Political News : पीएम नरेन्द्र मोदी के बड़े विरोधी आगे की क्या कर रहे हैं तैयारी

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BJP Leader Satpal Malik
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:55 PM
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Political News : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के बड़े विरोधी और केन्द्र सरकार द्वारा बनायी जाने वाली किसान नीतियों का मुखर विरोध करने वाले पूर्व राज्यपाल व भाजपा नेता इन दिनों किसानों के एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। सब जानते हैं कि वर्ष-1974 में उप्र के बागपत से विधायक का चुनाव जीतकर सतपाल मलिक नाम के एक युवक का राजनैतिक सफर शुरू हुआ। राजनीति में लम्बे अनुभव के बाद उन्हें 23 सितंबर 2017 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। लगभग एक वर्ष तक वह बिहार के राज्यपाल रहे। 23 अगस्त 2018 में उन्हें आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया। 3 नवंबर 2019 में वे गोवा के राज्यपाल बने और 18 अगस्त 2020 में उन्हें मेघालय का राज्यपाल बनाया गया। हाल ही में उन्होंने मेघालय के राज्यपाल का कार्यकाल खत्म किया है और अब आगे की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

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सतपाल मलिक ने राज्यपाल के पद पर रहने के बावजूद कभी भी सरकार की हां में हां नहीं मिलाई। किसानों को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा बनाई जाने वाली किसान विरोधी नीतियों का उन्होंने हमेशा विरोध किया और हमेशा किसानों के हक में खड़े रहे। मेघालय के राज्यपाल का कार्यकाल खत्म करने के बाद सतपाल मलिक 5 अक्टूबर 2022 को अपने पैतृक गांव बागपत जिले के हिसावदा पहुंचे, जहां उनका बड़ी संख्या में मौजूद किसानों, मजदूरों एवं उनके समर्थकों ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। ग्रामीणों को संबोधित करते हुए सतपाल मलिक ने कहा कि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार किसानों को बर्बाद करने पर आमादा है। प्रधानमंत्री ने माफी मांगकर पूरे देश के सामने तीन काले कृषि कानून वापस लिए थे और जल्द से जल्द एमएसपी यानि (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) लागू करने के लिए कहा था, लेकिन उसे अब तक लागू नहीं किया गया है। महंगाई और बेरोजगारी से पूरा देश आज परेशान हैं। गन्ना किसानों के करोड़ों रुपये के बकाये का भुगातन नहीं हुआ है और सरकार ने अग्निवीर योजना लाकर किसानों के बेटों के सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। श्री मलिक ने कहा कि किसान विरोधी केन्द्र सरकार के खिलाफ सबको एकजुट होना पड़ेगा। सूत्र बताते हैं कि राज्यपाल के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद सतपाल मलिक अब खुलकर केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहते हैं। श्री मलिक अपने बलबूते पर देश में एक बड़ा किसान आंदोलन खड़ा करना चाहते हैं। इसके बैंकग्राउंड में मेरठ में सतपाल मलिक की छात्र राजनीति का दौर है। श्री मलिक देश के पूर्व प्रधानमंत्री व किसानों के मसीहा रहे चौधरी चरण सिंह के अनन्य भक्त रहे हैं और किसानों के हित की आवाज उठाना उनके खून, व्यवहार और नीयत में शामिल है।

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अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि वे किस प्रकार किसान आंदोलन खड़ा करते हैं। कुछ पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वे कोई नई राजनीतिक पारी शुरू कर रहे हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नहीं, राजनीति तो उन्होंने जीवनभर कर ली है। अब तो वे किसानों व मजदूरों की मुसीबतों का सम्पूर्ण समाधान चाहते हैं।
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Punjab News : दुष्कर्म और जबरन वसूली के आरोप में पंजाब पुलिस के एआईजी गिरफ्तार

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Punjab Police
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 12:27 PM
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  Punjab News : चंडीगढ़। दुष्कर्म और जबरन वसूली के एक मामले में पंजाब पुलिस के एआईजी आशीष कपूर को गिरफ्तार किया गया है। पंजाब विजिलेंस की टीम ने यह कार्रवाई की है। आशीष कपूर पर भ्रष्टाचार का आरोप है। एक महिला ने उन पर रेप और वसूली जैसे गंभीर आरोप भी लगाए हैं। विजिलेंस की टीम आशीष कपूर के मोहाली सेक्टर-88 स्थित निवास पर छापा मारकर काफी देर तक छानबीन करती रही। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया। विजिलेंस की इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।

