सोशल मीडिया ने बनाई जोड़ी, 80 की उम्र में बुजुर्ग ने 34 साल की महिला को दिया दिल

MP News
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calendar02 Dec 2025 02:43 AM
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MP News : मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जिसके बारे में सुन पूरा मध्य प्रदेश चौंक गया। जानकारी के अनुसार हाल ही में आगर मालवा में एक बुजुर्ग ने खुद से आधी से भी कम उम्र की महिला से शादी रचा ली। इस शादी में दूल्हे बने बुजुर्ग की उम्र 80 वहीं, दुल्हन बनी महिला की उम्र 34 साल की है। बताया जा रहा है कि दोनों ही काफी लंबे समय से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बातचीत कर रहे थे, जहां उन दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया और उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया।

क्या है पूरा मामला ?

मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के मालवा जिले के सुसनेर न्यायालय में उस समय भीड़ जुटनी शुरू हो गई, जब परिसर में मौजूद हनुमान मंदिर में लोगों को कुछ अजीबों-गरीब चीज देखने को मिली। दरअसल लोगों ने देखा की एक बुजुर्ग अपने हाथों से खुद से भी आधी उम्र की महिला को फूलमाला पहना रहा है, वहीं महिला भी उस बुजुर्ग के गले में माला डाल रही है। कुछ समय बाद इस पूरी घटना से पर्दा हटा और पता चला की यह मगरिया गांव निवासी बालूराम बागरी जिसकी उम्र 80 साल है, उसने महाराष्ट्र के अमरावती की रहने वाली शीला इंगले जिसकी उम्र 34 साल है से शादी रचाई है। इस जोड़े की मुलाकात सोशल मीडिया के जरिए हुई थी, जो पहले दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। जिसके बाद ही दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया। इसके बाद न्यायालय में जाकर दोनों ने एक वकील की मदद से कोर्ट मैरिज के लिए अपने अपने दस्तावेज जमा किए। इस दौरान महिला और बुजुर्ग के कुछ चुनिंदा परिचित लोग भी उनके साथ मौके पर पहुंचे हुए थे। कोर्ट मैरिज करने के बाद जोडे ने न्यायालय परिसर में मौजूद हनुमान मंदिर में एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर हिंदू रीति-रिवाज से भी शादी भी कर ली। MP News

बुजुर्ग सोशल मीडिया में रहता था काफी एक्टिव

आपतो बता दें मध्य प्रदेश का रहने वाला दूल्हा बालूराम बागरी इस उम्र में सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहता है। उसकी सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में फॉलोवर्स भी मौजूद है। इसी बीच एक दिन उनकी बातचीत शीला इंगले (दुल्हन) से हो गई। काफी दिनों तक दोनों में बातचीत हुई, और आखिर में दोनों को प्यार हो गया। फिर उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया और आज दोनों हमेशा के लिए एक दूसरे के हो गए।

देश की पहली विकलांग IAS, जिसने हासिल की UPSC में पहली रैंक

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एक चपरासी ने कर दिया बड़ा कमाल, अब है दो कंपनियों का मालिक

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Success Story
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:45 PM
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Success Story : कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हो और कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता मिलना मुश्किल नहीं होता है। इस बात को सच साबित कर दिखाया है कभी 80 रुपये रोजाना कमाने वाले इस शख्स ने। जिसने अपनी मेहनत और लगन से खुद की किस्मत बदल ली है। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले है, जो कभी एक ऑफिस में चपरासी का काम करता था। आज वह शख्स दो कंपनियों का मालिक है। आईए आपको बताते हैं दादा साहेब भगत ने जिंदगी में इतनी सफलता कैसे हासिल की।

Success Story

कहते हैं जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, अगर ठान लिया जाए तो बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है दादा साहेब भगत ने। कभी इंफोसिस के दफ्तर में चपरासी का काम करने वाले दादा साहेब भगत की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। चपरासी की नौकरी करते हुए दादा साहेब भगत ने कभी हार नहीं मानी और अपने सपनों की ओर आगे बढ़ते रहे। आज दादा साहेब भगत दो कंपनियों के मालिक है। बता दें कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दादासाहेब के इस हौंसले की तारीफ कर चुके हैं।

