Bollywood- जन्मदिन के खास मौके पर जाने एक्टर कादर खान की संघर्ष की कहानी, बहुत शानदार रहा उनका फिल्मी कैरियर

कादर खान (Kadar Khan) को आज किसी पहचान की ज़रूरत नहीं है। ये बच्चा बच्चा जानता है कि इन्होंने हिंदी सिनेमा में कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज भी हर किसी की ज़ुबान पर उनके एवरग्रीन डायलॉग्स रहते हैं। आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के इसी महान अभिनेता व लेखक का जन्मदिन है। इनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
कादर खान का जन्म- उनका जन्म 22 अक्टूबर 1937 में हुआ था। उनका जन्म अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था।
कादर खान का बचपन- ये अपने माता पिता की चौथी संतान थे। उनके पहले उनके जितने भाई बहन रहे थे उन सबकी मौत लगभग 8 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते ही हो जाती थी। इसी के डर से उनके माता पिता को यह एहसास हुआ कि उनके बच्चों के लिए अफगानिस्तान की मिट्टी सही नहीं है। इसी के चलते उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला लिया और फिर इसके बाद वो लोग मुंबई आकर बस गए। उनके घर की आर्थिक स्तिथि कुछ खास तो थी नहीं, यही कारण था कि वो लोग मुंबई के पिछड़े इलाके कमाठीपुरा में रहा करते थे। घर की स्तिथि को देखते हुए ही कादर खान (Kadar Khan) ने कम उम्र में ही और बच्चों को देखते हुए काम करने का फैसला ले लिया।
उनके आस पास के बच्चे मात्र 2-3 रुपये के लिए काम किया करते थे। घर की हालत को सुधारने के लिए कादर खान ने भी उन बच्चों के साथ जाकर काम करने का फैसला किया। जब घर से बाहर वो जाने लगे तो पीछे से उनकी मां ने उन्हें रोक लिया। उनकी मां ने रो रोकर उन्हें समझाया कि अगर वो ऐसे 1-2 रुपये के लिए काम करने लगेंगे तो कुछ बड़ा नहीं कर पाएंगे और इतना ही कमा पाएंगे। उन्होंने काम न करने के जगह उन्हें पढ़ाई करने के लिए प्रेरणा दी। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की।
कादर खान के संघर्ष की कहानी - जब कादर ख़ान (Kadar Khan) कॉलेज में थे तो वहां पर वो नाटक भी लिखा करते थे। फिर वो एक कॉलेज में लेक्चरर भी बने। भले ही वो नौकरी करने लगे लेकिन उन्होंने नाटक लिखना नहीं छोड़ा। फिर उन्होंने एक नाटक लोकल ट्रेन लिखा। इसमें उन्होंने डायलॉग्स तो खुद लिखे ही, साथ ही इसका निर्देशन भी उन्होंने खुद ही किया। उनका काम नरेंद्र बेदी (Narendra Bedi) को काफी ज्यादा बेहतरीन लगा, इसके बाद ही नरेंद्र बेदी ने उन्हें अपनी फ़िल्म जवानी दीवानी में काम करने का अवसर प्रदान किया। कादर खान ने इस फ़िल्म के लिए डायलॉग्स भी लिखे। इसके साथ ही उन्होंने इसमें किरदार भी निभाया। इसके लिए उन्हें महज 1500 रुपये फीस मिली थी। उन्होंने पहली बार इतनी बड़ी रकम एक साथ देखी थी। खैर यह तो बस ट्रेलर था, पिक्चर तो अभी बाकी थी मेरे दोस्त। कादर खान (Kadar Khan) ने यहीं से अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। उनके अभिनय का हर कोई दीवाना हो गया। फिर एक के बाद एक उन्होंने तमाम सुपरहिट फिल्में की और 250 से भी ज्यादा फिल्मों के लिए उन्होंने डायलॉग्स भी लिखे हैं।
