FMCG Bussiness : कंपनियों को मात्रा, मार्जिन के लिहाज से 2023 अच्छा रहने की उम्मीद

FMCG Bussiness
कच्चे माल की लागत बढ़ने के बीच जब एफएमसीजी कंपनियों के पास सारे विकल्प समाप्त हो गए, तो उन्होंने दाम बढ़ाना शुरू किया। एफएमसीजी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि 2023 का साल उनके लिए कुछ बेहतर साबित होगा और वे मार्जिन के साथ-साथ मात्रा के मोर्चे पर भी बढ़ोतरी दर्ज करेंगी। विशेष रूप से इन कंपनियों को जिंस कीमतों में कमी के बीच ग्रामीण क्षेत्र की मांग में सुधार की उम्मीद है। एफएमसीजी कंपनियां ‘सतर्क के साथ आशान्वित’ भी हैं। उन्हें उम्मीद है कि ग्रामीण बाजार एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा। उनकी कुल बिक्री में एक-तिहाई हिस्सा ग्रामीण बाजार का है। अच्छी फसल, सरकारी प्रोत्साहन और कृषि आय में सुधार से ग्रामीण बाजार की स्थिति में सुधार की उम्मीद है। एफएमसीजी क्षेत्र की मांग जिस समय सुधर रही थी, तो यूक्रेन युद्ध ने जिंस कीमतों के दाम चढ़ा दिए। कच्चे माल की ऊंची लागत से निपटने के लिए कई एफएमसीजी कंपनियों ने कीमत में बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपने उत्पादों के पैकेट और वजन को घटा दिया। इसे ‘श्रिंकफ्लेशन’ कहा जाता है। इसका मतबल है कि उपभोक्ताओं को कम उत्पाद के लिए समान या पुरानी कीमत का भुगतान करना पड़ रहा है। कोविड संक्रमण कम होने और अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ 2022 की अंतिम तिमाही में मांग में सुधार होना शुरू हुआ। एफएमसीजी कंपनियां जो महामारी के कारण पिछले दो साल के दौरान गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, उम्मीद कर रही हैं कि 2023 में चीजें बेहतर होंगी। डाबर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ने कहा, हम वर्ष 2023 को लेकर आशान्वित हैं और हमें ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि उभरते माध्यमों मसलन आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स के जरिये शहरी मांग में वृद्धि जारी रहेगी। उद्योग में 2022 में कीमत वृद्धि दो अंक यानी 10 प्रतिशत से अधिक रही है। डेटा विश्लेषण कंपनी नील्सनआईक्यू की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी उद्योग में पिछले तीन माह की तुलना में सितंबर तिमाही में मात्रा के लिहाज से 0.9 प्रतिशत की गिरावट रही। इमामी के वाइस चेयरमैन मोहन गोयनका ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति और ग्रामीण सुस्ती चिंता का विषय बनी हुई है, लेकिन जिंस कीमतें नीचे आना शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से जिंस कीमतें नीचे आ रही हैं लेकिन इसका लाभ अगले वित्त वर्ष में ही दिखना शुरू होगा। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि महामारी के बाद मांग स्थिर हुई है। लेकिन लागत और मुनाफे के मोर्चे पर देखा जाए, तो जिंसों के दाम ऊंचे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जिंसों के दाम अभी नरम नहीं हुए हैं। हालांकि, हमें उम्मीद है कि आगे चलकर जिंस कीमतें नीचे आएंगी। बेरी ने कहा कि अभी सिर्फ पाम तेल का दाम नीचे आया है। गेहूं के दाम चढ़े हुए हैं जबकि चीनी स्थिर है। हालांकि, आगे हमें स्थिति में सुधार की उम्मीद है।Big Breaking: निकाय चुनाव को लेकर सरकार लेगी अंतिम फैसला:केशव
अगली खबर पढ़ें
FMCG Bussiness
कच्चे माल की लागत बढ़ने के बीच जब एफएमसीजी कंपनियों के पास सारे विकल्प समाप्त हो गए, तो उन्होंने दाम बढ़ाना शुरू किया। एफएमसीजी कंपनियां उम्मीद कर रही हैं कि 2023 का साल उनके लिए कुछ बेहतर साबित होगा और वे मार्जिन के साथ-साथ मात्रा के मोर्चे पर भी बढ़ोतरी दर्ज करेंगी। विशेष रूप से इन कंपनियों को जिंस कीमतों में कमी के बीच ग्रामीण क्षेत्र की मांग में सुधार की उम्मीद है। एफएमसीजी कंपनियां ‘सतर्क के साथ आशान्वित’ भी हैं। उन्हें उम्मीद है कि ग्रामीण बाजार एक बार फिर सुधार की राह पर आएगा। उनकी कुल बिक्री में एक-तिहाई हिस्सा ग्रामीण बाजार का है। अच्छी फसल, सरकारी प्रोत्साहन और कृषि आय में सुधार से ग्रामीण बाजार की स्थिति में सुधार की उम्मीद है। एफएमसीजी क्षेत्र की मांग जिस समय सुधर रही थी, तो यूक्रेन युद्ध ने जिंस कीमतों के दाम चढ़ा दिए। कच्चे माल की ऊंची लागत से निपटने के लिए कई एफएमसीजी कंपनियों ने कीमत में बदलाव नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपने उत्पादों के पैकेट और वजन को घटा दिया। इसे ‘श्रिंकफ्लेशन’ कहा जाता है। इसका मतबल है कि उपभोक्ताओं को कम उत्पाद के लिए समान या पुरानी कीमत का भुगतान करना पड़ रहा है। कोविड संक्रमण कम होने और अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ 2022 की अंतिम तिमाही में मांग में सुधार होना शुरू हुआ। एफएमसीजी कंपनियां जो महामारी के कारण पिछले दो साल के दौरान गंभीर रूप से प्रभावित हुई थीं, उम्मीद कर रही हैं कि 2023 में चीजें बेहतर होंगी। डाबर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ने कहा, हम वर्ष 2023 को लेकर आशान्वित हैं और हमें ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि उभरते माध्यमों मसलन आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स के जरिये शहरी मांग में वृद्धि जारी रहेगी। उद्योग में 2022 में कीमत वृद्धि दो अंक यानी 10 प्रतिशत से अधिक रही है। डेटा विश्लेषण कंपनी नील्सनआईक्यू की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी उद्योग में पिछले तीन माह की तुलना में सितंबर तिमाही में मात्रा के लिहाज से 0.9 प्रतिशत की गिरावट रही। इमामी के वाइस चेयरमैन मोहन गोयनका ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति और ग्रामीण सुस्ती चिंता का विषय बनी हुई है, लेकिन जिंस कीमतें नीचे आना शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर से जिंस कीमतें नीचे आ रही हैं लेकिन इसका लाभ अगले वित्त वर्ष में ही दिखना शुरू होगा। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने कहा कि महामारी के बाद मांग स्थिर हुई है। लेकिन लागत और मुनाफे के मोर्चे पर देखा जाए, तो जिंसों के दाम ऊंचे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जिंसों के दाम अभी नरम नहीं हुए हैं। हालांकि, हमें उम्मीद है कि आगे चलकर जिंस कीमतें नीचे आएंगी। बेरी ने कहा कि अभी सिर्फ पाम तेल का दाम नीचे आया है। गेहूं के दाम चढ़े हुए हैं जबकि चीनी स्थिर है। हालांकि, आगे हमें स्थिति में सुधार की उम्मीद है।Big Breaking: निकाय चुनाव को लेकर सरकार लेगी अंतिम फैसला:केशव
संबंधित खबरें
अगली खबर पढ़ें







