उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा गुल खिलाएगा अखिलेश यादव का मंदिर दांव

दांव लगाने की शिक्षा विरासत में मिली है अखिलेश यादव को
आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को राजनीतिक दांव लगाने की शिक्षा विरासत में मिली है। अखिलेश यादव के पिता स्व. मुलायम सिंह यादव लम्बे समय तक उत्तर प्रदेश के सर्वमान्य नेता थे। राजनीति में आने से पहले स्व. मुलायम सिंह यादव बड़े पहलवान थे। उन्हें कुश्ती के अनेक दांव आते थे। कुश्ती के दांव की तरह से ही मुलायम सिंह यादव राजनीति में भी दांव लगाने के माहिर राजनीति खिलाड़ी थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दांव लगाने की शिक्षा अपने पिता से ही मिली है। इसी कारण अखिलेश यादव ने अपने पैतृक क्षेत्र इटावा में भव्य मंदिर का निर्माण कराया है। मंदिर के निर्माण से अखिलेश यादव भाजपा के बड़े आरोप का सफाया करना चाहते हैं। भाजपा आरोप लगाती रहती है कि अखिलेश यादव हिन्दू विरोधी हैं। भव्य मंदिर का निर्माण कराकर अखिलेश यादव भाजपा के आरोप को सदा-सदा के लिए खारिज करना चाहते हैं। इस आरोप के बाद भाजपा के पास अखिलेश यादव के विरुद्ध कहने का कुछ खास नहीं बचेगा। अखिलेश यादव सर्वधर्म समभाव की मिसाल बनकर उत्तर प्रदेश की राजनीति की दिशा तथा दशा दोनों को बदल देंगे।उत्तर प्रदेश के इटावा में बनवा रहे हैं अखिलेश यादव भव्य मंदिर
शायद आपको अभी तक नहीं पता होगा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक भव्य मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। अखिलेश यादव का यह भव्य मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में बन रहा है। उत्तर प्रदेश का इटावा जिला अखिलेश यादव का पैतृक जिला है। अखिलेश यादव जिस मंदिर का निर्माण करा रहे हैं उस मंदिर का नाम केदारेश्वर मंदिर है। अखिलेश यादव द्वारा बनवाया जा रहा केदारेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा में लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर जाने वाले हाईवे पर बनी लायन सफारी के ठीक सामने 2 एकड़ में बन रहा है। इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष-2020 से लगातार चल रहा है। मंदिर के उद्घाटन की तारीख का ऐलान अखिलेश यादव ने अभी तक नहीं किया है।यह भी पढ़े: मंदिर विवाद पर सख्त हुआ प्रशासन, एक साथ 25 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर
क्या कुछ खास है अखिलेश यादव के इस मंदिर में?
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे केदारेश्वर मंदिर को उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर का दूसरा रूप बताया जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण आंध्र प्रदेश के वही शिल्पकार कर रहे हैं, जिन्होंने तमिलनाडु के प्रसिद्ध कवि तिरुवल्वम के स्टैच्यू का निर्माण किया था। अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे इस मंदिर की अनुमानित लागत 50 से 55 करोड़ रुपए के आसपास बताई गई है। इस मंदिर की ऊंचाई 72 फीट है। आपको यह भी बता दें कि, अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि केदारनाथ मंदिर की भांति केदारेश्वर मंदिर के शिखर पर 12 फुट ऊंचा लकड़ी का 'शिखरम्' बनाया गया है। इस मंदिर में 3 नंदी स्थापित किए गए हैं। मंदिर के निर्माण में करीब 500 ट्रक कृष्ण पुरुष शिला पत्थर णसे इटावा लाया गया है। इसका अनुमानित वजन 75 हजार टन है। मंदिर के मुख्य परिसर के चारों ओर 15 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी पत्थर की कंपाउंड बाउंड्री वॉल बन रही है। मंदिर में प्रवेश और निकासी के लिए 4 द्वार, केदारेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह भवन की ऊंचाई 74 फुट है। इस मंदिर में 7 फीट के शालिग्राम की शिला भी स्थापित है। मंदिर परिसर में प्रवेश में केदारनाथ मंदिर जैसा 10 फुट ऊंचा प्लेटफॉर्म बनाया गया है।राजनीतिक विश्लेषक बड़ा दांव बता रहे हें मंदिर वाले दांव को
उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने वाले विश्लेषक मंदिर वाले दांव को अखिलेश यादव द्वारा चला गया बड़ा दांव बता रहे हैं। विश्लेषकों का दावा है कि अखिलेश यादव का यह दांव उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा गुल खिला सकता है। अनेक अवसरों पर अखिलेश यादव अपने भाषणों में भव्य मंदिर बनवाने की चर्चा कर चुके हैं। भाजपा के तमाम नेता अखिलेश यादव के मंदिर वाले दांव से भयभीत हैं।अगली खबर पढ़ें
