दिवाली 2025: सोना या शेयर, कौन बढ़ाएगा आपका पैसा?

दिवाली केवल रोशनी, मिठाइयों और नए कपड़ों का त्योहार नहीं, बल्कि नए निवेश की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस मौके पर हर निवेशक के मन में एक सवाल उठता है – इस बार सोना खरीदें या शेयर बाजार में कदम रखें? भारत में सोना सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि सुरक्षा, समृद्धि और परंपरा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए दिवाली और धनतेरस पर इसे खरीदना शुभ माना जाता है। लेकिन बदलती आर्थिक परिस्थितियों में, जहां शेयर बाजार भी आम लोगों की निवेश रणनीतियों का अहम हिस्सा बन चुका है, यह सवाल और भी जरूरी हो जाता है: दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण के लिए कौन सा विकल्प ज्यादा लाभदायक साबित होगा? Diwali Investments 2025
पिछले साल सोने ने दिखाई ताकत
अगर हम पिछले साल के निवेश रुझानों पर नजर डालें, तो सोने ने निवेशकों को निराश नहीं किया। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव ने सोने को सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश विकल्प बना दिया। भारत में गोल्ड ईटीएफ ने अकेले एक साल में लगभग 50-55% तक रिटर्न दिए, जो निश्चित रूप से आंखें खोल देने वाले हैं। ये आंकड़े निवेशकों को यह सोचने पर मजबूर कर सकते हैं कि सोना सबसे सुरक्षित और लाभदायक विकल्प है। लेकिन वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि केवल एक साल के प्रदर्शन को आधार बनाकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि निवेश की दुनिया में स्थिरता और दीर्घकालिक रणनीति ही असली सफलता की कुंजी है।
लंबी अवधि में शेयर बाजार की बढ़त
अगर हम थोड़ी लंबी नजर डालें, तो कहानी थोड़ी बदल जाती है। निफ्टी 50 जैसे प्रमुख शेयर इंडेक्स ने पिछले 10-15 वर्षों में निवेशकों को औसतन 12-15% सालाना कंपाउंड रिटर्न दिया है, जबकि सोने का औसत इसी अवधि में सिर्फ 8-9% के आसपास रहा। शेयर बाजार का असली लाभ यह है कि इसमें आप सीधे कंपनियों की बढ़ती कमाई में हिस्सेदार बनते हैं। जैसे-जैसे कंपनियों का व्यापार और मुनाफा बढ़ता है, आपका निवेश भी बढ़ता है। इसके अलावा, कई कंपनियां डिविडेंड के जरिए नियमित आय का अवसर भी देती हैं, जो लंबी अवधि में निवेशकों के लिए स्थिर और भरोसेमंद आमदनी का जरिया बन सकता है।
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हर साल का प्रदर्शन एक जैसा नहीं
निवेश की दुनिया में एक पुराना लेकिन अहम सिद्धांत है – जो संपत्ति इस साल चमकती है, वह अगले साल उतनी दमदार नहीं रह सकती। उदाहरण के तौर पर, सोने की कीमतें कई बार 2-3 साल लगातार बढ़ती रही हैं, लेकिन इसके बाद कई सालों तक स्थिर या गिरावट में भी रही हैं। इसलिए केवल पिछले साल के आंकड़ों को देखकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। फिलहाल सोना ऊंचे स्तर पर है, और अगर इसकी कीमतें इसी स्तर पर स्थिर भी रह जाती हैं, तो निवेशकों की उम्मीदें कहीं निराशा में बदल सकती हैं।
निवेश की रणनीति
यदि आप परंपरा और त्योहार की भावना के अनुसार थोड़ी मात्रा में सोना खरीदना चाहते हैं, तो यह बिल्कुल ठीक है, लेकिन इसे निवेश की तरह नहीं, बल्कि भावनात्मक खरीददारी समझें। वहीं, अगर आपका लक्ष्य आने वाले वर्षों में संपत्ति बनाना है, तो इक्विटी यानी शेयर बाजार में SIP के माध्यम से धीरे-धीरे निवेश करना सबसे समझदारी भरा विकल्प माना जाता है। एक और स्मार्ट तरीका यह है कि आप दोनों में संतुलन बनाए रखें – अपने पोर्टफोलियो का 10-15% सोने में और बाकी हिस्से को लंबे समय के लिए मजबूत म्यूचुअल फंड या उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करें। इस तरह आप परंपरा और स्मार्ट निवेश दोनों का संतुलन बनाए रखते हुए दीर्घकालिक लाभ भी सुनिश्चित कर सकते हैं। Diwali Investments 2025
