New Delhi: रुचिरा कंबोज बनीं यूएन में भारत की पहली महिला राजदूत

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar03 Aug 2022 06:46 PM
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New Delhi : नई दिल्ली। भारत की एक और बेटी ने लंबी छलांग लगाई है। इस बार नाम रूचिरा कांबोज का है। रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। यूएन में भारत के नए स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्यभार संभालने वाली रुचिरा कंबोज पहली महिला हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया। रूचिरा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘यह सम्मान पाने वाली पहली भारतीय महिला होना सौभाग्य की बात है।’ मैं सभी लड़कियों से कहना चाहूंगी, हम यह कर सकते हैं। 1987 बैच के भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी 58 वर्षीय रुचिरा कम्बोज पहले भूटान में भारत की राजदूत थी और जून में उन्हें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। कंबोज ने इससे पहले 2002-2005 तक न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर के रूप में भी काम किया था। वह 1987 सिविल सेवा बैच की अखिल भारतीय महिला टॉपर थीं। उन्होंने पेरिस से अपनी राजनयिक यात्रा शुरू की, जहां उन्हें 1989-1991 तक फ्रांस में भारतीय दूतावास में तीसरे सचिव के रूप में तैनात किया गया था। पेरिस से, वह दिल्ली लौट आईं जहां उन्होंने 1991-96 तक विदेश मंत्रालय के यूरोप पश्चिम प्रभाग में अवर सचिव के रूप में काम किया। 1996-1999 तक, उन्होंने मॉरीशस में प्रथम सचिव (आर्थिक और वाणिज्यिक) और पोर्ट लुइस में भारतीय उच्चायोग में चांसरी के प्रमुख के रूप में कार्य किया। काम्बोज ने जुलाई, 2017 से मार्च, 2019 तक लेसोथो साम्राज्य में समवर्ती मान्यता के साथ दक्षिण अफ्रीका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया। कंबोज संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड, ब्रिटेन के स्थायी प्रतिनिधि (पीआर) राजदूत बारबरा वुडवर्ड, नॉर्वे के राजदूत और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि मोना जुल, यूएई की राजदूत लाना जकी सहित परिषद में महिला राजदूतों के समूह में शामिल हुईं है। इस बीच कम्बोज ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए सोमवार को ट्वीट करके लिखा कि ‘सुरक्षा परिषद में मेरे सभी राजदूत मित्रों से मिलकर आज बहुत अच्छा लगा। इस नए पद पर अपने देश की सेवा करना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है।’ तिरुमूर्ति ने उनके ट्वीट का जवाब दिया और कहा, बधाई और आपकी सफलता के लिए शुभकामनाएं रुचिरा! वहीं संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव और संयुक्त राष्ट्र महिला में उप कार्यकारी निदेशक लक्ष्मी पुरी, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में सर्वोच्च रैंकिंग वाले भारतीय राजनयिकों में, काम्बोज की नियुक्ति को ऐतिहासिक और संयुक्त राष्ट्र में महिला नेतृत्व के लिए एक नया मील का पत्थर बताया।
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Janmashtami 2022: कब मनाया जाएगा जन्माष्टमी पर्व, जानें शुभ मुहूर्त

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Janmashtami 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:36 AM
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Janmashtami 2022: हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। मान्यता अनुसार इस दिन श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई लड्डू गोपाल की पूजा का विशेष महत्व है और इससे मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

Janmashtami 2022

जन्माष्टमी साल के बड़े त्योहारों में से एक है। जन्माष्टमी की पूजा मुख्य रूप से मथुरा, वृन्दावन और द्वारिका में विधि विधान से की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म इसी दिन हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

तिथि व मुहूर्त इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022, गुरुवार को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त -18 अगस्त रात्रि 12:20 से 01:05 तक रहेगा और इसकी अवधि लगभग 45 मिनट रहेगी। पारण का मुहूर्त - 19 अगस्त, रात्रि 10 बजकर 59 मिनट के बाद इस साल रोहिणी नक्षत्र 20 अगस्त की रात्रि 1 बजकर 53 मिनट से लग रहा है, जिस वजह से इस साल जन्माष्टमी का पर्व रोहिणी नक्षत्र के बिना ही मनाया जाएगा। इस साल 19 अगस्त को व्रत पारण किया जाएगा।

