EPFO: ईपीएफओ की कर्मचारियों को बड़ी राहत

EPFO
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Oct 2021 03:06 PM
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नई दिल्ली। सेवानिवृत्त होने के बाद अपनी पेंशन पाने के लिए ईपीएफओ दफ्तर के चक्कर लगाने पर मजबूर होने वाले सैकड़ों कर्मचारियों को बड़ी राहत की घोषणा की है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा शुरू किए गए 'प्रयास' अभियान के तहत अब कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के दिन ही पेंशन जारी हो जाएगी। ईपीएफओ विभाग की इस पहल से कर्मचारियों व उनके स्वजन को पेंशन व अन्य देयकों के लाभ के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने से छुटकारा मिल जाएगा। इससे सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचार‍ियों को ईपीएफओ कार्यालय का चक्‍कर लगाने से मुक्‍त‍ि म‍िल जाएगी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अपने ग्राहकों को निर्बाध सेवा सुनिश्चित करने के लिए कोरोना महामारी में कई नीतिगत और डिजिटल पहल की हैं। अभी तक सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को पेंशन के लिए इंतजार करना पड़ता था। यहां तक कि पहले पेंशन के कागजात प्राप्त होने में एक-एक वर्ष तक का समय लग जाता था, जिससे अब निजात मिल गई है। ईपीएफओ की इस योजना को ‘प्रयास’ नाम दिया गया है।

मिलेगी निजात :

सेवानिवृत्त होने के बाद कर्मचार‍ियों को पहले पेंशन लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। पहले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद अपने पेंशन के कागजात लेकर क्षेत्रीय ईपीएफ कार्यालय जाना पड़ता था। इसके साथ ही सभी दस्तावेज लेने के लिए कंपनी के चक्कर लगाने पड़ते थे। इस योजना के शुरू होने के बाद अब सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पूर्व सदस्य अपने पेंशन पेपर कंपनी के माध्यम से जमा कर रिटायरमेंट के दिन ही पेंशन आर्डर प्राप्त कर सकेगा। एक बार पेंशन आर्डर जारी होने के बाद विभाग द्वारा नियमित रूप से पेंशन सदस्य के बैंक खाते के माध्यम से जाती रहेगी। यही नहीं, पहले वर्ष में एक बार नवंबर माह में दिया जाने वाला ऑनलाइन जीवन प्रमाणपत्र भी अब वर्ष में कभी भी दिया जा सकता है। इसे कर्मचारी अपनी सुविधा के अनुसार भर सकते हैं।

ऑनलाइन जीवन प्रमाणपत्र जमा करने का भी न‍ियम बदला :

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की विशेष पहल 'प्रयास' के तहत कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के दिन ही पेंशन संबंधित सुविधाओं को सुपुर्द करने की पहल की जा रही है। जिससे सेवानिवृत्ति के बाद सदस्यों पेंशन के लिए भागदौड़ निजात मिल सके और बेहतर सुविधा सुनिश्चित की जा सके। इस प्रक्रिया में ई-नामिनेशन की महत्वपूर्ण भूमिका है।

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UP News अचार फैक्ट्री में हुआ ब्लास्ट, चार लोगों की मौत : फैक्ट्री बनाये जा रहे थे पटाखे

