Economic Crime : रिजर्ब बैंक के पास शिकायतों के अंबार से बढ़ रहे आर्थिक अपराध : RTI

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Economic Crime
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:04 AM
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Economic Crime: नोएडा। देशभर में आर्थिक अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। इससे जुड़ी शिकायतों का अम्बार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास बढ़ता जा रहा है। इनके निस्तारण में भी मुश्किलें आ रही है। सरकार को कोई उपाय ढूंढने होंगे, जिससे जनता को राहत मिल सके।

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समाजसेवी और अधिवक्ता रंजन तोमर की एक आरटीआई से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। श्री तोमर ने आरबीआई से पूछा था कि पिछले पांच वर्षों में बैंकिंग ओम्बड्समैन स्कीम के तहत आरबीआई को कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं और उनमें से कितने का निस्तारण हो पाया। इसके जवाब में आरबीआई ने अप्रैल 2021 से मार्च 2022 वित्तीय वर्ष के बीच की जानकारी साझा की। उसके अनुसार इस एक वर्ष में एक लाख 83 हजार 887 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिसमें से 69 हजार 245 का निस्तारण ही आवश्यक धाराओं के अनुसार हो पाया, जो कुल शिकायतों का सिर्फ 38 प्रतिशत ही है।

इसके बाद एक चौंकाने वाला आंकड़ा अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 तक का है। इस 8 महीने में पिछले वित्त वर्ष में प्राप्त कुल संख्या एक लाख 70 हजार 480 शिकायतों में से अब तक सिर्फ 27 हजार 405 का ही निस्तारण हुआ है। यह कुल शिकायतों का केवल 16 प्रतिशत ही है। यह जानकारी विचलित करने वाली हैं। नवंबर 2022 से मार्च 2023 तक अभी शिकायतों की संख्या बढ़ने का अंदेशा है और निस्तारित शिकायतों की संख्या में वृद्धि बेहद मुश्किल लग रहा है।

रंजन तोमर का कहना है कि बढ़ती शिकायतों के लिए बैंक मैनेजर भी उतने ही दोषी हैं, जितने आर्थिक अपराधी हैं। कई बार बैंक मैनेजर ही भ्रष्ट होते हैं। वे कई बार निजी स्वार्थ के कारण कागजी औपचारिकताएं पूरी किए बिना ही कर्ज दे देते हैं। यही कारण है कि आर्थिक अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। रंजन तोमर का कहना है कि इस तरह के अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए सरकार और आरबीआई को कोई नई नीति बनानी चाहिए, जिससे हर स्तर पर समस्याओं का निस्तारण हो सकें।

आरबीआई अपने जवाब में यह भी कहता है कि यदि शिकायतकर्ता आरबीआई द्वारा शिकायत के निस्तारण के बाद भी संतुष्ट नहीं है या शिकायत रिजेक्ट हो जाती है, तो वह इसकी अपील आरबीआई में दाखिल कर सकता है। इसके लिए 30 दिन का समय तय किया गया है। इस समय के भीतर ऑनलाइन या आरबीआई के मुंबई ऑफिस में पत्राचार के माध्यम से अपील दाखिल की जा सकती है।

RamcharitManas Row: रामचरित मानस पर उठे विवाद को ठीक से समझिए

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RamcharitManas Row: रामचरित मानस पर उठे विवाद को ठीक से समझिए

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RamcharitManas Row
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Jan 2023 06:28 PM
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RamcharitManas Row / अशोक बालियान RamcharitManas Row: दरअसल रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। रामचरितमानस में सात काण्ड (अध्याय) क्रमश: बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड है। श्री रामचरित मानस का 5 वा अध्याय/कांड ‘सुन्दर कांड’ है। सुन्दरकांड को सबसे पहले रामायण में श्री वाल्मीकि जी ने संस्कृत में लिखा था। बाद में तुलसीदास जी ने जब श्री रामचरित मानस लिखी, तो सुन्दरकांड का अवधी भाषा वाला रूप हम सब के सामने आया, जो की सबसे प्रचलित है।

