नोएडा से एटीएस ने धार्मिक पुस्तकों की आड़ में टेरर फंडिंग के आरोप में की गिरफ्तारी
खुफिया इनपुट के अनुसार, तुर्की, जर्मनी, बांग्लादेश, पाकिस्तान के नागरिकों को यहाँ ठहराया गया था। इस फंड का उपयोग उत्तर प्रदेश के अमरोहा तथा पंजाब में मदरसे, मस्जिदों और कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदने में किया गया बताया गया है।

यूपी एटीएस ने फरहान नबी सिद्दीकी को ग्रेटर नोएडा के कासना इलाके से गिरफ्तार किया है, जिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि फरहान धार्मिक पुस्तकों के नाम पर ऐसी सामग्री प्रकाशित कर रहा था, जो विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य और धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देती थी। जांच में यह सामने आया कि उसके द्वारा संचालित कंपनियों के माध्यम से विदेशी फंडिंग (विशेषकर तुर्की व जर्मनी से) हवाला नेटवर्क द्वारा ली जा रही थी। लगभग 11 करोड़ तक की राशि का पता चला है।
कई कंपनियों के माध्यम से कर रहा था यह काम
यह टेरर फंडिंग कई कंपनियों के माध्यम से की जाती थी। धार्मिक पुस्तक के प्रकाशन के लिए एक प्रिंटिंग यूनिट भी कासना में खोल रखी थी। इसके अतिरिक्त, फरहान पर अवैध प्रवासियों को पनाह देने तथा बिना सूचना के हॉस्टल लगाने का भी आरोप है। खुफिया इनपुट के अनुसार, तुर्की, जर्मनी, बांग्लादेश, पाकिस्तान के नागरिकों को यहाँ ठहराया गया था। इस फंड का उपयोग उत्तर प्रदेश के अमरोहा तथा पंजाब में मदरसे, मस्जिदों और कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदने में किया गया बताया गया है।
आगे की कार्रवाई और जांच
एटीएस ने प्रिंटिंग यूनिट और कंपनियों में दबिश दी है, उन कंपनियों के संचालकों व सह-निदेशकों की भूमिका खंगाली जा रही है।
आरोपी फरहान नबी सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसकी वित्तीय लेन-देनों, विदेशी संपर्कों व प्रकाशन सामग्री की जांच की जा रही है। इस मामले में आगे केंद्रीय एजेंसियाँ जैसे ईडी और सीबीआई भी शामिल हो सकती हैं।
धार्मिक प्रकाशन की आड़ में चल रहा था धंधायह मामला दिखाता है कि कैसे धार्मिक प्रकाशन की आड़ में वित्तीय नेटवर्क, हवाला लेन-देन, और प्रवासी पनाहगाह जैसे काम हो सकते हैं। ऐसा प्रकाशन, जिसमें धार्मिक उन्माद या वैमनस्य बढ़ाने वाली सामग्री हो, सामाजिक विश्रांति के लिए बहुत खतरनाक होता है।
विदेश से धन प्राप्ति और उसका उपयोग स्थानीय गतिविधियों (जमीन, संस्थाएं) में करना जांच एजेंसियों के लिए सतर्कता का विषय है।
प्रवासियों को पनाह देना और हॉस्टल संचालन जैसे कामों में सरकारी अनुमति-सूचना की कमी एक अलग मुद्दा बन जाता है।
यूपी एटीएस ने फरहान नबी सिद्दीकी को ग्रेटर नोएडा के कासना इलाके से गिरफ्तार किया है, जिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि फरहान धार्मिक पुस्तकों के नाम पर ऐसी सामग्री प्रकाशित कर रहा था, जो विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य और धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देती थी। जांच में यह सामने आया कि उसके द्वारा संचालित कंपनियों के माध्यम से विदेशी फंडिंग (विशेषकर तुर्की व जर्मनी से) हवाला नेटवर्क द्वारा ली जा रही थी। लगभग 11 करोड़ तक की राशि का पता चला है।
कई कंपनियों के माध्यम से कर रहा था यह काम
यह टेरर फंडिंग कई कंपनियों के माध्यम से की जाती थी। धार्मिक पुस्तक के प्रकाशन के लिए एक प्रिंटिंग यूनिट भी कासना में खोल रखी थी। इसके अतिरिक्त, फरहान पर अवैध प्रवासियों को पनाह देने तथा बिना सूचना के हॉस्टल लगाने का भी आरोप है। खुफिया इनपुट के अनुसार, तुर्की, जर्मनी, बांग्लादेश, पाकिस्तान के नागरिकों को यहाँ ठहराया गया था। इस फंड का उपयोग उत्तर प्रदेश के अमरोहा तथा पंजाब में मदरसे, मस्जिदों और कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदने में किया गया बताया गया है।
आगे की कार्रवाई और जांच
एटीएस ने प्रिंटिंग यूनिट और कंपनियों में दबिश दी है, उन कंपनियों के संचालकों व सह-निदेशकों की भूमिका खंगाली जा रही है।
आरोपी फरहान नबी सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसकी वित्तीय लेन-देनों, विदेशी संपर्कों व प्रकाशन सामग्री की जांच की जा रही है। इस मामले में आगे केंद्रीय एजेंसियाँ जैसे ईडी और सीबीआई भी शामिल हो सकती हैं।
धार्मिक प्रकाशन की आड़ में चल रहा था धंधायह मामला दिखाता है कि कैसे धार्मिक प्रकाशन की आड़ में वित्तीय नेटवर्क, हवाला लेन-देन, और प्रवासी पनाहगाह जैसे काम हो सकते हैं। ऐसा प्रकाशन, जिसमें धार्मिक उन्माद या वैमनस्य बढ़ाने वाली सामग्री हो, सामाजिक विश्रांति के लिए बहुत खतरनाक होता है।
विदेश से धन प्राप्ति और उसका उपयोग स्थानीय गतिविधियों (जमीन, संस्थाएं) में करना जांच एजेंसियों के लिए सतर्कता का विषय है।
प्रवासियों को पनाह देना और हॉस्टल संचालन जैसे कामों में सरकारी अनुमति-सूचना की कमी एक अलग मुद्दा बन जाता है।







