इस साल कब मनाई जाएगी है वाल्मीकि जयंती, पढ़ें रामायण के रचनाकार की कथा 

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Valmiki Jayanti 2023
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calendar27 Oct 2023 05:34 PM
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Valmiki Jayanti 2023 : वाल्मिकी जयंती संपूर्ण भारत में उल्लास के साथ मनाई जाती है. हिंदु धर्म एवं आस्थाओं के मध्य ये विशेष महत्व रखती हैं. Valmiki Jayanti 2023 का समय आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को  28 अक्टूबर 2023 के दिन शनिवार को मनाई जाएगी.  महर्षि वाल्मिकी जयंती का पर्व हर वर्ष आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है.

देश भर में वाल्मिकी जयंती की मचती है धूम

रामायण नामक महान धर्म ग्रंथ के रचयिता महर्षि वाल्मिकी की जयंती देश भर में उत्साह के साथ मनाई जाती है. वाल्मिकी जयंती के समय पर उनकी रचनाओं का पाठ किया जाता है. देश भर में रामायण की झांकियां भी निकाली जाती है. राम मंदिरों में भगवान की भव्य पूजा अर्चना की जाती है तथा वाल्मिकि जी का वंदन किया जाता है. ऋषि वाल्मिकी जी की जयंती के उपलक्ष्य पर कई तरह के धार्मिक कार्यों के साथ साथ भजन संध्या इत्यादि का भी आयोजन कई स्थानों पर किया जाता है. श्री राम भक्तों के हृदय में रामायण के रचियता महर्षि वाल्मिकी जी के लिए सदैव आदर एवं भक्ति का भाव रहा है.

वाल्मिकी जीवन और कवि स्वरुप 

" मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः" नामक श्लोक द्वारा ही संपूर्ण ग्रंथ का निर्माण करने वाले आदि कवि महर्षि वाल्मिकी जी का जीवन भी कम विशेष नही रहा है. वाल्मिकी जी के जन्म समय से जुड़ी कई कथाएं प्राप्त होती हैं. एक कथा के अनुसार, जन्म समय उनके चेहरे पर पूर्णिमा के चंद्रमा जैसी आभा शोभायमान थी. कथाओं से पता चलता है कि वाल्मिकी भगवान राम के प्रबल भक्त थे. राम जी के जीवन का संपूर्ण वृतांत विस्तार पूर्वक उल्लेखित किया. कथाओं के अनुसार वाल्मिकी जी के ही आश्रम में देवी सीता को आश्रय प्राप्त होता है तथा लव और कुश जन्म भी उन्हीं के आश्रम में हुआ था. उनकी शिक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी भी वाल्मिकी जी द्वारा ही पूरी की गई थी.

वाल्मिकी जयंती 2023: कथा

कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि होने से पहले वाल्मिकी जी का नाम रत्नाकर था और वह एक डाकू के रुप में जीवनयापन करते थे. लेकिन एक बार उनका सामना जब ऋषि नारद से हुआ तब उन्हें अपने कर्मों का बोध होता है. अपनी गलतियों को सुधारते हुए वह घर बार छोड़ कर तपस्या में रम जाते हैं और मरा मरा नाम जपते राम राम के नाम से धन्य हो जाते हैं. वर्षों की कठोर साधना के बाद उनकी तपस्या को सफल होती है तत्ब उन्हें वाल्मिकी नाम प्राप्त होता है और फिर रामायण जैसी पावन ग्रंथ का आगमन होने से मानव जाति का कल्याण संभव होता है. एस्ट्रोलॉजर राजरानी

इन राशि वालों के लिए भाग्यशाली साबित होगा चंद्र ग्रहण, चमकेगी किस्मत

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Valmiki Jayanti 2023 : वाल्मिकी जयंती संपूर्ण भारत में उल्लास के साथ मनाई जाती है. हिंदु धर्म एवं आस्थाओं के मध्य ये विशेष महत्व रखती हैं. Valmiki Jayanti 2023 का समय आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को  28 अक्टूबर 2023 के दिन शनिवार को मनाई जाएगी.  महर्षि वाल्मिकी जयंती का पर्व हर वर्ष आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है.

देश भर में वाल्मिकी जयंती की मचती है धूम

रामायण नामक महान धर्म ग्रंथ के रचयिता महर्षि वाल्मिकी की जयंती देश भर में उत्साह के साथ मनाई जाती है. वाल्मिकी जयंती के समय पर उनकी रचनाओं का पाठ किया जाता है. देश भर में रामायण की झांकियां भी निकाली जाती है. राम मंदिरों में भगवान की भव्य पूजा अर्चना की जाती है तथा वाल्मिकि जी का वंदन किया जाता है. ऋषि वाल्मिकी जी की जयंती के उपलक्ष्य पर कई तरह के धार्मिक कार्यों के साथ साथ भजन संध्या इत्यादि का भी आयोजन कई स्थानों पर किया जाता है. श्री राम भक्तों के हृदय में रामायण के रचियता महर्षि वाल्मिकी जी के लिए सदैव आदर एवं भक्ति का भाव रहा है.

