Home Remedies : बेशकीमती है जिगर, इसे संभाल कर रखें !

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Home Remedies: Liver is precious, keep it safe!
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calendar30 Nov 2025 10:47 AM
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Home Remedies : यूं तो शरीर का हर अंग जरूरी होता है। लेकिन जिस्म में दिल व जिगर (लीवर) का सर्वाधिक महत्व होता है। इनमें से किसी भी अंग में परेशानी हो तो जीवन संकट में पड़ जाता है। यदि आपको स्वस्थ्य रहना है तो जिगर को संभाल कर रखें। अपने जिगर की देखरेख कैसे करें तथा उससे संबंधित आयुर्वेद में क्या रामबाण उपाय हैं। आज हम आपको प्रसिद्ध चिकित्सक डा. अजीत मेहता के बताये देशी नुस्खे बता रहे हैं जिसका उपयोग करें तो जीवन निरोग रहेगा।

Home Remedies :

  एक कागजी नींबू (अच्छा पका हुआ) लेकर उसके दो टुकड़े कर लें। फिर बीज निकालकर आधे नींबू के बिना काटे चार भाग करें पर टुकड़े अलग-अलग न हों। तत्पश्चात एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक (अथवा सैंधा नमक), तीसरे में सौंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण (या शक्कर या चीनी) भर दें। रात को प्लेट में रखकर ढंक दें। प्रात: भोजन करने से एक घंटे पहले इस नींबू की फाँक को मन्दी आंच या तवे पर गर्म करके चूस लें। विशेष : आवश्यकतानुसार सात दिन से इक्कीस दिन लेने से लीवर सही होगा। इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ पेट दर्द और मुँह का जायका ठीक होगा। भूख बढ़ेगी। सिरदर्द और पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होगी। यकृत के कठोर और छोटा होने के रोग (Cirrhosis of liver) में अचूक है। पुराना मलेरिया, ज्वर, कुनैन या पारा के दुर्व्यवहार, अधिक मद्यपान, अधिक मिठाई खाना, अमेबिक पेचिश के रोगाणु का यकृत में प्रवेश आदि कारणों से यकृत रोगों की उत्पत्ति होती है। बुखार ठीक हो जाने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रहती है और यकृत कठोर एवं पहले से बड़ा हो जाता है। रोग के घातक रूप लेने पर यकृत का संकोचन (Cirrhosis of liver) होता है। यकृत रोगों में आँखें व चेहरा रक्तहीन, जीभ सफेद, रक्ताल्पता, नीली नसें, कमजोरी, कब्ज, गैस और बिगड़ा स्वाद, दाहिने कंधे के पीछे दर्द, शौच आँवयुक्त कीचड़ जैसा होना, आदि लक्षण प्रतीत होते हैं। सहायक उपचार : दो सप्ताह तक चीनी अथवा मीठा का इस्तेमाल न करें। चीनी के बजाय दूध में चार-पाँच मुनक्का डाल कर मीठा कर लें। रोटी भी कम खायें। अच्छा तो यह है कि जब उपचार चलता रहे रोटी बिल्कुल न खाकर सब्जियाँ और फल से ही गुजारा कर लें। सब्जी में मसाला न डालें। टमाटर, पालक, गाजर, बथुआ, करेला, लौकी आदि शाक-सब्जियाँ और पपीता, आँवला, जामुन, सेव, आलूबुखारा, लीची आदि फल तथा छाछ आदि का अधिक प्रयोग करें। घी और तली वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें। पन्द्रह दिन में जिगर ठीक हो जाएगा। जिगर का संकोचन में दिन में दो बार प्याज खाते रहने से भी लाभ होता है। जिगर रोगों में छाछ (हींग का बगार देकर, जीरा काली मिर्च और नमक मिलाकर) दोपहर के भोजन के बाद सेवन करना बहुत लाभप्रद है। विकल्प : आँवलों का रस 25 ग्राम या सूखे आँवलों का चूर्ण चार ग्राम पानी के साथ, दिन में तीन बार सेवन करने से 15-20 दिन में यकृत के सारे दोष दूर हो जाते हैं। एक सौ ग्राम पानी में आधा नींबू निचोडक़र नमक (चीनी की बजाय) डालें और इसे दिन में तीन बार पीने से जिगर की खराबी ठीक होगी। सात से इक्कीस दिन लें। जामुन के मौसम में 200-300 ग्राम बढिय़ा और पके हुए जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर हो जाती है। तिल्ली अथवा जिगर (यकृत) व तिल्ली (प्लीहा) दोनों के बढऩे पर पुराना गुड़ डेढ़ ग्राम और बड़ी (पीली) हरड़ के छिलके का चूर्ण बराबर वजन मिलाकर एक गोली बनायें और ऐसी गोली दिन में दो बार प्रात: सायं हल्के गर्म पानी के साथ एक महीने तक लें। इससे यकृत (Liver) और प्लीहा (Spleen) यदि दोनों ही बढ़े हुए हों, तो भी ठीक हो जाते हैं। विशेष : इसके तीन दिन के प्रयोग से अम्लपित्त का भी नाश होता है। तिल्ली की खराबी अजवायन का चूर्ण दो ग्राम, सैंधा नमक आधा ग्राम मिलाकर (अथवा अजवायन का चूर्ण अकेला ही) दोनों समय भोजन के पश्चात् गर्म पानी के साथ लेने से प्लीहा की विकृति दूर होती है। इससे उदर-शूल बन्द होता है। पाचन क्रिया ठीक होती है। कृमिजन्य सभी विकार तथा अजीर्णादि रोग दो-तीन दिन में ही दूर हो जाते हैं। पतले दस्त होते हैं। तो वे भी बन्द जाते हैं। जुकाम में भी लाभ होता है।

