राकेश टिकैत के नाम पर महिला से की 3.63 लाख की ठगी




Pran Pratistha Mahotsav : एक ओर जहां अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को होने वाली श्रीराम मंदिर के उदघाटन और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर जोर शोर से तैयारी की जा रही है, वहीं दूसरी ओर से भाजपा ने दिल्ली में पूरे बारह दिनों तक जश्न मनाने की तैयारी की है। दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन दरगाह और जामा मस्जिद के बाहर भाजपा कार्यकर्ता दीप जलाकर जश्न मनाएंगे।
आपको बता दें कि अयोध्या में श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है। इस कार्यक्रम के लिए भोजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ को भी जिम्मेदारी दी गई है। आपको बता दें कि भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में अधिकांश कार्यकर्ता और पदाधिकारी मुस्लिम हैं। भाजपा का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ भी रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अहम भूमिका निभाएगा, जिसके तहत आगामी 12 जनवरी से 22 जनवरी तक भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा कार्यकर्ता देश में दीप जलाने का कार्यक्रम चलाएंगे। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि अल्पसंख्यक मोर्चा 12 से 22 जनवरी तक पूरे देश में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कार्यक्रम चलाएगा।
जमाल सिद्दीकी का कहना है कि इस अभियान को लेकर संगठन अल्पसंख्यक समाज में जागरूकता और भाईचारा बढ़ाने का काम करेगा। इस कार्यक्रम के लिए वह खुद दिल्ली की निजामुद्दीन दरगाह और जामा मस्जिद इलाके में जाकर दीपक जलाने से संबंधित सामग्री लोगों के बीच बांटेंगे और लोगों को इस बारे में जागरूक करेंगे।
भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के संयोजक यासिर जिलानी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम सभी 140 करोड़ भारतवासियों के आराध्य हैं, इसलिए मुस्लिम जनता के बीच शांति और सौहार्द्र बांटने के लिए हम तमाम अल्पसंख्यक इलाकों में जागरूकता फैलाने जा रहे हैं। हमारे संगठन के अध्यक्ष खुद अपनी टीम के साथ निजामुद्दीन दरगाह और जामा मस्जिद के बाहर दीप जलाएंगे।
Pran Pratistha Mahotsav : एक ओर जहां अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को होने वाली श्रीराम मंदिर के उदघाटन और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर जोर शोर से तैयारी की जा रही है, वहीं दूसरी ओर से भाजपा ने दिल्ली में पूरे बारह दिनों तक जश्न मनाने की तैयारी की है। दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन दरगाह और जामा मस्जिद के बाहर भाजपा कार्यकर्ता दीप जलाकर जश्न मनाएंगे।
आपको बता दें कि अयोध्या में श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है। इस कार्यक्रम के लिए भोजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ को भी जिम्मेदारी दी गई है। आपको बता दें कि भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में अधिकांश कार्यकर्ता और पदाधिकारी मुस्लिम हैं। भाजपा का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ भी रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अहम भूमिका निभाएगा, जिसके तहत आगामी 12 जनवरी से 22 जनवरी तक भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा कार्यकर्ता देश में दीप जलाने का कार्यक्रम चलाएंगे। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि अल्पसंख्यक मोर्चा 12 से 22 जनवरी तक पूरे देश में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कार्यक्रम चलाएगा।
जमाल सिद्दीकी का कहना है कि इस अभियान को लेकर संगठन अल्पसंख्यक समाज में जागरूकता और भाईचारा बढ़ाने का काम करेगा। इस कार्यक्रम के लिए वह खुद दिल्ली की निजामुद्दीन दरगाह और जामा मस्जिद इलाके में जाकर दीपक जलाने से संबंधित सामग्री लोगों के बीच बांटेंगे और लोगों को इस बारे में जागरूक करेंगे।
भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के संयोजक यासिर जिलानी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम सभी 140 करोड़ भारतवासियों के आराध्य हैं, इसलिए मुस्लिम जनता के बीच शांति और सौहार्द्र बांटने के लिए हम तमाम अल्पसंख्यक इलाकों में जागरूकता फैलाने जा रहे हैं। हमारे संगठन के अध्यक्ष खुद अपनी टीम के साथ निजामुद्दीन दरगाह और जामा मस्जिद के बाहर दीप जलाएंगे।

India Alliance : लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी ओर से तैयारियों में जुट गई है। इसी के तहत विपक्षी दलों के महागठबंधन 'INDIA' ने भी अपनी ओर से तैयारी शुरू कर दी है। इसी बीच देश की राजधानी दिल्ली से कांग्रेस कार्यालय से खबर आ रही है। रविवार से तीन दिन तक कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन करेगी।
आपको बता दें कि इंडिया गठबंधन में 19 दल शामिल तो हो गए हैं, लेकिन सभी दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर पंगा बना हुआ है। पिछले दिनों इंडिया की बैठक में तय हुआ था कि 31 दिसंबर 2023 तक सीटों के बंटवारे को लेकर फैसला हो जाएगा, किंतु 31 दिसंबर को गुजरे सात दिन हो गए हैं और आज तक भी सीटों के बंटवारे को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। एक और मुद्दा है, वो ये कि इंडिया गठबंधन की ओर से पीएम के रुप में किस व्यक्ति का चेहरा सामने लाया जाए। इस मसले पर भी अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है।
सहयोगी दलों के लिए सीटों के बंटवारे और गठबंधन के संयोजक जैसे बडे मसलों पर फैसले की जगह कांग्रेस बार बार पीएम पर हमले कर रही है। गठबंधन के दल आपस में उलझे हैं और ऐसी हालत में भाजपा, इंडिया गठबंधन की चुनौती को गंभीरता से नहीं ले रही। दिल्ली में आज से कांग्रेस सीटों के बंटवारे को लेकर सहयोगियों से बात करेगी।
सीटों के बंटवारे लेकर बड़े नेता भले ही चुप्पी साधे हुए हों, लेकिन अपने अपने राज्य में अपनी अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले क्षेत्रीय दलों में मतभेद उभरते रहे हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन के सामने यह भी चुनौती है कि कौन से दल को किस तरह से मनाया जाए। इसके अलावा पीएम पद के लिए कैंडिडेट तथा इंडिया के संयोजक को लेकर भी चुनौती सामने आ रही है। विवाद वाले राज्यों में एकराय कैसे बनेगी और विवाद वाले राज्यों में सीटों का बंटवारा कैसे होगा? कांग्रेस के ज्यादा सीटों के दबाव को क्षेत्रीय दल कैसे लेंगे कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों से ज्यादा सीटें कैसे हासिल करेंगी? चार बैठकों में अब तक कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया है।
बात उत्तर प्रदेश की करें तो देश के सबसे बड़े इस राज्य में समाजवादी पार्टी ज्यादा सीटें छोड़ने के मूड़ में नजर नहीं आ रही है। सपा गठबंधन को 10—15 सीटें ही दे सकती है। इससे ज्यादा सीटें का सपा का कोई इरादा नहीं है, वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस यूपी की 40 सीटों के लिए दावा कर रही है। तीन दिन तक सहयोगी दलों के साथ होने वाली बैठक में यूपी को लेकर खींचतान हो सकती है। बिहार के लिए अमूमन यही स्थिति देखने को मिल सकती है। बिहार में नीतीश भी ज्यादा सीट गठबंधन को नहीं देना चाहेंगे।
सीटों के बंटवारे को लेकर दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। आम आदमी पार्टी के पास पंजाब भी है। कुल सीटों की संख्या पंजाब में 10 और दिल्ली में 7 है, यानी दोनों राज्यों में कुल मिलाकर 17 सीटें हैं। दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी का खासा असर है और ये कोई राज की बात नहीं कि आम आदमी पार्टी ने दोनों ही राज्यों में कांग्रेस का सफाया कर दिया। कांग्रेस को अब तक ये बात खटक भी रही है और दिल्ली के स्तर पर जो नरमी हो लेकिन इन दोनों राज्यों के प्रदेश स्तर के नेता AAP को पचा नहीं पा रहे हैं।
