Political News : खरगे का भाषण 'अभद्र' और बातें 'बेबुनियाद', भड़के भाजपाई

Kharge
Kharge's speech 'indecent' and things 'baseless', BJP angry
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 12:46 AM
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Political News नई दिल्ली। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे पर ‘अभद्र भाषण’ देने और ‘बेबुनियाद बातें’ करने का आरोप लगाया और उनसे माफी मांगने को कहा।

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गोयल ने राज्यसभा में शून्यकाल आरंभ होने से ठीक पहले खरगे पर यह आरोप लगाए। इस पर, खरगे ने कहा कि सदन के नेता उनके जिस भाषण का उल्लेख कर रहे हैं, वह सदन के बाहर दिया गया है, इसलिए इस बारे में सदन में चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि जिन लोगों ने आजादी के आंदोलन के दौरान अंग्रेजों से माफी मांगी, वह आजादी के आंदोलन में योगदान देने वालों से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं।

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सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद सत्ताधारी दल के सदस्य खरगे के बयान को लेकर विरोध जताते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर नारेबाजी व हंगामा करने लगे। गोयल ने खरगे के बयान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जिस प्रकार से खरगे जी ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जिस प्रकार से उन्होंने पूरी तरह से बेबुनियाद बातें रखीं, असत्य को देश के सामने रखने की कोशिश की.... मैं उसकी घोर निंदा करता हूं। उनसे माफी की मांग करता हूं। उन्होंने कहा कि खरगे को सदन व देश की जनता के साथ ही भाजपा से भी माफी मांगनी चाहिए। गोयल ने कहा कि खरगे ने इस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल कर अपनी सोच व ईर्ष्या का प्रदर्शन किया है।

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उल्लेखनीय है कि राजस्थान के मालाखेड़ा (अलवर) में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान खरगे ने एक सभा को संबोधित करते हुए अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हाल में हुई झड़प को लेकर केंद्र सरकार पर संसद में चर्चा से भागने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार चीन की ओर से किए जा रहे ‘अतिक्रमण’ और सीमा मुद्दे पर संसद में चर्चा करने को तैयार नहीं है। ‍इसी क्रम में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्र सरकार बाहर तो शेर के जैसे बात करती है, लेकिन उनका जो चलना है, वो आप देखेंगे तो चूहे के जैसा है। उन्होंने आगे कहा कि देश की खातिर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने कुर्बानी दे दी। फिर उन्होंने पूछा 'हमारी पार्टी के नेताओं ने जान दी है, तुम (भाजपा) ने क्या किया? आपके घर, देश के लिये कोई कुत्ता भी मरा है?.. क्या किसी ने कुर्बानी दी है? नहीं.... । लेकिन फिर भी वे देशभक्त और हम कुछ भी बोलेंगे तो देशद्रोही। खरगे के इसी बयान को मुद्दा बनाते हुए गोयल ने उच्च सदन में कहा कि इस प्रकार का अभद्र भाषण देना देश के हर मतदाता का अपमान है। उन्होंने कहा कि वह खरगे के व्यवहार और उनकी भाषा की निंदा करते हैं। गोयल ने कहा कि आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कांग्रेस पार्टी को ही समाप्त कर देने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि खरगे जी उसका जीता जागता प्रतीक हैं और दिखा रहे हैं देश को कि शायद गांधी जी ने सत्य ही कहा था। उन्होंने खरगे पर हमला करते हुए कहा कि वह एक पार्टी के ऐसे अध्यक्ष हैं ‘जिनको भाषण देना नहीं आता।' गोयल ने कहा कि उन्हें माफी मांगना चाहिए और जब तक माफी ना मांगें, तब तक उनको यहां पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसके बाद भाजपा के सदस्यों ने खरगे से माफी की मांग करते हुए नारेबाजी आरंभ कर दी। हंगामे के बीच ही सभापति ने खरगे को अपना पक्ष रखने को कहा।

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खरगे ने कहा, ‘मैंने बाहर जो कहा, अगर फिर से वह यहां दोहराऊंगा तो इन लोगों के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी। क्योंकि आजादी के वक्त माफी मांगने वाले लोग आजादी के लिए लड़ने वालों से माफी मांगने की बात कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भाजपा के लोग कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को ‘भारत तोड़ो यात्रा’ बोल रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस हमेशा देश को जोड़ने की बात करती है और इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे उसके नेताओं ने देश के लिए जान दी। उन्होंने सत्ताधारी दल की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनके यहां कौन हैं, जिसने देश की एकता के लिए जान दी है। इसके बाद गोयल ने खरगे पर पलटवार करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष को शायद इतिहास बहुत ज्यादा याद नहीं है कि कांग्रेस की वजह से जम्मू कश्मीर की क्या हालत हुई? उन्होंने कहा कि '...उनको ये याद नहीं है कि उन्हीं के समय चीन ने 38,000 किलोमीटर भारत की जमीन हड़प ली। ये भूल रहे हैं कि कैसे इन्होंने बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया और ये भूल रहे हैं कि कैसे सरदार वल्लभ भाई पटेल को जम्मू और कश्मीर में रोका गया... ये श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान भूल गए।’ इसके बाद, सत्ताधारी और विपक्षी सदस्यों के बीच कुछ देर कहासुनी भी हुई। हालांकि, सभापति ने हस्तक्षेप कर स्थिति को संभाला और सदन की कार्यवाही सामान्य ढंग से चलने लगी।
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Digital Rape : 'डिजिटल रेप' में है आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान

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Digital Rape
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 01:51 PM
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Digital Rape: नई दिल्ली/नोएडा। जाने-माने क्रिमिनल लॉयर मोहित चौधरी एडवोकेट ने बताया है कि यदि किसी व्यक्ति के विरूद्ध 'डिजिटल रेप' का अपराध सिद्ध हो जाता है तो उस अपराधी को 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। श्री चौधरी ने नोएडा के एक छात्र दल से कानूनी विषयों पर बात करते हुए यह बात बताई।

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उन्होंने बताया कि वर्ष-2012 में पहली बार आईपीसी की धारा-376 में 'डिजिटल रेप' को जोड़ा गया। दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद हुई कानूनी समीक्षा के बाद यह परिवर्तन किया गया। इस परिवर्तन के तहत यह प्रावधान किया गया कि यदि किसी अपराधी के विरूद्ध डिजिटल अपराध का दोष सिद्ध हो जाता है तो उस अपराधी को 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

अब जानिए कि क्या है 'डिजिटल रेप'

डिजिटल शब्द सुनते ही लगता है कि यह कोई इंटरनेट से जुड़ा हुआ मामला है। दरअसल इसका इंटरनेट से कुछ भी लेना-देना नहीं है।

हालाँकि 'डिजिटल रेप' शब्द थोड़ा अटपटा है। दरअसल, अंग्रेजी डिक्शनरी मे डिजिट का एक अर्थ, हाथ की उंगली, पैर की उंगली व अंगूठा भी होता है। इन अंगों द्वारा किया गया यौन उत्पीडऩ डिजिटल रेप कहलाता है। इस उत्पीडऩ मे पुरुष प्राइवेट पार्ट का स्त्री प्राइवेट पार्ट में प्रवेश आवश्यक नहीं।

अगर कोई शख्स बिना सहमति के किसी महिला के प्राइवेट पार्ट्स को अपनी अंगुलियों या अंगूठे से छेड़ता है, तो ये 'डिजिटल रेप' कहलाता है। मतलब डिजिट (उँगलियों) का इस्तेमाल करके यौन उत्पीडऩ करना डिजिटल रेप कहलाता है।

भारत में 'निर्भया कांड' के बाद इसका कानून बना है। इस अपराध को करने वाले को कम से कम 7 साल व अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। यह एक घिनौना अपराध है।

Noida : कोहरे के कहर से बचने के लिए परिवहन विभाग की एडवाइजरी

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National News: विधेयक का मकसद सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Dec 2022 09:14 PM
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National News: नई दिल्ली। लोकसभा ने मंगलवार को ‘बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022’ को संसद की संयुक्त समिति के विचारार्थ भेज दिया। इस विधेयक का मकसद सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना और इसकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है। कई विपक्षी दलों की मांग के बाद सरकार ने इस विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजने पर सहमति जताई। गृह मंत्री अमित शाह ने निचले सदन में इस विधेयक को संयुक्त समिति के विचारार्थ भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने मंजूरी दी।

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इस संयुक्त समिति में भारतीय जनता पार्टी के चंद्रपकाश जोशी, जगदंबिका पाल, परबत भाई पटेल, पूनमबेन मदाम, रामदास तड़स, अण्णासाहेब जोल्ले, निशिकांत दुबे, सुनीता दुग्गल, बृजेंद्र सिंह, जसकौर मीणा, रामकृपाल यादव और ढाल सिंह बिशेन, कांग्रेस के कोडिकुनिल सुरेश एवं मनीष तिवारी, द्रमुक की कनिमोई, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लव श्रीकृष्णा, शिवसेना के हेमंत पाटिल, जनता दल (यूनाइटेड) के दुलाल चंद्र गोस्वामी, बीजू जनता दल के चंद्रशेखर साहू और बहुजन समाज पार्टी के गिरीश चंद्र को शामिल किया गया है। इस समिति में 10 सदस्य राज्यसभा के होंगे। लोकसभा में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने गत सात दिसंबर को उक्त विधेयक पेश किया था। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित ज्यादातर विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक को पेश करने का विरोध करते हुए इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की थी। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि यह विधेयक संविधान के संघीय सिद्धांत के खिलाफ है और राज्यों के अधिकारों को अपने हाथ में लेने का केंद्र का प्रयास है। विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को खारिज करते हुए सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने कहा था कि यह विधेयक सदन की विधायी क्षमता के दायरे में है और किसी भी तरह से राज्यों के अधिकारों पर हमला नहीं करता है। उन्होंने यह भी कहा था कि राज्यों के अधिकार पर कोई हमला नहीं हुआ है तथा राज्य सोसाइटी को बहु-राज्य सोसाइटी में शामिल करने का प्रावधान पहले से है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 12 अक्टूबर को बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी। इस पहल का मकसद क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना और चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है। वर्तमान समय में देश भर में 1,500 से अधिक बहु-राज्य सहकारी समितियां हैं। ये समितियां स्वयं-सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों के आधार पर अपने सदस्यों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी को बढ़ावा देती हैं। स्थापित सहकारी सिद्धांतों के अनुरूप सहकारी समितियों के कामकाज को लोकतांत्रिक बनाने और स्वायत्तता देने के मकसद से ‘बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002’ लाया गया था।

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