दांव लगाने की शिक्षा विरासत में मिली है अखिलेश यादव को
आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को राजनीतिक दांव लगाने की शिक्षा विरासत में मिली है। अखिलेश यादव के पिता स्व. मुलायम सिंह यादव लम्बे समय तक उत्तर प्रदेश के सर्वमान्य नेता थे। राजनीति में आने से पहले स्व. मुलायम सिंह यादव बड़े पहलवान थे। उन्हें कुश्ती के अनेक दांव आते थे। कुश्ती के दांव की तरह से ही मुलायम सिंह यादव राजनीति में भी दांव लगाने के माहिर राजनीति खिलाड़ी थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दांव लगाने की शिक्षा अपने पिता से ही मिली है। इसी कारण अखिलेश यादव ने अपने पैतृक क्षेत्र इटावा में भव्य मंदिर का निर्माण कराया है। मंदिर के निर्माण से अखिलेश यादव भाजपा के बड़े आरोप का सफाया करना चाहते हैं। भाजपा आरोप लगाती रहती है कि अखिलेश यादव हिन्दू विरोधी हैं। भव्य मंदिर का निर्माण कराकर अखिलेश यादव भाजपा के आरोप को सदा-सदा के लिए खारिज करना चाहते हैं। इस आरोप के बाद भाजपा के पास अखिलेश यादव के विरुद्ध कहने का कुछ खास नहीं बचेगा। अखिलेश यादव सर्वधर्म समभाव की मिसाल बनकर उत्तर प्रदेश की राजनीति की दिशा तथा दशा दोनों को बदल देंगे।उत्तर प्रदेश के इटावा में बनवा रहे हैं अखिलेश यादव भव्य मंदिर
शायद आपको अभी तक नहीं पता होगा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक भव्य मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। अखिलेश यादव का यह भव्य मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में बन रहा है। उत्तर प्रदेश का इटावा जिला अखिलेश यादव का पैतृक जिला है। अखिलेश यादव जिस मंदिर का निर्माण करा रहे हैं उस मंदिर का नाम केदारेश्वर मंदिर है। अखिलेश यादव द्वारा बनवाया जा रहा केदारेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा में लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर जाने वाले हाईवे पर बनी लायन सफारी के ठीक सामने 2 एकड़ में बन रहा है। इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष-2020 से लगातार चल रहा है। मंदिर के उद्घाटन की तारीख का ऐलान अखिलेश यादव ने अभी तक नहीं किया है।यह भी पढ़े: मंदिर विवाद पर सख्त हुआ प्रशासन, एक साथ 25 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर
क्या कुछ खास है अखिलेश यादव के इस मंदिर में?
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे केदारेश्वर मंदिर को उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर का दूसरा रूप बताया जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण आंध्र प्रदेश के वही शिल्पकार कर रहे हैं, जिन्होंने तमिलनाडु के प्रसिद्ध कवि तिरुवल्वम के स्टैच्यू का निर्माण किया था। अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे इस मंदिर की अनुमानित लागत 50 से 55 करोड़ रुपए के आसपास बताई गई है। इस मंदिर की ऊंचाई 72 फीट है। आपको यह भी बता दें कि, अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि केदारनाथ मंदिर की भांति केदारेश्वर मंदिर के शिखर पर 12 फुट ऊंचा लकड़ी का 'शिखरम्' बनाया गया है। इस मंदिर में 3 नंदी स्थापित किए गए हैं। मंदिर के निर्माण में करीब 500 ट्रक कृष्ण पुरुष शिला पत्थर णसे इटावा लाया गया है। इसका अनुमानित वजन 75 हजार टन है। मंदिर के मुख्य परिसर के चारों ओर 15 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी पत्थर की कंपाउंड बाउंड्री वॉल बन रही है। मंदिर में प्रवेश और निकासी के लिए 4 द्वार, केदारेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह भवन की ऊंचाई 74 फुट है। इस मंदिर में 7 फीट के शालिग्राम की शिला भी स्थापित है। मंदिर परिसर में प्रवेश में केदारनाथ मंदिर जैसा 10 फुट ऊंचा प्लेटफॉर्म बनाया गया है।राजनीतिक विश्लेषक बड़ा दांव बता रहे हें मंदिर वाले दांव को
उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने वाले विश्लेषक मंदिर वाले दांव को अखिलेश यादव द्वारा चला गया बड़ा दांव बता रहे हैं। विश्लेषकों का दावा है कि अखिलेश यादव का यह दांव उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा गुल खिला सकता है। अनेक अवसरों पर अखिलेश यादव अपने भाषणों में भव्य मंदिर बनवाने की चर्चा कर चुके हैं। भाजपा के तमाम नेता अखिलेश यादव के मंदिर वाले दांव से भयभीत हैं।संबंधित खबरें
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