नि:संकोच : ‘राम’ कहाने के लिए ‘रामराज्य’ का शोर! विनय संकोची ‘राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंत काल पछतायेगा, जब प्राण जाएंगे छूट।’ यह दोहा… # Featured # Literature