Mira Road Murder: मीरा रोड मर्डर केस में 'पोर्न साइट' का नया एंगल, झगड़े का था ये सबसे बड़ा कारण!

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Mira Road Murder
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:22 AM
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Mira Road Murder: मुंबई के मीरा रोड मर्डर केस में कई खुलासे हो रहे हैं। मीरा-भाईंदर की रहने वाली 32 वर्षीय सरस्वती वैद्य को उसके लिव-इन-पार्टनर मनोज साने ने मारा और फिर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। अब कहा जा रहा है कि मनोज साने और सरस्वती वैद्य के बीच अक्सर झगड़े हुआ करते थे क्योंकि वह उसे "खुश और संतुष्ट" नहीं रख पा रहा था।

Mira Road Murder

रिपोर्ट के मुताबिक 56 वर्षीय मनोज साने कथित तौर पर अक्सर पोर्न साइटों पर जाता था। लेकिन उसको उन पोर्न साइटों के नाम याद नहीं रहते थे इसलिए उसने एक कागज पर सात-आठ पोर्न साइटों के नाम नोट कर लिए थे।

रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि पोर्न साइट पर किसी अन्य महिला को देखने की वजह से सरस्वती वैद्य गुस्सा करती थी। सरस्वती वैद्य और मनोज साने में इन बातों को लेकर अक्सर झगड़े होते थे। मनोज साने ने भी दावा किया है कि पोर्न साइट देखने को लेकर सरस्वती बहुत झगड़ा करती थी।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक मनोज साने की ब्राउजिंग हिस्ट्री में भी इन पोर्न साइटों के लिंक मिले हैं। पुलिस ने वह कागज भी जब्त कर लिया है जिसमें मनोज साने ने पोर्न साइट्स के नाम और लिंक लिककर रखे थें।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि आरोपी मनोज साने ने माना है कि सरस्वती वैद्य उसके साथ खुश नहीं थी क्योंकि वह उसे खुश और संतुष्ट नहीं रख पाता था।

बॉडी कम्पोज कैसे करें...? इंटरनेट पर किया था सर्च

पुलिस ने यह भी बताया है कि सरस्वती वैद्य की हत्या के बाद मनोज साने ने इंटरनेट पर सर्च किया था कि बॉडी को कैसे कम्पोज किया जाए। मनोज साने कि ब्राउजिंग हिस्ट्री से पुलिस को पता लगा है कि हत्या वाले दिन 4 जून को उसने बॉडी कम्पोज कैसे करें...? इंटरनेट पर सर्च किया था। उसने यह भी सर्च किया था कि शव को सड़ने से कैसे रोका जाए? शव से गंध ना आए, इसको कैसे रोका जाए...?

पुलिस ने पहले खुलासा किया था कि मनोज साने ने एक पेड़ काटने वाली आरी से बॉडी को काटा था। और शरीर के अंगों से स्मेल ना आए...इसके लिए उसे उबाला था।

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Unique Wedding : शाकाहारी दुल्हन तलाशने के लिए दूल्हे ने किया ये अजीब काम

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Unique Wedding
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 09:14 AM
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Unique Wedding / मध्य प्रदेश के इंदौर से एक अनूठी शादी (Unique wedding) प्रकाश में आई है। अनूठी इसलिए कि एक शाकाहारी दुल्हन तलाशने के लिए एक युवक ने कई साल गुजार दिए और जब मिली तो दुल्हन को लाने के लिए न तो कार की और न ही कोई दूसरा लग्जरी वाहन। दूल्हा बेहद ही सादे तरीके से एक ऐसे वाहन पर अपनी दुल्हन को बैठाकर अपने घर लाया, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।

Unique Wedding

आपको बता दें कि हाल ही में मध्य प्रदेश के इंदौर में हुई एक शादी बेहद ही चर्चा का विषय बनी हुई है। यह शादी 9 जून को देखने मिली। इंदौर के खंडवा रोड स्थित साईं बाग कालोनी निवासी अमोल वाधवानी साइकिल से 3 किमी. दूर खातीवाला टैंक क्षेत्र में डिम्पल भाटिया के घर अपनी बारात लेकर पहुंचे थे।

