नौकरी जरूर मिल जाएगी यदि रिज्यूमे यानि बायोडाटा अच्छा बना लें, आज ही सीखें

BIODATA
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 01:05 AM
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आप कोई भी कैसी भी नौकरी ढूंढ रहे हैं तो आपको एक जरूरी बात जरूर पता होनी ही चाहिए। नौकरी की तलाश करने से पहले आपको अपना रिज्यूमे यानि कि बायोडाटा.... बनाना ही पड़ेगा। नौकरी मिलने की बात यहीं पूरी नहीं होती। अलग-अलग बड़ी कंपनियों में नौकरी देने वाले एचआर मैनेजर्स (प्रबंधकों) का कहना है कि नौकरी पाने की पहली शर्त अच्छा रिज्यूमे  BIODATA है। जितना अच्छा आपको  BIODATA  होगा उतनी ही आसानी से आपको नौकरी मिल पाएगी।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

नौकरी देने तथा दिलवाने के क्षेत्र से जुड़े हुए एचआर एक्सपर्ट का कहना है कि आप किसी ऐसी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन करना चाहते हैं, जहां काम करना आपका वर्षों से सपना रहा है। जाहिर है, अब उस कंपनी में नौकरी करने के लिए आपको सबसे पहले अपना रिज्यूमे कंपनी के प्रबंधन या एचआर टीम को देना होगा। लेकिन इंटरव्यू के लिए आपका रिज्यूमे शॉर्टलिस्ट हो जाए, इसके लिए आपका रिज्यूमे बाकी उम्मीदवारों की तुलना में एचआर टीम व प्रबंधन को भी आकर्षक लगना चाहिए। दरअसल किसी भी नौकरी के लिए आवेदन करने से पहले आपको अपने रिज्यूमे पर काम करना चाहिए। एक अच्छा रिज्यूमे बनाने के लिए उसमें जिम्मेदारी और सफलताओं की लंबी सूची को शामिल न करें, बल्कि एक ऐसा रिज्यूमे बनाएं, जो आपके काम की गुणात्मकता को बयां करता हो।

ऐसे बनाएं अपना बेहतरीन  BIODATA

आप अपना बेहतरीन रिज्यूमे यानि  BIODATA  बनाने के लिए कुछ जरूरी सुझावों का अवश्य ध्यान रखें।  BIODATA  बनाने के लिए दिए गए ये सुझाव अब तक करोड़ों लोगों के काम आ सकते हैं।  BIODATA  बनाते समय हमेशा यह जरूर सोचें कि जिस कंपनी में नौकरी के लिए मैं यह बायोडाटा.... बना रहा हूं उस कंपनी में मुझे नौकरी जरूर मिल जाएगी। इसी सकारात्मक (पोजेटिव) सोच के साथ  BIODATA  बनाना शुरू करें।

अपनी सफलताओं की सूची बनाएं

सबसे पहले  BIODATA  बनाने के लिए आपको अब तक आपके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कामों की एक सूची बना लेनी चाहिए। यदि आपने कॉलेज के दौरान कोई इंटर्नशिप या कोई अन्य कार्य किया है, तो उसे भी सूची में अवश्य शामिल करें। दरअसल कार्य अनुभव की सभी जानकारी को लिखने से आपको अपने कौशल, ज्ञान, उपलब्धियों और रुचियों को पहचानने में फिर से मदद मिल सकती है। इसके बाद बनाई गई सूची का मूल्यांकन करें और अपनी व्यावसायिक प्रतिभा पर विचार करते हुए उन खूबियों को भी शामिल करें।

अब रिज्यूमे बनाएं

रिज्यूमे के शुरुआत में आपको कम शब्दों में एक सारांश लिखना चाहिए। सारांश आमतौर पर पहली चीज होती है, जिसे कोई भी प्रबंधक या एचआर देखता है। आप सारांश में नापका लिख सकते हैं कि इस नौकरी के लिए आपको क्या प्रेरित करता है। आप सारांश में अपने कौशल को भी ताकि कंपनी को आपके काम के बारे में जानकारी मिल सके। यदि आपने स्वयंसेवी के रूप में किसी संस्था में कार्य किया है, तो उस कार्य को भी पेशेवर अनुभव के रूप में रिज्यूमे में पेश कर सकते हैं।

