सेना का वह जांबाज, जिसने एशिया कप में भारतीय बल्लेबाजों की कमर तोड़ी

एशिया कप में भारतीय क्रिकेट टीम का दबदबा हमेशा देखने लायक रहा है। एशिया कप में भारतीय टीम हमेशा से ही सुपरस्टार रही है। टूर्नामेंट में उसकी जीतों का रिकॉर्ड बाकी सभी टीमों से कहीं बेहतर रहा है और वह हमेशा खिताबी लड़ाइयों में फेवरेट मानी जाती रही है। लेकिन साल 2008 का फाइनल पाकिस्तान में एक ऐसा मोड़ लेकर आया, जब भारतीय बल्लेबाजों की धाकड़ छवि को श्रीलंकाई सेना के सेकंड लेफ्टिनेंट अजंता मेंडिस ने अकेले ही चुनौती दी। यही वह मैच था, जिसने मेंडिस को क्रिकेट की दुनिया में अमर कर दिया और टीम इंडिया के लिए एक ऐसा चौंकाने वाला दिन साबित हुआ, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। Asia Cup 2025
कराची का फाइनल: भारत बनाम श्रीलंका
एशिया कप 2008 का फाइनल कराची की पिच पर खेला गया, जहां भारतीय टीम के दबदबे के बावजूद श्रीलंका के सेकंड लेफ्टिनेंट अजंता मेंडिस ने सबकी धड़कनें बढ़ा दीं। पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने सनथ जयसूर्या के धमाकेदार 125 रनों की बदौलत 273 रन बनाए। भारत के सामने 274 रनों का लक्ष्य था, और शुरुआत भी उत्साहजनक लगी ओपनिंग जोड़ी गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग ने 36 रन जोड़कर उम्मीद जगाई। लेकिन इस खुशी की घड़ी ज्यादा लंबी नहीं चली, क्योंकि अजंता मेंडिस ने अपनी स्पिन जादूगरी से भारतीय बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी।
मेंडिस का मैजिक
जब भारतीय टीम की उम्मीदें 36 रन की साझेदारी तक बनी थीं, तब तेज गेंदबाज चमिंडा वास ने गौतम गंभीर का विकेट लेकर पहला झटका दिया। लेकिन असली कहर तब आया, जब मैदान पर उतरे श्रीलंका के सेकंड लेफ्टिनेंट अजंता मेंडिस। उनकी स्पिन इतनी चालाक और खतरनाक थी कि भारतीय बल्लेबाज एक के बाद एक जाल में फंसते गए। मेंडिस ने सिर्फ 8 ओवर में 13 रन देकर 6 विकेट झटककर पिच पर हंगामा मचा दिया। पूरी भारतीय पारी को श्रीलंकाई गेंदबाजों ने 39.3 ओवर में 174 रन पर समेट दिया, और भारत को फाइनल में 100 रनों से हार का सामना करना पड़ा। इस प्रदर्शन के दम पर भारत को फाइनल में 100 रनों से हार का सामना करना पड़ा और अजंता मेंडिस को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।
यह भी पढ़े: आज जारी होगा BPSC 71वीं परीक्षा का एडमिट कार्ड, जानें स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस
क्रिकेट से सेना तक: मेंडिस का सफर
अजंता मेंडिस की सेना में शामिल होने की कहानी भी क्रिकेट की पिच से ही शुरू हुई। साल 2003-04 में श्रीलंका की आर्टिलरी क्रिकेट कमेटी ने उन्हें अंडर-23 डिवीजन मैच में खेलते देखा और उनकी प्रतिभा देखकर उन्हें श्रीलंकाई सेना में शामिल होने का मौका दिया। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद वे पहले गनर बने, लेकिन असली पहचान उन्हें एशिया कप 2008 के फाइनल में टीम इंडिया के खिलाफ मिली। उस मैच में मेंडिस का स्पिन जादू ऐसा चला कि भारतीय बल्लेबाजों की पूरी टीम 39.3 ओवर में सिर्फ 174 रन पर ढेर हो गई। इस धमाकेदार प्रदर्शन ने उन्हें न केवल प्लेयर ऑफ़ द मैच बनाया, बल्कि सर्जेंट और फिर सेकंड लेफ्टिनेंट का पद भी दिलाया। यहीं वह पल था जब क्रिकेट और सेना दोनों में उनका नाम अमर हो गया। Asia Cup 2025