रेडिमेट गारमेंट्स बिजनेसमैन है दूल्हा, दुल्हन एमबीए पास

पेशे से रेडिमेड गारमेंट्स बिजनेसमैन अमोल की दुल्हन डिम्पल भाटिया MBA पास हैं। साइकिल के जरिये बारात ले जाने का आइडिया अमोल और डिम्पल दोनों का था। ऐसा शाकाहार को प्रमोट करने, स्वच्छता और हरियाली का संदेश देने के मकसद से किया गया।

15 दिन तक दुल्हन को कचरा निकालते देखा

अमोल बेहतर साइकिलिस्ट हैं। वे रोज सुबह साइकिलिंग करते हैं। अमोल की डिम्पल से मुलाकात भी अजीब ढंग से हुई। वे साइकिलिंग करते हुए डिम्पल की कालोनी जाते थे। यहां उन्होंने डोर टू डोर कचरा उठाने वाली गाड़ी के लोगों से पहचान की। अमोल ने 15 दिन डिम्पल के घर से कचरा निकलते देखा। वे यह देखना चाहते थे कि डिम्पल शाकाहारी है या मांसाहारी।

[caption id="attachment_94516" align="alignnone" width="700"]Unique Wedding Unique Wedding[/caption]

कपल की शादी में 80 से अधिक बाराती शामिल हुए। वे साइकिल के आगे-पीछे नाचते-गाते जा रहे थे। अमोल ऐसी लड़की से ही शादी करना चाहते थे, जो शुद्ध शाकाहारी हो। इसके बाद दोनों के बीच दोस्ती हुई।

साइकिल पर सवार होकर आए थे बाराती

इस बारात में ज्यादातर साइकिलिस्ट थे। इनमें अमोल के कई दोस्त दूसरे शहरों से आए थे। इंदौर की इस अनूठी शादी में 'द पेडल एंथूसियास्ट क्लब' के कुछ साइकिलिस्ट गुड़गांव, मुंबई और बेंगलुरु से वर्चुअली बारात में शामिल हुए।

इस अनूठी बारात के जरिये अमोल-डिम्पल ने एनवायरनमेंट और एनिमल्स के प्रति दया भाव रखने का संदेश दिया। अमोल ने इससे पहले वेलेंटाइन-डे पर इंदौर में 117 किमी साइकिलिंग की थी। Unique Wedding

World Eye Donation Day 2023: दूसरों की अंधेरी जिंदगी में उजाला करने का सही अवसर

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World Eye Donation Day 2023: दूसरों की अंधेरी जिंदगी में उजाला करने का सही अवसर

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World Eye Donation Day
locationभारत
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calendar10 Jun 2023 06:34 PM
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World Eye Donation Day 2023 : कहते हैं कि किसी की जिंदगी में उजाला करने से बड़ा कोई कार्य नहीं है। किसी व्यक्ति की अंधकार जिंदगी को नई रोशनी प्रदान करना सबसे बड़ा कार्य माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि 'नेत्र दान महादान'। यदि आप भी नेत्रदान करके दूसरों की जिंदगी में उजाला करना चाहते हैं तो इसके लिए आज से बढ़िया कोई दिन हो ही नहीं सकता। दरअसल, आज विश्व नेत्रदान दिवस है। इस दिवस पर लोग नेत्रदान करने का संकल्प ले रहे हैं।

World Eye Donation Day 2023

कब मनाया जाता है नेत्रदान दिवस

प्रत्येक वर्ष 10 जून को विश्व नेत्रदान मनाया जाता है, ताकि दूसरों की अंधेरी दुनिया को रोशन करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा सके। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद नेत्रदान करने वालों का आंकड़े बहुत संतोषजनक नहीं है। जहां तक भारत की बात है तो यहां नेत्रदान एवं कोर्निया प्रत्यारोपण के वर्तमान आंकड़ों पर गौर करें तो जानकर हैरानी होती है कि ऩेत्रदान करने वालों की संख्या एक फीसदी से भी कम है। यही वजह है कि देश में 25 हजार से ज्यादा लोग आज भी अंधेरी दुनिया में जी रहे हैं। देश में प्रत्येक वर्ष 80 से 90 लाख लोगों की मृत्यु होती है, लेकिन नेत्रदान 25 हजार के आसपास ही होता है। यह दिवस विशेष इसीलिए मनाया जाता है कि लोग मृत्यु से पहले अपनी आंखें दान कर अंधरे में जी रहे लोगों के जीवन में उजाला भर सकें।

