अंजना भागी
Noida News : नोएडा सेक्टर-11 निवासी शर्मा जी (वरिष्ठ नागरिक हैं) हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त हैं। उनकी हर बात हनुमान जी से शुरू होती है,उन्हीं पर खत्म भी होती है। शर्मा जी अपनी रिटायरमेंट की जिंदगी खुशी-खुशी अपने नाती-पोतों के साथ गुजार रहे हैं। बहुत दबंग व्यक्ति हैं। जब नोएडा सेक्टर-11 खाली सा था वे तब से ही यहाँ रह रहे हैं। वे स्वयं को सारा दिन व्यस्त रखते हैं उनके घर के पास नोएडा का बड़ा नाला बहता है। वहाँ गायें साइड में बैठी जुगाली करती रहती हैं। शर्मा जी ने वहां एक बर्तन रख दिया है उस बर्तन में वे सुबह-शाम घर से पानी डब्बे में ले जाकर उसमें पलटते रहते हैं। दूर-दूर से गायें उन बर्तनों से पानी पीती हैं। उनके घर के बराबर वाला मकान काफी समय से बन रहा है। अब लगभग चार मंजिला पूरा होने को है। घर में छोटे बच्चे होने के कारण शर्मा जी काफी व्यस्त रहते हैं। वह दोपहर को 12:30 के करीब नहाने के लिए बाथरुम में घुसे ही थे कि उनकी पत्नी ने कहा आपसे यह भाई साहब मिलने आए हैं। शर्मा जी वैसे ही हल्के-फुल्के कपड़े पहन कंधे पर तोलिया लटकाये बाहर आए। बाहर जो श्रीमान खड़े हुए थे वे लंबे अच्छी कद काठी के थे। वे एक-एक सेंटेंस लड़ी सी पिरोकर बोल रहे थे और लगातार बोल रहे थे। उनका सबसे पहला वाक्य था शर्मा जी आप सपरिवार भंडारे पर अवश्य आयें।
शर्मा जी आप सपरिवार भंडारे पर अवश्य आयें !
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लेकिन मैं क्या करूं अब देखो ना मकान पूरा हो गया है। मैंने कल सुंदरकांड का पाठ साथ में भंडारा रखा है आज मेरे माता-पिता आने वाले हैं पिता मेरे 86 साल के हैं माताजी मेरी 82 साल की है। अब आते ही वह तो नहाना चाहेंगे ना इस गर्मी में लेकिन हमारी तो मोटर खराब हो गई है। शर्मा जी एक कृपा करें आप प्लीज मेरे साथ चले मेरी मोटर साइकल पर बैठ जाएँ बस मुझे मोटर उठा कर लानी है। मोटरसाइकिल पर मैं अकेले मोटर कैसे उठाकर लाऊंगा? कारीगर भी मोटर लगाने के लिए आ जाएगा, मैंने फोन कर दिया है। आप कृपा कर बस मेरी मोटरसाइकिल पर बैठें और मेरी मोटर लेकर आने में मदद कर दें। शर्मा जी ने बिना कुछ विचारे सुंदरकांड का पाठ सुना और वह कूदकर उसकी मोटरसाइकिल पर बैठ गए। इस तरह की ड्रेस में शर्मा जी पहले तो कभी बाहर न गए थे। बात बुजुर्ग माता-पिता के कष्ट की भी थी।Noida News
भंडारे के नाम पर ठगी
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बगल के नोएडा सेक्टर-12 के आई ब्लॉक में एक घर के आगे उस इंसान ने मोटर साइकल रोकी उनको खड़ा किया और कहने लगा अरे शर्मा जी आपके पास कुछ पैसे होंगे? मेरे तो पता नहीं कहाँ गिर गए? शर्मा जी बोले भाई मैं तो बाथरूम से सीधे ऐसे ही उठकर आ गया हूँ। तो उसने कहा कोई बात नहीं आप 2 मिनट यहां ठहरो मेरे मामा का घर सामने ही है। मैं वहां से पैसे लेकर आता हूं। साथ ही