एशिया कप में भारतीय क्रिकेट टीम का दबदबा हमेशा देखने लायक रहा है। एशिया कप में भारतीय टीम हमेशा से ही सुपरस्टार रही है। टूर्नामेंट में उसकी जीतों का रिकॉर्ड बाकी सभी टीमों से कहीं बेहतर रहा है और वह हमेशा खिताबी लड़ाइयों में फेवरेट मानी जाती रही है। लेकिन साल 2008 का फाइनल पाकिस्तान में एक ऐसा मोड़ लेकर आया, जब भारतीय बल्लेबाजों की धाकड़ छवि को श्रीलंकाई सेना के सेकंड लेफ्टिनेंट अजंता मेंडिस ने अकेले ही चुनौती दी। यही वह मैच था, जिसने मेंडिस को क्रिकेट की दुनिया में अमर कर दिया और टीम इंडिया के लिए एक ऐसा चौंकाने वाला दिन साबित हुआ, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। Asia Cup 2025
कराची का फाइनल: भारत बनाम श्रीलंका
एशिया कप 2008 का फाइनल कराची की पिच पर खेला गया, जहां भारतीय टीम के दबदबे के बावजूद श्रीलंका के सेकंड लेफ्टिनेंट अजंता मेंडिस ने सबकी धड़कनें बढ़ा दीं। पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने सनथ जयसूर्या के धमाकेदार 125 रनों की बदौलत 273 रन बनाए। भारत के सामने 274 रनों का लक्ष्य था, और शुरुआत भी उत्साहजनक लगी ओपनिंग जोड़ी गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग ने 36 रन जोड़कर उम्मीद जगाई। लेकिन इस खुशी की घड़ी ज्यादा लंबी नहीं चली, क्योंकि अजंता मेंडिस ने अपनी स्पिन जादूगरी से भारतीय बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी।
मेंडिस का मैजिक
जब भारतीय टीम की उम्मीदें 36 रन की साझेदारी तक बनी थीं, तब तेज गेंदबाज चमिंडा वास ने गौतम गंभीर का विकेट लेकर पहला झटका दिया। लेकिन असली कहर तब आया, जब मैदान पर उतरे श्रीलंका के सेकंड लेफ्टिनेंट अजंता मेंडिस। उनकी स्पिन इतनी चालाक और खतरनाक थी कि भारतीय बल्लेबाज एक के बाद एक जाल में फंसते गए। मेंडिस ने सिर्फ 8 ओवर में 13 रन देकर 6 विकेट झटककर पिच पर हंगामा मचा दिया। पूरी भारतीय पारी को श्रीलंकाई गेंदबाजों ने 39.3 ओवर में 174 रन पर समेट दिया, और भारत को फाइनल में 100 रनों से हार का सामना करना पड़ा। इस प्रदर्शन के दम पर भारत को फाइनल में 100 रनों से हार का सामना करना पड़ा और अजंता मेंडिस को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।
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क्रिकेट से सेना तक: मेंडिस का सफर
अजंता मेंडिस की सेना में शामिल होने की कहानी भी क्रिकेट की पिच से ही शुरू हुई। साल 2003-04 में श्रीलंका की आर्टिलरी क्रिकेट कमेटी ने उन्हें अंडर-23 डिवीजन मैच में खेलते देखा और उनकी प्रतिभा देखकर उन्हें श्रीलंकाई सेना में शामिल होने का मौका दिया। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद वे पहले गनर बने, लेकिन असली पहचान उन्हें एशिया कप 2008 के फाइनल में टीम इंडिया के खिलाफ मिली। उस मैच में मेंडिस का स्पिन जादू ऐसा चला कि भारतीय बल्लेबाजों की पूरी टीम 39.3 ओवर में सिर्फ 174 रन पर ढेर हो गई। इस धमाकेदार प्रदर्शन ने उन्हें न केवल प्लेयर ऑफ़ द मैच बनाया, बल्कि सर्जेंट और फिर सेकंड लेफ्टिनेंट का पद भी दिलाया। यहीं वह पल था जब क्रिकेट और सेना दोनों में उनका नाम अमर हो गया। Asia Cup 2025







