आज है दुर्गा अष्टमी, यहां जाने पूजा करने की विधि और शुभ मुहूर्त

Ashtami navmi
Shardiya Navratri 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar22 Oct 2023 12:13 PM
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Shardiya Navratri 2023kanya pujan ashtami navmi  अष्टमी और नवमी का समय दुर्गा पूजा के विशेष दिनों को दर्शाता है. इन दो दिनों के दौरान दुर्गा पूजा अनूष्ठानों को विशाल स्तर पर किया जाता है. षोडशोपचार पूजा होती है. देवी की शक्तियों का आह्वान किया जाता है. महाअष्टमी और नवमी के दौरान माता के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. दुर्गा पूजा में अष्टमी और नवमी दौरान छोटी कन्याओं की पूजा करना कुमारी पूजा. कंजक पूजन, कन्या पूजन इत्यादि के रूप में जाना जाता है. दुर्गा पूजा के अंतिम दो दिन इन पूजाओं को किया जाता है. आइये जानें इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी और महानवमी कब और किन शुभ मुहूर्तों में मनाई जाएगी.

शारदीय महाअष्टमी पूजा 2023 मुहूर्त  

शारदीय नवरात्रि का विशेष समय अष्टमी और नवमी का होता है इन दोनों दिनों को दुर्गा पूजा के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है. इस दिनअष्टमी का पूजन समय इस प्रकार रहेगा. इस वर्ष दुर्गा अष्टमी पूजन रविवार 22 अक्टूबर 2023 के दिन किया जाएगा. अष्टमी तिथि का आरंभ 21 अक्टूबर 2023 को रात्रि 21:53 बजे होगा और अष्टमी तिथि की समाप्ति 22 अक्टूबर 2023 को 20:00 बजे पर होगी. महाअष्टमी के दिन दुर्गा पूजन किया जाता है. इस दिन कन्या पूजन भी होता है जिसमें दस -ग्यारह वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को देवी के स्वरुप में पूजा जाता है. Shardiya Navratri 2023 इस समय पर कुछ अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न होंगे जिसमें सन्धि पूजा, सरस्वती बलिदान, सरस्वती विसर्जन, मासिक दुर्गाष्टमी मुख्य हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग नामक शुभ योग प्राप्त होंगे. इसके अलावा इस दिन संधि पूजन भी होगा. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अष्टमी के दिन संधि पूजा का समय शुभ होता है. ब्रह्म मुहूर्त का समय 04:45 से 05:35  प्रातः सन्ध्या का समय 05:10 से 06:26  अभिजित मुहूर्त का समय 11:43 से 12:28  विजय मुहूर्त का समय 01:59 से 02:44  गोधूलि मुहूर्त का समय 05:45 से 06:10  सायाह्न सन्ध्या मुहूर्त का समय 05:45 से 07:01  अमृत काल का समय 12:39 से 02:10  रात्रि निशिता मुहूर्त पूजा समय 23:40 से 24:31   सर्वार्थ सिद्धि योग का समय 06:26 से 06:44  रवि योग का समय 06:44 से 06:27 

शारदीय महानवमी 2023 पूजा मुहूर्त  

इस वर्ष शारदीय नवमी पूजन का समय 23 अक्टूबर को सोमवार के दिन होगा. इस दिन महानवमी पूजन के साथ ही आयुध पूजा भी होगी. महानवमी पर देवी दुर्गा की महिषासुरमर्दिनी का रुप पूजा जाता है. धर्म कथाओं के आधार पर महानवमी के दिन देवी ने राक्षस महिषासुर का वध किया और भक्तों को भय से मुक्ति प्रदान की थी. ब्रह्म मुहूर्त का समय 04:45से 05:36 प्रातः सन्ध्या का समय 05:10 से 06:27 अभिजित मुहूर्त का समय 11:43 से 12:28 विजय मुहूर्त का समय 01:58 से 02:43 गोधूलि मुहूर्त का समय 05:44 से 06:09 सायाह्न सन्ध्या का समय 05:44 से 07:00 अमृत काल का समय 07:29 से 08:59 महानवमी निशिता मुहूर्त पूजा समय 23:40 से 24:31 रवि योग का समय पूरे दिन प्राप्त होगा सर्वार्थ सिद्धि योग का समय 06:27 से 17:14 एस्ट्रोलॉजर राजरानी

दुर्गा मां की मूर्ति बनाने मे 10 तरह की मिट्टी का इस्तेमाल क्यों किया जाता है ?

