्रक्शन के निकला धुआं और धूल, हवा को और भी जहरीली बना देते हैं। मौसम बदलने के साथ प्रदूषण में इन पांच चीजों का योगदान भी घटता-बढ़ता रहता है। ठंड में सड़कों से उड़ने वाली धूल की जगह लकड़ी, कोयले और उपलों से निकलने वाले धुएं की मात्रा बढ़ जाती है। ठंड जाते ही सड़कों और आसपास के क्षेत्रों से उड़ कर आने वाली धूल प्रदूषण की मुख्य वजह बन जाता है। क्या है समाधान? 1. आईआईटी कानपुर के रिसर्च में बताया गया कि दिल्ली-एनसीआर में लगभग 9000 से भी ज्यादा होटल और रेस्त्रां ऐसे हैं जहां तंदूर का प्रयोग होता है। तंदूर में आग बनाए रखने के लिए लकड़ी या कोयला इस्तेमाल किया जाता है। ठंड में एनसीआर के प्रदूषण को बढ़ाने में इसका बड़ा हाथ होता है। सरकार चाहे तो इसे आसानी से रोका जा सकता है। 2. दिल्ली-एनसीआर में निकलने वाले कुल कूड़े का 4% हिस्सा जलाया जाता है। इससे पूरे साल प्रदूषण बना रहता है। सरकार वेस्ट मैनेजमेंट का सही इंतजाम कर इस पर रोक लगा सकती है। 3. रोड डस्ट या सड़कों से उड़ने वाली धूल का प्रदूषण में बड़ा योगदान है। वैक्यूम क्लिनर या पानी का छिड़काव कर झाड़ू लगाने की व्यवस्था कर इसे कम किया जा सकता है। 4. दिल्ली-एनसीआर में बिजली संयत्रों में कोयले का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। इससे पूरे साल प्रदूषण युक्त धुआं निकलता है जिसमें पीएम 2.5 की मात्रा खतरनाक स्तर पर होती है। इन प्लांट में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर धुएं को आसानी से फिल्टर किया जा सकता है। 5. वाहनों के लिए बीएस-6 पैमाने को सख्ती से लागू कर वाहनों से निकलने वाले धुएं को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही, सार्वजनिक परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ा कर भी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है। दिल्ली में हर साल नवंबर के महीने में प्रदूषण मुद्दा बनता है। सुप्रीम कोर्ट का सरकारों को फटकार लगाना और हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात बताना भी अब एक परंपरा हो गई है। महीना बितने के साथ प्रदूषण पर हाय-तौबा भी खत्म हो जाती है। जबकि, सच्चाई यह है कि दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग पूरे साल जहरीली हवा में लेते हैं। यह कहना मुश्किल है कि प्रदूषण कब भारत में राजनीतिक मुद्दा बनेगा। प्याज के दाम बढ़ने पर सरकारें गिर जाती हैं लेकिन, प्रदूषण के जानलेवा हो जाने के बावजूद सरकारें टस से मस नहीं होतीं। पटाखे और पराली के नाम पर राजनीति होती है और मौसम बदलने के साथ ही मुद्दा भी बदल जाता है। तो क्या हमें ये मान लेना चाहिए कि प्रदूषण कभी राजनीतिक मुद्दा नहीं बन सकता? इसका जवाब तो जनता-जनार्दन ही दे सकती है। - संजीव श्रीवास्तव
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Noida News: बसपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष रवि शर्मा ने थामा सपा का दामन

Ravi Sharma
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 01:17 PM
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नोएडा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की उपस्थिति में नोएडा महानगर बसपा के पूर्व अध्यक्ष पं. रवि शर्मा ने सपा की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव का चांदी का मुकुट व शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। सपा के राष्टï्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कुशीनगर में आयोजित एक सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। उन्होंने इस दौरान पं. रवि शर्मा को सपा की सदस्यता ग्रहण कराई। और कहा कि पंडित रवि शर्मा और उनके साथियों के सपा में शामिल होने से सपा नोएडा महानगर में मजबूत मिलेगी। पंडित रविशर्मा ने अखिलेश यादव को चांदी का मुकुट और शॉल उड़ाकर उनका आभार प्रकट कर स्वागत किया। इस दौरान पंडित रवि शर्मा ने कहा कि वह पार्टी हित में जो उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। वह उसे निष्ठा पूर्वक निभाएंगे। सपा में सदस्यता ग्रहण करने वालों में बसपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष पंडित रवि शर्मा के साथ कोषाध्यक्ष के पद पर रहे शादाब खान ,मदन शर्मा ,महेश रावत, अजय सिंह, प्रेम सिंह ,रमेश कुमार आदि बसपा के कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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राहुल गांधी के हिंदू और हिंदुत्व को मुद्दा बनाने की ये हैं 5 वजहें

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Rahul gandhi on hindu and hinduism
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 03:05 PM
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हिंदू और हिंदुत्व को मुद्दा बनाने से किसे फायदा हो सकता है? जाहिर है आपके ज़हन सबसे पहला नाम बीजेपी का आएगा। चौंकने वाली बात यह है कि इस बार कांग्रेस पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं ने इन शब्दों को उछाला है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने हाल ही में अपनी किताब प्रकाशित की जिसमें उन्होंने हिंदुत्व की तुलना दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन बोको हराम से की है।

