UP News : उत्तर प्रदेश सरकार ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में 73 नए संस्कृत महाविद्यालयों को मान्यता प्रदान की गई है, जिससे राज्य के शिक्षा जगत में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। आइए जानते हैं इस पहल के प्रमुख पहलुओं को
1. ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा का विस्तार
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नए संस्कृत महाविद्यालयों की स्थापना मुख्य रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में की जा रही है।
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इससे वहां के छात्र-छात्राओं को अपने घर के पास गुणवत्तापूर्ण संस्कृत शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। UP News
2. संस्कृत को नई पहचान
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संस्कृत अब केवल धार्मिक ग्रंथों तक सीमित नहीं रही, बल्कि आधुनिक भारत में इसके व्यावसायिक और शैक्षणिक पक्ष को भी बल मिल रहा है।
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यह भाषा अब रोजगार और करियर निर्माण का माध्यम बन रही है। UP News
3. रोजगारोन्मुख डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत
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उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद द्वारा चार नए डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं।
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प्रदेश के 184 संस्थानों में इन पाठ्यक्रमों के तहत वर्तमान में प्रशिक्षण संचालित हो रहा है।
4. करियर के नए अवसर
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इन कोर्सों के माध्यम से छात्र शोध, अध्यापन, अनुवाद, सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार जैसे क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर सकेंगे।
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इससे संस्कृत पढ़ने वाले युवाओं के लिए करियर के विकल्पों का दायरा बढ़ेगा।
5. सांस्कृतिक विरासत से जुड़ाव
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संस्कृत भाषा हमारी संस्कृतिक विरासत और ज्ञान परंपरा का प्रतीक है।
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इस पहल से नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
6. संस्कृत शिक्षा का डिजिटलीकरण भी संभावित
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भविष्य में सरकार द्वारा संस्कृत शिक्षा को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध कराने की संभावना जताई जा रही है।
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इससे ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी डिजिटल माध्यम से भी संस्कृत सीख सकेंगे। UP News :
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