हम फिर मोटर भी उठा लेंगे शर्मा जी खड़े हो गए और वह इंसान देखते-देखते मोटरसाइकिल लेकर एकदम तेजी से चला गया। शर्मा जी का दिमाग अब थोड़ा सा अजीब सा महसूस करने लगा था कि यह बात क्या हुई? मैं इसको जानता नहीं कुछ नहीं और मैं उसकी मोटरसाइकिल के पीछे बैठकर यहां आ गया हूं। दूरी बहुत ज्यादा तो नहीं थी पर उनको कुछ पसीना आने लगा और उन्होंने जिस घर के आगे खड़े थे उसी घर का दरवाजा खटखटाया। वहां से एक सीनियर सिटीजन महिला निकली उन्होंने शर्मा जी को कुछ घबराए से देखा तो वह बोली आप बैठ जाईये। आप पानी पीजिए जो भी बात है आप 2 मिनट आराम कीजिए। हालांकि वे भी घर में अकेली ही थीं। उधर मोटरसाइकिल वाला आदमी वापिस शर्मा जी के घर गया। शर्मा जी की पत्नी से बोला अरे भाभी जी बड़ी समस्या है शर्मा जी ने कहा है आप जल्दी से 20,000 हजार रुपये दे दीजिए उनको अर्जेंट जरूरत है। श्रीमती शर्मा सोच में पड़ गई की 20000 एकदम कहां से आएंगे। शर्मा जी ने कैसी डिमांड भेज दी है। उन्होंने फोन मिलाया तो फोन घर पर बज रहा था वह आदमी बिल्कुल अंदर तक खड़ा लगातार बोल रहा था भाभी जी भंडारे में आप सब ने आना है। बल्कि काम भी संभालना है। वह आदमी साथ ही बोलने लगा अब देखो न बाहर ही मेरी गाड़ी खड़ी है। मेरा एक लाख रुपया उसमें है लेकिन चाबी नहीं है मेरे पास बेटा ले गया। सुंदरकांड का पाठ साथ में भंडारा। इतनी गरमी उसी की तैयारी की भाग दौड़ में मैं बहुत बिजी हूं। आप थोड़ा जल्दी से 20000/ दे दीजिए। श्रीमति शर्मा सोच में पड़ गई और जल्दी-जल्दी उन्होंने मंदिर में, शर्मा जी की पेंट, अलमारी मैं घर के कोने कोने से अपने यहां वहां जहां जितने थे जमा किए और कहा भाई साहब 20000 तो नहीं हो पा रहा है 18000 हजार ही हैं । वह अगले पल ही बोला अरे भाभी जी मैं भी क्या करूं? झट से पैसे पकड़े और मोटरसाइकिल स्टार्ट करके वहां से नौ दो ग्यारह हो गया। आंधी की तरह आया तूफान की तरह गायब शर्मा जी को सांस चढऩे लगा रिक्शा कोई मिला नहीं। अपने घर की ओर भाग कर आते। पहली बार उनको बहुत सांस चढ़ रहा था। उनका दिमाग कह रहा था कि कुछ तो अनहोनी हुई है। बे जल्दी से अपने घर आए भरी दोपहर उनकी पत्नी बाहर ही खड़ी थी छूटते ही बोली आपको पैसे मिल गए ना? शर्मा जी बोले मैंने पैसे कब मांगे? और तब जाकर खुलासा हुआ कि वे भरी दोपहर में ठगी का शिकार हुए हैं। ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है वरिष्ठ नागरिक शांतिप्रिय जीवन जीना चाहते हैं। ऐसे में ठग उनको ताड़ लेते हैं टारगेट बनाते हैं और यू पैसे ठगकर ले भी जाते हैं। फिर भी जो सरल स्वभाव है वह सरल ही रहेगा। शर्मा जी कह रहे हैं वह मेरे हनुमान जी के नाम पर यदि मुझसे कुछ ले गया तो मेरे हनुमान जी पर सब कुछ कुर्बान है। श्रीमती शर्मा कहती है यदि वह शर्मा जी के नाम पर उससे कुछ ले गया है तो फिर भी मैं ईश्वर की शुक्र गुजार हूँ हम सब सलामत हैं।Noida News