Ukraine Russia War : यूक्रेन में फंसे (Ukraine Russia War) जिला अस्पताल के डॉक्टर की बेटी समेत आठ छात्र अपने घर लौट आए। (Ukraine Russia War) बच्चों के सुरक्षित घर लौटने पर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं हैं, वहीं छात्रों ने भी सकून की सांस ली है। हालांकि सहारनपुर के यूक्रेन में अभी करीब 48 छात्र-छात्राएं कीव और रोमानिया में फंसे हुए हैं। छात्रों की दहशत का आलम यह है कि वह वहां पर भरपेट भोजन भी नहीं कर पा रहे हैं।
Ukraine Russia War
यूक्रेन पर रूस द्वारा हमला किए जाने के बाद से ही यूक्रेन के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। हालांकि भारत सरकार के दखल के बाद अब यूक्रेन से छात्रों का वतन लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है। इसी क्रम में देर रात देवबंद के मोहल्ला कायस्थवाड़ा निवासी तालिब, सदफ, लहसवाड़ा निवासी अबूबकर और गांव फुलास अकबरपुर निवासी अजमल यूक्रेन से अपने घर आ गए।
इसके अलावा छुटमलपुर के गांव खुजनावर निवासी राव अहमद, बेहट के गांव गंदेवड़ निवासी अनिरुद्ध सिंह और चिलकाना के मजहर हुसैन निवासी शोएब कुरैशी घर लौटे तो उनके परिजनों का चेहरे खुशी से चहक उठा। जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर गजेंद्र सिंह की बेटी निहारिका सिंह भी यूक्रेन से आ गई हैं। यह सभी छात्र यूक्रेन में रहकर अलग-अलग शहरों की यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे।
उधर, शहर के मोहल्ला रायवाला स्थित पिलखनतला निवासी राव अम्मार यूक्रेन के शहर कीव में फंसे हुए हैं। जबकि सरसावा के शशांक चौहान, जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. रमेश चंद्रा का बेटा केशव चंद्रा, आरती धारीवाल, तीतरो के धानवा निवासी आसिफ, हर्ष सैनी, मोइन खान, हसनपुर निवासी फूल सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह, शिवम शर्मा समेत 48 छात्र-छात्राएं अभी यूक्रेन से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। वह भी यूक्रेन से निकलने के लिए प्रयास में हैं।
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युक्रेन में एमबीबीएस का बड़गांव निवासी छात्र पीयूष राणा वतन वापसी के लिए रविवार सुबह बस द्वारा वनेशिया से रोमानिया बार्डर पहुंचा था, लेकिन दिन भर भीड़ के कारण वह रोमानिया में प्रवेश नहीं कर सका। पीयूष ने साथियों के साथ पूरी रात बार्डर पर ही काटी। पीयूष ने रात 12 बजे बातचीत में बताया कि शाम को बार्डर खोल दिया गया लेकिन भीड़ के चलते वह अभी तक रोमानिया में प्रवेश नहीं कर सका। बताया बार्डर पर खाने पीने की सुविधा तो मिल गयी लेकिन ठहरने के लिए इंतजाम नहीं थे। खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ी।
यूक्रेन और रुस के बीच जारी जंग में भारत देश से यूक्रेन गए छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन की लवीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एबीबीएस की तृतीय वर्ष की छात्रा अंजली अभी भी फंसी हुई हैं। उसके पिता गंगा सिंह भारत सरकार से यूक्रेन में फंसे सभी भारतीयों को सकुशल भारत लाने की गुहार लगाई है।
गांव पनियाली कासिमपुर निवासी किसान गंगा सिंह ओर उनका परिवार अंजली सिंह को लेकर लेकर खासा चिंतित हैं। गंगा सिंह ने बताया कि उनकी बेटी अंजली ने उन्हें वहां के हालात के बारे में जानकारी दी तो परिवार की नींद उड़ी हुई है। गंगा सिंह ने बताया कि पौलेंड बॉर्डर के रास्ते उसे 40 छात्रों के साथ वापस भारत आना था। इसके लिए 10 हजार रूपये कैब में खर्च करने के बाद भी उसे साथियों के साथ 11 किमी पहले ही छोड़ दिया। जिसके चलते उन्हें 8 किमी तक बार्डर पर पैदल ही जाना पड़ा। लेकिन 4 किमी पहले उनके दोस्तों ने बार्डर का हाल बताया तो उन्होंने कई किमी पैदल चलकर हंगरी में एक शेल्टर होम में रात बिताई।
पुत्री की आपबीती सुनाते हुए फफक पड़े गंगा सिंह ने बताया कि उनकी पुत्री अपने साथियों के साथ 3 घंटे एक बंकर में रुकना पड़ा, क्योंकि सायरन बज चुका था। गंगा सिंह ने बताया कि रात दस बजे के बाद हॉस्टल से बाहर निकलने की भी मनाही है। उनके मुताबिक अंजली अगस्त में यूक्रेन गई थी। वहां लवीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में वह एमबीबीएस तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है। उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि यूक्रेन में फंसे सभी भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द सकुशल भारत पहुंचाया जाए।
जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने बताया कि यूक्रेन में फंसे सहारनपुर के आठ छात्र घर आ गए हैं। शेष 48 छात्रों को भी जल्द से जल्द वहां से निकालने की प्रक्रिया राज्य और केन्द्र सरकार के सहयोग कराई जा रही है।