जब क्रूरता की सारी हदें पार कर दी थी अतीक व उसके गुर्गों ने, आज आएगा फ़ैसला

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Atiq Ahmed Update 
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Mar 2023 04:39 PM
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Atiq Ahmed Update :  प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड में आरोपित माफिया डॉन अतीक अहमद को आज एमपी एमएलए कोर्ट में पेश किया जाएगा। यह 17 साल पुराना मामला है। 17 साल पहले माफिया अतीक के गुर्गों ने क्रूरता की तमाम हदों को पार कर दिया था और उमेश पाल को जबरदस्त तरीके से प्रताड़ित किया था। उमेश पाल, बसपा के पूर्व सांसद राजूपाल हत्याकांड के एकमात्र गवाह थे। उस समय दिवंगत उमेश ने आरोप लगाया था कि माफिया डॉन अतीक अहमद ने उसका अपहरण कराया और उसके साथ न केवल मारपीट की, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी। आखिर क्या हुआ था उमेश के अपहरण के दिन चलिए जानते हैं....

Atiq Ahmed Update

क्या है पूरा मामला ?

उमेश पाल अपहरण केस 17 साल पुराना है। एक महीने पहले उमेश पाल की हत्या भी हो चुकी हैं, जिसके बाद आज इस मामले पर फैसला आना है। ये मामला बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड से जुड़ा है। 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद और अशरफ ने उमेश पाल का अपहरण कराया था। उमेश पाल को मारपीट करने के बाद परिवार समेत जान से मारने की धमकी देते हुए कोर्ट में जबरन हलफनामा दाखिल कराया गया।

2007 में जब मायावती की सरकार बनी तब उमेश पाल ने 5 जुलाई 2007 को अतीक और अशरफ समेत 5 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस की जांच में 6 अन्य लोगों के नाम सामने आए। कोर्ट में अतीक और अशरफ समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। 2009 से मुकदमे का ट्रायल शुरू हुआ। अभियोजन यानी सरकारी पक्ष से कुल 8 गवाह पेश किए गए। 11 आरोपियों में से अंसार बाबा नाम के आरोपी की मौत हो चुकी है। अतीक और अशरफ समेत कुल 10 आरोपियों के खिलाफ अब मंगलवार को कोर्ट का फैसला आ सकता है।

बोटी-बोटी काटकर कुत्तों को खिला दूंगा

उस समय उमेश ने पुलिस को बताया था कि आरोपियों ने उमेश को धमकी दी थी कि राजू पाल हत्याकांड में बयान बदल लो, वरना परिवार समेत जान से मार दिए जाओगे। अतीक ने अपने वकील खान हनीफ से लेकर एक पर्चा लेकर उमेश को थमा दिया और कहा कि इसको पढ़कर रट लो। कल अदालत में यही बयान देना है। वरना तुम्हारी बोटी-बोटी काटकर कुत्तों को खिला दूंगा।

उमेश के परिवार को भी दी धमकी

उमेश ने आगे बताया था कि सांसद ने उसी रात अपने गुर्गों को उमेश के घर भेजा और उमेश के परिवार को धमकाया कि तुम लोग पुलिस को टेलीफोन न करना, वरना उमेश की हत्या कर दी जाएगी। उमेश को रातभर कमरे में बंद करके प्रताड़ित किया गया गया। सुबह अतीक और उसके साथी उमेश को गाड़ी में बैठाकर ले गए। आरोपियों ने कहा कि कल रात जो पर्चा में लिखकर दिया था, उसे कोर्ट में जाकर पढ़ देना। नहीं तो घर लौटकर नहीं जा पाओगे। उमेश उस समय डर गया और परिवार की सलामती के लिए वही कहा, जो अतीक ने पर्चे में लिखकर दिया था।