रिज्यूमे बनाने का तरीका बदलें

अधिकतर लोग रिज्यूमे में कॉलेज और कॉलेज से प्राप्त पात्रताओं के बारे में जिक्र करते हैं, लेकिन यह रिज्यूमे बनाने का एक पारंपरिक तरीका है। अपनी पात्रताओं को आकर्षक रूप में प्रदर्शित करने के लिए आपको यह विचार करना होगा कि आपके लिए क्या अधिक महत्वपूर्ण है और कौन-सी डिग्री/डिप्लोमा व सर्टिफिकेट ने आपके कॅरिअर को आकार दिया। आप अन्य पात्रताओं के बारे में भी लिख सकते हैं, जो प्रबंधक के सामने आपके मूल्य को दर्शाती हो।

कुछ नया जोड़े

रिज्यूमे को आकर्षक बनाने के लिए उन विशेष कौशलों के बारे में सोचें, जिन से आपको एक अच्छी नौकरी पाने में मदद मिल सकती है। अब यह विचार करें कि क्या वह कौशल इस नौकरी के लिए प्रासंगिक है और यदि है, तो उन खूबियों को रिज्यूमे में जरूर शामिल करें। यदि आपने व्यावसायिक कारणों से किसी अन्य देश में कार्य किया है, तो वहां सीखी भाषा व कौशल के बारे में लिखें और यदि आप संगीत, विजुअल आर्ट, एनिमेशन या अपने किसी पसंदीदा कौशल को निखारने के लिए कोई कोर्स कर रहे हैं, तो उसे भी रिज्यूमे में शामिल करें।

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हफ्ते में पांच दिन ही खुला करेंगे बैंक, हरेक शनिवार तथा रविवार को होगी छुट्टी

New Bank Holidays Policy
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:06 PM
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New Bank Holidays Policy :  बैंक हर नागरिक के जीवन से जुड़े हुए हैं। अब बैंकों को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। खबर यह है कि जल्दी ही भारत के सभी बैंक हफ्ते में केवल पांच दि नही खुला करेंगे। बैंक में हरेक शनिवार तथा रविवार को छुटटी रहा करेगी। यह फैसला जल्दी ही लागू होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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एसोसिएशन ने कही बड़ी बात

आपको बता दें कि इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) तथा भारत के देश भर के बैंकों के बीच हाल ही में एक समझौता हुआ है। इस समझौते में बैंक के कर्मचारियों की सैलरी 17 प्रतिशत तक बढ़ाई गई है। इस समझौते की जानकारी देते हुए आईबीए ने कहा है कि भारत में सभी बैंकों में पांच दिन की वर्किंग व्यवस्था करने पर सहमति बन गई है। देश के सभी बैंकों में हफ्ते के केवल पांच दिन काम करने तथा शनिवार व रविवार को छुटटी रखने पर सहमति हो चुकी है। आईबीए के संयुक्त सचिव रजनीश गुप्ता ने बताया कि हफ्ते में केवल पांच दिन काम करने तथा दो दिन छुटटी रखने के प्रस्ताव को सरकार के पास भेजा जा रहा है। सरकार से अनुमति मिलते ही सभी बैंक हफ्ते में केवल पांच दिन खुला करेंगे।

लखपति दीदी बदल सकती हैं भारत का भाग्य, बदलते भारत की तस्वीर

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लखपति दीदी बदल सकती हैं भारत का भाग्य, बदलते भारत की तस्वीर

Lakhpati DIDI
Lakhpati DIDI
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:16 AM
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Lakhpati Didi : भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल "लखपति दीदी" भारत का भाग्य बदल सकती हैं। लखपति दीदी योजना को ग्रामीण भारत की रीढ़ बनाया जा सकता है। लखपति दीदी के साथ ही साथ भारत सरकार की स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) का भी खास महत्व रेखांकित करते हुए अनेक विश्लेषण सामने आ रहे हैं। ज्यादातर विश्लेषक यही बता रहे हैं कि लखपति दीदी तथा स्वंय सहायता समूह (एसएचजी) के माध्यम से चलाए जा रहे कार्यक्रम से भारत में चमत्कारिक बदलाव आने वाला है।

लखपति दीदी बन रही हैं ग्रामीण विकास का इंजन

हाल ही में लखपति दीदी तथा भारत में चलाए जा रहे एचएसजी के ऊपर बड़ा ही सारगर्भित विश्लेषण सामने आया है। लखपति दीदी तथा एसएचजी को पूरी तरह जानने समझने वाली महिला पत्रकार मौसमी कबिराज ने यह विश्लेषण किया हैं। उनके विश्लेषण से साफ जाहिर हो रहा है कि लखपति दीदी भारत के ग्रामीण विकास का इंजन बन रही हैं। मौसमी कबिराज ने लिखा है कि स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में महिलाओं का सामूहिकीकरण ग्रामीण भारत में विकास का इंजन रहा है। वर्तमान में 83 लाख एसएचजी से नौ करोड़ से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। 'लखपति दीदी' पहल के तहत एसएचजी से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ में, प्रत्येक एसएचजी परिवार को मूल्यवर्धन के विभिन्न उपायों और आजीविका गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि वे सालाना कम से कम एक लाख रुपये की आय प्राप्त कर सकें। यह पहल दिखाती है कि एसएचजी ग्रामीण महिलाओं के जीवन में वित्तीय स्वतंत्रता और बदलाव लाने वाला एक सशक्त माध्यम है।

