इस बिग बॉस कंटेस्टेंट के है लाखों फॉलोअर, फिर भी चुनाव में मिले सिर्फ 146 वोट

Ejaz Khan
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 10:12 PM
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Maharashtra Election Results 2024 : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए वोटों की गिनती जारी है, जिसमें बीजेपी गठबंधन महायुति सत्ता बरकरार रखने की स्थिति में दिखाई दे रही है। वर्सोवा सीट की बात करें तो शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार हारून खान 61,958 वोटों के साथ बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि भाजपा की भारती लवेकर 58,474 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। हालांकि, इस सीट पर सबसे ज्यादा चर्चा में एक और नाम रहा। बिग बॉस के पूर्व कंटेस्टेंट, अभिनेता और खुद को "मुंबई का भाई" कहने वाले एजाज खान का। एजाज खान ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से चुनाव लड़ा। लेकिन चुनावी नतीजों में एजाज खान को करारी हार का सामना करना पड़ा।

5.6 मिलियन इंस्टाग्राम फॉलोअर्स, लेकिन सिर्फ 146 वोट

एजाज खान, जिनके इंस्टाग्राम पर 5.6 मिलियन और फेसबुक पर 4.1 मिलियन फॉलोअर्स हैं, वोटों की गिनती के 18 राउंड के बाद केवल 146 वोट ही हासिल कर पाए। यह संख्या "नोटा" के वोटों (1,216) से भी काफी कम है। वर्सोवा सीट पर 20 नवंबर को 51.2% मतदान हुआ था।

कैरी मिनाटी से जुड़ा विवाद

एजाज खान पहले भी विवादों में रह चुके हैं। एक बार उन्होंने लोकप्रिय यूट्यूबर कैरी मिनाटी से माफी मांगने को कहा था। कैरी ने "बिग बॉस 7" के दौरान एजाज खान को रोस्ट किया था, जिसके बाद दोनों का आमना-सामना हुआ। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कैरी मास्क और टोपी से अपना चेहरा छुपाते नजर आए। एजाज ने कैरी का मास्क उतारते हुए कहा था, "यह कैरी है, जिसने मुझे रोस्ट किया था। अब मेरे फैंस से माफी मांगो।" इस पर कैरी ने डरते हुए माफी मांगी थी। एजाज का एक और बयान भी चर्चा में था, जब उन्होंने कैरी को चेतावनी देते हुए कहा था, "हर बिल में हाथ मत डालो, हर जगह चूहा नहीं होता, कहीं सांप भी हो सकता है।" हालांकि, उनके सोशल मीडिया फॉलोअर्स का विशाल आधार भी उन्हें चुनावी मैदान में मदद नहीं कर सका। Maharashtra Election Results 2024

ब्रांड नेम या चुनाव चिह्न, आज जनता तय करेगी असली शिवसेना और एनसीपी कौन?

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जबरन नहीं ली जा सकती है जमीन

Supreme Court of India
Supreme Court
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 Nov 2024 08:35 PM
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Supreme Court : भारत के सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का यह बड़ा फैसला सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण के मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के ताजे फैसले के कारण किसी भी नागरिक की जमीन को सरकार जबरन अधिग्रहित नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हिमाचल प्रदेश की सरकार के खिलाफ आया है। भले ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिमाचल के मामले में भले ही आया हो किन्तु यह फैसला पूरे देश के लिए बड़ा उदाहरण बनेगा।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला?

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को खास निर्देश दिए हैं। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, सरकारें बिना उचित मुआवजा दिए आम लोगों की जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकतीं। शिमला हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हिमाचल प्रदेश सरकार व अन्य की याचिकाएं खारिज करते हुए शीर्ष कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, भले ही संपत्ति का अधिकार मौलिक नहीं रह गया, पर यह आज भी संवैधानिक अधिकार है। राज्य को बिना उचित मुआवजा दिए निजी संपत्तियों पर कब्जा करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि उसके सामने कई मामले आए हैं। जिनमें हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट के कई फैसलों को चुनौती दी है और हाईकोर्ट ने भूमि स्वामियों को मुआवजे के भुगतान का आदेश दे रखा है। इन हालात में सरकार की ओर से भारी-भरकम खर्च पर दायर इन याचिकाओं को खारिज करना न्यायोचित होगा। हालांकि ऐसा करने से खुद को रोकते हुए हम सिर्फ इन विशेष अनुमति याचिकाओं को खारिज करने तक आदेश को सीमित कर रहे हैं। इस मामले में भूमि मालिकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि, राज्य सरकार ने सड़क निर्माण के लिए उनकी जमीनें ले लीं लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने हिमाचल सरकार को भूमि स्वामियों को मुआवजा देने का आदेश दिया था। Supreme Court

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ब्रांड नेम या चुनाव चिह्न, आज जनता तय करेगी असली शिवसेना और एनसीपी कौन?

