तनाव और डिप्रेशन की समस्या हो जाएगी दूर, योगासन का करते रहे अभ्यास




Saharanpur News : सहारनपुर में कोरोना के बाद अब बुखार (fever) कहर बरपाने लगा है। इसका ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में दिखाई दे रहा हैं। गांव तीतरों में सपना (36) व प्रशांत (30) की बुखार के कारण मौत हो गई। वहीं गांव अंबेहटा में भी मरियम (12) ने बुखार से दम तोड़ दिया है। उधर, सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की कतार लगी है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 105 डेंगू (dengue) के मरीज मिले हैं। जबकि डेंगू (dengue) से 20 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
सहारनपुर जिले में करीब डेढ़ माह से कोरोना संक्रमण के मरीजों की रफ्तार पर लगाम लगी है, लेकिन अनजान बुखार का प्रकोप लोगों की जान लेने में लगा है, जो बच्चों और युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। जिले में अभी तक 20 से ज्यादा मौतें अनजान बुखार से हो चुकी हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी तक इस रहस्यमयी बुखार को नहीं जान पाया है। बुखार के बाद सीधा गले पर अटैक करता है और उल्टी होने के बाद मरीज की मौत हो जा रही है। मरीज में प्लेटलेट्स की काफी कमी की शिकायतें भी सामने आ रही हैं।
रहस्यमयी बुखार के कारण मरीजों में अचानक प्लेटलेट्स काफी कम हो जाता है। इससे कई मरीजों की करीब 12 घंटे के बाद ही जान चली जा रही है। यह स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिल रही है। ग्रामीण इलाकों के मरीज बुखार को हल्के तौर पर ले रहे हैं और दुकान, मेडिकल स्टोर या फिर झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़ जाते हैं और मौत की आखिरी दहलीज पर पहुंच जाते हैं। ऐसा ही एक मामला बेहट रोड के गोपालपुर में विकास (22) के साथ हुआ। बुखार में वह कुछ दिनों तक इधर-उधर से दवा खाता रहा, लेकिन स्थिति खराब होने पर देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती हुआ। जहां उसमें प्लेटलेट्स की कमी हो गई। परिजन प्लेटलेट्स के लिए इधर-उधर भटकते रहे। प्लेटलेट्स न मिलने के कारण विकास काल के गाल में समा गया।
जिला अस्पताल बना रेफरल सेंटरजिला अस्पताल में बुखार के मरीजों के साथ-साथ अन्य बीमारियों के मरीजों की भी कतार लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी समस्या यह आ रही है कि उनके पास संसाधन और स्टाफ की कमी है। ऐसे में इमरजेंसी में बैठे चिकित्सक अपना लोड कम करने के लिए गंभीर मरीजों को रेफर कर रहे हैं। गरीब मरीज अपना इलाज बाहर नहीं करा पाते हैं, जिस कारण उनकी जान पर बन जाती है। इमरजेंसी के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब डेढ़ माह में 469 लोगों को हायर सेंटर रेफर किया गया है। जिनमें से बुखार के 300 से ज्यादा मरीज हैं।
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य विभाग बुखार की सूचना पर दौड़ रहा है, लेकिन मरीजों की बढ़ती रफ्तार को रोकने में असहाय नजर आ रहा है। गांव-गांव में कैंप लगाकर मरीजों के सैंपल लिए जा रहे हैं। उपचार की कोशिश भी की जा रही है। लेकिन मौत का ग्राफ रुकने का नाम नहीं ले रहा है। गांव टपरी कलां से शुरू हुआ बुखार गंगोह, अंबेहटा, तीतरों, देवबंद, रामपुर मनिहारान में अपना पैर पसार चुका है।
मुख्य चिकित्साधिकारी CMO डा. संजीव मांगलिक का कहना है कि मरीजों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। फिलहाल वायरल बुखार चल रहा है। डेंगू के अभी तक 105 मरीज मिल चुके हैं। डेंगू से अभी तक किसी की जान नहीं गई है। स्टाफ की कमी है, जिसके लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
