Bird Lover : पक्षी प्रेमी ने बसा रखी है देशी-विदेशी परिंदों की दुनिया

Bird Lover
शाहजहांपुर शहर के निवासी पंकज बाथम ने बताया कि जब हम छोटे थे, तब हमारी दादी सुमति देवी बाथम चिड़ियों को पालती थीं, उनसे बातें करती थीं। दादी के निधन के बाद अब उनके इस शौक को मैंने आगे बढ़ाया। मोहम्मदपुर में अपने चार एकड़ के फार्म हाउस में 28 प्रजाति की विदेशी तथा अन्य सैकड़ों देसी चिड़ियों का संसार बसा रखा है।Old car scrap : 2000 करोड़ के ख़र्च से कारों का बनेगा कबाड़ा
उन्होंने बताया कि उनके फार्म हाउस पर पक्षियों की कुछ विदेशी नस्लों में लेडी अमरांता (मलेशिया), रिंगनेट (पोलैंड), योकोहामा (वियतनाम), सिल्की (अमेरिका) और व्हाइट कैप (हॉलैंड) शामिल हैं। इसके अलावा कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे और मसकली किस्म के कबूतर भी हैं। बाथम ने बताया कि इन पक्षियों के लिए घोंसले बनाए गए हैं, ताकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में हवा मिल सके। समय-समय पर पक्षियों को विटामिन और एंटीबायोटिक पाउडर दिया जाता है, ताकि वे स्वस्थ रहें। उन्होंने बताया कि मैं भोजन करने से पहले खुद अपने फार्म हाउस में घूमता हूं, देखता हूं कि कोई चिड़िया अस्वस्थ तो नहीं है। इस काम के लिए दो कर्मचारी तैनात हैं, जो चिड़ियों को भोजन पानी की व्यवस्था करते हैं और उनकी पहरेदारी भी करते हैं।Bird Lover
पंकज बाथम ने बताया कि उन्हें ऑनलाइन माध्यम से विदेशी नस्ल के पक्षी मिलते हैं। ये पक्षी विदेशों से प्रवास के लिए केरल आते हैं और फिर इन्हें ट्रेन से लखनऊ पहुंचाया जाता हैं, जहां से वह इन पक्षियों को लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि एक विदेशी नस्ल के पक्षी की कीमत लगभग 25,000 रुपये है।Nepal Plane Crash : नेपाल में बड़ा विमान हादसा, पोखरा के पास पहाड़ी से टकराकर यात्री विमान क्रैश, क्रू मेंबर समेत 72 लोग थे सवार
बाथम के फार्म हाउस में फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में नजर आ चुके मसकली कबूतर मौजूद दिखे, जो मोर की तरह नाचते हैं। इसकी लंबाई छह इंच है। इसके अलावा तीन इंच लंबा ऑस्ट्रेलियाई तोता भी यहां मौजूद है। बाथम ने बताया कि उनके इस आशियाने में रोजाना सुबह करीब नौ बजे सैकड़ों पक्षी आते हैं, जिन्हें वह दाना डालते हैं। उन्होंने दावा किया कि खेत के कुछ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पक्षियों का कोई शिकार नहीं होता है। पंकज ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कई पक्षियों को इन्हें बेचने वालों से मुक्त कराया है। स्वामी सुखदेवानंद कॉलेज में जंतु विज्ञान के आचार्य डॉ. रमेश चंद्र ने बताया कि विदेशी नस्ल के पक्षियों का व्यवहार अलग होता है। वे जिस तरह की जलवायु होती है, उसी वातावरण में खुद को ढाल लेते हैं। एक निजी कॉलेज की प्राचार्य शैल सक्सेना ने कहा कि हमारे कॉलेज के करीब 100 छात्र अपने शिक्षकों के साथ विदेशी नस्ल के पक्षियों को देखने के लिए बाथम के फार्म हाउस गए थे। पक्षियों के बारे में उन्हें जो जानकारी मिली, वह उत्साहजनक थी। पशु-पक्षियों पर काम करने वाली संस्था (पृथ्वी) के धीरज रस्तोगी ने बताया कि 1993 तक साइबेरियाई पक्षी शाहजहांपुर के बहादुरपुर इलाके में पड़ाव डालते थे। हालांकि, वहां निर्माण होने से ऐसे पक्षियों का आना बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि जिले में तालाबों और झीलों के सूखने के कारण भी साइबेरियाई पक्षी जिले में नहीं आ रहे हैं।अगली खबर पढ़ें
