बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक: राधाकृष्णन ने विपक्ष की रणनीति हिला दी

बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक: राधाकृष्णन ने विपक्ष की रणनीति हिला दी
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:33 PM
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उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित करके राजनीतिक गहरी रणनीति अपनाई है। इस कदम से पार्टी ने न सिर्फ एनडीए को एकजुट रखने का प्रयास किया है, बल्कि विपक्षी खेमे में भी सेंधमारी करने का संकेत दिया है। बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राधाकृष्णन के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि विपक्ष से भी संपर्क कर उनके पक्ष में सर्वसम्मति बनाने की कोशिश की जाएगी। राजनीतिक जानकार इसे मास्टरस्ट्रोक बता रहे हैं, क्योंकि राधाकृष्णन की पृष्ठभूमि और अनुभव दोनों ही पक्षों को प्रभावित कर सकते हैं।  Vice Presidential Election

सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के रहने वाले हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उनकी उम्मीदवारी से डीएमके और AIADMK में टेंशन बढ़ गई है, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना भी कशमकश में फंसी दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति साफ है — एक ही उम्मीदवार से कई सियासी मोहरे खेलना।

पिछले चुनावों में भी रही विपक्ष में सेंधमारी

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में हमेशा से सत्तापक्ष ने विपक्षी खेमे में सेंधमारी की कोशिश की है। 2007 में यूपीए ने प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था, जिनके पक्ष में शिवसेना ने वोट दिया था। 2012 में प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी पर भी एनडीए के कुछ घटक दलों ने समर्थन दिया। 2017 और 2022 के चुनावों में भी एनडीए ने अपने उम्मीदवारों को विपक्षी समर्थन मिलने का फायदा उठाया।

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उद्धव और स्टालिन की कशमकश

राधाकृष्णन के नाम से उद्धव ठाकरे और एमके स्टालिन दोनों के लिए राजनीतिक जटिल स्थिति उत्पन्न हो गई है। उद्धव के लिए चुनौती यह है कि अगर वे समर्थन नहीं देते, तो यह उनके अपने राज्यपाल के खिलाफ जाने के रूप में देखा जाएगा। इसी कारण शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा, “सीपी राधाकृष्णन एक सम्माननीय और अनुभवी व्यक्ति हैं। उन्हें शुभकामनाएं। तमिलनाडु में भी स्थिति चुनौतीपूर्ण है। राधाकृष्णन की उम्मीदवारी डीएमके और एआईएडीएमके दोनों के लिए विरोध करना आसान नहीं छोड़ती। क्षेत्रीय राजनीति और आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में यह और भी संवेदनशील बन जाता है।

विपक्षी एकता पर सवाल

राधाकृष्णन के एनडीए उम्मीदवार बनने के बाद कांग्रेस और उसके सहयोगी 'इंडिया ब्लॉक' के लिए आपसी एकता बनाए रखना कठिन हो गया है। विपक्ष ने संयुक्त उम्मीदवार उतारकर एनडीए को चुनौती देने की कोशिश की थी, लेकिन अब राधाकृष्णन की उम्मीदवारी ने उनकी रणनीति पर भी असर डाला है। डीएमके के सांसदों की संख्या और राज्य की राजनीतिक संवेदनशीलता के कारण पार्टी को दुविधा का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, टीएमसी ने पहले भी वोटिंग से दूरी बना कर विपक्ष को हताश किया था। अब देखना होगा कि उद्धव ठाकरे और एमके स्टालिन उपराष्ट्रपति चुनाव में किस मोर्चे पर खड़े होते हैं।  Vice Presidential Election

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बिहार SIR विवाद पर चुनाव आयोग पर विपक्ष का हमला, CEC के खिलाफ महाभियोग की योजना

बिहार SIR विवाद पर चुनाव आयोग पर विपक्ष का हमला, CEC के खिलाफ महाभियोग की योजना
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 05:48 AM
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बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष का चुनाव आयोग पर हमला लगातार तेज होता जा रहा है। इसी बीच विपक्ष ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग और बीजेपी ने इस मामले में पक्षपात और भ्रामक बयानबाजी की है, जबकि चुनाव आयोग ने कांग्रेस पर झूठ फैलाने और 'वोट चोरी' जैसे शब्दों का उपयोग कर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। Gyanesh Kumar

संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने का फैसला

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में सोमवार को विपक्षी दलों की बैठक हुई, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया। इस बैठक में इंडिया गठबंधन के प्रमुख नेता शामिल थे। हालांकि महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत आवश्यक होता है जो वर्तमान में विपक्ष के पास नहीं है।

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इस दिशा में आगे बढ़ रहा है विपक्ष

महाभियोग एक गंभीर और औपचारिक प्रक्रिया है, जिसके तहत संसद किसी उच्च पदस्थ अधिकारी को उनके पद से हटाने का प्रस्ताव रख सकती है। फिलहाल विपक्ष इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है लेकिन इसे सफलता मिलने के लिए राजनीतिक समीकरणों और बहुमत की जरूरत होगी। Gyanesh Kumar
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खतरे में भारत का भविष्य? मिडिल क्लास बन रही सबसे बड़ी वजह

खतरे में भारत का भविष्य? मिडिल क्लास बन रही सबसे बड़ी वजह
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:23 AM
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देश की आर्थिक वृद्धि के लिए रीढ़ माने जाने वाले मिडिल क्लास की कम होती खरीदारी से भारतीय कंपनियों की कमाई पर बड़ा असर पड़ रहा है। मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सौरभ मुखर्जी ने एक ब्लॉग में बताया है कि दिवाली 2023 के बाद से देश में खपत में गिरावट आई है, जिसके कारण कंपनियों की आय में भारी कमी देखने को मिली है। उनकी राय में इसका सबसे बड़ा कारण मध्यम वर्ग के लोगों के खर्च में आई कमी है यानी उनके पास खर्च करने के लिए पैसा खत्म होता जा रहा है। Middle Class Family 

मिडिल क्लास की टूट रही है कमर

सौरभ मुखर्जी के मुताबिक, इस आर्थिक संकट के पीछे तीन मुख्य वजहें हैं सफेदपोश नौकरियों के अवसरों में कमी, वास्तविक मजदूरी में गिरावट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते दायरे ने मिडिल क्लास की कमर तोड़ दी है। ये तीनों कारक मिलकर देश की आर्थिक विकास गति को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2024 में घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है जो 1977 के बाद पहली बार हुआ है। वहीं, खपत जो देश की GDP का लगभग 60% हिस्सा है 2021 से 2023 के बीच गिरावट पर है। चाहे SUV की मांग हो, घर खरीदना हो या ट्रेवलिंग, इन सब में पहले जैसी तेजी नहीं दिख रही है।

नौकरियों को दोगुने होने में लगेंगे 24 साल

नौकरी के अवसरों में कमी भी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। सौरभ मुखर्जी ने कहा कि 2020 से पहले सफेदपोश नौकरियों में हर छह साल में दोगुनी वृद्धि होती थी लेकिन अब यह दर सालाना 3% पर आ गई है। इसका मतलब है कि नौकरियों के दोगुने होने में अब 24 साल लगेंगे। खासकर आईटी, सॉफ्टवेयर और रिटेल सेक्टर में रोजगार की वृद्धि धीमी पड़ गई है। उन्होंने ऑटोमेशन और AI के विस्तार को इस गिरावट की वजह बताया और उदाहरण देते हुए कहा कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने जुलाई 2025 में कर्मचारियों की संख्या में 2% कटौती की है।

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बड़े संकट में पड़ सकता है देश

कंपनियों की आमदनी घटने और कर्मचारियों की वास्तविक वेतन वृद्धि न होने से मध्यम वर्ग पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है। सौरभ मुखर्जी के अनुसार, भारत के करीब 4 करोड़ सफेदपोश पेशेवर लगभग 20 करोड़ नौकरियों का सृजन करते हैं। अगर इनके वेतन और रोजगार सृजन में सुधार नहीं हुआ तो मिडिल क्लास की आर्थिक तंगी लंबे समय तक बनी रहेगी जो देश की आर्थिक गति के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। इसलिए अब जरूरी है कि सरकार और कंपनियां मिलकर मिडिल क्लास के खर्च और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान दें ताकि भारत की आर्थिक तरक्की का इंजन फिर से तेज गति से दौड़ सके। Middle Class Family