Education:नई शिक्षा नीति के तहत अब बच्चों के स्कूली बैग का वजन हुआ फिक्स

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Uttarakhand News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Dec 2021 06:23 PM
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नईदिल्ली | केंद्र सरकार(Central Government) ने नई शिक्षा नीति(New Education Policy) के तहत स्कूल स्तर पर बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने व इसे एक सीमा तक स्थिर करने का महत्वपूर्ण फैसला किया गया है। इसे सख्ती से लागू करने को लेकर स्कूलों को निर्देश जारी कर दिया गया है। माना जा रहा है कि इस नई व्यवस्था से बच्चों पर मानसिक दबाव कम होगा और वे कम उम्र में मानसिक रोगी होने से बच सकेंगे।

नई शिक्षा नीति 2020 में इस प्रावधान को उच्च वरीयता दी गई है। ताकि बच्चों के मानसिक विकास में स्कूली बैग का जरूरत से ज्यादा वजन बाधा न बन सके। इसके तहत अब  10-10 किताबों का बोझ व जरूरत से ज्यादा होम वर्क से दूर रखने की उनके लिए व्यवस्था दी गई है। नई नीति के अनुसार, तय किया गया है कि अब बच्चों के स्कूली बैग का वजन उनके शरीर के कुल वजन का 10 फीसदी या इससे कम रखने का प्रावधान किया गया है। इस व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जा सके,इसके लिए शिक्षा विभाग की तरफ से सभी स्कूलों को निर्धारित मापदंडों के पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। बस्ते का वजन कम करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने जो दिशा-निर्देश जारी किए किए हैं। उसमें व्यवस्था की गई है कि प्राथमिक कक्षा-दो तक छात्रों  को कोई गृह कार्य नहीं दिया जाएगा। वही कक्षा 3 से कक्षा 5 तक के छात्रों को केवल सप्ताह में दो घंटे का ही गृह कार्य दिया जा सकेगा। कक्षा-6 से कक्षा 8 तक छात्रों को दिन में अधिकतम एक घंटे और सप्ताह भर में 5 से 6 घंटे का गृह कार्य दिया जा सकेगा। जबकि कक्षा -9 से कक्षा-12 तक अधिकतम 2 घंटे व सप्ताह में कुल 10 से 12 घंटे का गृह कार्य दिया जाएगा।

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नि:संकोच : कब ट्यूशन मुक्त होगी शिक्षा

नि:संकोच : कब ट्यूशन मुक्त होगी शिक्षा
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 05:39 PM
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 विनय संकोची

एक जमाना था जब गिने-चुने बच्चे की ट्यूशन पढ़ते थे। इन ट्यूशन पढ़ने वालों में बड़ी संख्या उनकी होती थी, जिनके बाप के पास पैसा होता था और वह सोचता था कि ट्यूशन के बल पर बच्चे को कलेक्टर बनवा लेगा। दूसरी तरह के वे बच्चे वो थे, जिन्हें माता पिता इसलिए ट्यूशन पढ़ाते थे, ताकि बड़ा होकर अपने पैरों पर खड़ा हो सके। अगर बहुत ध्यान से देखें तो उस समय ट्यूशन पढ़ने वालों का प्रतिशत मुश्किल से 5-6 प्रतिशत ही रहा होगा। लेकिन आज यह प्रतिशत 25 से 30% तक जा पहुंचा है। ट्यूशन पढ़ना फैशन के साथ मजबूरी भी बन चुका है। बड़े-बड़े स्कूलों में बड़ी-बड़ी फीस भरकर, फिर भी किसी बड़े मास्टर जी के पास बच्चे का ट्यूशन लगाकर लोग बड़े खुश हो रहे हैं। जब ट्यूशन ही लगवाना पड़ रहा है, तो स्कूल कालेज में ट्यूशन फीस किस बात की वसूली जा रही है, इस बारे में कोई नहीं सोचता। स्कूली शिक्षा की गिरती साख के बीच देश में प्राइवेट ट्यूशन का चलन कहें या कारोबार लगातार जोर पकड़ता चला जा रहा है। इस बात को पुष्ट करती है, नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन की 2016 की एक रिपोर्ट। रिपोर्ट कहती है देशभर में 7 करोड़ 10 लाख छात्र प्राइवेट ट्यूशन ले रहे हैं, जो कुछ छात्रों की संख्या का 26% है। 2011 की जनगणना में देश में छात्रों की संख्या 31 करोड़ 50 लाख बताई गई थी, जबकि उक्त ऑर्गनाइजेशन ने यह संख्या 27 करोड़ 30 लाख मानी थी। इस दृष्टि से देखें तो प्राइवेट ट्यूशन लेने वाले छात्रों की संख्या का प्रतिशत 26 से ज्यादा ही होगा, शायद 30 प्रतिशत के आसपास।