आज कादर खान (Kadar Khan) भले हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके लिखे डायलॉग कई सुपरहिट फिल्मों के माध्यम से आज भी हमारे बीच उनकी यादें तरोताजा करती रहती हैं। ये हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे नायाब हीरा थे, जिन की कमी को कभी कोई पूरा नहीं कर सकता। आज उनके जन्मदिन के मौके पर इस पोस्ट के माध्यम से हम उन्हें एक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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कादर खान (Kadar Khan) को आज किसी पहचान की ज़रूरत नहीं है। ये बच्चा बच्चा जानता है कि इन्होंने हिंदी सिनेमा में कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज भी हर किसी की ज़ुबान पर उनके एवरग्रीन डायलॉग्स रहते हैं। आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के इसी महान अभिनेता व लेखक का जन्मदिन है। इनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं इनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
कादर खान का जन्म- उनका जन्म 22 अक्टूबर 1937 में हुआ था। उनका जन्म अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था।
कादर खान का बचपन- ये अपने माता पिता की चौथी संतान थे। उनके पहले उनके जितने भाई बहन रहे थे उन सबकी मौत लगभग 8 साल की उम्र तक पहुंचते पहुंचते ही हो जाती थी। इसी के डर से उनके माता पिता को यह एहसास हुआ कि उनके बच्चों के लिए अफगानिस्तान की मिट्टी सही नहीं है। इसी के चलते उन्होंने अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला लिया और फिर इसके बाद वो लोग मुंबई आकर बस गए। उनके घर की आर्थिक स्तिथि कुछ खास तो थी नहीं, यही कारण था कि वो लोग मुंबई के पिछड़े इलाके कमाठीपुरा में रहा करते थे। घर की स्तिथि को देखते हुए ही कादर खान (Kadar Khan) ने कम उम्र में ही और बच्चों को देखते हुए काम करने का फैसला ले लिया।
उनके आस पास के बच्चे मात्र 2-3 रुपये के लिए काम किया करते थे। घर की हालत को सुधारने के लिए कादर खान ने भी उन बच्चों के साथ जाकर काम करने का फैसला किया। जब घर से बाहर वो जाने लगे तो पीछे से उनकी मां ने उन्हें रोक लिया। उनकी मां ने रो रोकर उन्हें समझाया कि अगर वो ऐसे 1-2 रुपये के लिए काम करने लगेंगे तो कुछ बड़ा नहीं कर पाएंगे और इतना ही कमा पाएंगे। उन्होंने काम न करने के जगह उन्हें पढ़ाई करने के लिए प्रेरणा दी। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की।
कादर खान के संघर्ष की कहानी - जब कादर ख़ान (Kadar Khan) कॉलेज में थे तो वहां पर वो नाटक भी लिखा करते थे। फिर वो एक कॉलेज में लेक्चरर भी बने। भले ही वो नौकरी करने लगे लेकिन उन्होंने नाटक लिखना नहीं छोड़ा। फिर उन्होंने एक नाटक लोकल ट्रेन लिखा। इसमें उन्होंने डायलॉग्स तो खुद लिखे ही, साथ ही इसका निर्देशन भी उन्होंने खुद ही किया। उनका काम नरेंद्र बेदी (Narendra Bedi) को काफी ज्यादा बेहतरीन लगा, इसके बाद ही नरेंद्र बेदी ने उन्हें अपनी फ़िल्म जवानी दीवानी में काम करने का अवसर प्रदान किया। कादर खान ने इस फ़िल्म के लिए डायलॉग्स भी लिखे। इसके साथ ही उन्होंने इसमें किरदार भी निभाया। इसके लिए उन्हें महज 1500 रुपये फीस मिली थी। उन्होंने पहली बार इतनी बड़ी रकम एक साथ देखी थी। खैर यह तो बस ट्रेलर था, पिक्चर तो अभी बाकी थी मेरे दोस्त। कादर खान (Kadar Khan) ने यहीं से अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। उनके अभिनय का हर कोई दीवाना हो गया। फिर एक के बाद एक उन्होंने तमाम सुपरहिट फिल्में की और 250 से भी ज्यादा फिल्मों के लिए उन्होंने डायलॉग्स भी लिखे हैं।
आज कादर खान (Kadar Khan) भले हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके लिखे डायलॉग कई सुपरहिट फिल्मों के माध्यम से आज भी हमारे बीच उनकी यादें तरोताजा करती रहती हैं। ये हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे नायाब हीरा थे, जिन की कमी को कभी कोई पूरा नहीं कर सकता। आज उनके जन्मदिन के मौके पर इस पोस्ट के माध्यम से हम उन्हें एक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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