महात्मा फूले तथा बाबा साहेब को समझे बिना अधूरा है भारत का लोकतंत्र , क्या बचेगा संविधान?

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Dr. Bhimrao Ambedkar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Apr 2024 07:10 PM
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Dr. Bhimrao Ambedkar : भारत में लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं। चुनाव जीतने के लिए भारत का हर राजनीतिक दल तथा छोटा-बड़ा नेता बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर का नाम ले रहे हैं। दुर्भाग्य है कि भारत के इन नेताओं तथा दलों को बाबा साहेब की शिक्षा, उनकी दृष्टि, भारत के प्रति उनकी सोच तथा आम आदमी के लिए उनके दर्द का जरा भी ज्ञान नहीं है। भारत के अनेक नेता देखा-देखी ही सही चुनाव में बाबा साहेब के साथ ही साथ भारत के महान सपूत महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले का नाम भी ले रहे हैं। भारत के नेताओं को महात्मा फुले के संघर्ष से भी कुछ लेना-देना नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत का भविष्य क्या होगा ? क्या भारत का संविधान बचेगा ?

कड़वे यथार्थ के भुक्तभोगी भारत के दो पुरोधा

महात्मा फुले की कहानी एक भुक्तभोगी समाज सुधारक की कहानी है, जो अप्रैल में ही चौंसठ साल बाद पैदा हुए डॉ. भीमराव आंबेडकर की कहानी की पूर्व पीठिका है। फुले 1848 में एक ब्राह्मण मित्र की शादी में जातिभेद के कारण अपमानित हुए थे। फुले की मृत्यु 1890 में हुई और ठीक एक साल बाद पैदा हुए आंबेडकर को भी जाति भेद, अस्पृश्यता अपने विकराल रूप में सक्रिय होती मिली। वह स्कूल गए, तो ‘उच्च जाति के हिंदूू बच्चों’ ने साथ बैठने से मना कर दिया। अध्यापक ने कक्षा के बाहर बैठ कर पढऩे की इजाजत दी। कैशियर की नौकरी कर रहे पिता से मिलने गए, तो स्टेशन से सवारी नहीं मिली। स्वयं हांक कर ले जाने की शर्त पर बैलगाड़ी मिली, तो समय पर पहुंच नहीं पाए। बड़ौदरा नरेश के राज्य में वित्त-सचिव बने, तो किराये का मकान नहीं मिला। धर्म/जाति छिपा कर रहे, तो उन्हें बलपूर्वक बाहर निकाला गया। ज्योतिबा फुले ने अस्पृश्यों के लिए जल-कुएं खुलवा दिए। वर्ष 1848 से ही बालिका विद्यालय खोलने की शुरुआत की, और मुंबई प्रेसिडेंसी में मुस्लिम और अस्पृश्य बच्चों के लिए कुल 18 विद्यालय खोलने का रिकॉर्ड बनाया।

सत्य शोधक समाज का गठन

वर्ष 1873 में ‘सत्य शोधक समाज’ का गठन कर, फुले दंपती ने समाज सुधार की रचनात्मक मुहिम छेड़ी। ‘अस्पृश्यता’ और ‘जाति भेद’ के खिलाफ समाज में आत्मसम्मान की चेतना जागृत की। फुले पर तुकाराम चोखामेला, कबीरवाणी और रैदास का प्रभाव था। ब्रिटिश राज की शिक्षा और संस्कृति से स्त्री-पुरुष बराबरी का सबक सीखा। मराठी भाषा के प्रमुख भारतीय लेखक होने के साथ फुले की ख्याति सुधारक के रूप में फैल गई। 1872 में उन्होंने गुलाम गिरी लिखी। यह पुस्तक उतनी ही महत्वपूर्ण थी, जितनी 1948 में प्रकाशित हुई डॉ. आंबेडकर की पुस्तक द अनटचेबल थी। कोलापुर के छत्रपति शाहू महाराज पर भी फुले के सत्यशोधक आंदोलन का प्रभाव पड़ा था। उन्होंने 1902 में ही अपने राज्य की नौकरियों में अस्पृश्य व अति पिछड़ी जातियों के लिए पचास फीसदी आरक्षण की व्यवस्था कर दी थी। बिना शर्त मूकनायक की सहायता करते हुए प्रवेशांक पर ही ढाई लाख रुपये की मदद की।

आधार स्तम्भ बनी सावित्री

सावित्री बाई फुले, ज्योतिबा फुले के साथ 1840 में ब्याह कर आईं। वह उनकी महज पत्नी भर नहीं थी, शिक्षा मिशन को आगे ले जाने वाली आधार स्तंभ थीं। सावित्री बाई के साथ शिक्षिका ‘फातिमा शेख’ को भी याद करना प्रासंगिक होगा। फातिमा मुस्लिम समाज से पहली शिक्षिका थीं, जो सावित्री से तो बड़ी थीं ही, फुले से भी तीन साल बड़ी थीं। आंबेडकर ने फुले से विद्या और सामाजिक सम्मान सीखा, शिक्षा को जाति-धर्म के भेदों से मुक्त उसे शुद्ध मानवीय बनाया। बुद्ध से संगठन सीखा, जो ‘संघ’ के रूप में स्थापित हुए थे। फुले से जो बात विद्या के रूप में गांठ बांधी, आजीवन विद्या को सर्वोपरि महत्व दिया। ज्योतिबा फुले किसान जीवन के अंतर्विरोधों, जमींदारों और भूमिहीन किसानों के संबंधों को बखूबी समझते थे। उन्होंने अपने यथार्थपरक लेखन द्वारा गुलाम को गुलामी का एहसास कराया था। Dr. Bhimrao Ambedkar

