Noida News : इंसान को प्राय: वहीं से जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिलता है जहां वह पूरी तरह वफादार होता है। जैसे कि अपने परमात्मा के प्रति। यह वाक्य महिलाओं के लिए अक्षरस: सही है। सब ही मानते हैं कि माँ बच्चे की पहली गुरु होती है। बच्चा समझना ही शुरू करता है कि माँ बच्चे को जय भगवान जी कहलाना शुरू करती हैं। किस हिन्दू घर में होली (Holi), दिवाली (Diwali), जन्माष्टमी (Janmashtami)) पर पूजा नहीं होती। आज सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा जिसमें एक युवा कुछ युवा होते लडक़ों के मुंह पर माइक लगा रहा था और पूछ रहा था आप हिंदू हैं? वह लडक़ा यदि हां कहता तो पूछता है आप गीता को जानते हैं, क्या लिखा है उस ग्रंथ में? कुछ उसके बारे में बताएं और वे युवा लडक़े सोच में पड़ जाते हैं। इस तरह उस युवक ने कई युवाओं के आगे माइक लगाया और सारे युवा बिल्कुल चुप दिखाई दिए। बहुत कोफ्त हुई यह देखकर आखिर इन युवाओं के मस्तिष्क में इतनी नकारात्मकता भरने का अधिकार आपको कौन दे रहा है?
हर घर में टीवी है, टीवी पर महाभारत (Mahabharata) आई, कृष्ण-सुदामा की कहानी आती है। हर बच्चा जानता है भगवान कृष्ण (Lord krishna) कौन है, भगवान कृष्ण (Lord krishna) द्वारा महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिये गए ज्ञान ‘अधर्म पर धर्म की विजय’ ही तो गीता की रचना है। वेद व्यास इसके रचयिता हैं। अधर्म का आखिरकार नाश ही होता है। यह तो हर कोई जानता है। कर्ण सा दयालु, दानी, वीर बलशाली पुरुष का पहिया यदि कीचड़ में न धँसता। यदि कर्ण को उस समय न मारा जाता तो महाभारत का अंत क्या होता? अधर्म पर धर्म की विजय भी काफी मुश्किल हो जाती। लगभग हर युवा यह बात जानता है। क्या हमारा आज बिल्कुल भी यह सोचना फर्ज नहीं बनता कि सकारात्मक ढंग से कही बात का असर कुछ अलग ही होता है।
श्रीराम लखन धार्मिक रामलीला, लव-कुश रामलीला, श्री सनातन धर्म रामलीला शुरू होने वाली हैं रामलीला के भूमि पूजन के उत्सव से लेकर रावण वध तक हर वर्ष 10 दिन तक भगवान श्री राम की लीलाएं जगह-जगह दिखाई जाएंगी। क्यों, रामलीला के चित्रण द्वारा बच्चों तथा बड़े होते युवाओं में अपने धर्म के प्रति आस्था तथा संस्कार भरते हैं।
रामलीला आयोजन समिति के सदस्य मुन्ना कुमार शर्मा के अनुसार रामलीला चित्रण में भूमि पूजन से लेकर रामलीला के मंचन में कहीं कोई कमी ना रह जाए हर श्रद्धालु ये कामना करते हैं।
एनईए अध्यक्ष विपिन मल्हन का कहना है -कितने अनमोल होते हैं रामलीला के यह दिन,हम जानते नहीं हर किसी को फिर भी सब अपने से लगते हैं यानी मंचन करने वालों से लेकर रामलीला नित्य देखने आने वाले सभी अपने से हो जाते हैं। पंजाबी विकास मंच के चेयरमैन दीपक विग का कहना था कि रामलीला मंचन में जो बच्चे हर रोज़ रामलीला अपने बड़ों के साथ देखने आते हैं वे सुनना और मानना सीख जाते हैं। फोनरवा अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा का कहना है कि हम भगवान श्रीराम जी की दुनिया में खो से जाते हैं। 10 दिन तक चलने वाली रामलीला हमें जीवन का दर्शन करवाती है। जैसे कि हम किसी के मोह में इतना खो जाए कि हमें उसमें कोई बुराई ही ना दिखाई देने लगे तब भी और यदि हम किसी एक घटना के कारण किसी से इतनी घृणा करने लगे कि यदि वह हमारे काम का भी है तो हमें उसकी हर बात में गलती नजर आने लगे। जैसा कि सीता-हरण तथा बाली-सुग्रीव प्रसंग में हुआ था।
Noida News:
नोएडा के समाजसेवी विपिन अग्रवाल राम लीला की हर पूजा अपने परिवार के साथ करते हैं रामलीला चित्रण में किसी भी घर में किस प्रकार के क्लेश, द्वेष या आज्ञा का पालन करना या ना करना, घर के किसी सदस्य को दबाव में रखने तथा किसी को बहुत मानना उसका क्या फायदा क्या नुकसान होता है। गली-गली हर मंदिर में हर वर्ष भागवत कथाएं होती हैं। और हम अपने युवाओं को क्या दिखाना चाहते हैं? क्या आपको नहीं लगता कि युवाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप फीकी सी मुस्कुराहट बताती है कि मुस्कुराहट कठिन वक्त की बेहतरीन प्रतिक्रिया है और खामोशी गलत प्रश्न का बेहतरीन जवाब। यानि उन्हें ऐक्टिंग करना भी भारी हो जाता है। Noida News
दबंग महिला ने पुलिस कॉन्सटेबल को जमीन पर पटककर बजाए लात-घूंसे, फाडी वर्दी, खींचे बाल
ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।