David Warner ने टेस्ट क्रिकेट में लगाया शानदार शतक, एक पारी में बनाए कई शानदार रिकाॅर्ड

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calendar02 Dec 2025 12:05 AM
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David Warner: ऑस्ट्रेलिया के ओपनिंग बल्लेबाज डेविड वॉर्नर की बात करें तो शानदार लय में नजर आ रहे हैं। साउथ अफ्रीका के खिलाफ होने वाले मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट मैच के दौरान रिकाॅर्ड बनाने में कामयाब हुए हैं। 1086 दिन और 27 पारियों के बाद वॉर्नर ने टेस्ट क्रिकेट शतक बना लिया है। अपना 100वां टेस्ट के मौके पर वॉर्नर ने अपना आखिरी शतक 6 जनवरी 2020 के समय पूरा किया था। इस शतक के साथ वाॅर्नर ने कई रिकाॅर्ड अपने नाम कर लिया है। पोंटिंग 100वें टेस्ट मैच में शतक लगाने वाले ऑस्ट्रेलिया के दूसरे और दुनिया के दसवें खिलाड़ी की सूची में शामिल हो चुके हैं। उनसे पहले कॉलिन कॉड्रे, जावेद मियांदाद, गॉर्डन ग्रीनिज, एलेक स्टीवर्ट, इंजमाम उल हक, रिकी पोंटिंग, ग्रीम स्मिथ, हाशिम अमला औऱ जो रूट ने ये शानदार रिकाॅर्ड अपने नाम किया है। https://twitter.com/cntact2saurabh/status/1607581854877773825?s=20&t=A5o-Xg3W_0x2ne6IuWpMqQ

सचिन तेंदुलकर ने कर लिया है बराबरी

बतौर ओपनिंग बल्लेबाज (David Warner) की बात करें तो सबसे अधिक शतक बनाने के मामले में वॉर्नर पहले स्थान पर पहुंच गए हैं। ओपनिंग करते हुए वॉर्नर ने 45 शतक बनाया है, जिसमें टेस्ट में 25, वनडे में 19 और टी-20 इंटरनेशनल में शतक भी शामिल है। पूर्व भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने 45 शतक बना चुके हैं।

8000 रन कर चुके हैं पूरा

अपनी शतकीय पारी के समय देखा जाए तो वॉर्नर ने टेस्ट क्रेट में 8000 रन रन पूरा किया था। इस आंकड़े तक पहुंचने वाले वॉर्नर ऑस्ट्रेलिया के 9वे खिलाड़ी बन गए हैं। रनों बनाने में भी वॉर्नर ने मार्क वॉ को पीछे कर दिया है। वॉ ने 114 टेस्ट मैच में 8029 रन बना लिया था। व़ॉर्नर दुनिया के दूसरे क्रिकेटर की सूची में नाम शामिल कर लिया है, जिसने अपने 100वें वनडे और 100वें टेस्ट मैच में शतक जड़ दिया है। वॉर्नर से पहले वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज गॉर्डन ग्रीनिज ने यह कारनामा करने में कामयाब हुए थे।  
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Cricket : जरूरत से ज्यादा सोचना एक धारणा है:अश्विन

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Cricket
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 01:46 AM
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Cricket : नई दिल्ली। बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर में दूसरे टेस्ट मैच में भारत की जीत के नायक रहे रविचंद्रन अश्विन ने उन लोगों पर निशाना साधा है जो उन्हें खेल के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचने वाला मानते हैं।

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श्रेयस अय्यर के साथ बल्लेबाजी करते हुए अश्विन ने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक पारी खेली और भारत को संकट से बाहर निकाल कर तीन विकेट से रोमांचक जीत दिलाई। उन्होंने मैच में छह विकेट लेने के अलावा दूसरी पारी में नाबाद 42 रन बनाए जिसके लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था। अश्विन ने ट्वीट किया, जरूरत से ज्यादा सोचना एक धारणा है जो कि तब से मेरे साथ जुड़ी हुई है जब मैंने पूरे गर्व के साथ भारतीय टीम की पोशाक पहनी थी। मैंने पिछले कुछ समय से इस बारे में सोचना शुरू किया और अब मुझे लगता है मुझे लोगों के दिमाग से यह शब्द मिटाने के लिए जनसंपर्क का सहारा लेने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। मैदान पर बेहतरीन प्रदर्शन करने के अलावा अश्विन को आधुनिक खेल का सबसे अच्छा ज्ञान रखने वाले लोगों में शुमार किया जाता है। वह अपना यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं। उन्होंने कहा, प्रत्येक व्यक्ति की यात्रा विशेष और अनूठी होती है। इस यात्रा में किसी को ज्यादा सोचने की जरूरत पड़ती है तो किसी को नहीं। जब भी कोई कहता है कि मैं बहुत ज्यादा सोचता हूं तो मैंने हमेशा अपने बारे में यही सोचा है कि मैं इसी तरह से क्रिकेट खेलता हूं और उस तरह से नहीं खेलता हूं जैसे मैं अन्य को सलाह देता हूं। अश्विन ने कहा, आखिर में, मैं खेल के बारे में बहुत गहराई से सोचता हूं और अपने विचार साझा करता हूं क्योंकि मेरा मानना है के विचार साझा करने से अधिक उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। हो सकता है कि यह लोकप्रिय न हों लेकिन मेरा लक्ष्य शाब्दिक जंग जीतना नहीं बल्कि कुछ सीखना है। अश्विन ने अब तक 88 टेस्ट मैचों में 449 विकेट लिए हैं। इस 36 वर्षीय खिलाड़ी के नाम पर वनडे में 151 और टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 72 विकेट दर्ज हैं।