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Shardiya Navratri 2023kanya pujan ashtami navmi  अष्टमी और नवमी का समय दुर्गा पूजा के विशेष दिनों को दर्शाता है. इन दो दिनों के दौरान दुर्गा पूजा अनूष्ठानों को विशाल स्तर पर किया जाता है. षोडशोपचार पूजा होती है. देवी की शक्तियों का आह्वान किया जाता है. महाअष्टमी और नवमी के दौरान माता के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. दुर्गा पूजा में अष्टमी और नवमी दौरान छोटी कन्याओं की पूजा करना कुमारी पूजा. कंजक पूजन, कन्या पूजन इत्यादि के रूप में जाना जाता है. दुर्गा पूजा के अंतिम दो दिन इन पूजाओं को किया जाता है. आइये जानें इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी और महानवमी कब और किन शुभ मुहूर्तों में मनाई जाएगी.

शारदीय महाअष्टमी पूजा 2023 मुहूर्त  

शारदीय नवरात्रि का विशेष समय अष्टमी और नवमी का होता है इन दोनों दिनों को दुर्गा पूजा के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है. इस दिनअष्टमी का पूजन समय इस प्रकार रहेगा. इस वर्ष दुर्गा अष्टमी पूजन रविवार 22 अक्टूबर 2023 के दिन किया जाएगा. अष्टमी तिथि का आरंभ 21 अक्टूबर 2023 को रात्रि 21:53 बजे होगा और अष्टमी तिथि की समाप्ति 22 अक्टूबर 2023 को 20:00 बजे पर होगी. महाअष्टमी के दिन दुर्गा पूजन किया जाता है. इस दिन कन्या पूजन भी होता है जिसमें दस -ग्यारह वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को देवी के स्वरुप में पूजा जाता है. Shardiya Navratri 2023 इस समय पर कुछ अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न होंगे जिसमें सन्धि पूजा, सरस्वती बलिदान, सरस्वती विसर्जन, मासिक दुर्गाष्टमी मुख्य हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग नामक शुभ योग प्राप्त होंगे. इसके अलावा इस दिन संधि पूजन भी होगा. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अष्टमी के दिन संधि पूजा का समय शुभ होता है. ब्रह्म मुहूर्त का समय 04:45 से 05:35  प्रातः सन्ध्या का समय 05:10 से 06:26  अभिजित मुहूर्त का समय 11:43 से 12:28  विजय मुहूर्त का समय 01:59 से 02:44  गोधूलि मुहूर्त का समय 05:45 से 06:10  सायाह्न सन्ध्या मुहूर्त का समय 05:45 से 07:01  अमृत काल का समय 12:39 से 02:10  रात्रि निशिता मुहूर्त पूजा समय 23:40 से 24:31   सर्वार्थ सिद्धि योग का समय 06:26 से 06:44  रवि योग का समय 06:44 से 06:27 

शारदीय महानवमी 2023 पूजा मुहूर्त  

इस वर्ष शारदीय नवमी पूजन का समय 23 अक्टूबर को सोमवार के दिन होगा. इस दिन महानवमी पूजन के साथ ही आयुध पूजा भी होगी. महानवमी पर देवी दुर्गा की महिषासुरमर्दिनी का रुप पूजा जाता है. धर्म कथाओं के आधार पर महानवमी के दिन देवी ने राक्षस महिषासुर का वध किया और भक्तों को भय से मुक्ति प्रदान की थी. ब्रह्म मुहूर्त का समय 04:45से 05:36 प्रातः सन्ध्या का समय 05:10 से 06:27 अभिजित मुहूर्त का समय 11:43 से 12:28 विजय मुहूर्त का समय 01:58 से 02:43 गोधूलि मुहूर्त का समय 05:44 से 06:09 सायाह्न सन्ध्या का समय 05:44 से 07:00 अमृत काल का समय 07:29 से 08:59 महानवमी निशिता मुहूर्त पूजा समय 23:40 से 24:31 रवि योग का समय पूरे दिन प्राप्त होगा सर्वार्थ सिद्धि योग का समय 06:27 से 17:14 एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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सातवें दिन माँ कालरात्रि के इस मंत्र से दूर होंगे सभी दुश्मन एवं बाधाए 

