माँ के दूध का व्यापार करने वालों की अब खैर नहीं, जाएंगे जेल

माँ के दूध को लेकर भारत सरकार का बड़ा फैसला
भारत सरकार के भारत खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने साफ कर दिया है कि देश में मां के दूध को बेचा नहीं जा सकता है। इस संबंध में जारी एक एडवाइजरी में कहा कि मानव दुग्ध प्रसंस्करण और बिक्री गलत है। इसके अलावा मां के दूध का व्यावसायिक इस्तेमाल. अवैध है। एफएसएसएआई ने बताया कि कुछ कंपनियां डेयरी प्रोडक्ट की आड़ में माँ के दूध का व्यापार कर रही हैं। बहीं, ब्रेस्ट फीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया ने खरकार से ऐसी कंपनियों के खिलाफ कारवाई का अनुरोध किया है।Maa KA Dudh
24 मई को जारी की एडवाइजरी में एफएसएसएआई ने राज्यों को निर्देश दिया है कि मानव दुग्ध के प्रसंस्करण व बिक्री का लाइसेंस देना बंद करें और मानव दुग्ध के व्यावसायीकरण को रोका जाए। एडवाइजरी में कहा गया कि एफएसएसएआई ने एफएसएस अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत मानव दूध के प्रसंस्करण व बिक्री की अनुमति नहीं दी है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि मानव दूध और उसके उत्पादों के व्यावसायीकरण तुरंत रोका जाए। नियमों के किसी भी उल्लंघन पर खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों (एफबीओ) के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके उल्लंघन पर 5 साल कैद और पांच लाख जुर्माने की सजा का प्रावधान है।चेतना मंच ने किया था खुलासा
चेतना मंच ने 21 जुलाई 2022 को माँ के दूध का व्यापार करने के गंदे धंधे का बड़ा खुलासा किया था। हमने आपको बताया था कि भारत में देवियों की तरह पूजी जाने वाली माता को कुछ नरपिशाच चंद रुपयों के लिए कारोबार का साधन बना दिया गया है। सुनने में यह बेशक अटपटा लगे, लेकिन है बिल्कुल सच। बंगलुरू की कंपनी नियोलैक्टा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड एशिया की पहली कंपनी है, जो मां के दूध का कारोबार कर रही है। अपने इस कारोबार के लिए कंपनी गरीब माताओं को अपनी कमाई का साधन बन रही है। गरीब माताओं को चंद सिक्के देकर उनके बच्चों के हिस्से के दूध को बंगलुरू की कंपनी नियोलैक्टा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड खरीदकर उसे बाजार में बेच रही है। अपनी सुंदरता बचाए रखने के नाम पर अभिजात्य घरानों की लाखों महिलाएं माँ के दूध को खरीद रही हैं। एशिया की यह पहली कंपनी है, जो मोटे मुनाफे के लिए मां के दूध का कारोबार कर रही है। इस कंपनी की स्थापना वर्ष-2016 में हुई थी। कंपनी ने डेयरी प्रोडक्ट की कैटेगरी में सरकार से लाइसेंस लिया हुआ है। मां के दूध का व्यापार करने वाली यह कंपनी मात्र 300 मिलीलीटर दूध 4500 रुपये में बेच रही है। इस मामले के उजागर होने के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने कंपनी के लाइसेंस को रद्द कर दिया था, क्योंकि मां के दूध का व्यापार गैरकानूनी है। एफएसएसएआई की कार्रवाई के बाद भी कंपनी ने चालबाजी जारी रखी और ब्रांड नाम बदलकर नारी क्षीर नाम से नवंबर 2021 में आयुष लाइसेंस प्राप्त कर लिया। कंपनी ने यह लाइसेंस आयुर्वेदिक दवाइयों के नाम पर लिया है। हैरानी की बात है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस आयुष मंत्रालय को आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के मकसद से बनाया था, उसी ने इस कंपनी को लाइसेंस दे दिया। गौरतलब है कि इन दिनों असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल इस विभाग के मंत्री हैं। हमने यह भी बताया था कि माँ का यह दूध भारत के किसी भी शहर व कस्बे में उपलब्ध है। हमारे संवाददाता ने इस गंभीर मामले की तहकीकात शुरू की। छानबीन के दौरान उसने ग्रेटर नोएडा के रोजा याकूबपुर गांव के एक मेडिकल स्टोर से नियोलेक्टा कंपनी द्वारा बेचा जा रहा माँ का 50 मिलीलीटर दूध 1458 रुपये में खरीदा है।Maa KA Dudh
ब्रेस्ट फीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया नामक एक समाजसेवी संस्था की संचालिका नूपुर बिड़ला ने चेतना मंच से कहा कि माता के दूध का कारोबार चौंकाने वाला है। उनका कहना है कि नियोलैक्टा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को माताओं से दूध कलेक्ट करने और उसे एक डेयरी प्रोडक्ट की तरह बेचने की अनुमति सरकार दे रही है। दिलचस्प है कि हमारे संविधान और कानून में माँ के दूध के व्यापार को गैरकानूनी करार दिया गया है। उन्होंने इस धंधे को घोर पाप बताया। ब्रिटेन के डॉ. माइकल नामैन और अर्थशात्री सुसान न्यूमैन ने दिसंबर, 2020 में इस मामले की छानबीन कर एक आलेख प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया था कि नियोलैक्टा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एनजीओ के माध्यम से गरीब माताओं को लालच देकर दूध बटोरकर उसे बाजार में ऊंचे मूल्य पर बेच रही है। चेतना मंच के खुलासे के बाद ही भारत सरकार ने यह कार्यवाही की है। Maa KA Dudhसेक्टर-52 के खाली प्लॉट में लगी आग