अब सवाल पैदा होता है कि जब बच्चे को तथाकथित अच्छे स्कूल में पढ़ाया जा रहा है तो ट्यूशन की जरूरत क्यों आन पड़ी। इसका उत्तर भी सर्वे रिपोर्ट पेश करती है। 2014 की शुरुआत में 66 हजार परिवारों का सर्वे हुआ, तो 89% अभिभावकों का उत्तर था - 'हमारी कोशिश अपने बच्चों की बुनियादी शिक्षा का स्तर सुधारने की है।' क्या इसे इस रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि अभिभावकों को नहीं लगता कि स्कूलों में शिक्षा का स्तर ठीक है, इसलिए प्राइवेट ट्यूशन जरूरी है।

आप सोचिए कि 30% छात्रों का भविष्य तो प्राइवेट ट्यूशन की बैसाखियों का मोहताज है और बाकी 70 परसेंट स्टूडेंट्स का भविष्य उस ट्यूशन पर टिका है जिसकी (ट्यूशन) फीस स्कूल वाले वसूलते हैं। सबसे दु:खद विषय तो यह भी है कि जो बच्चे ट्यूशन नहीं पढ़ते, उन्हें कथित रूप से शिक्षकों द्वारा प्रताड़ित करने, फेल कर देने की धमकी देने, भविष्य बिगाड़ने की बात कहकर उन्हें अपनी शरण में लाकर ट्यूशन पढ़ने के लिए बाध्य किया जाता है। आखिर कब शिक्षा का स्तर सुधरेगा और शिक्षा ट्यूशन मुक्त होगी आपको पता हो या पता चले तो हमें भी बताना।

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सीबीएसई एग्जाम्स की डेटशीट आज होगी जारी, पहले माइनर सब्जेक्ट के एग्जाम होंगे

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 Nov 2025 10:12 AM
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नई दिल्ली: सीबीएसई (CBSE) आज 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम की डेटशीट (DATESHEET) जारी की जाएगी। ये टर्म-1 की डेटशीट मानी जाएगी। इस बार सीबीएसई ने कोरोना के काऱण बोर्ड परीक्षाओं को दो टर्म में कराने का निर्णय लिया गया है। पहले टर्म की परीक्षा 15 नवंबर से शुरु हो जाएगी। अगले साल मार्च-अप्रैल में दूसरे टर्म की परीक्षाएं होनी है।

माइनर और मेजर सब्जेक्ट की इस तरह से होगी परीक्षा

सीबीएसई ने इस साल सिलेबस को कम करने के अलावा ही माइनर और मेजर सब्जेक्ट्स के एग्जाम पैटर्न में भी परिवर्तन कर दिया है। पहले माइनर सब्जेक्ट्स का एग्जाम होना है उसके बाद मेजर सब्जेक्ट्स की परीक्षा होगी। मेजर सब्जेक्ट्स के लिए डेटशीट जारी होनी है। वहीं, माइनर सब्जेक्ट्स के लिए जिन स्कूलों में ये सब्जेक्ट पढ़ाए जाते है उन स्कूल के ग्रुप बनवा दिए जाएंगे। माइनर सब्जेक्ट्स का एक दिन में 1 से ज्यादा एग्जाम कराया जाएगा। जानकारी के अनुसार 10वीं में कुल 75 और 12वीं में 114 सब्जेक्ट्स का एग्जाम (EXAM) लेने की प्रक्रिया शुरु हुई है।

पैटर्न में किस तरह से किया जाएगा बदलाव

सबसे बड़ा बदलाव एग्जाम के पैटर्न में देखने को मिलने वाला है। इस बार बोर्ड एग्जाम (BOARD EXAM) भी कॉलेज में सेमेस्टर सिस्टम की तरह ही 2 टर्म में कराया जाएगा। दोनों टर्म में करीब आधा-आधा सिलेबस बांटे जाएंगे। पहले टर्म की परीक्षा नवंबर- दिसंबर 2021 में आयोजित होनी है। वहीं, दूसरे टर्म की परीक्षा मार्च-अप्रैल 2022 में आयोजित कराए जाएंगे। दोनों टर्म के मार्क्स के आधार पर फाइनल रिजल्ट (RESULT) तैयार होगा।

पैटर्न के आधार पर ही सिलेबस को भी दो भागों में बांट दिया गया है। सिलेबस को भी दोनों टर्म में करीब आधा-आधा बांटा है। सीबीएसई ने जब पैटर्न में बदलाव की घोषणा किया था तभी बताया था कि सिलेबस (SYLLABUS) को रैशनलाइज किया जाएगा, यानी सिलेबस को कम किया जा सकता है।