नेताओं का फर्जी प्रेम

वर्तमान में डॉ. आंबेडकर सभी दलों के प्रिय हो गए हैं। कोई उनकी लोकतांत्रिक अवधारणा का पक्ष प्रकट कर रहा है, तो कोई ‘संविधान’ को बचाने की बात कर रहा है। संसदीय लोकतंत्र की चर्चा बिना आंबेडकर की विधिक चेतना-ज्ञान, आशाओं और आशंकाओं को नजर अंदाज करके नहीं की जा सकती। डॉ. आंबेडकर लोकतंत्र के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने दुनिया के कई देशों की अनियंत्रित सत्ताओं के परिणामों से सीखा और समझा था। अंतत: वे जनता द्वारा नियंत्रित सत्ता के प्रस्तावक बने। वह तानाशाही या एकाधिकावादी सत्ता के स्थान पर जनमत से चुनी जाने वाली सत्ता का सम्मान करते थे। वह स्त्री-पुरुष, धनी-निर्धन सभी के मत का मूल्य एक बराबर मानते थे। विचारणीय है कि यदि आज आंबेडकर जीवित होते, तो मौजूदा चुनावी राजनीति पर क्या कहते? ज्ञात हो कि वह पहले चुनाव के परिणामों से ही निराश हो उठे थे। जीवन के आखिरी दिनों में वह भारतीय लोकतंत्र के भविष्य को लेकर आश्वस्त नहीं थे। उन्हें भय था कि यदि लोकतांत्रिक शिक्षा का अभाव रहा, तो मतदाता को बरगलाया जा सकता है, जो निष्पक्ष चुनाव कराने के सम्मुख एक बड़ी चुनौती के रूप में उपस्थित है।

दुनिया का सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल : पूर्व प्रधानमंत्री के पोते का कच्चा चिट्ठा

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कलियुग बेटे ने बुजुर्ग पिता के मुंह पर मारे इतने मुक्के, वीडियो देखकर खौल उठेगा खून

Father
Son Beating Father
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:37 AM
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Son Beating Father : कर्नाटक से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जिसे देख और सुनकर आपका खून खौल उठेगा। दऱअसल आज के टाइम में प्रॉपर्टी को लेकर कई झगड़े है। ऐसे में ही एक बेटे इतना दरिंदा बन गया कि उसने अपने पिता से दुश्मनी निकाली। हैवान बेटे ने अपने बाप को इतना मारा की उनकी मौत हो गई।

Son Beating Father

हैवान बना बेटा

आपको बता दें इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो है। जिसके देखकर हर कोई उस बेटे पर थूं-थू कर रहा है। वायरल वीडियो में एक युवक अपने बुजुर्ग पिता को बेरहमी से पीटता हुआ दिखाई दे रहा है। प्रॉपर्टी के लिए हैवान बने बेटे ने जिस तरह से अपने पिता के मुंह पर ताबड़तोड़ मुक्के बरसाए हैं, उसे देखकर आपका भी खून खौल उठेगा। खबरों के मुताबिक बुजुर्ग की मौत हो चुकी है। https://twitter.com/DhananjayPutush/status/1784800482428662062

पुलिस ने की कार्रवाई

यह मामला कर्नाटक का बताया जा रहा है। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद ही पुलिस ने अपनी कार्रवाई की है। पुलिस ने हैवान बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया है। 15 सेकंड के वायरल वीडियो में बेटा अपने बुजुर्ग पिता को 25 बार मुक्के मारता है। जब वह थक जाता है, तो लात से भी मारता है। हालांकि, तभी एक अन्य शख्स उसे पकड़कर दूसरी ओर ले जाता है। इस वीडियो को देखकर सोशल मीडिया यूजर्स गुस्से में आ गए है। कई लोगों ने वीडियो शेयर करके लिखा है यही कलियुग है। Son Beating Father

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दुनिया का सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल : पूर्व प्रधानमंत्री के पोते का कच्चा चिट्ठा

EDDY
World's biggest sex scandal
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 05:50 PM
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World's biggest sex scandal : राजनीतिक गलियारों से एक सनसनी खेज खबर सामने आ रही है । देश के पूर्व प्रधानमंत्री का सगा पोता पिछले कुछ सालों में लगभग 2900 महिलाओं का शारीरिक शोषण कर चुका हैं। वह महिलाओं के साथ जबरन अपना वीडियो बनवाता था।

