सीएम योगी ने महाकुंभ में भगदड़ पर दिया जवाब

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UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:18 AM
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UP News : प्रयागराज में महाकुंभ में भगदड़ होने के बाद से इसे लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। महाकुंभ की तैयारी और आयोजन को लेकर उठ रहे सवालों के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुंभ पर राजनीति ठीक नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि सनातन के आयोजन को भव्यता से करना कोई अपराध नहीं है, अगर भव्यता से आयोजन करना अपराध है तो इसको हमारी सरकार कर रही है, आगे भी करेगी। अखिलेश यादव ने इस बार भी चाचा को स्नान नहीं करने दिया। सीएम योगी ने मेले में भगदड़ को लेकर भी करारा जवाब दिया।

सीएम योगी का विपक्ष पर हमलावर रुख

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर हमलावर रुख अख्तियार करते हुए विधानसभा में कहा कि जब हम प्रदेश की 24-25 करोड़ जनता को बचाने का काम कर रहे थे तो ये वही लोग हैं जो उपहास उड़ा रहे थे। और तो और अयोध्या में रामलाल को विराजमान किया जाता है तो समाजवादी पार्टी उसका भी विरोध करती है। शिवपाल जी तो सिर्फ पश्चिम की तरफ जाते हैं। ये लोग महाकुंभ पर्व के आयोजन पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आते हैं। किसी दुर्घटना को सरकार की विफलता के रूप में प्रचारित किया जाता है।

सभी को आस्था की डुबकी लगाना चाहिए

सीएम योगी ने कहा, मैं तो माननीय अध्यक्ष जी से में कहूंगा कि सभी सदस्यों को कुंभ ले जाना चाहिए। सभी को आस्था की डुबकी लगाना चाहिए, सभी को अवसर मिलना चाहिए। हमारी सरकार को अवसर मिला सभी को जोड़ने का, और हमने महाकुंभ के माध्यम से सभी को जोड़ने का काम किया है। हम चाहते हैं कि सभी आस्था के इस महापर्व में प्रयागराज जाकर आस्था की डुबकी लगाएं और सनातन धर्म का पालन करें। UP News

संगम के जल को लेकर कर रहे दुष्प्रचार

कुछ लोग एक पुरानी रिपोर्ट चलाकर सगम के पानी को खराब बता रहे हैं। संगम का पानी नहाने लायक है या नहीं, इसको लेकर विवाद छिड़ गया है, इस पर भी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसे ही जल की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। 2013 में अव्यवस्था देखकर मॉरीशस ने स्नान करने से मना कर दिया था। गंगा जी हो या यमुना जी हों जितने भी नाले उससे जुड़े हैं शुद्धि के बाद ही उसे छोड़ा जा रहा। इन दोनों के मानक निर्धारित है, जल में स्नान करने की जो मात्रा होनी चाहिए वह निर्धारित है और वहीं उपलब्ध भी है। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की जो रिपोर्ट है उसके आधार पर संगम पर स्नान करना चाहिए। इसके बावजूद एक पुरानी रिपोर्ट को चलाया गया है। कुछ लोग दुष्प्रचार करके संगम को बदनाम करने का प्रयास निरंतर कर रहे हैं। UP News

महाकुंभ को बदनाम करने की साजिश

महाकुंभ को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। महाकुंभ की आलोचना पर जवाब देते हुए सीएम योगी ने कहा कि अखिलेश ने विरोध के बाद भी स्नान किया। किसी के संक्रमित सोच का उपचार नहीं हो सकता है। ममता बनर्जी महाकुंभ को मृत्युकुंभ बता रही हैं, जबकि मल्लिकार्जुन खरगे हजारों लोगों की मौत की बात कर रहे हैं। जया बच्चन ने कहा कि यह वीआईपी लोगों के लिए कुंभ था। उनकी ओर से शवों को गंगा में बहाने की बात कही गई। इन नेताओं का पूरा प्रयास कुंभ की गरिमा को नुकसान पहुंचाना था लेकिन कुंभ के आयोजन को भव्यता के साथ करके करोड़ों देशवासियों ने महाकुंभ का स्रान किया, क्या ये सत्य नहीं है। विपक्षी सिर्फ विरोध करने की ही भाषा जानते हैं उन्हें नहीं पता कि पिछले आठ सालों में यूपी की छवि बदली है और यूपी के लोगों को सम्मान मिलता है। UP News