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राजस्थान की दलित बेटी ने बढ़ाया भारत का मान! लेकिन, क्या दलित समाज की होने की वजह से नहीं मिला सम्मान!

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calendar02 Dec 2025 12:57 AM
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Special Story-

थाईलैंड के पटाया में आयोजित 39वीं अंतर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में देश की प्रिया सिंह (Priya Singh) ने गोल्ड मेडल जीतकर पूरे विश्व में भारत का नाम रौशन किया है। इस प्रतियोगिता में विश्व के कई देशों ने हिस्सा लिया था, जिसमें भारत के राजस्थान राज्य की रहने वाली पहली महिला बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह स्वर्ण पदक विजेता बनी। साल 2018, 2019 और 2020 तीन बार मिस राजस्थान बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप का ताज अपने नाम कर चुकी प्रिया सिंह ने अब एक इंटरनेशनल खिताब भी अपने नाम कर लिया है। लेकिन फिर भी इनकी कोई चर्चा नहीं है! ऐसे में सवाल यह उठता है कि कहीं इनका दलित होना पहचान नही मिलने का कारण तो नही है? प्रिया की इस उपलब्धि पर सरकार और संसथाओं की तरफ से ध्यान न देने की वजह क्या प्रिया का दलित होना तो नहीं है। आखिर क्या वजह है कि इस तरह की ख़ास उपलब्धि को भी सरकार की तरफ से सराहनीय मान- सम्मान-पहचान देने की जगह नजरअंदाज कर दिया गया है!

बीकानेर की प्रिया सिंह ने किया देश का नाम रौशन -

राजस्थान राज्य के बीकानेर शहर की रहने वाली प्रिया सिंह एक सामान्य ग्रामीण दलित परिवार से ताल्लुक रखती हैं। बचपन से ही आर्थिक तंगी में जीवन गुजार चुकी प्रिया सिंह की शादी मात्र 8 साल की उम्र में हो गई थी। शादी के बाद ससुराल और बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही प्रिया ने पुरुषों के वर्चस्व वाले खेल में कदम रखने का फैसला लिया। आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए इन्होंने रोजगार के तौर पर जिम में नौकरी करना शुरू किया था। जिम में नौकरी करते हुए ही इनमें बॉडी बिल्डिंग के प्रति रुचि जगी। यहीं से उन्होंने बॉडी बनाना और बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया। साल 2018, 2019 और 2020 में राजस्थान स्टेट लेवल पर इन्होंने बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में मिस राजस्थान गोल्ड मेडल जीता। पति और इनके बच्चों ने सपोर्ट किया और अपने सपनों को पंख दिए। यही वजह है कि अपने दृढ़संकल्प से आगे बढ़ी और आज इंटरनेशनल खिताब अपने नाम कर लिया है।

सरकार की तरफ से इनकी प्रतिभा को नहीं मिला कोई सम्मान -

विश्व भर में भारत का नाम ऊंचा करने वाली बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह को सरकार की तरफ से कोई सम्मान नहीं मिला। सम्मान तो दूर की बात है, बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक की विजेता बनने के बावजूद आज प्रिया सिंह की कोई चर्चा भी नहीं है। कहीं प्रिया सिंह का दलित समाज से संबंध रखना तो इस बात की वजह नहीं है। खुद दलित बेटी प्रिया सिंह ने अपने एक इंटरव्यू में यह बात स्वीकार की है कि उन्हें जातिवाद भेदभाव का सामना करना पड़ता है और उनकी प्रतिभा को सम्मान नहीं मिलता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को सम्मान दिलाने वाली इस दलित बेटी को सम्मानित करने में आखिर सरकार पीछे क्यों है, यह न सिर्फ एक बड़ा मुद्दा है, बल्कि हमारे समाज की पिछड़ेपन की ओर इशारा करता है।अब इस मुद्दे ने सरकार को भी कटघरे में ला दिया है।
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