2900 महिलाओं का शारीरिक शोषण किया 

यौन शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं की लिस्ट में घर में काम करने वाली महिला से लेकर IAS व IPS अधिकारी से लेकर कई कॉर्पोरेट महिलाएँ शामिल हैं। सत्ता की ताक़त की हनक से इनकी आवाज़ कुछ साल तक दबा कर रखी गई। लेकिन अब उस हैवान के बनाए सारे वीडियो सामने आने लगे हैं। कुछ वीडियो देख कर तो लगता है कि यह राक्षस है।

रोती बिलखती महिलाएं

पूर्व PM एचडी देवगौड़ा के विधायक बेटे एचडी रेवन्ना और सांसद पोते प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ उनकी मेड ने यौन शोषण की FIR दर्ज कराई है। वहीं, प्रज्वल के करीब 200 से ज्यादा आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुए। वीडियो में दिख रहीं महिलाएं खुद को छोड़ने की गुहार लगा रही हैं और प्रज्वल वीडियो शूट कर रहे हैं। कर्नाटक CM सिद्धारमैया ने जांच के लिए तीन सदस्यों वाली SIT गठित कर दी है।

World's biggest sex scandal देश छोड़ कर भागा हैवान

वीडियो सामने आने के बाद प्रज्वल रेवन्ना देश छोड़ भाग गया है। संभवतः यह अपने आप में दुनिया का सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल है। रेवन्ना देश छोड़कर जर्मनी भाग गया हैं।

कौन है प्रज्वल रेवन्ना

प्रज्वल रेवन्ना का जन्म 5 अगस्त 1990 को कर्नाटक के हासन में हुआ था। रेवन्ना को राजनीति विरासत में मिली थी।  उनके दादा एचडी देवेगौड़ा (HD Deve Gowda) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रहे है। प्रज्वल रेवन्ना के चाचा एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं, जबकि उनके पिता एचडी रेवन्ना मंत्री रहे हैं।  प्रज्वल एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। 2019 को प्रज्वल को JDS का राज्य महासचिव नियुक्त किया गया था।

दादा की सीट हासन से बने सांसद

2014 में रेवन्ना ने अपने दादा और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा की मदद के लिए ऑस्ट्रेलिया में मास्टर की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और वापस कर्नाटक आ गए थे ।  इस साल देवेगौड़ा हासन से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे।  इस चुनाव में देवेगौड़ा लगातार तीसरी बार चुनाव जीते थे । 2015 में रेवन्ना को कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन, UK द्वारा भारत में 10 युवा एसपायरिंग पॉलिटिशियन के रूप में चुना गया था।  साल 2018 में रेवन्ना विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हे टिकट देने से इनकार कर दिया । इसके बाद भी वे हासन से जुड़े रहे।  प्रज्वल रेवन्ना 2019 में पहली बार हासन से सांसद बने। इस सीट पर 2004 से जेडीएस का कब्जा है।  2004 से 2014 तक उनके दादा और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा लगातार जीतते रहे,मगर 2019 में उन्होंने अपने पोते रेवन्ना को इस सीट से चुनाव लड़वाया।  इस चुनाव में रेवन्ना को जीत मिली।

2024 में लगे यौन उत्पीड़न के आरोप

26 अप्रैल को वोटिंग के दिन उनके (रेवन्ना) के कुछ अश्लील वीडियो वायरल किए गए। उनके पोलिंग एजेंट ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई।  एजेंट ने आरोप लगाया कि आरोपी घर-घर जा रहे हैं और ये अश्लील तस्वीरें और वीडियो दिखा रहे हैं और लोगों को प्रज्वल को वोट न देने के लिए उकसा रहे हैं। World's biggest sex scandal वीडियो वायरल होने के बाद  कर्नाटक सरकार ने इसकी जांच के लिए एक SIT टीम गठित कर दी है । प्रज्वल रेवन्ना  को जेडीएस से निष्काषित करने की मांग भी उठने लगी है। JDS नेता ने एचडी देवेगौड़ा को पत्र लिखा है। जिसमे कहा गया है कि प्रज्वल की वजह से पार्टी को शर्मसार होना पड़ रहा है। प्रज्वल रेवन्ना को पार्टी से तुरंत निकाल देना चाहिए । जेडीएस के अलावा बीजेपी नेता देवराजे गौड़ा ने पिछले साल दिसंबर में प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र को पत्र लिखा था। बीजेपी नेता ने अपने पत्र में लिखा था कि प्रज्वल रेवन्ना सहित एचडी देवगौड़ा परिवार के कई नेताओं के खिलाफ गंभीर आरोप है।  उन्होंने पत्र में दावा किया कि उन्हें एक पेन ड्राइव मिली थी, जिसमें महिलाओं (सरकारी अधिकारियों सहित) के 2,976 वीडियो थे। इन वीडियो में वह आपत्तिजनक स्थिति में थे। इस वीडियो का इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा था।

लखनऊ में भव्य रथ से निकल कर नामांकन करेंगे राजनाथ सिंह,2 राज्यों के CM और कई नेता रहेंगे साथ