उमेश पाल द्वारा दिया गया शिकायती पत्र

उमेश ने शिकायती पत्र में आगे लिखा था- इससे पहले मैंने हाई कोर्ट में अपनी सुरक्षा के लिए एक रिट दायर की थी। सुरक्षा समिति ने भी मेरी जान को खतरा बताया। लेकिन मुझे 100 प्रतिशत भुगतान पर गार्ड देने की बात कही गई। मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मैं पैसों का भुगतान कर सकूं। मेरी मजबूरी का सांसद अतीक अहमद ने फायदा उठाया और मुझे अदालत में झूठा बयान देने के लिए मजबूर किया। मुझे यह भी पता चला कि अतीक ने अन्य लोगों से भी अदालत में झूठे बयान करवाए हैं। प्रार्थना है कि मेरे साथ हुई घटना की रिपोर्ट दर्ज कर अदालत में दिए गए बयान को असत्य समझा जाए। मेरी और मेरे परिवार की जान माल की हिफाजत की जाए।

Up Politics : सारस पर तेज हुई सियासत , सपा विधायक पहुंचे कानपुर जू

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Up Politics : सारस पर तेज हुई सियासत , सपा विधायक पहुंचे कानपुर जू

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Up Politics: Politics intensified on stork, SP MLA reached Kanpur Zoo
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Mar 2023 04:27 PM
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Up Politics :  कानपुर। आरिफ से लेकर यूपी के कानपुर जू शिफ्ट किए गए राजकीय पक्षी सारस को लेकर राजनीति तेज हो गई है। इसी क्रम में कानपुर की आर्यनगर के सपा विधायक अमिताभ बाजपेई कानपुर चिड़ियाघर पहुंच गए। विधायक ने कहा कि अखिलेश यादव से मिलने के जुर्म में सारस पक्षी को गिरफ्तार कर चिड़ियाघर में रखा गया है। आरिफ ने घायल पक्षी का पूरा इलाज कराया। उसका ध्यान रखा। उसकी सराहना करने की बजाय आरिफ को परेशान किया जा रहा है।

Up Politics :

राजनीति में पक्षियों का क्या जुर्म विधायक ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि अभी तक इस सरकार में नेताओं और कार्यकर्ताओं को कैद किया जा रहा था। अब पक्षियों को भी कैद किया जा रहा है। ये सही नहीं है। सारस को इसलिए कैद किया गया क्योंकि सरकार को लगा कि उसने भी कोई धर्म विशेष अपना लिया है। सरकार को ऐसी मंशाओं से दूर रहना चाहिए। विधायक को सारस से नहीं मिलने दिया सपा विधायक ने डायरेक्टर से सारस पक्षी से मिलने के लिए कहा, लेकिन क्वारंटीन होने के चलते विधायक को पक्षी से मिलने से रोक दिया गया विधायक ने कानपुर जू के डायरेक्टर केके सिंह से मुलाकात कर सारस के लिए खाने-पीने का सामान सौंपा। सारस पर डॉक्टर रख रहे हैं निगरानी विधायक ने डायरेक्टर को आरिफ और सारस वाली फोटो भी सौंपी और कहा कि इसे जू के अंदर बने पिंजड़े में फोटो लगाने को कहा। डायरेक्टर ने बताया कि सारस पक्षी को लगातार पशु चिकित्साधिकारियों की निगरानी में रखा जा रहा है। सारस ने कुछ-कुछ खाना शुरू किया है। शनिवार को कानपुर आया था सारस सारस पक्षी को शनिवार को कानपुर जू लाया गया था। यहां जब से उसे रखा गया है, वो बेहद उदास दिख रहा है। ठीक से खाना भी नहीं खा रहा है। जू में उसे 15 दिन के लिए क्वारंटीन किया गया है। [caption id="attachment_77643" align="aligncenter" width="455"]Up Politics: Politics intensified on stork, SP MLA reached Kanpur Zoo Up Politics: Politics intensified on stork, SP MLA reached Kanpur Zoo[/caption] बता दें कि सारस को अमेठी से पकड़कर रायबरेली के पक्षी विहार में रखा गया था। यहां से वह उड़ गया था और 12 किमी. दूर मिला था। इसके बाद उसे उन्नाव के पक्षी विहार में लाया गया था, जहां से उसे शनिवार को कानपुर जू में शिफ्ट कर दिया गया। [caption id="attachment_77642" align="aligncenter" width="720"]Up Politics: Politics intensified on stork, SP MLA reached Kanpur Zoo Up Politics: Politics intensified on stork, SP MLA reached Kanpur Zoo[/caption]
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Nagar Nikay Chunav : यूपी सरकार नगरीय निकाय चुनाव कराने को प्रतिबद्ध : योगी आदित्यनाथ