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आशीष कपूर वर्ष-2016 में अमृतसर के सेंट्रल जेल में बतौर जेल अधीक्षक तैनात थे। उसी दौरान जेल में बंद हरियाणा के कुरुक्षेत्र निवासी पूनम राजन से उनका संपर्क हुआ। पूनम किसी केस के सिलसिले में जेल में बंद थी। पूनम के साथ ही उनकी मां प्रेमलता, उनका भाई कुलदीप सिंह और भाभी प्रीति भी न्यायिक हिरासत में जेल में थे। इन सबके खिलाफ जीरकपुर थाने में मामला दर्ज था। आरोप है कि आशीष कपूर पूनम राजन की मां प्रेमलता को लगातार इस बात के लिए राजी करने में जुटे थे कि वह कोर्ट से जमानत कराने में उनकी मदद करेंगे। बताया जाता है कि आशीष कपूर ने जीरकपुर थाने के तत्कालीन थानाध्घ्यक्ष पवन कुमार और एएसआई हरजिंदर सिंह के साथ साठगांठ कर प्रीति को निर्दोष घोषित कराने में सफल रहे। आरोप है कि आशीष कपूर ने इस दौरान प्रेमलता से विभिन्न चेक पर हस्ताक्षर करवा लिया, जिसका कुल मूल्य एक करोड़ रुपये था। इस रकम को आशीष कपूर ने अपने किसी परिचित के खाते में जमा करवाया और एएसआई हरजिंदर सिंह की मदद से उसे कैश भी करा लिया। इस तरह आशीष कपूर, हरजिंदर सिंह और पवन कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारक कानून समेत आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया। अब विजिलेंस की टीम ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
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Day Special : एक साधारण किसान का ‘महात्मा’ बनने तक का सफर, जाने कौन थे ‘महात्मा’ टिकैत

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Chaudhary Mahendra Singh Tikait
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 07:18 PM
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- चौधरी अशोक बालियान Day Special :  उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का एक गांव है सिसौली। इसी गांव में बालियाना खाप के मुखिया चौधरी चौहल सिंह के घर आज ही के दिन 6 अक्टूबर 1935 को जन्मे थे चौधरी महेन्द्र सिंह। जब महेन्द्र सिंह बहुत छोटे थे, तभी असमय उनके पिता का साया उनके सिर से उठ गया। सर्व खाप पंचायत ने महेन्द्र सिंह को तिलक (टीका लगाना) करके बालियान खाप का चौधरी बना दिया। इस प्रकार वह बालक महेन्द्र सिंह टिकैत से चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत बन गए। आज उनकी जयंती पर पूरे देश में जगह-जगह आयोजन हो रहे हैं। सबसे बड़ा आयोजन तो उनके गांव सिसौली में ही हो रहा है। यहां उनकी याद में ‘किसान मजदूर अधिकार दिवस’ मनाया जा रहा है।

Day Special :

आप जानते ही हैं कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के किसान आन्दोलन से पहले भी अनेक किसान आन्दोलन हुए थे। 17वीं सदी में भी किसानों ने मुगल राज्य के विरुद्ध बगावत कर दी थी। इसके बाद किसान आन्दोलन अंग्रेजों के विरूद्ध किये गए थे। लेकिन, भारत में किसान आन्दोलन को चौधरी टिकैत ने एक नई दिशा दी और सरकार को किसान की चौखट पर आने को अनेक बार मजबूर किया। मुझे चौधरी टिकैत के जीवन पर आधारित अपनी पुस्तक ‘किसान आन्दोलन में चौधरी टिकैत की भूमिका’ लिखने के समय उनके साथा काम करने का अवसर मिला। वह बेहद सरल और ईमानदार किसान नेता थे, परन्तु अपने अक्खड़पन के लिए भी जाने जाते थे। तब भारत के अनेक प्रधानमंत्रियों को भी किसानों की बात सुनने के लिए किसान राजधानी सिसोली आना पड़ा था। चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में 80 के दशक में सरकारी विभागों के भ्रष्टाचार, बिजली के दाम में बढ़ोतरी और किसानों को उनकी फसलों का मूल्य न मिलने के खिलाफ एक गैर-राजनैतिक किसान आंदोलन खड़ा हुआ था। अगर चौधरी टिकैत के संघर्ष को गौर से देखें तो पाएंगे कि उनके आंदोलन का मुख्य मुद्दा फसलों के वाजिब दाम था। विभिन्न मंचों एवं आन्दोलनों के माध्यम से चौधरी टिकैत जीवनपर्यन्त किसानों के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाते रहे। क्योंकि देश में गन्ना, गेहूं, धान, रबड, कपास, जूट, आलू, टमाटर और नारियल समेत कई कृषि उत्पाद को किसान लागत मूल्य से कम कीमत पर बेचने को मजबूर रहते है। चौधरी टिकैत के समय में दुनियाभर के समाचार पत्रों ने किसानों के शोषण, उनके साथ होने वाले सरकारी अधिकारियों के पक्षपातपूर्ण व्यवहार और किसानों के संघर्ष को अपने पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