संगम के पानी में प्रदूषण को लेकर NGT ने उत्तर प्रदेश सरकार को लगाई फटकार

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अखिलेश यादव ने लगाया बड़ा आरोप, "मृत्यु कुंभ" वाले बयान का समर्थन

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UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Feb 2025 09:45 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश की सरकार तथा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के ऊपर बड़ा आरोप लगाया है। उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। अखिलेश यादव कभी भी उत्तर प्रदेश सरकार तथा BJP को कटघरे में खड़ा करने से नहीं चूकते हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने BJP के विरुद्ध बड़ा आरोप प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को लेकर लगाया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी के "मृत्यु कुंभ" वाले बयान का समर्थन भी किया है।

क्या बोले उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव?

उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि, उत्तर प्रदेश की सरकार तथा  BJP ने महाकुंभ के आयोजन को लेकर देश की जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। पत्रकारों से बात करते हुए उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के 'मृत्यु कुंभ' वाले बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इस प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा है कि ममता बनर्जी ने जो कहा, वह सही है, क्योंकि उनके राज्य के लोगों की भगदड़ में जान गई है। दूसरे राज्यों से आए लोगों की बड़ी संख्या में मौत हुई थी। उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि 'कुंभ' तो सदियों से होता आ रहा है, उसमें श्रद्धालु भी आते रहे हैं, कुंभ प्राचीनकाल से चलता आ रहा है। व्यवस्था करने की जिम्मेदारी किसकी थी? जब सीएम ने कहा कि 100 करोड़ लोगों के लिए व्यवस्था की गई है तो लोगों का भरोसा और बढ़ गया। जब उन्होंने मशहूर हस्तियों और अन्य नामचीन लोगों को बुलाया, तो लोगों को भरोसा हुआ कि व्यवस्था अच्छी होगी। लेकिन असल में ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी जनता की भावनाओं का फायदा उठा रही है। इसी कुंभ में सबसे ज्यादा गुमशुदगी के मामले सामने आए, इसी कुंभ में सबसे ज्यादा मौतें हुईं, इसी कुंभ में सबसे ज्यादा लोग बीमार हुए। यहां वीडियो में आप उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पूरा बयान सुन सकते हैं।

ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा था "मृत्यु कुंभ"

यहां यह जानना जरूरी है कि "मृत्यु कुंभ" वाला क्या मामला है। दरअसल बीते दिन ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधान सभा में कहा था कि यह ‘मृत्यु कुंभ’ है। मैं महाकुंभ का सम्मान करती हूं, मैं पवित्र गंगा मां का सम्मान करती हूं, लेकिन वहां गरीबों के लिए कोई ढंग की व्यवस्था नहीं है, अमीरों के लिए 1 लाख रुपये तक के शिविर (तंबू) की व्यवस्था है। मेले में भगदड़ की स्थिति आम है लेकिन व्यवस्था करना जरूरी है।

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उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जिला प्रशासन को दिया झटका

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Uttar Pradesh Samachar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Feb 2025 09:31 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट (UP High Court) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट के बड़े फैसले से प्रदेश के जिलों में तैनात जिला प्रशासन के अधिकारियों को बड़ा झटका दिया गया है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने साफ-साफ शब्दों में जिलों में कायम जिला प्रशासन के अफसरों को उनकी हद (सीमा) याद दिला दी है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए जिला प्रशासन के आदेश को गैर कानूनी करार देकर पलट दिया है।

क्या है उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का बड़ा फैसला?

