बादशाह होते हुए भी कब्र का ठिकाना नहीं, बादशाही के बावजूद आखिर क्यों जिल्लत भरी मौत?

Bahadur Shah Zafar: तकरीबन तीन सौ बागी सिपाही 11 मई 1857 को लाल किले में दाखिल हो चुके थे। उनमें…