बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक: राधाकृष्णन ने विपक्ष की रणनीति हिला दी

उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित करके राजनीतिक गहरी रणनीति अपनाई है। इस कदम से पार्टी ने न सिर्फ एनडीए को एकजुट रखने का प्रयास किया है, बल्कि विपक्षी खेमे में भी सेंधमारी करने का संकेत दिया है। बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राधाकृष्णन के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि विपक्ष से भी संपर्क कर उनके पक्ष में सर्वसम्मति बनाने की कोशिश की जाएगी। राजनीतिक जानकार इसे मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं, क्योंकि राधाकृष्णन की पृष्ठभूमि और अनुभव दोनों ही पक्षों को प्रभावित कर सकते हैं। Vice Presidential Election
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के रहने वाले हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उनकी उम्मीदवारी से डीएमके और AIADMK में टेंशन बढ़ गई है, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी कशमकश में फंसी दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति साफ है — एक ही उम्मीदवार से कई सियासी मोहरे खेलना।
पिछले चुनावों में भी रही विपक्ष में सेंधमारी
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में हमेशा से सत्तापक्ष ने विपक्षी खेमे में सेंधमारी की कोशिश की है। 2007 में यूपीए ने प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था, जिनके पक्ष में शिवसेना ने वोट दिया था। 2012 में प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी पर भी एनडीए के कुछ घटक दलों ने समर्थन दिया। 2017 और 2022 के चुनावों में भी एनडीए ने अपने उम्मीदवारों को विपक्षी समर्थन मिलने का फायदा उठाया।
यह भी पढ़ें:दिल्ली-NCR में कनेक्टिविटी का नया युग, प्रॉपर्टी मार्केट में बढ़ेगी मांग
उद्धव और स्टालिन की कशमकश
राधाकृष्णन के नाम से उद्धव ठाकरे और एमके स्टालिन दोनों के लिए राजनीतिक जटिल स्थिति उत्पन्न हो गई है। उद्धव के लिए चुनौती यह है कि अगर वे समर्थन नहीं देते, तो यह उनके अपने राज्यपाल के खिलाफ जाने के रूप में देखा जाएगा। इसी कारण शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा, “सीपी राधाकृष्णन एक सम्माननीय और अनुभवी व्यक्ति हैं। उन्हें शुभकामनाएं। तमिलनाडु में भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है। राधाकृष्णन की उम्मीदवारी डीएमके और एआईएडीएमके दोनों के लिए विरोध करना आसान नहीं छोड़ती। क्षेत्रीय राजनीति और आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में यह और भी संवेदनशील बन जाता है।
विपक्षी एकता पर सवाल
राधाकृष्णन के एनडीए उम्मीदवार बनने के बाद कांग्रेस और उसके सहयोगी 'इंडिया ब्लॉक' के लिए आपसी एकता बनाए रखना कठिन हो गया है। विपक्ष ने संयुक्त उम्मीदवार उतारकर एनडीए को चुनौती देने की कोशिश की थी, लेकिन अब राधाकृष्णन की उम्मीदवारी ने उनकी रणनीति पर भी असर डाला है। डीएमके के सांसदों की संख्या और राज्य की राजनीतिक संवेदनशीलता के कारण पार्टी को दुविधा का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, टीएमसी ने पहले भी वोटिंग से दूरी बना कर विपक्ष को हताश किया था। अब देखना होगा कि उद्धव ठाकरे और एमके स्टालिन उपराष्ट्रपति चुनाव में किस मोर्चे पर खड़े होते हैं। Vice Presidential Election
उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित करके राजनीतिक गहरी रणनीति अपनाई है। इस कदम से पार्टी ने न सिर्फ एनडीए को एकजुट रखने का प्रयास किया है, बल्कि विपक्षी खेमे में भी सेंधमारी करने का संकेत दिया है। बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राधाकृष्णन के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि विपक्ष से भी संपर्क कर उनके पक्ष में सर्वसम्मति बनाने की कोशिश की जाएगी। राजनीतिक जानकार इसे मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं, क्योंकि राधाकृष्णन की पृष्ठभूमि और अनुभव दोनों ही पक्षों को प्रभावित कर सकते हैं। Vice Presidential Election
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के रहने वाले हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उनकी उम्मीदवारी से डीएमके और AIADMK में टेंशन बढ़ गई है, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी कशमकश में फंसी दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति साफ है — एक ही उम्मीदवार से कई सियासी मोहरे खेलना।
पिछले चुनावों में भी रही विपक्ष में सेंधमारी
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में हमेशा से सत्तापक्ष ने विपक्षी खेमे में सेंधमारी की कोशिश की है। 2007 में यूपीए ने प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था, जिनके पक्ष में शिवसेना ने वोट दिया था। 2012 में प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी पर भी एनडीए के कुछ घटक दलों ने समर्थन दिया। 2017 और 2022 के चुनावों में भी एनडीए ने अपने उम्मीदवारों को विपक्षी समर्थन मिलने का फायदा उठाया।
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उद्धव और स्टालिन की कशमकश
राधाकृष्णन के नाम से उद्धव ठाकरे और एमके स्टालिन दोनों के लिए राजनीतिक जटिल स्थिति उत्पन्न हो गई है। उद्धव के लिए चुनौती यह है कि अगर वे समर्थन नहीं देते, तो यह उनके अपने राज्यपाल के खिलाफ जाने के रूप में देखा जाएगा। इसी कारण शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा, “सीपी राधाकृष्णन एक सम्माननीय और अनुभवी व्यक्ति हैं। उन्हें शुभकामनाएं। तमिलनाडु में भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है। राधाकृष्णन की उम्मीदवारी डीएमके और एआईएडीएमके दोनों के लिए विरोध करना आसान नहीं छोड़ती। क्षेत्रीय राजनीति और आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में यह और भी संवेदनशील बन जाता है।
विपक्षी एकता पर सवाल
राधाकृष्णन के एनडीए उम्मीदवार बनने के बाद कांग्रेस और उसके सहयोगी 'इंडिया ब्लॉक' के लिए आपसी एकता बनाए रखना कठिन हो गया है। विपक्ष ने संयुक्त उम्मीदवार उतारकर एनडीए को चुनौती देने की कोशिश की थी, लेकिन अब राधाकृष्णन की उम्मीदवारी ने उनकी रणनीति पर भी असर डाला है। डीएमके के सांसदों की संख्या और राज्य की राजनीतिक संवेदनशीलता के कारण पार्टी को दुविधा का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, टीएमसी ने पहले भी वोटिंग से दूरी बना कर विपक्ष को हताश किया था। अब देखना होगा कि उद्धव ठाकरे और एमके स्टालिन उपराष्ट्रपति चुनाव में किस मोर्चे पर खड़े होते हैं। Vice Presidential Election