वहीं, राहुल गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के ​जरिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में अंतर है। उन्होंने कहा कि किसी सिख या मुस्लिम को पीटना हिंदुत्व है। हिंदू धर्म, ऐसा नहीं सिखाता।

कांग्रेस की मजबूरी ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर कांग्रेस ने अचानक से हिंदू और हिंदुत्व के मसले को क्यों उठाया ? क्या यूपी में महिलाओं को 40% टिकट देने और लड़कियों को स्कूटी और लैपटॉप देने का वादा कारगर होता नहीं दिख रहा है? लखनऊ में वाल्मिकी समाज के मंदिर में पूजा करने या लखीमपुरी खेड़ी और आगरा में दलित युवक की हत्या को राजनीतिक मुद्दा बनाने के बाद भी कांग्रेस को जीत की उम्मीद नहीं दिख रही है? या इसकी कोई और वजह है?

पहली वजह 2014 के बाद, बदले राजनीतिक परिदृश्य में लोकसभा सहित विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के वफादार या धुर-समर्थक भी लगातार उससे दूर होते जा रहे हैं। यूपी में बीजेपी, बंगाल में टीएमसी और पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई है।

फिलहाल, कांग्रेस के सामने चुनाव जीतने से बड़ी चुनौती उस तबके के विश्वास को जीतना है जो किसी भी हालत में पंजे के निशान पर ही ठप्पा लगाता (ईवीएम का बटन दबाता) आया है।

दूसरी वजह हिंदुत्व हमेशा से ही बीजेपी का चुनावी मुद्दा रहा है। मोदी और अमित शाह ने जातीय खेमों में बंटे हिंदू वोटरों को धर्म के नाम पर एकजुट कर बीजेपी के पाले में लाने में सफलता पाई है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ क्योंकि, उसे अन्य धर्मों के अलावा दलितों और पिछड़ी जातियों का वोट मिलना बंद हो गया।

साथ ही, मोदी-अमित शाह के उग्र हिंदुत्व के चलते कांग्रेस ने खुद को अल्पसंख्यकों का हितैषी दिखाना भी बंद कर दिया ताकि, उस पर हिंदू विरोधी पार्टी होने का ठप्पा न लगे। नतीजा यह हुआ​ कि मुस्लिम मतदाता भी कांग्रेस छोड़ टीएमसी, एआईएआईएम या आम आदमी पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों को वोट देने लगे।

तीसरी वजह दलित, पिछड़े और मुस्लिम मतदाताओं सहित कांग्रेस की सेक्युलर विचारधारा में विश्वास रखने वाले वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस हर कोशिश कर रही है। हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे को हवा देकर कांग्रेस अपने धुर-समर्थक मतदाताओं को यह संदेश देना चाहती है कि वह अभी भी सेक्युलर पार्टी है।

पिछले दो लोकसभा चुनावों और यूपी, बिहार, बंगाल, दिल्ली जैसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर हुई है। अगले साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसमें यूपी सबसे महत्वपूर्ण है।

चौथी वजह यूपी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। धर्म और जातीय समीकरण को तोड़ने के लिए वह दलित, अल्पसंख्यक और महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में लगी हुई हैं। यूपी में तो उन्होंने 40% सीटें महिलाओं को देने का ऐलान तक​ कर दिया है।

हिंदू और हिंदुत्व वाले बयान के बहाने कांग्रेस उन मतदाताओं को भी साधना चाहती है जो सिर्फ़ इसलिए बीजेपी को वोट देते हैं क्योंकि, राष्ट्रीय स्तर पर कोई मजबूत विकल्प नहीं है। कांग्रेस दिखाना चाहती है कि वह सभी धर्माों और जातियों के पक्ष में है लेकिन, राष्ट्रीयता या धर्म के नाम पर किसी भी तरह की कट्टरता या असहिष्णुता के खिलाफ है।

पांचवीं वजह एनआरसी, सीआईए और कृषि कानूनों के खिलाफ चले लंबे किसान आंदोलन को समर्थन देने के बावजूद कांग्रेस यह विश्वास नहीं दिला पाई है​ कि वह किसके पक्ष में खड़ी है। अल्पसंख्यक, किसान और महिला कार्ड खेलने के बाद अब हिंदू और हिंदुत्व के बहाने कांग्रेस अच्छे और बुरे हिंदू को चुनावी मुद्दा बनाना चाहती है।

मोदी-अमित शाह के बाद योगी आदित्यनाथ का बढ़ता कद यह स्पष्ट संकेत है कि बीजेपी किन मुद्दों पर राजनीति करेगी। ऐसे में अब कांग्रेस को भी खुलकर यह बताना होगा कि उसकी विचारधारा क्या है।

हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे से कांग्रेस को चुनावी फायदा होगा या इस खेल में बीजेपी ही भारी पड़ेगी, यह तो आगामी चुनावी नतीजे ही बताएंगे। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यूपी में प्रियंका गांधी का सड़क पर आना और राहुल गांधी का हिंदू और हिंदुत्व पर खुलकर बोलना यह बताता है कि कांग्रेस ने सुर्खियों में रहना सीख लिया है।

- संजीव श्रीवास्तव