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Home Remedies for Diabetes : मधुमेह से परेशान हों तो ये नुस्खा भी आजमाएं

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Home Remedies for Diabetes: If you are troubled by diabetes then try this recipe too
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calendar29 Nov 2025 12:57 PM
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Home Remedies for Diabetes :  आज-कल मधुमेह यानी डायबिटीज बीमारी महामारी का रूप लेती जा रही है।  हर 10 में से 5 लोगों में यह बीमारी मिलना तय है। यहां तक कि छोटे बच्चों में भी यह बीमारी देखने को ािमल रही है। इस बीमारी को स्लो प्वायजन यानी यदि मीठा जहर कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। डाक्टर के चक्कर लगाकर लोग परेशान हैं। लेकिन यह बीमारी पीछा नहीं छोड़ती है। इस बीमारी में एलोपैथी से ज्यादा देशी दवाएं ज्यादा कारगर साबित हो रही हैं।

Home Remedies for Diabetes :

आज हम आपको बताएंगे कि देशी तरीके से इस भयंकर बीमारी को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह उपाय हमें बताये हैं प्रसिद्ध चिकित्सक डा. अजय मेहता ने। मैथीदाना छ: ग्राम लेकर थोड़ा कूट लें और सायं 250 ग्राम पानी में भिगो दें। प्रात: इसे खूब घोंटे और कपड़े से छानकर, बिना मीठा मिलाए, पी लिया करें। दो मास सेवन करने से मधुमेह से छुटकारा मिल जाता है। अन्य विधि : दो चम्मच मैथीदाना और एक चम्मच सौंफ मिलाकर कांच के गिलास में 200 ग्राम पानी में रात को भिगो दें। सुबह कपड़े से छानकर पी लें। जिन रोगियों को मैथी गर्मी करती हो ऐसे गर्म प्रकृति वाले मधुमेह तथा अल्सरेटिव कोलाइटिस के रोगियों के लिए यह सौंफ के साथ मैथी वाला प्रयोग अधिक कारगर सिद्ध हुआ है। विकल्प : जामुन के पत्तों का रस- जामुन के चार हरे और नर्म पत्ते खूब बारीक कर साठ ग्राम पानी में रगड़ छानकर प्रात: दस दिन तक लगातार पीएँ। तत्पश्चात् इसे हर दो महीने बाद दस दिन लें। जामुन के पत्तों का यह रस मूत्र में शक्कर जाने की शिकायत में उत्तम है। जामुन के पत्ते : रोग की प्रारम्भिक अवस्था में जामुन के पत्ते चार-चार प्रात: तथा सायं चबाकर खाने मात्र से तीसरे ही दिन मधुमेह में लाभ होगा। जामुन के फल : अच्छे पके जामुन के फलों को 60 ग्राम लेकर 300 ग्राम उबलते हुए पानी में डालकर ढक दें। आधा घंटे बाद मसलकर छान लें। इसके तीन भाग करके एक-एक मात्रा दिन में तीन बार पीने से मधुमेह के रोगी के मूत्र में शर्करा बहुत कम हो जाती है। नियमपूर्वक जामुन के फलों के मौसम में कुछ समय तक इसे सेवन करने से रोगी बिल्कुल ठीक हो जाता है। जामुन के फलों की गुठलियों की गिरियाँ : इन गिरियों को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन प्रात: व सायं तीन ग्राम ताजा पानी के साथ लेते रहने से मधुमेह दूर होता है और मूत्र घटता है। प्रात: कम-से-कम इक्कीस दिन तक लें। विशेष : दही, फल, हरी शाक-सब्जियाँ, चौलाई, बथुआ, धनिया, पुदीना, पत्ता