एक व्यक्ति 4 लोगों को दे सकता है रोशनी

वर्तमान में एक व्यक्ति मृत्यु के पश्चात चार लोगों की अंधेरी जिंदगी में उजाला बिखेर सकता है। पहले दोनों आंखों से दो ही लोगों को कोर्निया मिल पाती थी, लेकिन नई तकनीक आने के बाद से एक आंख से दो कोर्निया प्रत्यारोपित की जा रही है। डी मेक तकनीक से होने वाला यह प्रत्यारोपण देश के हर बड़े आंखों के अस्पताल में शुरु हो चुका है। इसमें खास बात यह है कि व्यक्ति के मरने के बाद उसकी पूरी आंख नहीं बदली जाती। केवल रोशनी वाली काली पुतली ही ली जाती है। व्यक्ति की मृत्यु के छह घंटे तक ही कार्निया प्रयोग में लाई जा सकती है। आई बैंक एसोसियेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में अभी 25 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें कार्निया की जरूरत है। अगर उन्हें समय रहते किसी की कोर्निया मिल जाये तो वह प्रकृति की खूबसूरती को देख सकते हैं।

क्या है नेत्रदान की प्रक्रिया

यह प्रक्रिया अत्यंत सरल है, और महज 15-20 मिनट में ही पूरी हो जाती है। नेत्रदान प्रक्रिया के कारण अंतिम संस्कार में किसी तरह का विलंब नहीं होता है। कोई भी व्यक्ति अपना नेत्र गुप्त रूप से दान कर सकता है, जो उसकी मृत्यु के पश्चात एक मामूली से ऑपरेशन के जरिये आंखों से कोर्निया को निकाल लिया जाता है। इससे मृत व्यक्ति के शरीर में किसी तरह का परिवर्तन नहीं होता। नेत्रदान की बात को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है। नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार आंखे कभी भी वृद्ध नहीं होतीं, इसलिए इसके लिए किसी तरह की उम्र सीमा नहीं होती। एक वृद्ध व्यक्ति भी अपनी इच्छानुसार अपनी आंखें दान कर सकता है। नेत्रदान करके आप की आंखें अजर अमर बन सकती हैं।

आइये संकल्प लें अंधेरी दुनिया में रोशनी बिखेरने की

नेत्र दान जैसे सबसे बड़े दान को बढ़ावा देने के लिए देश के तमाम आई बैंक और सामाजिक संस्थाएं इस दिन विशेष रूप से देश भर में जागरुकता कार्यक्रम चलाये जाते हैं। एक मृत व्यक्ति के नेत्र को एक नेत्रहीन को देकर उसके अंधेरे जीवन में उजाला किया जा सकता है। आइये संकल्प लें कि हम जीते जी अपना आंख दान कर अंधेरी दुनिया को रोशनी दें। आप अपने निकटतम अस्पताल से संपर्क कर नेत्रदान के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। किसी की दुनियां में उजाला फैलाने के लिए एक कदम आगे बढ़ाइए।

यह संस्था लोगों को कर रही देहदान के प्रति जागरुक

दिल्ली, गाजियाबाद और एनसीआर क्षेत्र में लोगों को नेत्रदान समेत देह दान के प्रति एक संस्था लोगों को जागरुक करने का काम कर रही है। 'दधीचि देह दान समिति' नामक इस संस्था की स्थापना 1997 में हुई थी। विहिप के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के देहावसान के उपरांत आलोक जी इस संस्था के संरक्षक हैं। इस संस्था द्वारा सैकड़ों लोगों द्वारा किए गए नेत्रदान के उपरांत आंखों का केवल कोर्निया निकाल कर जरुरतमंद लोगों की आंखों में प्रत्यारोपित किए जाने का काम किया है। नेत्रदान करने वाले व्यक्ति इस संस्था की वेबसाइट पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। World Eye Donation Day 2023

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