Hindi Kavita – पांवों से सिर तक जनून

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Hindi Kavita
locationभारत
userचेतना मंच
calendar10 Sep 2023 11:59 AM
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Hindi Kavita – पाँवों से सिर तक जैसे एक जनून बेतरतीबी से बढ़े हुए नाखून। कुछ टेढ़े-मेढ़े बैंगे दागिल पाँव जैसे कोई एटम से उजड़ा गाँव। टखने ज्यों मिले हुए रक्खे हों बाँस पिंडलियाँ कि जैसे हिलती-डुलती काँस। कुछ ऐसे लगते हैं घुटनों के जोड़ जैसे ऊबड़-खाबड़ राहों के मोड़। गट्टों-सी जंघाएँ निष्प्राण मलीन कटि, रीतिकाल की सुधियों से भी क्षीण। छाती के नाम महज हड्डी दस-बीस जिस पर गिन-चुन कर बाल खड़े इक्कीस। पुट्ठे हों जैसे सूख गए अमरूद चुकता करते-करते जीवन का सूद। बाँहें ढीली-ढाली ज्यों टूटी डाल अँगुलियाँ जैसे सूखी हुई पुआल। छोटी-सी गरदन रंग बेहद बदरंग हरवक्त पसीने का बदबू का संग। पिचकी अमियों से गाल लटे से कान आँखें जैसे तरकश के खुट्टल बान। माथे पर चिंताओं का एक समूह भौंहों पर बैठी हरदम यम की रूह। तिनकों से उड़ते रहने वाले बाल विद्युत परिचालित मखनातीसी चाल। बैठे तो फिर घंटों जाते हैं बीत सोचते प्यार की रीत भविष्य अतीत। कितने अजीब हैं इनके भी व्यापार।

दुष्यंत कुमार

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Hindi Kahani - कहानी एक कारीगर की

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Sep 2023 12:06 PM
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Hindi Kahani - एक बार की बात है। एक सेठ के यहां एक कारीगर मकान बनाने का काम करता था। समय के साथ जब कारीगर बूढ़ा हुआ तो कारीगर ने सेठ से कहा कि अब मैं अपने काम से रिटायर होना चाहता हूं।

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सेठ ने कुछ सोचा और कारीगर से कहा कि चलो तो फिर जाते जाते एक मकान ओर बना दो।

तो कारीगर ने ऊपरी मन से एक ओर मकान बनाने के लिए हां कर दी।

अब कारीगर मकान तो बना रहा था, लेकिन उसका मन काम करने में नहीं लग रहा था। सोच रहा था कि सेठ के यहां इतने साल काम किया तो भी जाते जाते कुछ देने के बदले मुझसे काम करवा रहा है।

इसी सोच से काम करने के कारण घर भी सही से नहीं बना पा रहा था। आखिरकार उसने घर बनाया, लेकिन वो उतना अच्छा नहीं बना, जितना वो पहले बनाता था।

काम पूरा करके सेठ के पास गया। सेठ ने पास बुलाया और कहा, “तुमने पूरी ज़िन्दगी मेरे लिए बेहतरीन मकान बनाये। मैं तुम्हारे काम से बड़ा खुश हूं। इसलिए मैं आज तुम्हें भी कुछ देना चाहता हूं। तुमसे जो घर आखिर में बनवाया है, वही मैंने तुम्हारे लिए ही बनवाया हैं।” इतना कहकर सेठ ने मकान की चाबी कारीगर को दे दी।

अब कारीगर मन ही मन में पछता रहा था कि मैंने खुद के घर को ही सही से नहीं बनाया।

शिक्षा: दोस्तों इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। बाकी जो नतीजे मिलेंगे वो अपने अच्छे के लिए ही होंगे।

भगवद गीता में भी कहा गया है कि “हमें कर्म करते रहना चाहिए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए।” इसलिए हमें अपनी तरफ से 100% देना है। ताकि बाद में हम यह ना कह पाए कि मैंने पूरी कोशिश नहीं करी या मैंने अपनी तरफ से पूरा प्रयास नहीं किया। Hindi Kahani

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Hindi Kavita – भारत और इण्डिया

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Hindi Kavita
locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Sep 2023 11:54 AM
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Hindi Kavita – भारत में गाँव है गली है चौबारा है। इण्डिया में सिटी है मॉल है पंचतारा है। भारत में घर है चबूतरा है दालान है। इण्डिया में फ्लेट है और मकान है। भारत में काका है बाबा है दादा है दादी है। इण्डिया में अंकल-आण्टी की आबादी है। भारत में खजूर है जामुन है आम है। इण्डिया में मेगी है पिज्जा है छलकते जाम है। भारत में मटके हैं दोने हैं पत्तल है। इण्डिया में पोलिथीन है प्लास्टिक है बॉटल है। भारत में गाय है घी है मक्खन है कण्डे हैं। इण्डिया में चिकन है बिरयानी है अण्डे हैं। भारत में दूध है दही है लस्सी है। इण्डिया में व्हिस्की है कोक है पैप्सी है। भारत में रसोई है आँगन है तुलसी है। इण्डिया में रूम है कमोड की कुर्सी है। भारत में कथरी है खटिया है खर्राटे हैं। इण्डिया में बेड है डनलप है करवटें हैं। भारत में मन्दिर है मण्डप है पंडाल है। इण्डिया में पब है डिस्को है हाल है। भारत में गीत है संगीत है रिदम है। इण्डिया में डांस है पॉप है आइटम है। भारत में बुआ है मौसी है बहिन है। इण्डिया में सब के सब कजिन है। भारत में पीपल है बरगद है नीम है। इण्डिया में वाल पर पूरे सीन है। भारत में आदर है प्रेम है सत्कार है। इण्डिया में स्वार्थ है नफ़रत है दुत्कार है। भारत में हजारों भाषा हैं बोली है। इण्डिया में एक अंग्रेज़ी बड़बोली है। भारत सीधा है सहज है सरल है। इण्डिया धूर्त है चालाक है कुटिल है। भारत में संतोष है सुख है चैन है। इण्डिया बदहवास है दुखी है बेचैन है। क्योंकि... भारत को देवों ने सन्तों ने वीरों रचाया है। इण्डिया को लालची अंग्रेज़ों ने बसाया है। मैं भारत हूँ भारत में रहना चाहता हूँ। अपनी सन्तानों को भी भारत ही देना चाहता हूँ। कवि

मदन लाल वर्मा क्रान्त

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