दिवाली केवल रोशनी, मिठाइयों और नए कपड़ों का त्योहार नहीं, बल्कि नए निवेश की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस मौके पर हर निवेशक के मन में एक सवाल उठता है – इस बार सोना खरीदें या शेयर बाजार में कदम रखें? भारत में सोना सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि सुरक्षा, समृद्धि और परंपरा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए दिवाली और धनतेरस पर इसे खरीदना शुभ माना जाता है। लेकिन बदलती आर्थिक परिस्थितियों में, जहां शेयर बाजार भी आम लोगों की निवेश रणनीतियों का अहम हिस्सा बन चुका है, यह सवाल और भी जरूरी हो जाता है: दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण के लिए कौन सा विकल्प ज्यादा लाभदायक साबित होगा? Diwali Investments 2025
पिछले साल सोने ने दिखाई ताकत
अगर हम पिछले साल के निवेश रुझानों पर नजर डालें, तो सोने ने निवेशकों को निराश नहीं किया। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव ने सोने को सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश विकल्प बना दिया। भारत में गोल्ड ईटीएफ ने अकेले एक साल में लगभग 50-55% तक रिटर्न दिए, जो निश्चित रूप से आंखें खोल देने वाले हैं। ये आंकड़े निवेशकों को यह सोचने पर मजबूर कर सकते हैं कि सोना सबसे सुरक्षित और लाभदायक विकल्प है। लेकिन वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि केवल एक साल के प्रदर्शन को आधार बनाकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि निवेश की दुनिया में स्थिरता और दीर्घकालिक रणनीति ही असली सफलता की कुंजी है।
लंबी अवधि में शेयर बाजार की बढ़त
अगर हम थोड़ी लंबी नजर डालें, तो कहानी थोड़ी बदल जाती है। निफ्टी 50 जैसे प्रमुख शेयर इंडेक्स ने पिछले 10-15 वर्षों में निवेशकों को औसतन 12-15% सालाना कंपाउंड रिटर्न दिया है, जबकि सोने का औसत इसी अवधि में सिर्फ 8-9% के आसपास रहा। शेयर बाजार का असली लाभ यह है कि इसमें आप सीधे कंपनियों की बढ़ती कमाई में हिस्सेदार बनते हैं। जैसे-जैसे कंपनियों का व्यापार और मुनाफा बढ़ता है, आपका निवेश भी बढ़ता है। इसके अलावा, कई कंपनियां डिविडेंड के जरिए नियमित आय का अवसर भी देती हैं, जो लंबी अवधि में निवेशकों के लिए स्थिर और भरोसेमंद आमदनी का जरिया बन सकता है।
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हर साल का प्रदर्शन एक जैसा नहीं
निवेश की दुनिया में एक पुराना लेकिन अहम सिद्धांत है – जो संपत्ति इस साल चमकती है, वह अगले साल उतनी दमदार नहीं रह सकती। उदाहरण के तौर पर, सोने की कीमतें कई बार 2-3 साल लगातार बढ़ती रही हैं, लेकिन इसके बाद कई सालों तक स्थिर या गिरावट में भी रही हैं। इसलिए केवल पिछले साल के आंकड़ों को देखकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। फिलहाल सोना ऊंचे स्तर पर है, और अगर इसकी कीमतें इसी स्तर पर स्थिर भी रह जाती हैं, तो निवेशकों की उम्मीदें कहीं निराशा में बदल सकती हैं।
निवेश की रणनीति
यदि आप परंपरा और त्योहार की भावना के अनुसार थोड़ी मात्रा में सोना खरीदना चाहते हैं, तो यह बिल्कुल ठीक है, लेकिन इसे निवेश की तरह नहीं, बल्कि भावनात्मक खरीददारी समझें। वहीं, अगर आपका लक्ष्य आने वाले वर्षों में संपत्ति बनाना है, तो इक्विटी यानी शेयर बाजार में SIP के माध्यम से धीरे-धीरे निवेश करना सबसे समझदारी भरा विकल्प माना जाता है। एक और स्मार्ट तरीका यह है कि आप दोनों में संतुलन बनाए रखें – अपने पोर्टफोलियो का 10-15% सोने में और बाकी हिस्से को लंबे समय के लिए मजबूत म्यूचुअल फंड या उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करें। इस तरह आप परंपरा और स्मार्ट निवेश दोनों का संतुलन बनाए रखते हुए दीर्घकालिक लाभ भी सुनिश्चित कर सकते हैं। Diwali Investments 2025