Bird Lover
शाहजहांपुर शहर के निवासी पंकज बाथम ने बताया कि जब हम छोटे थे, तब हमारी दादी सुमति देवी बाथम चिड़ियों को पालती थीं, उनसे बातें करती थीं। दादी के निधन के बाद अब उनके इस शौक को मैंने आगे बढ़ाया। मोहम्मदपुर में अपने चार एकड़ के फार्म हाउस में 28 प्रजाति की विदेशी तथा अन्य सैकड़ों देसी चिड़ियों का संसार बसा रखा है।Old car scrap : 2000 करोड़ के ख़र्च से कारों का बनेगा कबाड़ा
उन्होंने बताया कि उनके फार्म हाउस पर पक्षियों की कुछ विदेशी नस्लों में लेडी अमरांता (मलेशिया), रिंगनेट (पोलैंड), योकोहामा (वियतनाम), सिल्की (अमेरिका) और व्हाइट कैप (हॉलैंड) शामिल हैं। इसके अलावा कड़कनाथ नस्ल के मुर्गे और मसकली किस्म के कबूतर भी हैं। बाथम ने बताया कि इन पक्षियों के लिए घोंसले बनाए गए हैं, ताकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में हवा मिल सके। समय-समय पर पक्षियों को विटामिन और एंटीबायोटिक पाउडर दिया जाता है, ताकि वे स्वस्थ रहें। उन्होंने बताया कि मैं भोजन करने से पहले खुद अपने फार्म हाउस में घूमता हूं, देखता हूं कि कोई चिड़िया अस्वस्थ तो नहीं है। इस काम के लिए दो कर्मचारी तैनात हैं, जो चिड़ियों को भोजन पानी की व्यवस्था करते हैं और उनकी पहरेदारी भी करते हैं।Bird Lover
पंकज बाथम ने बताया कि उन्हें ऑनलाइन माध्यम से विदेशी नस्ल के पक्षी मिलते हैं। ये पक्षी विदेशों से प्रवास के लिए केरल आते हैं और फिर इन्हें ट्रेन से लखनऊ पहुंचाया जाता हैं, जहां से वह इन पक्षियों को लेकर आते हैं। उन्होंने कहा कि एक विदेशी नस्ल के पक्षी की कीमत लगभग 25,000 रुपये है।Nepal Plane Crash : नेपाल में बड़ा विमान हादसा, पोखरा के पास पहाड़ी से टकराकर यात्री विमान क्रैश, क्रू मेंबर समेत 72 लोग थे सवार
बाथम के फार्म हाउस में फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में नजर आ चुके मसकली कबूतर मौजूद दिखे, जो मोर की तरह नाचते हैं। इसकी लंबाई छह इंच है। इसके अलावा तीन इंच लंबा ऑस्ट्रेलियाई तोता भी यहां मौजूद है। बाथम ने बताया कि उनके इस आशियाने में रोजाना सुबह करीब नौ बजे सैकड़ों पक्षी आते हैं, जिन्हें वह दाना डालते हैं। उन्होंने दावा किया कि खेत के कुछ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पक्षियों का कोई शिकार नहीं होता है। पंकज ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कई पक्षियों को इन्हें बेचने वालों से मुक्त कराया है। स्वामी सुखदेवानंद कॉलेज में जंतु विज्ञान के आचार्य डॉ. रमेश चंद्र ने बताया कि विदेशी नस्ल के पक्षियों का व्यवहार अलग होता है। वे जिस तरह की जलवायु होती है, उसी वातावरण में खुद को ढाल लेते हैं। एक निजी कॉलेज की प्राचार्य शैल सक्सेना ने कहा कि हमारे कॉलेज के करीब 100 छात्र अपने शिक्षकों के साथ विदेशी नस्ल के पक्षियों को देखने के लिए बाथम के फार्म हाउस गए थे। पक्षियों के बारे में उन्हें जो जानकारी मिली, वह उत्साहजनक थी। पशु-पक्षियों पर काम करने वाली संस्था (पृथ्वी) के धीरज रस्तोगी ने बताया कि 1993 तक साइबेरियाई पक्षी शाहजहांपुर के बहादुरपुर इलाके में पड़ाव डालते थे। हालांकि, वहां निर्माण होने से ऐसे पक्षियों का आना बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि जिले में तालाबों और झीलों के सूखने के कारण भी साइबेरियाई पक्षी जिले में नहीं आ रहे हैं।संबंधित खबरें
अगली खबर पढ़ें