Day Special :

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जीवन किसान आंदोलन के गौरवमयी इतिहास और विखंडित वर्तमान को समझने में मदद देता है। भारतीय राजनीति के शिखर पर चौधरी टिकैत का उदय अस्सी के दशक में हुआ। बिजली की दरों के मुद्दे पर वीर बहादुर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को झुकाकर टिकैत ने अपना सिक्का जमाया था। चौधरी टिकैत का ठेठ गंवई व्यक्तित्व और किसी भी दबाव या लालच से ऊपर रहने की उनकी क्षमता से बने व्यक्तित्व ने 1988 में बोट क्लब पर हुए ऐतिहासिक धरने को संभव बनाया था। उससे बड़ा धरना दुनिया के इतिहास में कभी नहीं दिया गया था। कुछ दिन के लिए ही सही, ऐसा लगा जैसे ‘भारत’ ने ‘इंडिया’ को उसकी औकात बता दी हो। अस्सी के दशक के तमाम किसान आंदोलनों के चरमोत्कर्ष का प्रतीक बना यह धरना भारतीय राजनीति में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ था। आज किसान और किसानी के सामने एक अभूतपूर्व संकट मुंह बाये खड़ा है, लेकिन देश की राजनीति में इसकी गूंज कहीं सुनायी नहीं पड़ती। चौधरी टिकैत और श्री नंजुंदास्वामी के वारिस किसान राजनीति में किस सफलता तक जायेंगे, यह अभी भविष्य के गर्त में है। अस्सी के दशक में ट्रैक्टरों से दिल्ली को घेरने का दुस्साहस रखने वाला किसान आज खुद घिरा बैठा उसी दिल्ली को फिर से चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की तरह घेरने कि उम्मीद लगाये हुए है। किसान आंदोलन की इस दशा की पड़ताल करने पर हम चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के किसान आंदोलन से सीखते हैं कि वह आन्दोलन मुख्य रूप से खेती की लागत और उपज के मूल्य के सवालों पर केंद्रित था। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह था कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के जाने के बाद विकास के वर्तमान ढांचे में क्या किसान को कभी न्याय मिल पायेगा। किसानी को बचाने की मुहिम को गांव के पुनरोद्धार से कैसे जोड़ा जाये? किसान को बेहतर दाम की मांग के सस्ते खाद्यान्न और भोजन की जरूरत से सामंजस्य कैसे बैठाया जाये? चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने इन सवालों का सामना बड़ी ही शिद्दत के साथ किया था। चौधरी टिकैत और भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने दलगत राजनीति से दूरी बनाये रखी थी। चौधरी टिकैत के आन्दोलन में न तो नेताओं की भरमार थी और न पदाधिकारियों की कतार। इस आन्दोलन में शामिल हर व्यक्ति सिर्फ किसान था। चौधरी टिकैत जनता के बीच से आए थे और अंतिम समय (15 मई 2011) तक जनता के बीच रहे। चौधरी टिकैत अंतिम समय तक स्वयं खेती से भी जुड़े रहे। वे लाखों की पंचायत, धरने व आंदोलन की अगुवाई करने के बावजूद एक साधारण किसान की तरह अपने गांव में रहते थे तथा खुद खेती करते थे। हम उनके जन्म दिवस पर उम्मीद करते हैं कि भारतीय किसान यूनियन राजनीति से अलग रहकर किसानों के लिए लड़ाई लड़ती रहेगी। भारतीय किसान यूनियन की जिम्मेदारी आज पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। किसान नेताओं को भी यह समझना होगा कि टिकैत एक आन्दोलन से बढ़कर किसानों के लिए एक विचार हैं। चौधरी टिकैत की तरह जमीन से जुड़कर ही उसकी मुसीबतों को समझा जा सकता है। चौधरी टिकैत के जीवन का उद्देश्य किसानों को इतना जागरूक करना था कि किसान की आवाज हुक्मरानों तक पहुंच सके। उनका यह सपना बखूबी पूरा भी हुआ। किन्तु, खेती व किसानी के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन के कारण भारत में चौधरी टिकैत को महात्मा टिकैत की उपाधि दी थी। वे एक साधारण किसान से महात्मा टिकैत बने थे। ( इस आलेख के लेखक सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक व चिंतक हैं )