दिल्ली में सहमति बन भी सकती है और हो सकता है कि आप कांग्रेस को दो या तीन सीटें देने पर राजी हो जाए, लेकिन पंजाब में तो कांग्रेस के राज्य के नेता नहीं चाहते कि AAP के साथ कोई गठबंधन हो। उधर विधानसभा चुनाव जीतने का बाद AAP की कोशिश है कि पंजाब की लोकसभा सीटों में भी ज्यादा पर वो ही लड़े।
India Alliance : लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी ओर से तैयारियों में जुट गई है। इसी के तहत विपक्षी दलों के महागठबंधन 'INDIA' ने भी अपनी ओर से तैयारी शुरू कर दी है। इसी बीच देश की राजधानी दिल्ली से कांग्रेस कार्यालय से खबर आ रही है। रविवार से तीन दिन तक कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन करेगी।
आपको बता दें कि इंडिया गठबंधन में 19 दल शामिल तो हो गए हैं, लेकिन सभी दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर पंगा बना हुआ है। पिछले दिनों इंडिया की बैठक में तय हुआ था कि 31 दिसंबर 2023 तक सीटों के बंटवारे को लेकर फैसला हो जाएगा, किंतु 31 दिसंबर को गुजरे सात दिन हो गए हैं और आज तक भी सीटों के बंटवारे को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। एक और मुद्दा है, वो ये कि इंडिया गठबंधन की ओर से पीएम के रुप में किस व्यक्ति का चेहरा सामने लाया जाए। इस मसले पर भी अभी तक कोई निर्णय नहीं हो सका है।
सहयोगी दलों के लिए सीटों के बंटवारे और गठबंधन के संयोजक जैसे बडे मसलों पर फैसले की जगह कांग्रेस बार बार पीएम पर हमले कर रही है। गठबंधन के दल आपस में उलझे हैं और ऐसी हालत में भाजपा, इंडिया गठबंधन की चुनौती को गंभीरता से नहीं ले रही। दिल्ली में आज से कांग्रेस सीटों के बंटवारे को लेकर सहयोगियों से बात करेगी।
सीटों के बंटवारे लेकर बड़े नेता भले ही चुप्पी साधे हुए हों, लेकिन अपने अपने राज्य में अपनी अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले क्षेत्रीय दलों में मतभेद उभरते रहे हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन के सामने यह भी चुनौती है कि कौन से दल को किस तरह से मनाया जाए। इसके अलावा पीएम पद के लिए कैंडिडेट तथा इंडिया के संयोजक को लेकर भी चुनौती सामने आ रही है। विवाद वाले राज्यों में एकराय कैसे बनेगी और विवाद वाले राज्यों में सीटों का बंटवारा कैसे होगा? कांग्रेस के ज्यादा सीटों के दबाव को क्षेत्रीय दल कैसे लेंगे कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों से ज्यादा सीटें कैसे हासिल करेंगी? चार बैठकों में अब तक कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया है।
बात उत्तर प्रदेश की करें तो देश के सबसे बड़े इस राज्य में समाजवादी पार्टी ज्यादा सीटें छोड़ने के मूड़ में नजर नहीं आ रही है। सपा गठबंधन को 10—15 सीटें ही दे सकती है। इससे ज्यादा सीटें का सपा का कोई इरादा नहीं है, वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस यूपी की 40 सीटों के लिए दावा कर रही है। तीन दिन तक सहयोगी दलों के साथ होने वाली बैठक में यूपी को लेकर खींचतान हो सकती है। बिहार के लिए अमूमन यही स्थिति देखने को मिल सकती है। बिहार में नीतीश भी ज्यादा सीट गठबंधन को नहीं देना चाहेंगे।
सीटों के बंटवारे को लेकर दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। आम आदमी पार्टी के पास पंजाब भी है। कुल सीटों की संख्या पंजाब में 10 और दिल्ली में 7 है, यानी दोनों राज्यों में कुल मिलाकर 17 सीटें हैं। दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी का खासा असर है और ये कोई राज की बात नहीं कि आम आदमी पार्टी ने दोनों ही राज्यों में कांग्रेस का सफाया कर दिया। कांग्रेस को अब तक ये बात खटक भी रही है और दिल्ली के स्तर पर जो नरमी हो लेकिन इन दोनों राज्यों के प्रदेश स्तर के नेता AAP को पचा नहीं पा रहे हैं।
दिल्ली में सहमति बन भी सकती है और हो सकता है कि आप कांग्रेस को दो या तीन सीटें देने पर राजी हो जाए, लेकिन पंजाब में तो कांग्रेस के राज्य के नेता नहीं चाहते कि AAP के साथ कोई गठबंधन हो। उधर विधानसभा चुनाव जीतने का बाद AAP की कोशिश है कि पंजाब की लोकसभा सीटों में भी ज्यादा पर वो ही लड़े।