इंदिरा एकादशी : श्राद्ध की इस एकादशी का है विशेष महत्व, खुल जाता है मोक्ष का द्वार 

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Indira Ekadashi Vrat 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Oct 2023 08:20 PM
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Indira Ekadashi Vrat 2023: आश्विन मास में आने वाली पितृ पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के रुप में मनाया जाता है. श्राद्ध पक्ष के समय आने वाली यह एकादशी बेहद विशेष फलों को प्रदान करने वाली मानी जाती है. श्री विशष्णु भक्तों में एकादशी तिथि व्रत एवं पूजन का खास महत्व होता है. एकादशी तिथि को मोक्ष प्रदान करने वाली तिथियों के रुप में जाना जाता है. साल भर में आने वाली हर एकादशी अपने आप में खास होती है. इसी क्रम में आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पितरों के पूजन हेतु बहुत ही शुभ मानी जाती है.

इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त पूजा समय 

Indira Ekadashi Vrat 2023 इस वर्ष 10 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. इन्दिरा एकादशी का व्रत मंगलवार के दिन किया जा सकेगा तथा इसका पारण 11 अक्टूबर बुधवार के दिन होगा. एकादशी तिथि का आरंभ 09 अक्टूबर, 2023 को 12:36 मिनिट पर दोपहर के समय से होगा और इस एकादशी तिथि की समाप्ति 10 अक्टूबर  2023 को 15:08 मिनिट पर होगी. पारण का समय सुबह 06:19 से 08:39 बजे तक का होगा.

श्राद्ध की एकादशी 

इंदिरा एकादशी को श्राद्ध की एकादशी के रुप में भी जाना जाता है. आश्विन माह का कृष्ण पक्ष पितरों के पूजन एवं उनकी शांति हेतु किए जाने वाले संस्कारों का समय होता है. इसी समय पर आने वाली एकादशी तिथि श्राद्ध के रुप में भी बेहद विशेष हो जाती है. इस एकादशी तिथि के दिन किया जाने वाला पितरों हेतु शांति कार्य एवं धार्मिक पूजा पाठ बेहद शुभ फलों को प्रदान करता है. जहां इस एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन होता है वहीं इस दिन पितरों निमित्त भी पूजन अवश्य किया जाता है. इस दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है और लोग अपने पूर्वजों को स्मरण करते हुए उनके लिए दान पुण्य से जुड़े कार्यों को भी करते हैं.

इंदिरा एकादशी से दूर होता है पितृ दोष 

आश्विन माह के पितृ पक्ष में इस एकादशी के दिन किया जाने वाला पितरों से जुड़ा पूजन कार्य जीवन में पितृ दोष से मुक्ति भी प्रदान करने वाला होता है. इस श्राद्ध की एकादशी का व्रत करने से भक्तों के कष्ट एवं पाप क्षय होते चले जाते हैं. जो भक्त यह व्रत रखते हैं उन्हें सुखों की प्राप्ति होती है.

इंदिरा एकादशी पूजा विधि एवं लाभ  

इंदिरा एकादशी का व्रत करने वालों को दशमी तिथि से ही इसके नियमों का पालन आरंभ कर देना चाहिए. एकादशी व्रत को आरंभ करने से पुर्व शुचिता एवं आत्म शुद्धि का पालन करते हुए पूजा के नियमों का विशेष रुप से पालन करना होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन एवं भक्ति भाव से जो व्यक्ति नियमों का पालन करते हुए इंदिरा एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें राजसूर्य यज्ञ के समान शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान कार्यों निवृत्त होकर सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए उसके पश्चात भगवान श्री विष्णु का पूजन एवं नाम स्मरण किया जाता है. इस दिन अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनके हेतु तर्पण इत्यादि कार्यों को करते हुए श्राद्ध पूजन संपन्न करते हैं. संध्या समय श्री विष्णु भगवान क अपूजन एवं रात्रि जागरण करते हुए व्रत का निर्वाह किया जाता है. एकादशी के दिन विष्णु पुराण, विष्णु सहस्त्र इत्यादि स्त्रोतों का पाठ करते हैं तथा मंत्रों के जाप द्वारा पूजा को फलिभूत किया जाता है. इंदिरा एकादशी का व्रत समस्त प्रकार के दोषों को समाप्त करने एवं सुख प्रदान करने वाला माना जाता है.  एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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Indira Ekadashi Vrat 2023: आश्विन मास में आने वाली पितृ पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के रुप में मनाया जाता है. श्राद्ध पक्ष के समय आने वाली यह एकादशी बेहद विशेष फलों को प्रदान करने वाली मानी जाती है. श्री विशष्णु भक्तों में एकादशी तिथि व्रत एवं पूजन का खास महत्व होता है. एकादशी तिथि को मोक्ष प्रदान करने वाली तिथियों के रुप में जाना जाता है. साल भर में आने वाली हर एकादशी अपने आप में खास होती है. इसी क्रम में आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पितरों के पूजन हेतु बहुत ही शुभ मानी जाती है.

इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त पूजा समय 

Indira Ekadashi Vrat 2023 इस वर्ष 10 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. इन्दिरा एकादशी का व्रत मंगलवार के दिन किया जा सकेगा तथा इसका पारण 11 अक्टूबर बुधवार के दिन होगा. एकादशी तिथि का आरंभ 09 अक्टूबर, 2023 को 12:36 मिनिट पर दोपहर के समय से होगा और इस एकादशी तिथि की समाप्ति 10 अक्टूबर  2023 को 15:08 मिनिट पर होगी. पारण का समय सुबह 06:19 से 08:39 बजे तक का होगा.

श्राद्ध की एकादशी 

इंदिरा एकादशी को श्राद्ध की एकादशी के रुप में भी जाना जाता है. आश्विन माह का कृष्ण पक्ष पितरों के पूजन एवं उनकी शांति हेतु किए जाने वाले संस्कारों का समय होता है. इसी समय पर आने वाली एकादशी तिथि श्राद्ध के रुप में भी बेहद विशेष हो जाती है. इस एकादशी तिथि के दिन किया जाने वाला पितरों हेतु शांति कार्य एवं धार्मिक पूजा पाठ बेहद शुभ फलों को प्रदान करता है. जहां इस एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन होता है वहीं इस दिन पितरों निमित्त भी पूजन अवश्य किया जाता है. इस दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है और लोग अपने पूर्वजों को स्मरण करते हुए उनके लिए दान पुण्य से जुड़े कार्यों को भी करते हैं.

इंदिरा एकादशी से दूर होता है पितृ दोष 

आश्विन माह के पितृ पक्ष में इस एकादशी के दिन किया जाने वाला पितरों से जुड़ा पूजन कार्य जीवन में पितृ दोष से मुक्ति भी प्रदान करने वाला होता है. इस श्राद्ध की एकादशी का व्रत करने से भक्तों के कष्ट एवं पाप क्षय होते चले जाते हैं. जो भक्त यह व्रत रखते हैं उन्हें सुखों की प्राप्ति होती है.

इंदिरा एकादशी पूजा विधि एवं लाभ  

इंदिरा एकादशी का व्रत करने वालों को दशमी तिथि से ही इसके नियमों का पालन आरंभ कर देना चाहिए. एकादशी व्रत को आरंभ करने से पुर्व शुचिता एवं आत्म शुद्धि का पालन करते हुए पूजा के नियमों का विशेष रुप से पालन करना होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन एवं भक्ति भाव से जो व्यक्ति नियमों का पालन करते हुए इंदिरा एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें राजसूर्य यज्ञ के समान शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान कार्यों निवृत्त होकर सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए उसके पश्चात भगवान श्री विष्णु का पूजन एवं नाम स्मरण किया जाता है. इस दिन अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनके हेतु तर्पण इत्यादि कार्यों को करते हुए श्राद्ध पूजन संपन्न करते हैं. संध्या समय श्री विष्णु भगवान क अपूजन एवं रात्रि जागरण करते हुए व्रत का निर्वाह किया जाता है. एकादशी के दिन विष्णु पुराण, विष्णु सहस्त्र इत्यादि स्त्रोतों का पाठ करते हैं तथा मंत्रों के जाप द्वारा पूजा को फलिभूत किया जाता है. इंदिरा एकादशी का व्रत समस्त प्रकार के दोषों को समाप्त करने एवं सुख प्रदान करने वाला माना जाता है.  एस्ट्रोलॉजर राजरानी

इस बार कई दुर्लभ योगों में मनाई जाएगी आश्विन सर्वपितृ अमावस्या, शनिश्चरी अमावस्या का है विशेष महत्व 