Kalratri
Navratri 2023 Day 7
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 02:24 AM
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Navratri 2023 Day 7 Maa Kaalratri Puja Maa Kaalratri Puja नवरात्रि का सातवां दिन देवी कालरात्रि के पूजन का समय होता है. देवी कालरात्रि का स्वरुप जितना भयानक है उतने ही सुंदर उनके गुण है. वास्तव में माता का यह रुप दुष्टों के संहार के लिए ही माँ ने धरा है. दूसरी ओर भक्तों को प्रेम एवं सुख प्रदान करने वाली माता कालरात्रि का एक नाम शुभंकरी है. माता सभी शुभ फल प्रदान करने वाली हैं तथा बाधाओं को हर लेने वाली हैं. माता गधे पर विराजमान हाथों में खड़ग धारण किए अपने विकराल रुप से समस्त सृष्टि की नकारात्मक उर्जा को नष्ट कर देने वाली हैं. माँ कालरात्रि पूजा से होता है नकारात्मकता का नाश  नवरत्रि का यह दिन नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करने के साथ साथ रोग दोष को दूर करने वाला होता है. इस दिन कालरात्रि शक्ति के द्वारा नकारात्मकता दूर होती है. देवी दुश्मनों को समाप्त करने वाली है तथा भक्तों की रक्षा करती है. माँ कालरात्रि को उग्र रुप वाली किंतु शुभ फल देने वाली के रूप में स्थान प्रदान है. देवी का चित्रण शत्रुओं का दमन करता है. माता ने अपने  हाथों में खड़ग धारा है तथा उनका दाहिना हाथ वर मुद्रा में है और निचला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में भक्तों को संतुष्ट करता है.  माँ कालरात्रि पूजा के दिन मंत्रों द्वारा शक्ति का पूजन किया जाता है. इस पूजा के दौरान आभा को शुद्ध करने और सिद्धियाँ और निधियाँ को पाने का आशीर्वाद मिलता है. माँ कालरात्रि पूजा को नवरात्रि की सातवीं शक्ति के रुप में पूजा जाता है. माँ कालरात्रि देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों में बेहद कठोर भी माना जाता है. भक्त माँ कालरात्रि को माँ काली, महाकाली, भद्रकाली या भैरवी के रूप में भी पूजते हैं. कालरात्रि पूजा एवं लाभ Navratri 2023 Day 7 Maa Kaalratri Puja  नवरात्रि के सप्तम दिवस पर मां कालरात्रि की पूजा भक्ति भाव एवं शुद्ध चित्त मन से की जाती है. भक्ति एवं श्रद्धा के साथद देवी पूजन करने से कष्ट दूर होते हैं. मां कालरात्रि मां दुर्गा का सबसे उग्र रूप माना गया है यह काली की भांति ही है जो अपने भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से बचाती हैं. देवी कालरात्रि का पूजन करने से सिद्धियाँ भी प्राप्त होती हैं. इस दिन की पूजा द्वारा किसी भी प्रकार के नजर दोष की भी समाप्ति होती है. शक्ति एवं साहस की प्राप्ति का समय होता है. माँ कालरात्रि पूजन के दौरान देवी का नाम स्मरण करते हैं. देवी कालरात्रि को गहरे नीले या काले रंग के पुष्प एवं वस्त्र अर्पित किए जाते माता को मोतियों का हार पहनाना बहुत शुभ होता है. ऎसा करने से भक्त के जीवन में समृद्धि का प्रवाह बना रहता है. कालरात्रि पूजन को अंधकार से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है. इस दिन भक्त एवं उपासक के मन से अज्ञान और अंधकार समाप्त होता है.

माँ कालरात्रि मंत्र 

नवरात्रि की सातवीं शक्ति देवी कालरात्रि की पूजा में इन मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए. देवी के मंत्र जाप की 11 या 108 माला करने से भक्त के ऊपर से हर बाधा दूर हो जाती है. "ॐ कालरात्र्यै नम:."  " एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी. वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥"  एस्ट्रोलॉजर राजरानी