Saharanpur News : सहारनपुर में कोरोना के बाद अब बुखार (fever) कहर बरपाने लगा है। इसका ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्रों में दिखाई दे रहा हैं। गांव तीतरों में सपना (36) व प्रशांत (30) की बुखार के कारण मौत हो गई। वहीं गांव अंबेहटा में भी मरियम (12) ने बुखार से दम तोड़ दिया है। उधर, सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की कतार लगी है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 105 डेंगू (dengue) के मरीज मिले हैं। जबकि डेंगू (dengue) से 20 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
सहारनपुर जिले में करीब डेढ़ माह से कोरोना संक्रमण के मरीजों की रफ्तार पर लगाम लगी है, लेकिन अनजान बुखार का प्रकोप लोगों की जान लेने में लगा है, जो बच्चों और युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। जिले में अभी तक 20 से ज्यादा मौतें अनजान बुखार से हो चुकी हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी तक इस रहस्यमयी बुखार को नहीं जान पाया है। बुखार के बाद सीधा गले पर अटैक करता है और उल्टी होने के बाद मरीज की मौत हो जा रही है। मरीज में प्लेटलेट्स की काफी कमी की शिकायतें भी सामने आ रही हैं।
रहस्यमयी बुखार के कारण मरीजों में अचानक प्लेटलेट्स काफी कम हो जाता है। इससे कई मरीजों की करीब 12 घंटे के बाद ही जान चली जा रही है। यह स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिल रही है। ग्रामीण इलाकों के मरीज बुखार को हल्के तौर पर ले रहे हैं और दुकान, मेडिकल स्टोर या फिर झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़ जाते हैं और मौत की आखिरी दहलीज पर पहुंच जाते हैं। ऐसा ही एक मामला बेहट रोड के गोपालपुर में विकास (22) के साथ हुआ। बुखार में वह कुछ दिनों तक इधर-उधर से दवा खाता रहा, लेकिन स्थिति खराब होने पर देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती हुआ। जहां उसमें प्लेटलेट्स की कमी हो गई। परिजन प्लेटलेट्स के लिए इधर-उधर भटकते रहे। प्लेटलेट्स न मिलने के कारण विकास काल के गाल में समा गया।
जिला अस्पताल बना रेफरल सेंटरजिला अस्पताल में बुखार के मरीजों के साथ-साथ अन्य बीमारियों के मरीजों की भी कतार लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी समस्या यह आ रही है कि उनके पास संसाधन और स्टाफ की कमी है। ऐसे में इमरजेंसी में बैठे चिकित्सक अपना लोड कम करने के लिए गंभीर मरीजों को रेफर कर रहे हैं। गरीब मरीज अपना इलाज बाहर नहीं करा पाते हैं, जिस कारण उनकी जान पर बन जाती है। इमरजेंसी के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब डेढ़ माह में 469 लोगों को हायर सेंटर रेफर किया गया है। जिनमें से बुखार के 300 से ज्यादा मरीज हैं।
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य विभाग बुखार की सूचना पर दौड़ रहा है, लेकिन मरीजों की बढ़ती रफ्तार को रोकने में असहाय नजर आ रहा है। गांव-गांव में कैंप लगाकर मरीजों के सैंपल लिए जा रहे हैं। उपचार की कोशिश भी की जा रही है। लेकिन मौत का ग्राफ रुकने का नाम नहीं ले रहा है। गांव टपरी कलां से शुरू हुआ बुखार गंगोह, अंबेहटा, तीतरों, देवबंद, रामपुर मनिहारान में अपना पैर पसार चुका है।
मुख्य चिकित्साधिकारी CMO डा. संजीव मांगलिक का कहना है कि मरीजों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। फिलहाल वायरल बुखार चल रहा है। डेंगू के अभी तक 105 मरीज मिल चुके हैं। डेंगू से अभी तक किसी की जान नहीं गई है। स्टाफ की कमी है, जिसके लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
