New Delhi: राजधानी के अलीपुर में बड़ा हादसा, दीवार गिरने से 5 लोगों की मौत
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 11:13 AM
New Delhi : नई दिल्ली। राजधानी के अलीपुर में बड़ा हादसा हुआ है। गोदाम की दीवार गिरने से कम से कम 5 मजदूरों की मौत हो गई है। अब भी वहां कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त 20 से 25 मजदूर गोदाम में काम कर रहे थे।दिल्ली पुलिस ने बताया कि घायलों को अस्पताल भेजा गया है। कुछ और लोगों के फंसे होने की आशंका है। राहत और बचाव का काम तेजी से किया जा रहा है। यह भी जानकारी आ रही है कि घायलों में दो लोगों की हालत गंभीर है, जबकि 9 लोगों को हल्की चोटंे आई हैं। पुलिस और फायर ब्रिगेड के जवान बचाव के काम में जुटे हैं। घटनास्थल से मलबे को हटाया जा रहा है।
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01 Dec 2025 11:13 AM
New Delhi : नई दिल्ली। राजधानी के अलीपुर में बड़ा हादसा हुआ है। गोदाम की दीवार गिरने से कम से कम 5 मजदूरों की मौत हो गई है। अब भी वहां कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त 20 से 25 मजदूर गोदाम में काम कर रहे थे।दिल्ली पुलिस ने बताया कि घायलों को अस्पताल भेजा गया है। कुछ और लोगों के फंसे होने की आशंका है। राहत और बचाव का काम तेजी से किया जा रहा है। यह भी जानकारी आ रही है कि घायलों में दो लोगों की हालत गंभीर है, जबकि 9 लोगों को हल्की चोटंे आई हैं। पुलिस और फायर ब्रिगेड के जवान बचाव के काम में जुटे हैं। घटनास्थल से मलबे को हटाया जा रहा है।
ईडी ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा
Mumbai: मुंबई। इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका पर फिर पेंच फंसा दिया है। 19 जुलाई को स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। इससे पहले ईडी ने उनकी जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा है।
बीते दिनों नवाब मलिक ने विशेष अदालत के समक्ष नियमित जमानत याचिका दायर की थी। गिरफ्तारी के बाद यह उनकी पहली नियमित याचिका है। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय से इस पर 15 जुलाई तक जवाब देने को कहा था। लेकिन, ईडी ने इस पर जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है।
एनसीपी नेता नवाब मलिक को फरवरी में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिग और आतंक वित्तपोषण के आरोप में गिरफ्तार किया था। ईडी ने अपनी चार्टशीट में कहा था कि उसके पास मलिक के अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गिरोह से संबंध होने के पुख्ता सबूत हैं। ईडी ने दाऊद के भांजे अली शाह का बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत दर्ज किया है। अली शाह ने अपने बयान में कहा कि उसकी मां हसीना पारकर का दाऊद के साथ वित्तीय लेनदेन होता था। उसने सलीम पटेल का नाम लिया, जो उसकी मां का सहयोगी था। पटेल प्याज का व्यापारी था और वह संपत्ति खरीदने-बेचने में उसकी मां के साथ शामिल था।
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भारत
चेतना मंच
15 Jul 2022 08:35 PM
ईडी ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा
Mumbai: मुंबई। इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने एनसीपी नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका पर फिर पेंच फंसा दिया है। 19 जुलाई को स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। इससे पहले ईडी ने उनकी जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा है।
बीते दिनों नवाब मलिक ने विशेष अदालत के समक्ष नियमित जमानत याचिका दायर की थी। गिरफ्तारी के बाद यह उनकी पहली नियमित याचिका है। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय से इस पर 15 जुलाई तक जवाब देने को कहा था। लेकिन, ईडी ने इस पर जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की है।
एनसीपी नेता नवाब मलिक को फरवरी में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिग और आतंक वित्तपोषण के आरोप में गिरफ्तार किया था। ईडी ने अपनी चार्टशीट में कहा था कि उसके पास मलिक के अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गिरोह से संबंध होने के पुख्ता सबूत हैं। ईडी ने दाऊद के भांजे अली शाह का बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत दर्ज किया है। अली शाह ने अपने बयान में कहा कि उसकी मां हसीना पारकर का दाऊद के साथ वित्तीय लेनदेन होता था। उसने सलीम पटेल का नाम लिया, जो उसकी मां का सहयोगी था। पटेल प्याज का व्यापारी था और वह संपत्ति खरीदने-बेचने में उसकी मां के साथ शामिल था।
Alt News : ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को जमानत
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 04:48 PM
New Delhi: नई दिल्ली। एक हिंदू देवता के बारे में किए गए आपत्तिजन ट्वीट के मामले में गिरफ्तार फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को जमानत पटियाला हाउस कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी। मोहम्मद जुबैर कोर्ट की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ सकते। कोर्ट ने उन्हें 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। इससे पहले कोर्ट ने गुरुवार को ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा 2018 में एक हिंदू देवता के बारे में किए गए एक ‘‘आपत्तिजनक ट्वीट’’ से संबंधित मामले में उनकी जमानत याचिका पर आदेश शुक्रवार के लिए सुरक्षित रख लिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने आरोपी के साथ-साथ अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मामले में दो जुलाई को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। अदालत ने पांच दिन की हिरासत में पूछताछ के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा था। आरोपी ने जमानत खारिज करने के मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। गुरुवार को बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि मामले के केंद्र में तस्वीर के साथ, जुबैर ने लोगों को भड़काने के इरादे से ‘2014 से पहले’ और ‘2014 के बाद’ का इस्तेमाल किया था। सत्र अदालत ने तब पूछा कि सरकार को छोड़कर 2014 में क्या बदला, और क्या यह ट्वीट सरकार की आलोचना थी।
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 04:48 PM
New Delhi: नई दिल्ली। एक हिंदू देवता के बारे में किए गए आपत्तिजन ट्वीट के मामले में गिरफ्तार फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को जमानत पटियाला हाउस कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी। मोहम्मद जुबैर कोर्ट की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ सकते। कोर्ट ने उन्हें 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। इससे पहले कोर्ट ने गुरुवार को ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा 2018 में एक हिंदू देवता के बारे में किए गए एक ‘‘आपत्तिजनक ट्वीट’’ से संबंधित मामले में उनकी जमानत याचिका पर आदेश शुक्रवार के लिए सुरक्षित रख लिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने आरोपी के साथ-साथ अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।
एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मामले में दो जुलाई को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। अदालत ने पांच दिन की हिरासत में पूछताछ के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा था। आरोपी ने जमानत खारिज करने के मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। गुरुवार को बहस के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि मामले के केंद्र में तस्वीर के साथ, जुबैर ने लोगों को भड़काने के इरादे से ‘2014 से पहले’ और ‘2014 के बाद’ का इस्तेमाल किया था। सत्र अदालत ने तब पूछा कि सरकार को छोड़कर 2014 में क्या बदला, और क्या यह ट्वीट सरकार की आलोचना थी।