80 रुपये थी पहली कमाई

महाराष्ट्र के बीड में साल 1994 में जन्मे दादा साहेब भगत ने हाई स्कूल की पढ़ाई करने के बाद पुणे से आईटीआई का कोर्स पूरा किया। उस दौरान दादा साहेब को नौकरी की काफी जरूरत थी। ऐसे में उन्होंने गेस्ट हाउस में रूम सर्विस ब्वॉय के तौर पर नौकरी कर ली। इंफोसिस के गेस्ट हाउस में उनका काम लोगों को रूम सर्विस, चाय-पानी देना था। उन्हें झाड़ू-पोछा, साफ-सफाई करना पड़ता था। इसके लिए दादा साहेब भगत को 80 रुपये रोजाना मिलते थे।

रात में करते थे पढ़ाई

दादा साहेब जानते थे कि पढ़ाई ही वह हथियार है, जिसके माध्यम से वह अपनी किस्मत बदल सकते हैं। साल 2009 में दादा साहेब शहर चले आए। उन्हें इंफोसिस कंपनी में काम मिल गया। वहां चपरासी की नौकरी के लिए उन्हें 9,000 रुपये की सैलरी मिलने लगी। इंफोसिस में काम करना उनके लिए अच्छा रहा। उन्होंने देखा कि लोग कंप्यूटर में कुछ करते हैं, जिसकी वजह से वो बड़ी-बड़ी गाड़ियों से आते है। कंप्यूटर को लेकर उनकी इच्छा जागने लगी। उन्होंने वहीं से कंप्यूटर और उसकी तकनीक से जुड़ी डिटेल सीखना शुरू कर दिया। रात में ग्राफिक्स डिजाइनिंग और एनीमेशन की पढ़ाई करते थे। नौकरी के साथ-साथ C++ और Python का कोर्स भा दादा साहेब भगत ने किया।

हादसे ने बदली किस्मत

आपको बता दें कि दादा साहेब भगत एक हादसे का शिकार हो गए थे। इस कारण उन्हें नौकरी छोड़कर अपने घर वापस जाना पड़ा, जहां वह करीब 3 महीने रहे। हालांकि इस दौरान भी उनका जुनून काम नहीं हुआ और वह अपने दोस्त का लैपटॉप किराए पर लेकर टेंपलेट्स बनाने लगे। केवल इतना ही नहीं दादा साहेब ने सोशल मीडिया पर इसे बेचना भी शुरू कर दिया। इससे उन्हें इतनी ज्यादा कमाई होने लगी की वह साल 2016 में खुद की कंपनी शुरू की। जिसका नाम उन्होंने Ninthmotion रखा। बाद में उन्होंने एक और कंपनी की शुरुआत की, जिसका नाम उन्होंने DooGraphics रखा।

दादा साहेब भगत की नेट वर्थ

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दादा साहेब भगत की नेटवर्थ करोड़ों में है। वहीं कंपनी के पास 40 हजार से ज्यादा एक्टिव यूजर्स हैं। इस कंपनी में ऑनलाइन ग्राफिक्स डिजाइनिंग का नया सॉफ्टवेयर बनाया जो बिल्कुल Canava जैसा है। इन्हें कई मल्टीनेशनल कंपनियों से ऑफर भी मिल चुका है। विदेश के भी क्लाइंट इस कंपनी से जुड़े हुए हैं। दादा साहेब के पास आज खुद की मेहनत से ऑडी जैसी बड़ी गाड़ी के मालिक है। Success Story

देश की पहली विकलांग IAS, जिसने हासिल की UPSC में पहली रैंक

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देश की पहली विकलांग IAS, जिसने हासिल की UPSC में पहली रैंक

IAS Ira Singhal
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:40 AM
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IAS Ira Singhal : 'कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालों यारों' दुष्यंत कुमार की यह कविता हर उस UPSC के उम्मीदवार पर सटीक बैठती है, जो अपने कड़े प्रयासों से इस परीक्षा में सफलता हासिल कर अपना IAS या IPS बनने का सपना पूरा करता है। हर साल लाखों उम्मीदवार UPSC की परीक्षा में हिस्सा लेते हैं, जिनमें से केवल कुछ ही उम्मीदवार होते हैं, जो इस परीक्षा में सफल हो पाते हैं। लेकिन कई बार सफलता मिलने के बाद भी कुछ उम्मीदवारों को अपने हक के लिए मेहनत करनी पड़ी जाती है। ऐसा ही कुछ सफर रहा आईएएस इरा सिंघल का। जिन्हें बेशक अपने पहले प्रयास में सफलता हासिल कर ली, लेकिन अपने दिव्यांग होने के चलते उन्हें UPSC में सफल होने के बाद भी कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

कौन है IAS इरा सिंघला ?

