World Literacy Day: 8 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है विश्व साक्षरता दिवस, जानें साल 2023 की थीम

World Literacy day: विश्व साक्षरता दिवस का इतिहास;-
इसको लेकर 1965 में शिक्षा मंत्रियों के द्वारा सिफारिश की गई थी। शिक्षा मंत्रियों ने ईराक में आयोजित निरक्षरता के उन्मूलन में 8 सितंबर को साक्षरता दिवस के रूप में मनाने की सिफारिश की थी। इसके बाद यूनेस्को के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने 1966 में इस पर सहमति दे दी और तभी से 8 सितंबर को दुनियाभर में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाने लगा। इसको मनाने का एलान यूनेस्को द्वारा अक्टूबर, 1966 में किया गया। हालांकि इससे पहले कुछ सदस्य देशों ने तेहरान की सिफारिश के अनुसरण में 8 सितंबर 1966 को पहली बार विश्व साक्षरता दिवस मनाया।साक्षरता दिवस का महत्व;-
इसका बहुत अधिक महत्व है। आज भी ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो शिक्षा से वंचित रह गए हैं। ऐसे में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए और शिक्षा का महत्व समझाने के नजरिए से हर साल विश्व साक्षरता दिवस (Importance of World Literacy day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है लोगों को साक्षर होने के लिए प्रेरित करना तथा हर किसी के लिए शिक्षा को सुनिश्चित करना। साक्षरता दिवस मनाने के पीछे मुख्य कारण शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है।World Literacy Day 2023 Theme : विश्व साक्षरता दिवस 2022 की थीम -
हर साल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्व साक्षरता दिवस के लिए यूनेस्को एक थीम घोषित करता है। विश्व साक्षरता दिवस 2023 की थीम है - "Promoting Literacy for a World in Transition: Building The Foundation for Sustainable and Peaceful Societies" जिसका अर्थ है - "परिवर्तनशील दुनिया में साक्षरता को बढ़ावा देना स्थाई और शांतिपूर्ण समाज की नींव का निर्माण करना"।एक दिन खूबसूरत तस्वीरों के नाम, जानें क्या है World Photography Day 2023 की थीम
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World Literacy day: विश्व साक्षरता दिवस का इतिहास;-
इसको लेकर 1965 में शिक्षा मंत्रियों के द्वारा सिफारिश की गई थी। शिक्षा मंत्रियों ने ईराक में आयोजित निरक्षरता के उन्मूलन में 8 सितंबर को साक्षरता दिवस के रूप में मनाने की सिफारिश की थी। इसके बाद यूनेस्को के एग्जीक्यूटिव बोर्ड ने 1966 में इस पर सहमति दे दी और तभी से 8 सितंबर को दुनियाभर में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाने लगा। इसको मनाने का एलान यूनेस्को द्वारा अक्टूबर, 1966 में किया गया। हालांकि इससे पहले कुछ सदस्य देशों ने तेहरान की सिफारिश के अनुसरण में 8 सितंबर 1966 को पहली बार विश्व साक्षरता दिवस मनाया।साक्षरता दिवस का महत्व;-
इसका बहुत अधिक महत्व है। आज भी ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो शिक्षा से वंचित रह गए हैं। ऐसे में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए और शिक्षा का महत्व समझाने के नजरिए से हर साल विश्व साक्षरता दिवस (Importance of World Literacy day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है लोगों को साक्षर होने के लिए प्रेरित करना तथा हर किसी के लिए शिक्षा को सुनिश्चित करना। साक्षरता दिवस मनाने के पीछे मुख्य कारण शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है।World Literacy Day 2023 Theme : विश्व साक्षरता दिवस 2022 की थीम -
हर साल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्व साक्षरता दिवस के लिए यूनेस्को एक थीम घोषित करता है। विश्व साक्षरता दिवस 2023 की थीम है - "Promoting Literacy for a World in Transition: Building The Foundation for Sustainable and Peaceful Societies" जिसका अर्थ है - "परिवर्तनशील दुनिया में साक्षरता को बढ़ावा देना स्थाई और शांतिपूर्ण समाज की नींव का निर्माण करना"।एक दिन खूबसूरत तस्वीरों के नाम, जानें क्या है World Photography Day 2023 की थीम
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ग्वालियर का फूलबाग मंदिर[/caption]
MP News फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह लगभग 1000 साल पुराना बताया जाता है। 1921 में सिंधिया राज के तत्कालीन महाराज माधवराव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। भगवान के श्रृंगार के लिए सिंधिया ने ही गहने बनवाए थे। गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधा-कृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरात से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से है। जन्माष्टमी के अवसर पर राजपरिवार के लोग वा आमजन दर्शन को आते थे।
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आजादी के बाद गोपल मंदिर और उससे जुड़ी सारी सम्पत्ति जिला प्रशासन और निगम प्रशासन के आधीन हो गया । इन जेवरातों में हीरे-जवाहरात से जड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार, शुद्ध मोती की मालाएं, हीरे जड़े कंगन, हीरे व सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र, चांदी के बर्तन, भगवान श्रीकृष्ण व राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूडियां, कड़े समेत अन्य बहुत सा सामान शामिल हैं। इन जेवरात को बैंक के लॉकर से भारी सुरक्षा के बीच लाया जाता है और श्रृंगार किया जाता है । फिर मंदिर के पट भक्तों के लियें खोल दिये जाते है ।
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इतना ही नहीं इस मंदिर की सुरक्षा में बड़ी संख्या में सुरक्षा जवानों की तैनाती होती है। पूरे मंदिर की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से की जाती है ।