इस साल कब मनाई जाएगी है वाल्मीकि जयंती, पढ़ें रामायण के रचनाकार की कथा

देश भर में वाल्मिकी जयंती की मचती है धूम
रामायण नामक महान धर्म ग्रंथ के रचयिता महर्षि वाल्मिकी की जयंती देश भर में उत्साह के साथ मनाई जाती है. वाल्मिकी जयंती के समय पर उनकी रचनाओं का पाठ किया जाता है. देश भर में रामायण की झांकियां भी निकाली जाती है. राम मंदिरों में भगवान की भव्य पूजा अर्चना की जाती है तथा वाल्मिकि जी का वंदन किया जाता है. ऋषि वाल्मिकी जी की जयंती के उपलक्ष्य पर कई तरह के धार्मिक कार्यों के साथ साथ भजन संध्या इत्यादि का भी आयोजन कई स्थानों पर किया जाता है. श्री राम भक्तों के हृदय में रामायण के रचियता महर्षि वाल्मिकी जी के लिए सदैव आदर एवं भक्ति का भाव रहा है.वाल्मिकी जीवन और कवि स्वरुप
" मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः" नामक श्लोक द्वारा ही संपूर्ण ग्रंथ का निर्माण करने वाले आदि कवि महर्षि वाल्मिकी जी का जीवन भी कम विशेष नही रहा है. वाल्मिकी जी के जन्म समय से जुड़ी कई कथाएं प्राप्त होती हैं. एक कथा के अनुसार, जन्म समय उनके चेहरे पर पूर्णिमा के चंद्रमा जैसी आभा शोभायमान थी. कथाओं से पता चलता है कि वाल्मिकी भगवान राम के प्रबल भक्त थे. राम जी के जीवन का संपूर्ण वृतांत विस्तार पूर्वक उल्लेखित किया. कथाओं के अनुसार वाल्मिकी जी के ही आश्रम में देवी सीता को आश्रय प्राप्त होता है तथा लव और कुश जन्म भी उन्हीं के आश्रम में हुआ था. उनकी शिक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी भी वाल्मिकी जी द्वारा ही पूरी की गई थी.वाल्मिकी जयंती 2023: कथा
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि होने से पहले वाल्मिकी जी का नाम रत्नाकर था और वह एक डाकू के रुप में जीवनयापन करते थे. लेकिन एक बार उनका सामना जब ऋषि नारद से हुआ तब उन्हें अपने कर्मों का बोध होता है. अपनी गलतियों को सुधारते हुए वह घर बार छोड़ कर तपस्या में रम जाते हैं और मरा मरा नाम जपते राम राम के नाम से धन्य हो जाते हैं. वर्षों की कठोर साधना के बाद उनकी तपस्या को सफल होती है तत्ब उन्हें वाल्मिकी नाम प्राप्त होता है और फिर रामायण जैसी पावन ग्रंथ का आगमन होने से मानव जाति का कल्याण संभव होता है. एस्ट्रोलॉजर राजरानीइन राशि वालों के लिए भाग्यशाली साबित होगा चंद्र ग्रहण, चमकेगी किस्मत
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देश भर में वाल्मिकी जयंती की मचती है धूम
रामायण नामक महान धर्म ग्रंथ के रचयिता महर्षि वाल्मिकी की जयंती देश भर में उत्साह के साथ मनाई जाती है. वाल्मिकी जयंती के समय पर उनकी रचनाओं का पाठ किया जाता है. देश भर में रामायण की झांकियां भी निकाली जाती है. राम मंदिरों में भगवान की भव्य पूजा अर्चना की जाती है तथा वाल्मिकि जी का वंदन किया जाता है. ऋषि वाल्मिकी जी की जयंती के उपलक्ष्य पर कई तरह के धार्मिक कार्यों के साथ साथ भजन संध्या इत्यादि का भी आयोजन कई स्थानों पर किया जाता है. श्री राम भक्तों के हृदय में रामायण के रचियता महर्षि वाल्मिकी जी के लिए सदैव आदर एवं भक्ति का भाव रहा है.वाल्मिकी जीवन और कवि स्वरुप
" मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः" नामक श्लोक द्वारा ही संपूर्ण ग्रंथ का निर्माण करने वाले आदि कवि महर्षि वाल्मिकी जी का जीवन भी कम विशेष नही रहा है. वाल्मिकी जी के जन्म समय से जुड़ी कई कथाएं प्राप्त होती हैं. एक कथा के अनुसार, जन्म समय उनके चेहरे पर पूर्णिमा के चंद्रमा जैसी आभा शोभायमान थी. कथाओं से पता चलता है कि वाल्मिकी भगवान राम के प्रबल भक्त थे. राम जी के जीवन का संपूर्ण वृतांत विस्तार पूर्वक उल्लेखित किया. कथाओं के अनुसार वाल्मिकी जी के ही आश्रम में देवी सीता को आश्रय प्राप्त होता है तथा लव और कुश जन्म भी उन्हीं के आश्रम में हुआ था. उनकी शिक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी भी वाल्मिकी जी द्वारा ही पूरी की गई थी.वाल्मिकी जयंती 2023: कथा
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि होने से पहले वाल्मिकी जी का नाम रत्नाकर था और वह एक डाकू के रुप में जीवनयापन करते थे. लेकिन एक बार उनका सामना जब ऋषि नारद से हुआ तब उन्हें अपने कर्मों का बोध होता है. अपनी गलतियों को सुधारते हुए वह घर बार छोड़ कर तपस्या में रम जाते हैं और मरा मरा नाम जपते राम राम के नाम से धन्य हो जाते हैं. वर्षों की कठोर साधना के बाद उनकी तपस्या को सफल होती है तत्ब उन्हें वाल्मिकी नाम प्राप्त होता है और फिर रामायण जैसी पावन ग्रंथ का आगमन होने से मानव जाति का कल्याण संभव होता है. एस्ट्रोलॉजर राजरानीइन राशि वालों के लिए भाग्यशाली साबित होगा चंद्र ग्रहण, चमकेगी किस्मत
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