Noida News : नोएडा के सेक्टर-11 से निकलता हुआ सिंचाई नाला और वहां से आने वाली गंध इस सेक्टर के एस और टी ब्लॉक के लिए एक समस्या है। उधर जब मैं अपने ऑफिस के लिए जाती हूं तब मेरी बस सेक्टर-93 व कुछ अन्य अच्छे-अच्छे सेक्टरों के पास से गुजरती है। ऐसे ही मेट्रो ट्रेन भी कई साफ सुथरे सेक्टरों के पास से जब निकलती है तब मैं देखती हूँ कि सिंचाई नाला तो वही है, लेकिन गंध कहाँ है?
नाले के दोनों तरफ नीम के वृक्ष हैं। लगता ही नहीं कि यह वही गंदा नाला है गंध तो वहां है ही नहीं? सफाई देखने लायक है। अब मुझे लगने लगा है कि कुछ तो है नीम के इन वृक्षों में। तब ही हमने यह संकल्प लिया कि इस बार हम भी जब पौधारोपण करेंगे तो इस सिंचाई नाले के आसपास ही कुछ दशा सुधारेंगे। इस कार्य में मेरी जब मेरे सेक्टरवासियों से बात हुई तो एस.सन. पारिख का सुझाव आया कि राजस्थान कल्याण परिषद के अध्यक्ष जुगल किशोर से बात करके हम यहीं पर प्लांटेशन करवाते हैं और 21 जुलाई 2024 ,रविवार को सुबह 7: 00 से 9:00 बजे तक का समय तय हो गया।
कहानी यहीं से शुरू होती है। अरविंद सोनी सुबह के समय आए। हम उन्हें अपने साथ लेकर इस सिंचाई नाले की ओर गए। वहां पर हमने सबसे बुरे पॉइंट्स जहां बहुत ज्यादा गंदगी तथा गंध थी वह पॉइंट चुने और विचार किया यहां हमें कौन से पौधे लगाने चाहिए। अब मुझे जुगल किशोर का फोन आया कि हम शनिवार को आकर यहां गड्ढे खुदवाएंगे शनिवार सुबह-सुबह अरविंद सोनी अपने साथ दो लेबर लेकर आए और उन्होंने जितनी जगह चिन्हित की थीं गड्ढïे खुदवा दिए। रविवार 21 जुलाई सुबह-सुबह जुगल किशोर जी अपने परिषद के सदस्यों दिनेश चांडक तथा रामरतन शर्मा के साथ सुबह-सुबह आए और राजस्थान कल्याण परिषद के ‘पेड़ लगाओ अभियान’ के पंचम चरण में उन्होंने सुबह 7:00 बजे से 9:00 बजे तक सेक्टर-11 नोएडा में 16 पौधे लगाए।
हैरानी की बात यह थी कि ये सब ही अलग-अलग सेक्टरों और दूर-दूर से आए थे। इतनी लगन और फुर्ती से पौधे लगा रहे थे कि मैं हैरान थी। जिन लेबर को लाए थे वे भी प्लांटेशन के इतने शौकीन थे। पौधे लगाने आये सब ही बहुत बड़े व्यापारी हैं और वे सब इस तरह से काम कर रहे थे जैसे कोई अपनी किचन अपने बच्चों के लिए खाना बनाता है। मुझे वही लगने लगा कि जब कोई इस लग्न से इन पौधों को अपने बच्चों की तरह लगाएगा, सींचेगा तो क्यों ना यह पौधे पेड़ बनेंगे? जमीन में गड्ढे खुदे हुए थे उसमें थोड़ी सी मिट्टी डालते फिर उसमें पानी डालते फिर उसमें थोड़ी मिट्टी डालते पौधे को खड़ा करते पानी डालते और फिर काफी पानी डालते फिर उस गड्ढे को मिट्टी से भर देते साथ ही उनके साथ आए सहायक बांस के ट्री गार्ड बना उस पौधे को सुरक्षित करने लगते। तब ही बरखा जी भी शामिल हो गईं थीं। मैंने पूछा सोनी जी बांस का यह ट्री गार्ड एक बहुत ही प्यारी खोज है। वे बोले कि लोहे के ट्री गार्ड कभी कभी कबाड़ी उतारकर ले जाते हैं और ऐसा करते हुए पौधा भी उखाड़ फेंकते हैं। कभी कभी तो पेड़ों के पेट में ट्री गार्ड धँसे रह जाते हैं और उनको निकलना भी मुश्किल हो जाता है, जिससे पेड़ पूरी जिंदगी कष्ट पाते हैं।
कई बार हम ट्री गार्ड लगा कर जाते हैं दूसरे दिन वह गायब हो जाता। तीसरे या चौथे दिन गाय उस पौधे को खा जाती है। मैं अभिभूत थी जुगल किशोर वैद्य तथा राजस्थान कल्याण परिषद के सदस्यों पर उनकी इस लग्न को देखकर। सेक्टर-11 की निवासी अंजना भागी तथा उनके साथ आए श्री जैरथ, विजय यादव लक्ष्मण सिंह, आर के शर्मा बाबूलाल, योगेश, योगेश्वरी सभी ने प्रण लिया कि पौधों की सुरक्षा हम अवश्य करेंगे तब अरविंद सोनी ने कहा कि अब आप इनको तीसरे दिन पानी दीजिएगा ये सब ही अपनी गाडिय़ों में पीछे भर कर बड़े बड़े जार पानी के लाए थे यानि सब की गाडिय़ां थी गाड़ी में किसी के पास बांस, किसी के पास औजार और किसी के पास पूरे पानी के भरे हुए जार और किसी के पास अन्य कुछ पौधों को लगाने के लिए सामान या पौधे।
सेक्टर-11 से फेस-3 की ओर जाते हुए मैंने भी बहुत पौधों को पेड़ बन जाए के लिए जुगत की है लेकिन इन पौधों से मुझे कुछ अलग ही लगाव जागृत हुआ। इन सबकी मेहनत देखकर और मेहनत भी किसके लिए अपने लिए नहीं दूसरे सेक्टर में जाकर दूसरों के लिए जहां भी ऐसी जगह है जहां पेड़ की आवश्यकता है या गुंजाइश है पर्यावरण को बचाने के लिए। अन्य संस्थाओं से भी पेड़ आते हैं वह पूछते हैं पेड़ कहां रख दें। पौध रख दिए जाते हैं हम लोगों को इक_ा करते हैं गड्ढे होते हैं पौधा वहां पर लगा दिया जाता है लेकिन पीछे पलट कर कोई देखता है या नहीं देखता क्योंकि यदि देखा तो आज इतने वर्षों में नोएडा में तो बहुत पेड़ होने चाहिए थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं पर यह जो राजस्थान कल्याण परिषद ने रास्ता अपनाया है इसमें तो पूरी गारंटी है कि शायद ही कोई पौधा मरे अन्यथा सभी पौधे पेड़ बनेंगे। क्योंकि अब इसी टीम के सदस्य आते-जाते उनको चेक भी करते हैं। यदि किसी के पास पानी की कमी है तो अपनी गाड़ी में जाकर रखे हुए जार से झटपट पानी डालें व गुड़ाई कर देते हैं। मैं तो यही कहूंगी धन्य हो राजस्थान कल्याण परिषद।
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