Delhi News: मांस निर्यातक के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट खारिज

Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने बैंकों के एक संघ से करीब 222 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में अग्रणी मांस निर्यातक हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड तथा उसके निदेशकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट शुक्रवार को खारिज कर दी और एजेंसी को मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिया। अदालत ने इससे जुड़े धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए ये निर्देश दिए और कहा कि इस तरह की सामग्री है जिससे पता चलता है कि अपराध हुआ था।
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विशेष न्यायाधीश अमित कुमार ने आरोपी कंपनी के प्रतिनिधियों तथा प्रबंध निदेशक सिराजुद्दीन कुरेशी समेत अन्य लोगों को 24 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कंपनी और कंपनी निदेशक किरण कुरेशी समेत अन्य लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में उसने अदालत में एक अर्जी दायर कर आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिए सबूतों के अभाव में मामला बंद करने का अनुरोध किया था।
बहरहाल, ईडी के मामले में अदालत ने विशेष लोक अभियोजक नितेश राणा की उन दलीलों पर गौर किया कि धन शोधन रोधी जांच एजेंसी के पास आरोपी के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत थे। ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर अपना मामला दर्ज किया था।
दस्तावेजों का अभाव
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूरी क्लोजर रिपोर्ट दिखाती है कि शिकायत में लगाए गए आरोपों के संबंध में आईओ (जांच अधिकारी) ने कहा कि दस्तावेजों के अभाव में ये साबित नहीं किए जा सकते। उसने कहा कि ऐसा लगता है कि इन पहलुओं पर उचित जांच नहीं की गयी।
न्यायाधीश ने कहा कि आईओ ने इस पहलू की जांच नहीं की कि हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एचएआईएल) ने केवल अपनी सहयोगी संस्थाओं को ही निधि हस्तांतरित की और वह भी केवल दस्तावेजों पर और एचएआईएल तथा उसके स्वामित्व वाली अन्य संस्थाओं के बीच वास्तव में कोई कारोबार नहीं हुआ।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसे देखते हुए मेरा मानना है कि क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार नहीं की जा सकती तथा उपरोक्त उल्लेखित पहलुओं पर और जांच करने की आवश्यकता है।’’
सीबीआई ने इस आरोप पर मामला दर्ज किया था कि आरोपियों ने अज्ञात बैंक अधिकारियों से सांठगांठ कर बैंकों के संघ को 221.71 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
जांच के बाद सीबीआई ने इस आधार पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की कि वास्तव में कारोबार न होने के कारण ये खाते गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल गए, न कि कोई धोखाधड़ी होने के कारण ऐसा हुआ। यह कंपनी यूरोप, एशिया और अफ्रीका में 55 स्थानों मुख्यत: फिलीपीन, मलेशिया, जॉर्डन, लेबनान, दुबई, मिस्र, ईरान, डेनमार्क और चीन में मांस तथा मांस उत्पादों का निर्यात करती है।
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें। देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुकपर लाइक करें या ट्विटरपर फॉलो करें।Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने बैंकों के एक संघ से करीब 222 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में अग्रणी मांस निर्यातक हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड तथा उसके निदेशकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट शुक्रवार को खारिज कर दी और एजेंसी को मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिया। अदालत ने इससे जुड़े धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए ये निर्देश दिए और कहा कि इस तरह की सामग्री है जिससे पता चलता है कि अपराध हुआ था।
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विशेष न्यायाधीश अमित कुमार ने आरोपी कंपनी के प्रतिनिधियों तथा प्रबंध निदेशक सिराजुद्दीन कुरेशी समेत अन्य लोगों को 24 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कंपनी और कंपनी निदेशक किरण कुरेशी समेत अन्य लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में उसने अदालत में एक अर्जी दायर कर आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिए सबूतों के अभाव में मामला बंद करने का अनुरोध किया था।
बहरहाल, ईडी के मामले में अदालत ने विशेष लोक अभियोजक नितेश राणा की उन दलीलों पर गौर किया कि धन शोधन रोधी जांच एजेंसी के पास आरोपी के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत थे। ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर अपना मामला दर्ज किया था।
दस्तावेजों का अभाव
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूरी क्लोजर रिपोर्ट दिखाती है कि शिकायत में लगाए गए आरोपों के संबंध में आईओ (जांच अधिकारी) ने कहा कि दस्तावेजों के अभाव में ये साबित नहीं किए जा सकते। उसने कहा कि ऐसा लगता है कि इन पहलुओं पर उचित जांच नहीं की गयी।
न्यायाधीश ने कहा कि आईओ ने इस पहलू की जांच नहीं की कि हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एचएआईएल) ने केवल अपनी सहयोगी संस्थाओं को ही निधि हस्तांतरित की और वह भी केवल दस्तावेजों पर और एचएआईएल तथा उसके स्वामित्व वाली अन्य संस्थाओं के बीच वास्तव में कोई कारोबार नहीं हुआ।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसे देखते हुए मेरा मानना है कि क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार नहीं की जा सकती तथा उपरोक्त उल्लेखित पहलुओं पर और जांच करने की आवश्यकता है।’’
सीबीआई ने इस आरोप पर मामला दर्ज किया था कि आरोपियों ने अज्ञात बैंक अधिकारियों से सांठगांठ कर बैंकों के संघ को 221.71 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
जांच के बाद सीबीआई ने इस आधार पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की कि वास्तव में कारोबार न होने के कारण ये खाते गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल गए, न कि कोई धोखाधड़ी होने के कारण ऐसा हुआ। यह कंपनी यूरोप, एशिया और अफ्रीका में 55 स्थानों मुख्यत: फिलीपीन, मलेशिया, जॉर्डन, लेबनान, दुबई, मिस्र, ईरान, डेनमार्क और चीन में मांस तथा मांस उत्पादों का निर्यात करती है।
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