एसएचजी की महत्वपूर्ण भूमिका

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ग्रामीण महिलाएं एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं। लेकिन 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की ग्रामीण कामकाजी आबादी में महिलाओं की संख्या 36.6 प्रतिशत, जबकि पुरुष की संख्या 78.2 प्रतिशत है। यहां महिला नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने में एसएचजी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि वे समुदाय और बड़े हितधारकों के बीच एक पुल का काम करते हैं। लेकिन, एसएचजी के भीतर सूक्ष्म-उद्यमों को अपने में व्यवसायं को टिकाऊ बनाने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसमें तकनीकी जानकारियों का अभाव, पारंपरिक तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता,....बाजार से अपर्याप्त संपर्क, सीमित कौशल प्रशिक्षण के साथ आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल की कमी जैसे कई कारण जिम्मेदार दिखाई देते हैं। चूंकि एसएचजी ग्रामीण महिलाओं तक पहुंचने और महिला नेतृत्व वाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने का उपयुक्त माध्यम हैं, इसलिए इन्हें मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। पहला कदम, सूक्ष्म उद्यम गतिविधियों से जुड़े एसएचजी को दीर्घकालिक बनाने के लिए उन्हें शुरू से अंत तक सहायता देना। इसमें क्षमता निर्माण प्रशिक्षण, वित्तीय संसाधनों तक पहुंच की सुविधा और बाजार संपर्क की सहायता शामिल है। इससे एसएचजी को चुनौतियों से निपटने, अवसरों का लाभ उठाने और आगे बढऩे में मदद मिलती है, जो उनकी महिला सदस्यों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान करता है।

सफलता का बड़ा उदाहरण

दूसरा कदम, महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए तैयार करना। सफल महिलाओं के लिए ऐसे अवसर बनाने चाहिए, जहां वे अपनी सफलता की कहानियों को अन्य महिलाओं के साथ साझा कर सकें और उनमें आत्मविश्वास पैदा कर सकें। उदाहरण के लिए, राजस्थान के दूनी गांव की मीरा जाट डेयरी और कृषि उत्पादक कंपनी मैत्री महिला मंडल समिति की प्रमुख हैं। यह समिति राजस्थान में 8,000 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देती है। आज जब वे चुनौतियों और अपनी सफलता की कहानी अन्य महिलाओं को सुनाती है, तब वे अधिक से अधिक महिलाओं को कामकाजी समूह में शामिल होने के लिए प्रेरित करती हैं। ऐसा ही काम लखपति दीदियां भी कर सकती हैं, जिन्होंने एसएचजी के माध्यम से सफलता पाई है। वे सतत आय के विभिन्न उपायों को सामने लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। तीसरा कदम, उत्पादकता और आय को बढ़ाने के लिए नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रेरित करना। उदाहरण के लिए, सोलर सिल्क रीलिंग मशीन, सोलर ड्रॉयर, बायोमास-संचालित कोल्ड स्टोरेज जैसी कई स्वच्छ प्रौद्योगिकियां कठिन परिश्रम को घटाने और मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार करने में मदद करती हैं। सीईईडब्ल्यू और विलग्रो का अध्ययन बताता है कि स्वच्छ प्रौद्योगिकियों ने ग्रामीण भारत की 10 हजार से अधिक महिलाओं की सालाना आय को 33 प्रतिशत बढ़ाने में मदद करते हुए उनकी आजीविका में उल्लेखनीय सुधार किया है। राजस्थान में झाडोल गांव की आशापुरा एसएचजी की गायत्री सुथार के अनुभव को बतौर उदाहरण देखा जा सकता है। बिजली आपूर्ति में दिक्कत होने पर उन्हें डेयरी व्यवसाय में नुकसान उठाना पड़ता था। इससे बचने के लिए उन्होंने सोलर रेफ्रिजरेटर लगा लिया। अब वे सोलर रेफ्रिजरेटर को अपने कारोबार का रक्षक बताती हैं, क्योंकि इससे दूध की बर्बादी घटी है और आय बढ़ी है।

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