Maharashtra Assembly Elections 2024
Maharashtra Assembly Elections 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 Nov 2024 04:21 PM
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Maharashtra Assembly Elections 2024 : महाराष्ट्र की प्रमुख दो पार्टियां, शिवसेना और एनसीपी, अब दो भागों में बंट चुकी हैं। यह पहली बार है जब दोनों पार्टियों के विभाजित गुट एक-दूसरे के सामने हैं। कानूनी संघर्ष के बाद, शिवसेना का नाम और उसका चुनाव चिह्न, धनुष-बाण, शिंदे गुट के पास चला गया है। इसी प्रकार, एनसीपी का चुनाव चिह्न घड़ी, अजित पवार के गुट को मिल चुका है।

असली पार्टी कौन है?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आज इस बात का फैसला करेंगे कि "असली पार्टी" कौन सी है, खासकर शिवसेना और एनसीपी के संदर्भ में। इन चुनावों के परिणाम न केवल यह तय करेंगे कि राज्य में सरकार किसकी बनेगी, बल्कि यह भी कि शिवसेना और एनसीपी के किस गुट को जनता 'असली' मानती है। दोनों ही पार्टियां टूट चुकी हैं, और यह पहला विधानसभा चुनाव है जब इनके दोनों धड़े सीधे मुकाबले में हैं।

शिवसेना का संघर्ष

शिवसेना के दोनों धड़े, शिंदे गुट और ठाकरे गुट, आमने-सामने हैं। कानूनी लड़ाई के बाद शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और धनुष-बाण चुनाव चिह्न मिल चुका है। वहीं ठाकरे गुट ने 'मशाल' के चुनाव चिह्न के साथ मैदान में उतरने का फैसला किया। शिवसेना (यूबीटी) और शिंदे गुट दोनों के पास अपनी-अपनी पहचान है, लेकिन जनता को यह तय करना है कि असली शिवसेना कौन सी है।

एनसीपी का संकट

एनसीपी में भी वही स्थिति है, जहां अजित पवार गुट और शरद पवार गुट दोनों के बीच संघर्ष है। अजित पवार गुट को चुनाव चिह्न के रूप में घड़ी मिल चुकी है, जबकि शरद पवार गुट 'तुरही बजाते आदमी' के चिह्न के साथ चुनाव लड़ रहा है। महाराष्ट्र की राजनीति में एनसीपी की जड़ें गहरी हैं, और इस चुनाव में बारामती सीट पर खासा ध्यान केंद्रित होगा, जहां शरद पवार का परिवार दशकों से अपना दबदबा बनाए हुए है। अजित पवार और युगेंद्र पवार के बीच कड़ा मुकाबला होगा, जो शरद पवार के पोते हैं।

बारामती की महत्वपूर्ण सीट पर कड़ा मुकाबला

बारामती सीट पर इस बार अजित पवार और युगेंद्र पवार के बीच सीधा मुकाबला है। लोकसभा चुनाव में जहां सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी सुनेत्रा पवार को हराया था, वहीं विधानसभा चुनाव में भी पवार परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। अजित पवार आठवीं बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, और उनकी जीत-हार से एनसीपी के 'असली' होने का सवाल तय होगा।

शिवसेना के बीच मुकाबला

शिवसेना के दोनों गुटों के बीच एक और महत्वपूर्ण मुकाबला कोपरी पचपाखड़ी सीट पर होगा। यहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और ठाकरे गुट के केदार दिघे के बीच भिड़ंत होगी। यह सीट ना केवल राजनीति के लिहाज से अहम है, बल्कि दोनों ही गुटों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है।

नतीजे और भविष्य की दिशा

विधानसभा चुनाव के परिणाम से यह साफ हो जाएगा कि जनता के नजरिए में असली पार्टी कौन सी है। अगर शिंदे गुट को जीत मिलती है, तो इसका मतलब होगा कि ठाकरे ब्रांड के बिना भी शिवसेना अस्तित्व में रह सकती है। वहीं, अगर ठाकरे गुट की जीत होती है, तो इसका असर बीएमसी चुनावों में भी दिखेगा।

बीएमसी चुनावों पर असर

शिवसेना की राजनीति की नींव मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों में है। अगर शिंदे गुट को विधानसभा चुनाव में अधिक सीटें मिलती हैं, तो ठाकरे गुट को बीएमसी में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अगर ठाकरे गुट को बढ़त मिलती है, तो वे अपनी पकड़ बीएमसी पर बनाए रख सकते हैं। इस चुनाव से यह तय होगा कि असली शिवसेना और असली एनसीपी कौन सी है, और महाराष्ट्र की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी। Maharashtra Assembly Elections 2024

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