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माँ के दूध को लेकर भारत सरकार का बड़ा फैसला
भारत सरकार के भारत खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने साफ कर दिया है कि देश में मां के दूध को बेचा नहीं जा सकता है। इस संबंध में जारी एक एडवाइजरी में कहा कि मानव दुग्ध प्रसंस्करण और बिक्री गलत है। इसके अलावा मां के दूध का व्यावसायिक इस्तेमाल. अवैध है। एफएसएसएआई ने बताया कि कुछ कंपनियां डेयरी प्रोडक्ट की आड़ में माँ के दूध का व्यापार कर रही हैं। बहीं, ब्रेस्ट फीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया ने खरकार से ऐसी कंपनियों के खिलाफ कारवाई का अनुरोध किया है।Maa KA Dudh
24 मई को जारी की एडवाइजरी में एफएसएसएआई ने राज्यों को निर्देश दिया है कि मानव दुग्ध के प्रसंस्करण व बिक्री का लाइसेंस देना बंद करें और मानव दुग्ध के व्यावसायीकरण को रोका जाए। एडवाइजरी में कहा गया कि एफएसएसएआई ने एफएसएस अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत मानव दूध के प्रसंस्करण व बिक्री की अनुमति नहीं दी है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि मानव दूध और उसके उत्पादों के व्यावसायीकरण तुरंत रोका जाए। नियमों के किसी भी उल्लंघन पर खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों (एफबीओ) के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके उल्लंघन पर 5 साल कैद और पांच लाख जुर्माने की सजा का प्रावधान है।चेतना मंच ने किया था खुलासा
चेतना मंच ने 21 जुलाई 2022 को माँ के दूध का व्यापार करने के गंदे धंधे का बड़ा खुलासा किया था। हमने आपको बताया था कि भारत में देवियों की तरह पूजी जाने वाली माता को कुछ नरपिशाच चंद रुपयों के लिए कारोबार का साधन बना दिया गया है। सुनने में यह बेशक अटपटा लगे, लेकिन है बिल्कुल सच। बंगलुरू की कंपनी नियोलैक्टा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड एशिया की पहली कंपनी है, जो मां के दूध का कारोबार कर रही है। अपने इस कारोबार के लिए कंपनी गरीब माताओं को अपनी कमाई का साधन बन रही है। गरीब माताओं को चंद सिक्के देकर उनके बच्चों के हिस्से के दूध को बंगलुरू की कंपनी नियोलैक्टा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड खरीदकर उसे बाजार में बेच रही है। अपनी सुंदरता बचाए रखने के नाम पर अभिजात्य घरानों की लाखों महिलाएं माँ के दूध को खरीद रही हैं। एशिया की यह पहली कंपनी है, जो मोटे मुनाफे के लिए मां के दूध का कारोबार कर रही है। इस कंपनी की स्थापना वर्ष-2016 में हुई थी। कंपनी ने डेयरी प्रोडक्ट की कैटेगरी में सरकार से लाइसेंस लिया हुआ है। मां के दूध का व्यापार करने वाली यह कंपनी मात्र 300 मिलीलीटर दूध 4500 रुपये में बेच रही है। इस मामले के उजागर होने के बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने कंपनी के लाइसेंस को रद्द कर दिया था, क्योंकि मां के दूध का व्यापार गैरकानूनी है। एफएसएसएआई की कार्रवाई के बाद भी कंपनी ने चालबाजी जारी रखी और ब्रांड नाम बदलकर नारी क्षीर नाम से नवंबर 2021 में आयुष लाइसेंस प्राप्त कर लिया। कंपनी ने यह लाइसेंस आयुर्वेदिक दवाइयों के नाम पर लिया है। हैरानी की बात है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस आयुष मंत्रालय को आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के मकसद से बनाया था, उसी ने इस कंपनी को लाइसेंस दे दिया। गौरतलब है कि इन दिनों असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल इस विभाग के मंत्री हैं। हमने यह भी बताया था कि माँ का यह दूध भारत के किसी भी शहर व कस्बे में उपलब्ध है। हमारे संवाददाता ने इस गंभीर मामले की तहकीकात शुरू की। छानबीन के दौरान उसने ग्रेटर नोएडा के रोजा याकूबपुर गांव के एक मेडिकल स्टोर से नियोलेक्टा कंपनी द्वारा बेचा जा रहा माँ का 50 मिलीलीटर दूध 1458 रुपये में खरीदा है।Maa KA Dudh
ब्रेस्ट फीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया नामक एक समाजसेवी संस्था की संचालिका नूपुर बिड़ला ने चेतना मंच से कहा कि माता के दूध का कारोबार चौंकाने वाला है। उनका कहना है कि नियोलैक्टा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को माताओं से दूध कलेक्ट करने और उसे एक डेयरी प्रोडक्ट की तरह बेचने की अनुमति सरकार दे रही है। दिलचस्प है कि हमारे संविधान और कानून में माँ के दूध के व्यापार को गैरकानूनी करार दिया गया है। उन्होंने इस धंधे को घोर पाप बताया। ब्रिटेन के डॉ. माइकल नामैन और अर्थशात्री सुसान न्यूमैन ने दिसंबर, 2020 में इस मामले की छानबीन कर एक आलेख प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया था कि नियोलैक्टा लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एनजीओ के माध्यम से गरीब माताओं को लालच देकर दूध बटोरकर उसे बाजार में ऊंचे मूल्य पर बेच रही है। चेतना मंच के खुलासे के बाद ही भारत सरकार ने यह कार्यवाही की है। Maa KA Dudhसेक्टर-52 के खाली प्लॉट में लगी आग
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