लखीमपुर खीरी की घटना के बाद उठ रहे ये 8 सवाल

Lakhimpur Kheri Incident
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calendar02 Dec 2025 04:05 AM
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1. आंदोलन किसे कहते हैं? आंदोलन का मतलब है कि किसी स्थापित सत्ता, व्यवस्था, कानून या कुरीति के खिलाफ संगठिन, सुनियोजित या स्वत: स्फूर्त विरोध। ​इस विरोध का मकसद सत्ता या व्यवस्था में बदलाव या सुधार करना होता है। आंदोलन और क्रांति दो अलग-अलग चीजें हैं। आंदोलन का मकसद सुधार या बदलाव होता है, जबकि किसी व्यवस्था को जड़ से उखाड़ फेंकने और नई व्यवस्था की स्थापना को क्रांति कहते हैं।

जैसे, जाति प्रथा की समाप्ति या विधवा विवाह के लिए होने वाले आंदोलनों का मकसद हिंदू धर्म में सुधार करना था। लेकिन, 1857 के विद्रोह का मकसद अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकना और स्वराज स्थापित करना था।

2. आंदोलन कितने प्रकार के होते हैं? मोटे तौर पर आंदोलन के तीन प्रकार होते हैं: सामाजिक, राजनीतिक या धार्मिक। किसी सामाजिक व्यवस्था का विरोध और उसमें बदलाव की मांग के लिए सामाजिक आंदोलन किए जाते हैं। जैसे जाति प्रथा या दहेज प्रथा का विरोध।

इसी तरह, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए होने वाला आंदोलन, धार्मिक आंदोलन का ताजा उदाहरण है। जब सरकार की किसी नीति, कानून के विरोध या उसमें बदलाव के ​लिए आंदोलन होता है, तो उसे राजनीतिक आंदोलन कहते हैं।

3. आंदोलन दो तरीके से किए जाते हैं फिलहाल, किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी में हुई घटना के बाद यह सवाल खड़ा किया जा रहा है कि क्या आंदोलन करने का यही तरीका होता है? यह बात सभी जानते हैं कि भारत की आजादी की लड़ाई में दो विचारधाराओं को मानने वाले शामिल थे। एक विचारधारा हिंसा या सशस्त्र विरोध को सही मानती थी। दूसरी विचारधारा अहिंसक विरोध का समर्थन करती थी, जिसके सबसे बड़े पैरोकार महात्मा गांधी थे।

4. क्या अहिंसक आंदोलन सफल नहीं होते? लखीमपुर खीरी की घटना से लगभग नौ महीने पहले 26 जनवरी 2021 को किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकाला था। गणतंत्र दिवस के दिन प्रदर्शनकारियों ने लाल किले की प्राचीर और दिल्ली की सड़कों पर खुलेआम शक्ति प्रदर्शन किया।

पिछले एक दशक के राजनीतिक आंदोलनों में अन्ना हजारे का जनलोकपाल के लिए किया गया आंदोलन सबसे महत्वपूर्ण है। लगभग पांच महीने तक चले इस आंदोलन में अन्ना हजारे ने अनशन को सबसे बड़ा हथियार बनाया और सरकार को झुकने के लिए विवश कर दिया।

5. क्यों लगातार हो रहे हैं आंदोलन? 2019 में लगातार दूसरी बार सत्ता में आई एनडीए सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (CAA), धारा 370 का उन्मूलन सहित तीन नए कृषि कानून बनाए। इन कानूनों से बहुत से लोग असहमत थे। लोकतांत्रिक देश में विरोध करना और आंदोलन करना आम बात है।

किसान आंदोलन के दौरान सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच 13 दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। तीनों नए कानूनों को समाप्त करने के अलावा किसान संगठन किसी और रास्ते या समाधान के लिए तैयार नहीं हैं।

6. आंदोलन के इन तरीकों पर उठ रहे सवाल कृषि कानूनों और सीएए के विरोध के दौरान दिल्ली सहित देश के अन्य शहरों में मुख्य सड़कों और हाईवे पर प्रदर्शन किया गया। दिल्ली की सड़कों सहित लाल किले की प्राचीर पर एक विशेष संगठन का झंडा फहराया गया। इस तरह सीएए के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान भी गोलीबारी की कई घटनाएं हुईं। साथ ही, आंदालनकारियों ने सड़कों और नेशनल हाईवे को लंबे समय तक ब्लॉक रखा।

आंदोलन और प्रदर्शन के इस तरीके को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना गुस्सा जाहिर कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतर-राज्यीय सड़कों और नेशनल हाइवे को बंद किए जाने और उससे आम नागरिकों को होने वाली परेशानी पर चिंता जाहिर की है।

7. इन वजहों से उठ रहे सवाल सरकार या कानून के खिलाफ प्रदर्शन या आंदोलन के दौरान क्या आम नागरिकों को होने वाली परेशानी और उनके नुकसान को नजर अंदाज करना सही है? शाहीन बाग में चले आंदोलन के कारण हाइवे के ब्लॉक होने के अलावा, स्थानीय दुकानदारों को भारी नुकसान हुआ। कई दुकानें और वहां काम करने वालों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया।

किसी भी आंदोलन का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना होता है, ताकि सरकार और व्यवस्था पर दबाव बनाया जा सके। आंदोलनकारी हों या सरकारें, अगर उनकी कार्यवाई से आम जन-जीवन प्रभावित होता है, तो उस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। चाहे, धारा 370 उन्मूलन के नाम पर जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा को लंबे समय तक बंद करना हो या किसी कानून के विरोध में नेशनल हाईवे और सड़कों को बंद करना।