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली इरा सिंघल (IAS Ira Singhal) बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी। लेकिन इरा बचपन से ही स्कोलियोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी में जहां लोग आम लोगों की तरह जीना ही छोड़ देते है, वहीं इरा ने इस बिमारी से हार न मानने की कसम खाई। इरा सिंघल ने अपने शुरुआत पढ़ाई मेरठ के सोफिया गर्ल्स स्कूल से पूरी की। जिसके बाद इरा सिंघल अपने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गई और यहां उन्होंने नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। इसका साथ ही उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की।

इस तरह लिया IAS बनने का प्रण

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इरा सिंघल ने एक बड़ी कन्फेक्शनरी फर्म में स्ट्रैटेजी मैनेजर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। अपने सफर के बारे में इरा का कहना है कि वो अपनी जॉब में खुश तो थी, लेकिन वह देश के लिए कुछ कर नहीं पा रही थी। इस जॉब से उन्होंने पैसे जरूर कमाए पर उनकी इस मेहनत से किसी की ज़िन्दगी में कोई बदलाव नहीं आया। यही बात सोच कर वह हमेशा ही परेशान रहती थी। इस परेशानी से बाहर निकला का तरीका उन्हें तब मिला, जब उन्हें उनका बचपन का सपना याद आया। दरअसल जब इरा सिंघल 7 या 8 साल की थी, तो मेरठ में दंगों के चलते काफी दिनों तक कर्फ्यू लगा रहता था। इस दौरान इरा ने लोगों को डीएम के बारे में बात करते सुना था। लोग हमेशा यही कहते थे कि डीएम (DM) ही कर्फ्यू लगाते हैं। तब उन्‍हें डीएम की शक्ति और ज़िम्मेदारियों के बारे में जानकारी हासिल की और उसी दिन इरा ने ठान लिया कि वो बड़ी हो कर एक डीएम ही बनेंगी। IAS Ira Singhal

कड़े संघर्षों के बाद हुआ सपना पूरा

फिर क्या था इरा सिंघल ने ठान लिया की वह अपने बचपन का सपना पूरा करके ही रहेगी। लेकिन यह सफर इरा के लिए इतना असान नहीं था। साल 2010 में इरा सिंघल ने अपना UPSC का पहला अटेम्प्ट दिया। अपने पहले ही अटेम्प्ट में इरा सफल रही, लेकिन इससे उनका IAS बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। जिसके बाद इरा ने साल 2011 और 2013 में भी प्रयास किया लेकिन इस बार भी उन्हें IRS की पोस्टिंग दी गई। लेकिन इसमें भी वह काम नहीं कर सकती थी, क्योंकि इरा 62% लोकोमोटर विकलांग थी, जिस वजह से उन्हें पोस्ट ज्वाइन नहीं करने दिया गया। इन सभी परेशनियों से इरा ने हार नहीं मानी बल्कि उन्होंने आयोग के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में मुकदमा दायर कर दिया। लेकिन यह काम भी इतना असान नहीं था, इसके लिए भी उन्हें बहुत धैर्य और संघर्षों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले इरा ने अपनी रैंक को सुधार। साल 2014 में इरा अपने मेन्स परीक्षा की तैयारियों में लगी हुई थी कि उससे पहले ही उनके केस का फैसला आ गया, जिसमें उन्हें सफलता मिली। इसके साथ ही इरा ने साल 2014 की UPSC परीक्षा में सामान्य श्रेणी में टॉप रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। ऐसा करने वाली इरा सिंघल पहली विकलांग उम्मीदवार थी, जिसने सामान्य वर्ग से पहली रैंक हासिल की। इस सफलता के साथ ही इरा ने अपने बचपन के IAS बनने के सपने को भी सच कर दिया। अपनी इस सफलता पर इरा का कहना है कि देश की सेवा करने की उनकी इच्छा के कारण यह सब हुआ। IAS Ira Singhal

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