वाल्मिकी जीवन और कवि स्वरुप 

" मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः" नामक श्लोक द्वारा ही संपूर्ण ग्रंथ का निर्माण करने वाले आदि कवि महर्षि वाल्मिकी जी का जीवन भी कम विशेष नही रहा है. वाल्मिकी जी के जन्म समय से जुड़ी कई कथाएं प्राप्त होती हैं. एक कथा के अनुसार, जन्म समय उनके चेहरे पर पूर्णिमा के चंद्रमा जैसी आभा शोभायमान थी. कथाओं से पता चलता है कि वाल्मिकी भगवान राम के प्रबल भक्त थे. राम जी के जीवन का संपूर्ण वृतांत विस्तार पूर्वक उल्लेखित किया. कथाओं के अनुसार वाल्मिकी जी के ही आश्रम में देवी सीता को आश्रय प्राप्त होता है तथा लव और कुश जन्म भी उन्हीं के आश्रम में हुआ था. उनकी शिक्षा की संपूर्ण जिम्मेदारी भी वाल्मिकी जी द्वारा ही पूरी की गई थी.

वाल्मिकी जयंती 2023: कथा

कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि होने से पहले वाल्मिकी जी का नाम रत्नाकर था और वह एक डाकू के रुप में जीवनयापन करते थे. लेकिन एक बार उनका सामना जब ऋषि नारद से हुआ तब उन्हें अपने कर्मों का बोध होता है. अपनी गलतियों को सुधारते हुए वह घर बार छोड़ कर तपस्या में रम जाते हैं और मरा मरा नाम जपते राम राम के नाम से धन्य हो जाते हैं. वर्षों की कठोर साधना के बाद उनकी तपस्या को सफल होती है तत्ब उन्हें वाल्मिकी नाम प्राप्त होता है और फिर रामायण जैसी पावन ग्रंथ का आगमन होने से मानव जाति का कल्याण संभव होता है. एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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दुर्लभ योगों में शरद पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय, दूर होंगे ग्रह दोष 

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Sharad purnima Specific News
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calendar27 Oct 2023 12:32 AM
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Sharad purnima Specific News शरद पूर्णिमा बेहद ही विशेष पूर्णिमा होती है और इस दिन पर किए जाने वाले कार्य भी खास असर दिखाते हैं। 28 अक्टूबर 2023 के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। धर्म ग्रंथों में पूर्णिमा की तिथि को बहुत खास माना जाता है। यह समय जीवन को शुभता देने के साथ-साथ अंधकार को दूर कर देने वाला होता है।

शरद पूर्णिमा के दिन ग्रहण भी होगा

इस बार शरद पूर्णिमा के दिन ग्रहण भी होगा तो इस कारण इस दिन स्नान दान के साथ साथ जप का महत्व कई गुना होगा। इस समय पर दान करने से आपके पुण्य कर्मों में वृद्धि होगी तथा ग्रहों की अशुभता भी शांत होती है और नकारात्मक असर कम हो जाते हैं। इस दौरान राशियों पर पड़ने वाले असर इस प्रकार हैं। मेष राशि इस राशि वालों को चाहिए की ग्रहण की अशुभता से बचने एवं पूर्णिमा का लाभ पाने हेतु काले तिल अवश्य दान करें तथा गाय को हरे रंग की दाल अवश्य खिलाएं। वृषभ राशि वृषभ राशि वालों के लिए शरद पूर्णिमा के दिन दूध और चावल का दान अवश्य करना चाहिए। ऎसा करने से भौतिक सुख संपन्नता बनी रहेगी और तनाव कम होंगे। मिथुन राशि मिथुन राशि वालों के लिए इस समय पर सात प्रकार के अनाज का दान करना उत्तम होगा। ऎसा करने से कामों का अटकना दूर होंगा। कर्क राशि आपकी राशि का स्वामी चंद्रमा इस समय ग्रहण से प्रभावित होगा इसलिए इस दिन आपको दूध और काले तिल का दान अवश्य करना चाहिए। सिंह राशि सिंह राशि वालों पर भी ग्रहण का असर अधिक रहने वाला है इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन घी का दान किसी धर्म स्थान पर करें। कन्या राशि कन्या राशि वालों को भी इस शरद पूर्णिमा के दिन शाम के समय सात प्रकार के अनाज को हरे वस्त्र में बांध कर दान करना चाहिए। तुला राशि तुला राशि वालों को शरद पूर्णिमा के दिन श्वेत वस्त्र में काला धागा रख कर दान करना चाहिए। यह कार्य मानसिक एवं व्याधि‍ जनित कष्टों को दूर करेगा। वृश्चिक राशि वृश्चिक राशि वालों को चाहिए की शरद पूर्णिमा के दिन लाल वस्त्र में सवा ग्राम चावल और मिश्री को बांध कर दान करें। धनु राशि धनु राशि वालों को शरद पूर्णिमा के दिन साबुत हल्दी के साथ दूध का दान करना चाहिए। मकर राशि मकर राशि वालों के लिए शरद पूर्णिमा के दिन कुलथी की दाल के साथ तिलों का दान करना चाहिए। कुंभ राशि कुंभ राशि वालों को शरद पूर्णिमा के दिन ज्वार के साथ गेहूं सवा सवा ग्राम लेकर दान करना चाहिए। मीन राशि मीन राशि वालों को शरद पूर्णिमा के दिन केसर के साथ पीले वस्त्र दान करने चाहिए।

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