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 04:58 PM
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UP News यूपी के शामली में बंद पड़ी एक अचार फैक्ट्री में चलायी जा रही पटाखा फैक्ट्री में तेज धमाका होने से वहां काम कर रहे करीब एक दर्जन कर्मचारी मलबे में दब गए। धमाका इतना जोरदार था कि कई किलोमीटर दूर तक उसकी आवाज सुनाई दी। आसपास मौजूद लोगों ने पुलिस को मामले की सूचना दी, जिससे पुलिस विभाग में हडकंप मच गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर लोगों की मदद से राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया। पुलिस ने मलबे से चार लोगों के शव बरामद किए हैं, जबकि अन्य की तलाश की जा रही है। संभावना जतायी जा रही है कि मलबे में अभी और शव मिल सकते हैं। पटाखा फैक्ट्री में धमाके की सूचना से प्रशासन में भी हडकंप मच गया। एसडीएम व अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं। जानकारी के अनुसार कस्बा कैराना के मायापुर राजवाहा पटरी से कुछ दूरी पर एक अचार की फैक्ट्री स्थित है, जो कई सालों से बंद पडी हुई है। बताया जाता है कि उक्त फैक्ट्री में राशिद नामक कोई व्यक्ति अवैध रूप से पटाखा बनाने का कारोबार कर रहा था। इस फैक्ट्री में बहराइच जिले के सात व शामली जनपद के तीन लोग काम करते हैं। धमाका इतना जोरदार था कि फैक्ट्री की छत व दीवारेें धराशायी हो गयी और वहां काम कर रहे सभी लोग मलबे के नीचे दब गए, वहीं कई किलोमीटर तक इसकी गूंज सुनाई दी, जिसकेे बाद लोग मौके की तरफ दौडे तथा वहां का मंजर देखकर तुरंत पुलिस को मामले की सूचना दी, जिससे पुलिस में हडकंप मच गया। आनन-फानन में भारी संख्या में पुलिस फोर्स, दमकल विभाग की गाडियां मौके पर पहुंच गयी तथा फैक्ट्री में लगी आग को बुझाने के काम में जुट गए। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला, लेकिन तब तक चार लोगों ने दम तोड दिया था। आशंका जतायी जा रही है कि मलबे में से अभी और शव निकल सकते हैं जिनकी तलाश में पुलिस प्रशासन जुटा हुआ है। वहीं धमाके की सूचना से प्रशासन में भी हडकंप मच गया। एसडीएम कैराना उद्भव त्रिपाठी व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे तथा मामले की जानकारी दी। पुलिस फैक्ट्री संचालक राशिद की तलाश में भी जुट गयी है। समाचार लिखे जाने तक मौके पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी व भारी भीड जमा थी। शवों का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम हेतु भेजा गया व घायलों को हायर सेण्टर रेफर किया गया है। फैक्ट्री का संचालन राशिद पुत्र इलियास निवासी मौ कलन्दर शाह जनपद पानीपत हरियाणा के द्वारा करना बताया जा रहा है। मौके पर फायर ब्रिगेड़ द्वारा आग पर काबू पा लिया गया है एवं आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। मृतकों में पप्पी पुत्र नामालूम निवासी ग्राम दोघट थाना दोघट जनपद बागपत, सलमान पुत्र इदरीश निवासी बड़ादीनपुर जनपद बहराइच, फैमूदीन पुत्र नामालूम निवासी बड़ादीनपुर जनपद बहराइच, रूमान पुत्र इदरीश निवासी चम्पईया थाना हरदी जनपद बहराइच हैं, वहीं घायलों में जावेद उर्फ गुड्डू पुत्र वसीम निवासी विद्या कालोनी पानीपत, (रेफर पानीपत), फरमान पुत्र रहीशूद्दीन निवासी खेकड़ा जनपद बागपत (रेफर पानीपत), सलमान पुत्र खलील निवासी चम्पईया थाना हरदी जनपद बहराइच (रेफर मेरठ मेडिकल) मोबीन पुत्र नामालूम निवासी चम्पईया थाना हरदी जनपद बहराइच (रेफर मेरठ मेडिकल) किये गये हैं।

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लाल बहादुर शास्‍त्री ने विचारों से लोगों में भरी देशभक्ति

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Oct 2021 02:17 PM
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साधारण जीवन (SIMPLE LIVING) लेकिन हौसले से पूर्ण रुप से मजबूत देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (LAL BAHADUR SHASTRI) का जन्‍म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। आज उनकी जयंती को पूरे देश में मनाया जा रहा है। देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले शास्त्री जी को बचपन में काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा था। उन्हे स्कूल जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती थी। उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए उनको कई मील नंगे पैर जाना पड़ता था। इन परिस्थितियों का सामना कर वे महान इंसान बन सके।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (JAWAHAR LAL NEHRU) का निधन होने के बाद अच्छी छवि और लोगों के बीच मशहूर होने के कारण शास्त्री जी को देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधानमंत्री (PRIME MINISTER) का पदभार संभाला था। उनके शासनकाल में 1965 के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। इससे 3 वर्ष पूर्व चीन के साथ हुए युद्ध में भारत को हार मिली थी।

शास्त्री जी ने पाकिस्तान को हराने में दिया अहम योगदान

शास्त्री जी ने अप्रत्याशित रूप से हुए 1965 वाले युद्ध में राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व दिया था। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 26 जनवरी, 1965 को देश के जवानों और किसानों (FARMERS) को अपने कर्म के प्रति सुदृढ़ बनाने और देश को खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के लिए जय जवान, जय किसान का नारा दिया था जो भारत में आज भी काफी लोकप्रिय है।

उनकी ईमानदारी ने देशभक्ति में निभाई अहम भूमिका

उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ मिलकर युद्ध खत्म करने के समझौते पर हस्ताक्षर (SIGNATURE) करने के बाद 11 जनवरी, 1966 वाली रात को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई। उनको सादगी, देशभक्ति (PATRIOTISM) और ईमानदारी के लिए जाना जाता था। यही नहीं उनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।