गोभी, खीरा, ककड़ी, लौकी, बेलपत्र, नारियल, जामुन, करेला, मूली, टमाटर, नींबू, गाजर, प्याज, अदरक, छाछ, भीगे बादाम आदि लेना अधिक उपयोगी है। करेला कड़वा भले ही है, मधुमेह में अमृत है। करेला के सेवन से खून में ग्लुकोज काफी घट जाता है। तले हुए करेले या करेले का सागं खाने वाले रोगियों में भी ग्लुकोज सहनशीलता काफी मात्रा में पाई गई है। मीठे का प्रयोग बिल्कुल बन्द कर दें। चावल, स्टार्च, मीठे फल और तम्बाकू आदि से परहेज करें। ज्यादा दिमागी काम और बदहजमी से बचें। दिन में न सोएँ। पानी एक साथ न पीकर घूंट-घूंट पीएँ। सहायक उपचार : जौ का आटा (पाँच भाग) और चने का आटा (एक भाग) मिलाकर रोटी बनाकर चौगुनी सब्जियों के संग खाएँ । यदि केवल चने की रोटी ही आठ-दस दिन खाएँ तो पेशाब में शक्कर जाना बन्द हो जाता है। जौ को भूनकर आटे की तरह पीसकर रोटी बनाकर खाना बहुत लाभप्रद है।  शक्ति के अनुसार मधुमेह का रोगी सुबह-शाम लम्बी दौड़ लगाए तो बिना औषधि के पेशाब में शक्कर आना रुक जाएगी। दौड़ न सकें तो खूब टहलें। सर्वांग तेल मालिश भी लाभप्रद है। केवल दही, फल और साग-सब्जियाँ खाकर दो-तीन सप्ताह रहने से मूत्र में से चीनी गायब हो जाती है। मिठाइयाँ खाने पर फिर चीनी निकलना शुरू हो सकती है। इसलिए रोटी या चावल के साथ चौगुनी तरकारियाँ खानी चाहिए। मधुमेह यदि 40 वर्ष के पश्चात् हुआ हो तो योगासनों विशेषकर अर्द्धमत्स्यासन, मयूरासन, धनुरासन, भुजंगासन, पद्मासन, गर्भासन का रोजाना नियमित अभ्यास करने से कुछ दिनों में शक्कर की बीमारी ठीक हो जाती है। केवल अग्निसार धौति, भस्त्रिका, उड्डयनबंध के साथ पश्चिमोत्तानासन और फेफड़ों को शक्ति पहुँचाने वाले प्राणायाम के अभ्यास से स्थायी लाभ हो सकता है।

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Health Update : हार्ट अटैक से अधिक खतरनाक है कार्डियक अरेस्ट, बच्चों में बढ़ रहा है इसका जोखिम

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Noida News:
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calendar30 Nov 2025 11:36 PM
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Health Update :   सैय्यद अबू साद Health Update : हाल के दिनों में युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के कई मामले सामने आए तो लोग हैरान रह गए लेकिन अब स्कूली बच्चों में भी कार्डियक अरेस्ट के मामले आ रहे हैं। पिछले दिनों नोएडा के एक स्कूल में 8वीं क्लास का छात्र खेलते हुए अचानक बेहोश हो गया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि ऐसा कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुआ है। ये कोई पहला मामला नहीं है। पिछले कुछ महीनो में हार्ट अटैक से कई स्कूली बच्चों की जान गई हैं। कार्डियक अरेस्ट, हृदय रोगों से संबंधित गंभीर और जानलेवा स्थिति मानी जाती है जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। आमतौर पर हृदय रोगों और इससे संबंधित जटिलताओं को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों के तौर पर जाना जाता रहा है पर क्या आप जानते हैं कि बच्चे भी इसके शिकार हो सकते हैं?