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Amavas e1696840402613
Sarva Pitru Amavasya 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Oct 2023 07:42 PM
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Sarva Pitru Amavasya 2023:आश्विन मास में आने वाली अमावस्या तिथि के विषय में कहा जाता है की यह श्राद्ध पक्ष की अंतिम तिथि होती है. इस तिथि के साथ ही समस्त पितृ पक्ष के कार्यों की समाप्ति हो जाती है. इस कारण से इस दिन को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी पुकारा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि किसी को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि की जानकारी नहीं है तो वह सभी लोग इस दिन अपने पितरों का श्राद्ध करके उनकी शांति की कामना हेतु शुभ फलों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं. पंचांग अनुसार तिथि गणना के आधार पर आश्विन माह की अमावस्या को पितरों की अमावस्या तिथि के रुप में जाना जाता है. भाद्रपद पूर्णिमा से आरंभ हुए श्राद्ध से संबंधित समस्त कार्य अब आश्विन अमावस्या पर आकर शांत होते हैं. इस समय पितरों के पितृ लोक में गमन का समय माना जाता है. इस कारण से समस्त पितृ कार्यों का अंतिम दिन आश्विन माह की अमावस्या पर संपन्न होता है. इस दिन वह लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते जिनके पितरों की तिथि अमावस्या रही होती है तथा इसके अलावा उन सभी लोगों का तर्पण कार्य भी इस दिन किया जा सकता है जिनकी तिथि अज्ञात होती है.

आश्विन अमावस्या पूजन एवं श्राद्ध कर्म समय 

आश्विन अमावस्या का समय 14 अक्टूबर 2023 के दिन संपन्न होगा. आश्विन अमावस्या तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर 2023 को रात्रि 21:51 से होगा और आश्विन अमावस्या तिथि की समाप्ति 14 अक्टूबर 2023 को रात्रि पर ही 23:25 पर होगी. आश्विन अमावस्या के दिन शनिवार का समय होगा. इस दिन हस्त नक्षत्र का समय 16:24 तक रहने वाला है इसके बाद चित्रा नक्षत्र का आरंभ होगा. ऎन्द्र नामक शुभ योग 10:24 तक रहेगा इसके पश्चात वैधृत्ति नामक योग की प्राप्ति होगी. चंद्रमा का गोचर इस दिन तुला रशि में रहेगा. शनिवार के दिन मनाई जाएगी सर्वपितृ अमावस्या  Sarva Pitru Amavasya 2023 इस बार आश्विन अमावस्या तिथि का दिन कई मायनों में खास रहने वाला होगा. इस दिन शनिवार का समय होने के कारण यह अमावस्या अत्यंत ही शुभदायक एवं विशेष फलों को प्रदान करने वाली होगी. शास्त्रों के अनुसार शनिवार के दिन अमावस्या तिथि का होना शनि अमावस्या के रुप में जाना जाता है. इस दिन किया जाने वाला पूजन कार्य बेहद विशेष होता है. स्नान एवं दान से संबंधित कार्य इस दिन करने से कई गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है. शनिश्चरी अमावस्या का समय शनि देव को प्रसन्न करने हेतु अत्यंत ही उत्तम होता है. ज्योतिष अनुसार यदि कोई व्यक्ति शनि के खराब प्रभावों से पीड़ित है. जीवन में शनि महा दशा एवं शनि साढ़ेसाती इत्यादि का असर झेल रहा है तो ऎसी स्थिति में शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या पर शनि संबंधित पूजन दान कार्यों को करने से शनि के खराब प्रभावों से बचाव संभव हो पाता है. व्यक्ति को शनि देव की कृपा प्राप्त होती है.

श्राद्ध अमावस्या बनती है पितृ दोष से बचने का उपाय 

पौराणिक आख्यानों के आधार पर सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया जाने वाला तर्पण कार्य पित्तरों को शांति प्रदान करता है. गरुण पुराण अनुसार पितृ दोष से बचने हेतु अमावस्या के दिन जो व्यक्ति अपने पितरों के प्रति दान एवं तर्पण इत्यादि कार्य करता है उसे पितृ दोष से अवश्य मुक्ति प्राप्त होती है. अत: इस दिन किया जाने वाला श्राद्ध कर्म महालय श्राद्ध कहलाता है. एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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