8. सरकार हो या आंदोलनकारी, ये सवाल तो उठेंगे सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बाधित होने पर इसे मूल-अधिकारों का हनन माना था। इसी तरह हाईवे या सड़कों को लंबे समय तक बंद रखने को भी न्यायालय ने सही नहीं माना है।

हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गतिरोध को समाप्त करने में सरकार की भी भूमिका होती है। लोकतांत्रिक देशों में व्यापक जन-आंदोलन सत्ता परिवर्तन की नींव तैयार करते रहे हैं। जेपी आंदोलन के बाद इंदिरा सरकार या अन्ना आंदोलन के बाद मनमोहन सरकार का जाना यह साबित करता है कि आंदोलन को हल्के में लेने वाली सरकारों का क्या अंजाम होता है। लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि आंदोलन के नाम पर होने वाली किसी भी कार्यवाई को सही मान लिया जाए या उस पर सवाल न खड़ा किया जाए।

- संजीव श्रीवास्तव

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Political Update: भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित

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locationभारत
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calendar01 Dec 2025 08:27 PM
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नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण लंबे समय से स्थगित चल रही भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आज भाजपा अध्यक्ष जेपी नड‌्डा की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड‌्डा ने पार्टी की 80 सदस्यीय कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई केंद्रीय मंत्रियों, राज्य के कई नेताओं के नाम शामिल हैं। इसके साथ ही इस सूची में जहां एक ओर लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गजों को फिर से शामिल किया गया है वहीं दूसरी ओर पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इसके साथ ही कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 80 नियमित सदस्यों के अलावा, कार्यकारिणी में 50 विशेष आमंत्रित और 179 स्थायी आमंत्रित सदस्य भी होंगे। इस सूची में अमित शाह, राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्रियों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है, जिसमें हाल ही में शामिल किए गए मंत्री अश्विनी वैष्णव का नाम भी शामिल है। वहीं, हर्षवर्धन, रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने हुए हैं। दरअसल कार्यकारिणी पार्टी का एक प्रमुख विचार-विमर्श करने वाला निकाय है जो सरकार के सामने आने वाले प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करता है और संगठन के एजेंडे को आकार देता है।

आपको बता दें कि गांधी परिवार से आने वाले वरुण गांधी पीलीभीत से बीजेपी से लोकसभा के सांसद हैं। वरुण गांधी को कभी बीजेपी का फायर ब्रांड नेता माना जाता था। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें यूपी में मुख्यमंत्री का युवा चेहरा बनाने की मांग उठी थी। बीजेपी में आने के बाद लगातार बीजेपी ने उन्हें तवज्जो दी और फिर अचानक पार्टी में उनका कद घटता चला गया। इन दिनों वरुण गांधी लगातार बीजेपी के खिलाफ किसानों के समर्थन में खुलकर बोल रहे हैं। सोशल मीडिया हो या योगी को पत्र लिखने का मामला वरुण लगातार चर्चा में बने हुए हैं। बीजेपी सांसद वरुण गांधी किसानों के मुद्दे पर पिछले काफी समय से सरकार से अलग रूख रख रहे थे। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर भी वरुण गांधी कई दिनों ऐसे ट्वीट कर रहे थे जिससे बीजेपी सरकार को काफी मुश्किल हो रही थी। आज सुबह भी वरुण गांधी ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा था कि किसानों का खून करने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। सूत्रों का कहना है कि वरुण गांधी को उनके बागी तेवरों के चलते ही ये 'सजा' दी गई है।

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वैष्णो देवी के लिए बस सेवा हुई शुरु

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calendar29 Nov 2025 09:24 PM
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कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में नवरात्र (NAVRATRA) को ध्यान में रखकर बस सेवा शुरु कर दी गई है। नवरात्र उत्सव पर मंदिरों (TEMPLES) में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है क्योंकि बस सेवा शुरु होने के बाद लोगों का कुरुक्षेत्र पहुंचना काफी आसान हो गया है। प्रदेश के एकमात्र सिद्ध शक्ति पीठ श्रीदेवीकूप भद्रकाली मंदिर में लोगों ने आरती में हिस्सा लेकर मनोकामनाएं मांगी। यहाँ पर आए श्रद्धालुओं (PILGRIMS) ने बताया कि यहां देवी उनकी हर मनोकामना पूरी कर देती है।

माता के दर्शन के लिए कुरुक्षेत्र (KURUKSHETRA) आए श्रद्धालु बृज शर्मा ने कहा कि नवरात्र उत्सव में हर साल श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होती जा रही है और देश से ही नहीं बल्कि विदेश में बसे भारतीय भी यहां श्रद्धा भाव से पहुंचते हैं। यहां महाभारत युद्ध से पूर्व पांडवों ने देवी से विजयश्री का आशीर्वाद लिया था।

जानकारी के मुताबिक नवरात्रि के इस अवसर पर मां वैष्णो देवी (VAISHNO DEVI TEMPLE) के दर्शन में शामिल होने के लिए सभी श्रद्धालुओं के लिए बड़ी प्रसन्नता की बात है। परिवहन विभाग ने दोबारा श्रद्धालु के लिए बस सेवाओं (BUS SERVICE) को शुरू किया है। यह बस प्रतिदिन कुरुक्षेत्र के नए बस स्टैंड से सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर कटरा के लिए रवाना हो जाएगी और वापसी में 2 बजे रात में रवाना होगी।