Health Update :

  एक हालिया रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया कि 5 साल की उम्र के बच्चों में भी कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर समस्या देखी गई है, जो हृदय रोगों को लेकर सभी लोगों को अलर्ट करती है। डॉक्टर्स कहते हैं, अक्सर लोग कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में फर्क नहीं कर पाते हैं जबकि दोनों अलग स्थितियां है। हार्ट अटैक में आपके दिल तक खून का संचार कम हो जाता है लेकिन कार्डिएक अरेस्ट में दिल अचानक काम करना ही बंद कर देता है। इसके वयस्कों और बुजुर्गों में कई कारण देखे गए हैं, पर ये बच्चों को कैसे और क्यों हो रहा है, आइए इस बारे में समझते हैं। बच्चों में कार्डियक अरेस्ट का खतरा हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, हृदय की बीमारियों का सबसे बड़ा कारण मोटापा है। बच्चों की शारीरिक गतिविधि कम होती जा रही है वहीं फास्ट-जंक फूड खाने की आदत ने इस जोखिम को काफी बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी से लगे रहने के कारण भी यह समस्या हो रही है। बच्चों में हृदय रोगों का बढ़ना भविष्य के लिए गंभीर सूचक है। हमें अलर्ट रहने की जरूरत है क्योंकि खराब लाइफस्टाइल वयस्कों के लिए ही नहीं बच्चों के हृदय के लिए भी काफी जोखिमों का कारण हो सकती है। कार्डियक अरेस्ट के लक्षण कार्डियक अरेस्ट के लक्षण पहले दिखाई नहीं देते हैं। कार्डिएक अरेस्ट चूंकि अचानक आता है और हार्ट अटैक की तुलना में इसमें रोगी की जान जाने का खतरा भी अधिक हो सकता है। रोगी के दिल की धड़कन अचानक बहुत तेज हो जाती है और वह सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता है। पल्स और ब्लड प्रेशर रुक जाता है। ऐसे में दिमाग और शरीर के अन्य हिस्सों में खून नहीं पहुंच पाता है, यह सभी चीजें काफी तेजी से हो रही होती हैं। यही कारण है कि कार्डियक अरेस्ट को ज्यादा खतरनाक माना जाता है। बच्चों में क्यों हो रहा कार्डियक अरेस्ट बच्चों में कार्डियक अरेस्ट की मुख्य वजह वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन के कारण इलेक्ट्रिकल हार्ट फंक्शन में होने वाली समस्या है। वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन का मतलब है कि हृदय के वेंट्रिकुलर तेजी से और अनियमित पैटर्न में धड़कने लगते हैं। आमतौर यह हृदय से संबंधित जन्मजात समस्याओं के कारण होता है। बच्चों में कार्डियक अरेस्ट के सामान्य कारण ▪ जन्मजात हृदय की समस्याएं जैसे संरचनात्मक असामान्यताएं या मार्फन सिंड्रोम। ▪ पोस्टऑपरेटिव कार्डियक रिपेयर। ▪ हृदय की मांसपेशियों की संरचना या कामकाज के साथ असामान्यताएं। ▪ लाइफस्टाइल विकार और मोटापे का जोखिम। बच्चों को हृदय विकारों से कैसे बचाएं ▪ बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने, खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। ▪ बच्चों में मोटापे के जोखिमों को कम करने के लिए प्रयास करें। ▪ आहार को स्वस्थ और पौष्टिक रखें। जंक-फास्ट फूड्स से दूरी बनाएं। ▪ सुनिश्चित करें कि बच्चे की नियमित स्वास्थ्य जांच हो। इससे दिल की असामान्यता का पता लगाने में आसानी होती है। ▪ सडेन कार्डियक अरेस्ट को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन कुछ उपायों को प्रयोग में लाकर इसके जोखिम को जरूर कम कर सकते हैं।

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