रसगुल्ला कैसे बना : पुर्तगालियो ने बंगालियो को दूध से छेना बनाना सिखाया,शास्त्रों मे नहीं थी दूध फाड़ने की इजाजत

रसगुल्ला बंगाल का है या उड़ीसा का:
बात मीठे की हो और बंगाल का नाम ना आये ऐसा हो ही नही सकता। शादी पार्टी,हो या कोई खुशखबरी हो जब मुहँ मीठा करने की बात होती है तो बंगाल के रसगुल्ले की बात जरुर होती है । छेना या संदेश की बात हो तो सभी जानते है की ये मिठाइयाँ बंगाल की हैं । लेकिन कुछ साल पहले ओडिशा का कहना है कि ये सबसे पहले "पाहला" मे बना। जो की भुवनेश्वर के पास छोटा सा शहर है, जो डेयरी सेंटर के नाम से जाना जाता है । आखिरकार ये लडाई 2017 मे समाप्त हुई जब कानूनी तौर पर पश्चिम बंगाल को रसगुल्ले पर जी आई टैग प्राप्त हुआ।हिंदुओं मे दूध पवित्र माना जाता है इसे फाड़ने की इजाजत नही:
ये माना जाता है की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के समय लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिये उन्हे ये मिठाई खिलायी थी । लेकिन फूड हिस्टोरियंन इस दावे को नही मानते हैं । दूध हिंदुओ में बहुत पवित्र माना जाता था इसलिये शस्त्रों मे दूध फाड़ने की इजाजत नही थी। 16 वी शताब्दी मे पुर्तगाली भारत आये थे । उन्होने बंगाल से अपना व्यापार करना शुरु किया। उन्होने ही बंगालियो को दूध से छेना बनाना सिखाया । 19 वी सदी के पास बंगाली हलवाईयो ने छेने से मिठाईयाँ बनाना सीख लिया।कलकत्ता के हलवाई नबीन चंद्र दास ने ईजाद किया रसगुल्ला:
रसगुल्ला 1868 में नबीन चन्द्र दास जो की कलकत्ता के एक हलवाई थे उनके द्वारा बनाया गया है । फिर यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चलता चला गया। दास जी ने छेने के गोलो को चाशनी मे उबालने की कोशिश की लेकिन वह बिखर जाते थे । काफी मेहनत के बाद वो सफल हो गये और उनहोंने एक नयी मिठाई Bengali Rasgulla ईजाद किया। उस समय कई लोगो ने उनसे कहा की वो इसे पेटेंट कर ले । लेकिन उन्होने नही किया उन्हे लगा की इस तरह से उनका अविष्कार पूरी जगह नही फैलेगा। उन्होँने इसे कई लोगो को बनाना सिखाया।जगह और क्षेत्र के हिसाब से बादल नाम:
धीरे-धीरे ये मिठाई पूरे भारत मे फैल गयी,और हर जगह के हिसाब से अपना रूप और आकर बदलती गयी । Bengali Rasgulla राजस्थान मे रसभरी के रसीला अंदाज तो,यूपी मे राजसी राजभोग ,बनारस मे केसर दूध मे पकी रसमलाई और अँग्रेजों ने इसे चीज़ डम्पलिंग के नाम से बहुत पसंद किया। वैसे तो मिठास कही की भी हो हमे तो अपना मुहँ मीठा करने से मतलब है । इन दो राज्यो की मीठी सी नोक-झोंक मे रसगुल्ले की मिठास कभी कम नही हुई। बबिता आर्याभारत की पौराणिक महिलायें: प्रथम ऋषिका,अगस्त्य ऋषि की पत्नी लोपामुद्रा
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रसगुल्ला बंगाल का है या उड़ीसा का:
बात मीठे की हो और बंगाल का नाम ना आये ऐसा हो ही नही सकता। शादी पार्टी,हो या कोई खुशखबरी हो जब मुहँ मीठा करने की बात होती है तो बंगाल के रसगुल्ले की बात जरुर होती है । छेना या संदेश की बात हो तो सभी जानते है की ये मिठाइयाँ बंगाल की हैं । लेकिन कुछ साल पहले ओडिशा का कहना है कि ये सबसे पहले "पाहला" मे बना। जो की भुवनेश्वर के पास छोटा सा शहर है, जो डेयरी सेंटर के नाम से जाना जाता है । आखिरकार ये लडाई 2017 मे समाप्त हुई जब कानूनी तौर पर पश्चिम बंगाल को रसगुल्ले पर जी आई टैग प्राप्त हुआ।हिंदुओं मे दूध पवित्र माना जाता है इसे फाड़ने की इजाजत नही:
ये माना जाता है की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के समय लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिये उन्हे ये मिठाई खिलायी थी । लेकिन फूड हिस्टोरियंन इस दावे को नही मानते हैं । दूध हिंदुओ में बहुत पवित्र माना जाता था इसलिये शस्त्रों मे दूध फाड़ने की इजाजत नही थी। 16 वी शताब्दी मे पुर्तगाली भारत आये थे । उन्होने बंगाल से अपना व्यापार करना शुरु किया। उन्होने ही बंगालियो को दूध से छेना बनाना सिखाया । 19 वी सदी के पास बंगाली हलवाईयो ने छेने से मिठाईयाँ बनाना सीख लिया।कलकत्ता के हलवाई नबीन चंद्र दास ने ईजाद किया रसगुल्ला:
रसगुल्ला 1868 में नबीन चन्द्र दास जो की कलकत्ता के एक हलवाई थे उनके द्वारा बनाया गया है । फिर यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चलता चला गया। दास जी ने छेने के गोलो को चाशनी मे उबालने की कोशिश की लेकिन वह बिखर जाते थे । काफी मेहनत के बाद वो सफल हो गये और उनहोंने एक नयी मिठाई Bengali Rasgulla ईजाद किया। उस समय कई लोगो ने उनसे कहा की वो इसे पेटेंट कर ले । लेकिन उन्होने नही किया उन्हे लगा की इस तरह से उनका अविष्कार पूरी जगह नही फैलेगा। उन्होँने इसे कई लोगो को बनाना सिखाया।जगह और क्षेत्र के हिसाब से बादल नाम:
धीरे-धीरे ये मिठाई पूरे भारत मे फैल गयी,और हर जगह के हिसाब से अपना रूप और आकर बदलती गयी । Bengali Rasgulla राजस्थान मे रसभरी के रसीला अंदाज तो,यूपी मे राजसी राजभोग ,बनारस मे केसर दूध मे पकी रसमलाई और अँग्रेजों ने इसे चीज़ डम्पलिंग के नाम से बहुत पसंद किया। वैसे तो मिठास कही की भी हो हमे तो अपना मुहँ मीठा करने से मतलब है । इन दो राज्यो की मीठी सी नोक-झोंक मे रसगुल्ले की मिठास कभी कम नही हुई। बबिता आर्याभारत की पौराणिक महिलायें: प्रथम ऋषिका,अगस्त्य ऋषि की पत्नी लोपामुद्रा
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