Friday, 26 July 2024

आदिवासी साहित्यकार जैंसिता केरकट्टा ने ‘साहित्य आज तक’ का पुरस्कार आखिर क्यों ठुकराया?

साहित्यकार जैंसिता केरकट्टा (Jacinta Kerketta) झारखंड की एक प्रख्यात लेखक, कवि एवं पत्रकार हैं। ये ओरांव आदिवासी समुदाय की सदस्य…

आदिवासी साहित्यकार जैंसिता केरकट्टा ने ‘साहित्य आज तक’ का पुरस्कार आखिर क्यों ठुकराया?

साहित्यकार जैंसिता केरकट्टा (Jacinta Kerketta) झारखंड की एक प्रख्यात लेखक, कवि एवं पत्रकार हैं। ये ओरांव आदिवासी समुदाय की सदस्य हैं। अपने लेख के माध्यम से इन्होंने हमेशा ही आदिवासी समुदाय से जुड़े लोगों की समस्याओं पर रोशनी डालने की कोशिश की है। हाल ही में इन्हे अपने काम के लिए इंडिया टुडे समूह से ‘साहित्य आज तक’ पुरस्कार प्रस्तावित किया गया परंतु केरकट्टा ने यह पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। अब सवाल यह उठता है कि आखिर साहित्यकार जैंसिता केरकट्टा ने ‘साहित्य आज तक’ पुरस्कार को क्यों ठुकरा दिया ?

आदिवासी साहित्यकार जैंसिता केरकट्टा ने ठुकराया ‘साहित्य आज तक’ पुरस्कार:

जैंसिता केरकट्टा का कहना है कि इनका मन मणिपुर में आदिवासियों के साथ हुए अत्याचार से व्यथित है जिसकी वजह से इन्होंने ‘साहित्य आज तक’ पुरस्कार ठुकराया है। खुद आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाली और अपने लेख में सदैव आदिवासी समाज के व्यथा को उजागर करने वाली लेखिका ने साहित्य आज तक पुरस्कार प्रस्तावित किए जाने पर कहा कि -” यह पुरस्कार ऐसे समय में दिया जा रहा है, जब मणिपुर के आदिवासियों के जीवन के प्रति सम्मान खत्म हो रहा है। मध्य भारत में आदिवासियों के जीवन के प्रति सम्मान भी खत्म होता जा रहा है, और वैश्विक समाज में अन्य समाज के लोगों पर भी लगातार हमले हो रहे हैं। मेरा मन व्यथित रहता है, और मुझे इस पुरस्कार के मिलने से कोई खुशी या रोमांच महसूस नहीं हो रहा है।”

आगे केरकेट्टा ने यह भी साफ किया कि उनका यह फैसला किसी विशेष ग्रुप को निशाना बनाने के लिए नहीं लिया गया है। इन्होंने कहा कि -“पूरा देश जानता है कि कैसे कुछ प्रतिष्ठित मुख्य धारा के मीडिया घराने और समाचार चैनल मणिपुर की घटनाओं पर चुप्पी साधे हुए हैं। मुख्य धारा के मीडिया ने भी कभी आदिवासियों की दुर्दशा को सम्मानजनक तरीके से सामने लाने की कोशिश नहीं की है। यह सिर्फ एक मीडिया हाउस के बारे में नहीं है बल्कि मैं जो भी निर्णय लूंगी वह निश्चित रूप से इस बात से प्रभावित होगा कि देश का तथाकथित मुख्य धारा मीडिया हाशिए पर रहने वाले लोगों के प्रति अपनी भूमिका कैसे निभाता है।”

इस पुस्तक के लिए पुरस्कृत की जा रही थी केरकेट्टा:

जानकारी के लिए आपको बता दे आदिवासी साहित्यकार जैंसिता केरकट्टा ने साल 2022 में एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है- ‘ईश्वर और बाजार ‘। यह पुस्तक आदिवासियों के धर्म सत्ता और जमीनी संघर्ष पर केंद्रित है। केरकेट्टा की इसी पुस्तक के लिए उन्हें ‘आज तक साहित्य जागृति उदयमान प्रतिभा’ सम्मान के लिए चुना गया था जिसके लिए ₹50000 की इनामी राशि भी दी जा रही थी। लेकिन लेखिका ने इसे लेने से इनकार कर दिया।

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