Yogi 2
UP government committed to conduct urban body elections: Yogi Adityanath
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:30 AM
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लखनऊ। यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने ओबीसी आरक्षण के साथ नगरीय निकाय चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करने से यह बात साफ हो गई है कि सरकार ओबीसी की हमदर्द है।

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चुनाव के लिए सरकार प्रतिबद्ध

मुख्‍यमंत्री योगी ने ट्वीट कर कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ओबीसी आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर ओबीसी आरक्षण के साथ नगरीय निकाय चुनाव कराने का आदेश स्वागत योग्य है। इसी ट्वीट में उन्होंने कहा कि विधि सम्मत तरीके से आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार समयबद्ध ढंग से नगरीय निकाय चुनाव कराने हेतु प्रतिबद्ध है। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी कोटे के साथ दो दिन के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी।

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आयोग ने 09 मार्च को सौंपी थी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने नौ मार्च को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी थी। पांच सदस्यीय आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने की। आयोग के अन्य चार सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शदाता संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं। इस आयोग का गठन पिछले साल के आखिर में ऐसे समय में किया गया था, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना के मसौदे को खारिज कर दिया था। ओबीसी को बगैर आरक्षण दिए स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का आदेश आने के बाद कहा था कि ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर शहरी स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होंगे और राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए एक आयोग गठित करेगी। यह मामला उच्चतम न्यायालय में था।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर शीर्ष अदालत ने लगाई थी रोक

उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि इस अदालत ने चार जनवरी, 2023 के एक आदेश में उल्लेख किया कि इस अदालत के फैसलों के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना के लिए दिसंबर 2022 में एक अधिसूचना जारी की। हालांकि, आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, लेकिन इसे 31 मार्च, 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था। पीठ ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया कि रिपोर्ट 9 मार्च, 2023 को मंत्रिमंडल को सौंप दी गई है। स्थानीय निकाय चुनावों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया चल रही है। यह दो दिन में की जाएगी। याचिका का निस्तारण किया जाता है। इस आदेश से संबंधित निर्देश मिसाल के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए नहीं है। शीर्ष अदालत ने चार जनवरी को, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए बिना किसी आरक्षण के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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अधिसूचना में किया गया था आरक्षित सीटों का खुलासा

इससे पहले, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के 27 दिसंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। अपील में कहा गया था कि उच्च न्यायालय पिछले साल पांच दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूचना को रद्द नहीं कर सकता, जिसके तहत शहरी निकाय चुनावों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिलाओं के अलावा ओबीसी के लिए सीट आरक्षण प्रदान किया गया था। अधिसूचना के मसौदे के मुताबिक, महापौर पद की चार सीट-अलीगढ़, मथुरा-वृंदावन, मेरठ और प्रयागराज- ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं। इनमें अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन में महापौर के पद ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षित थे। इसके अलावा, 200 नगर पालिका परिषदों में अध्यक्षों के लिए 54 सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थीं, जिनमें 18 महिलाओं के लिए थीं। 545 नगर पंचायतों में अध्यक्षों की सीट में से 147 ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं, जिनमें 49 महिलाओं के लिए थीं। उत्तर प्रदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।