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तुलसीदास कृत रामचरितमानस में विवादित चौपाई "ढोल, गंवार, शुद्र, पशु अरु नारी। सकल ताड़न के अधिकारी"॥ यह चौपाई सुंदरकांड में 58वें दोहे की छठीं चौपाई है। इतिहास में इस चौपाई का मनमाना अर्थ निकाल कर गोस्वामी तुलसीदास की कटु निंदा की है, और समाज में भ्रम फ़ैलाने का प्रयास किया है और करते आ रहे हैं। हमने तुलसीदास कृत रामचरितमानस की एक पुरानी पुस्तक खोजने में सफलता प्राप्त की है। वर्ष 1877 में लिखी गयी पुस्तक ‘श्री अथ तुलसीदास कृत रामायण’ के सुंदरकांड में 62वें दोहे की छठीं चौपाई में यह विवादित चौपाई है, न कि 58वें दोहे की छठी चौपाई है। लेकिन बनारस कालेज के पंडित रामजसन की वर्ष 1868 में लिखी गयी धार्मिक पुस्तक ‘तुलसीदास कृत रामायण’ में यह चौपाई नहीं है। यह शोध का विषय है कि क्या यह चौपाई तुलसीदास के बाद में जोड़ी गयी है या समय के साथ शब्द बदल गये या उनका भावार्थ बदला गया है। धर्म हमारी आस्था का प्रतीक है। युग बदलते हैं तो स्थितियां भी बदल जाती हैं। समय के साथ बाल विवाह, बलि देना तथा सती जैसी प्रथाओं को कुप्रथा मानकर प्रतिबंधित कर मान्यताओं को बदला गया था। यह बात उचित है कि समय के साथ ग्रन्थों में लिखी बातों की विवेचना या समीक्षा भी होनी चाहिए। विभिन्न दृष्टिकोणों से तर्क, साक्ष्य और इसके व्यवहारिक स्वरूप के आधार पर इस विवादित चौपाई की विवेचना की है, ताकि इसका अर्थ सही ढंग से समझा जा सके। तुलसीदास कृत रामचरितमानस में यह चौपाई समुद्र का कथन है न कि तुलसीदास का कथन है। श्रीराम समुद्र तट पर खड़े हैं। लंका तक पहुंचने के लिए समुद्र से रास्ता मांग रहे हैं। इसी प्रसंग में समुद्र द्वारा श्रीराम को कही गयी चौपाई ‘प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं’। ‘मर्यादा सब तुम्हरी कीन्हीं’॥ ‘ढोल गंवार शुद्र, पशु नारी’॥ ‘ये सब ताड़न के अधिकारी’॥ का अर्थ है कि ‘प्रभु ने अच्छा किया, जो मुझे शिक्षा दी। सब मर्यादा भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गंवार, शुद्र, पशु, नारी’ ये सब शिक्षा व परवरिश के अधिकारी हैं।

ताड़न शब्द के अलग-अलग अर्थ है। हिन्दी में ताड़न का अर्थ पीटने से भी लिया जाता है, लेकिन जिस भाषा में तुलसीदास कृत रामचरितमानस लिखी गयी है उस अवधी शब्द कोश में ताड़न का अर्थ शिक्षा व परवरिश से है। तुलसीदास जिस बुन्देलखण्ड इलाके से आते थे, वहां आज भी देखरेख करने के लिए 'ताड़ ल्यौ' शब्द का ही इस्तेमाल किया जाता है। ‘अधिकारी’ शब्द का प्रयोग सकारात्मक बात के लिए ही किया जाता है। जैसे यह व्यक्ति ‘इनाम’ का ‘अधिकारी’ है। ‘इनाम’ पाना ‘सकारात्मकता’ है, जबकि “सजा” के सन्दर्भ में ‘अधिकारी’ शब्द का प्रयोग गलत है, क्योंकि सजा में ‘पाने’ की नहीं, ‘देने’ की बात होती है।

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Political News : माया ने मोदी सरकार से पूछा सवाल, मुगल गार्डन का नाम बदलने से क्या दूर हो जाएंगी समस्याएं

Maya
Maya asked the question to the Modi government, will changing the name of Mughal Gardens solve the problems?
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 02:35 AM
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लखनऊ। राष्ट्रपति भवन के प्रसिद्ध मुगल गार्डन का नाम बदलकर ‘अमृत उद्यान’ किए जाने के एक दिन बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को सवाल उठाया कि नाम बदलने से क्या देश के करोड़ों लोगों की दिन-प्रतिदिन की ज्वलंत समस्याएं दूर हो जाएंगी।

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बसपा प्रमुख ने रविवार की सुबह ट्वीट कर कहा, 'कुछ मुट्ठीभर लोगों को छोड़कर देश की समस्त जनता जबरदस्त महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से त्रस्त है। उनके निदान पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय धर्मांतरण, नामांतरण, बायकाट और नफरती भाषणों के जरिये लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास घोर अनुचित व अत्यंत दुःखद है। उन्होंने लिखा कि ताज़ा घटनाक्रम में राष्ट्रपति भवन के मशहूर मुगल गार्डन का नाम बदलने से क्या देश और यहां के करोड़ों लोगों की दिन-प्रतिदिन की ज्वलंत समस्याएं दूर हो जाएंगी। वरना फिर आम जनता इसे भी सरकार द्वारा अपनी कमियों और विफलताओं पर पर्दा डालने का प्रयास ही मानेगी।

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उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति भवन का प्रसिद्ध मुगल गार्डन अब ‘अमृत उद्यान’ के नाम से जाना जाएगा। यह उद्यान साल में एक बार जनता के लिए खुलता है। लोग इस साल 31 जनवरी से इस उद्यान की यात्रा का लुत्फ उठा सकेंगे।

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एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को राष्ट्रपति भवन उद्यान उत्सव 2023 का उद्घाटन करेंगी। राष्ट्रपति की उप प्रेस सचिव नविका गुप्ता ने एक बयान में कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन उद्यान को ‘अमृत उद्यान’ के रूप में समान नाम देकर प्रसन्न हैं। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें। News uploaded from Noida   #ChetnaManch  #चेतनामंच