उत्तर प्रदेश का हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) प्रयागराज शहर में स्थापित है। प्रयागराज का नाम पहले इलाहाबाद हुआ करता था। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का नाम अभी भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (उत्तर प्रदेश का हाईकोर्ट) ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। अपने बड़े फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि, जिला प्रशासन का काम मौके पर शांति और सौहार्द बनाए रखना है। उन्हें विवादित अचल संपत्ति पर किसका कब्जा है या किसका कब्जा होना चाहिए, यह निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने डीएम को विवादित संपत्ति का कब्जा याची को सौंपने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने अरुण प्रकाश शुक्ल की याचिका पर दिया। प्रयागराज के सोरांव तहसील के कटरा दयाराम गांव स्थित विवादित संपत्ति पर कब्जे की सुरक्षा के लिए याची ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। याची का कहना था कि उसने यह संपत्ति रामनरेश मिश्र से खरीदी थी। राम नरेश के उत्तराधिकारियों का कहना था कि विक्रेता संपत्ति बेचने में सक्षम नहीं था। इस आधार पर अदालत में इसे चुनौती दी जो 2013 में खारिज हो गई। अदालत ने याची के कब्जे को सही ठहराया। इस फैसले के खिलाफ अपील की गई है। फिलहाल उसमें स्थगन आदेश नहीं दिया गया है। याचिका में कहा गया कि अपील लंबित रहने के दौरान प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए पुलिस। सहायता से याची को संपत्ति से बेदखल कर दिया है।

SDM को जन्म तथा मृत्यु की तारीख के सत्यापन का हक नहीं है

अपने एक दूसरे फैसले में उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने प्रदेश के तहसीलों के मुखिया उप जिलाधिकारी (SDM) को हद (सीमा) याद दिलाई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एसडीएम को जन्म और मृत्यु की तिथि के सत्यापन का अधिकार नहीं है। वह केवल जन्म या मृत्यु के तथ्य को सत्यापित कर सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। मामला एटा का है। याची के पिता लदूरी सिंह की 12 जनवरी 1987 को मृत्यु हो गई थी। 18 अक्टूबर 2023 को याची ने अपने, पिता की मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए एटा के एसडीएम सदर को प्रार्थनापत्र दिया। एसडीएम ने बीडीओ शीतलपुर से जांच आख्या तलब की। बीडीओ ने मृत्यु का कारण स्पष्ट न होने का हवाला देते हुए आख्या एसडीएम को भेज दी। कोर्ट ने कहा कि अधिनियम के मुताबिक, जन्म या मृत्यु का एक वर्ष तर्क पंजीकरण न होने पर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट या प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट की ओर से पुष्टि के बाद ही किया जा सकता है।

जालौन के बेसिक शिक्षा अधिकारी को ठहराया अयोग्य

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का डंडा शिक्षा विभाग के खिलाफ चला है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने प्रदेश के जालौन जिले में तैनात बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को उसकी हद याद दिलाई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी जालौन की ओर से अलग-अलग कारण बताकर अनुकंपा नियुक्ति खारिज करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया बीएसए पद पर बने रहने के योग्य नहीं हैं। कोर्ट ने उन्हें 27 फरवरी को तलब करते हुए स्पष्टीकरण मांगा। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने आस्था मिश्रा की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। जालौन निवासी याची के माता-पिता सरकारी सेवा में थे। पिता 2019 में सेवानिवृत्त हो गए। प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत मां की 2021 में मृत्यु हो गई। याची के अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को बीएसए ने माता-पिता के सेवा में होने के आधार पर खारिज कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट के जवाब मांगने पर बीएसए ने कहा कि याची की शैक्षिक योग्यता बीएड है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर बीएड डिग्रीधारक को सहायक अध्यापक नहीं बना सकते। याची के अधिवक्ता कमल कुमार केशरवानी ने दलील दी कि याची का मामला 2021 का है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस पर लागू नहीं होगा। साथ ही यह भी दलील दी कि बीएसए ने हाईकोर्ट के आदेशों पर अलग-अलग आधार लेते हुए नियुक्ति देने से इन्कार किया है। पहली बार विवाहित होने और दूसरी और तीसरी बार माता पिता के सेवा में होने के आधार पर नियुक्ति देने से इन्कार किया है, जबकि न्यायालय में प्रस्तुत शपथपत्र में बीएसए ने यह आधार बताया है कि वर्तमान में बीएड डिग्रीधारक को सहायक अध्यापक नहीं बनाया जा सकता है।

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