पौराणिक कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक हैं। जन्माष्टमी का त्योहार सद्भावना को बढ़ाने और दुर्भावना को दूर करने को प्रोत्साहित करता है। मान्यता है कि इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करने से भगवान कृष्णसबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

पूजा विधि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म जन्माष्टमी की रात 12 बजे हुआ था। इस दिन के पूजन के लिए भगवान श्री कृष्ण को दूध और गंगाजल से स्नान कराएं और नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद उन्हें मोरपंख, बांसुरी, मुकुट, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से सजाएं। इसके बाद उन्हें फल, फूल, मखाने, मक्खन, मिश्री का भोग, मिठाई, मेवे आदि अर्पित करें। फिर भगवान श्री कृष्ण के सम्मुख दीप-धूप जलाएं। इस दिन लड्डू गोपाल को भी स्नान कराएं और उन्हें भी भोग अर्पित करें। श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आरती उतारें और प्रसाद बांटे।

इस प्रकार यदि आप जन्माष्टमी के दिन पूजन करते हैं तो आपके लिए विशेष रूप से फलदायी होगा। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उनके लिए यह व्रत करना बहुत ही फायदेमंद होता है साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत करना बहुत अच्छा होता है।

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Raksha Bandhan 2022 कब है रक्षाबंधन? 11 या 12 अगस्त को, जानें शुभ समय

Raksha bandhan 2022
Raksha Bandhan 2022
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 08:24 AM
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Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (Raksha Bandhan 2022) के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। बदले में भाई उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार राखी हमेशा शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर बांधनी चाहिए।

Raksha Bandhan 2022

वैदिक पंचाग के अनुसार जब चन्द्रमा ग्रह कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में गोचर करते हैं और भद्रा विष्टि करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में भ्रमण करती हैं। इस समय सभी शुभ और कार्य वर्जित माने गए हैं।

रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल पर विशेष ध्यान दिया जाता है। भद्राकाल के प्रवास के दौरान राखी नहीं बांधी जा सकती। शास्त्रों में भद्रा का समय बहुत ही अशुभ माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त, तिथि, भद्रकाल कब शुरू होगा और भद्रा काल में राखी क्यों नहीं बांधनी चाहिए-

ज्योतिष शास्त्र में भद्रा को अशुभ समय माना गया है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। होलिका दहन और रक्षा बंधन पर पर भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस बार भी 11 अगस्त को रक्षा बंधन पर भद्रा का संयोग बन रहा है। इस दिन भद्रा रात 08.51 तक रहेगी। भद्रा पुच्छ शाम 05.17 से 06.18 तक रहेगी। वहीं भद्रा मुख शाम 06.18 से रात 8 बजे तक रहेगा। भद्रा पुच्छ के समय राखी का पर्व मनाया जा सकता है। यानी 11 अगस्त की शाम 05.17 से 06.20 मिनट तक भाई को राखी बांध सकती हैं। इसके बाद भद्रा काल समाप्त होने के बाद राखी बांधना शुभ रहेगा।

शुभ योग आयुष्मान योग: 10 अगस्त शाम 7:35 बजे से 11 अगस्त को 3:31 बजे तक रवि योग: 11 अगस्त सुबह 5:30 बजे से सुबह 6:53 बजे तक शोभन योग: 11 अगस्त को 3:32 से 12 अगस्त को 11:33 बजे तक

शुभ मुहूर्त पूर्णिमा तिथि आरंभ: 11 अगस्त, सुबह 10 बजकर 38 मिनट से पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: 12 अगस्त, सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर शुभ मुहूर्त: 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 14 मिनट

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:06 से 12:57 बजे तक अमृत ​​काल: शाम 6:55 से रात 8:20 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:29 से 5:17 मिनट तक