उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा गुल खिलाएगा अखिलेश यादव का मंदिर दांव

Akhilesh Yadav 1
Uttar Pradesh Samachar
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calendar24 JUL 2025 04:38 PM
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Uttar Pradesh Samachar: उत्तर प्रदेश की राजनीति में हर दिन कुछ बड़ा होता रहता है। इन दिनों अनेक मुद्दों के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक बड़े दांव की खूब चर्चा हो रही है। उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मंदिर वाला दांव बड़ी चर्चा का विषय बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि अखिलेश यादव का मंदिर वाला दांव उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा गुल खिलाएगा। यही कारण है कि भाजपा के इशारे पर अखिलेश यादव के मंदिर के विरोध में भी सुर उठने लगे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अभी तक मंदिर के उद्घाटन की तारीख की घोषणा नहीं की है।

दांव लगाने की शिक्षा विरासत में मिली है अखिलेश यादव को

आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को राजनीतिक दांव लगाने की शिक्षा विरासत में मिली है। अखिलेश यादव के पिता स्व. मुलायम सिंह यादव लम्बे समय तक उत्तर प्रदेश के सर्वमान्य नेता थे। राजनीति में आने से पहले स्व. मुलायम सिंह यादव बड़े पहलवान थे। उन्हें कुश्ती के अनेक दांव आते थे। कुश्ती के दांव की तरह से ही मुलायम सिंह यादव राजनीति में भी दांव लगाने के माहिर राजनीति खिलाड़ी थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को दांव लगाने की शिक्षा अपने पिता से ही मिली है। इसी कारण अखिलेश यादव ने अपने पैतृक क्षेत्र इटावा में भव्य मंदिर का निर्माण कराया है। मंदिर के निर्माण से अखिलेश यादव भाजपा के बड़े आरोप का सफाया करना चाहते हैं। भाजपा आरोप लगाती रहती है कि अखिलेश यादव हिन्दू विरोधी हैं। भव्य मंदिर का निर्माण कराकर अखिलेश यादव भाजपा के आरोप को सदा-सदा के लिए खारिज करना चाहते हैं। इस आरोप के बाद भाजपा के पास अखिलेश यादव के विरुद्ध कहने का कुछ खास नहीं बचेगा। अखिलेश यादव सर्वधर्म समभाव की मिसाल बनकर उत्तर प्रदेश की राजनीति की दिशा तथा दशा दोनों को बदल देंगे।

उत्तर प्रदेश के इटावा में बनवा रहे हैं अखिलेश यादव भव्य मंदिर

शायद आपको अभी तक नहीं पता होगा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक भव्य मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। अखिलेश यादव का यह भव्य मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में बन रहा है। उत्तर प्रदेश का इटावा जिला अखिलेश यादव का पैतृक जिला है। अखिलेश यादव जिस मंदिर का निर्माण करा रहे हैं उस मंदिर का नाम केदारेश्वर मंदिर है। अखिलेश यादव द्वारा बनवाया जा रहा  केदारेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा में लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर जाने वाले हाईवे पर बनी लायन सफारी के ठीक सामने 2 एकड़ में बन रहा है। इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष-2020 से लगातार चल रहा है। मंदिर के उद्घाटन की तारीख का ऐलान अखिलेश यादव ने अभी तक नहीं किया है।

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क्या कुछ खास है अखिलेश यादव के इस मंदिर में?

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे केदारेश्वर मंदिर को उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर का दूसरा रूप बताया जा रहा है। इस मंदिर का निर्माण आंध्र प्रदेश के वही शिल्पकार कर रहे हैं, जिन्होंने तमिलनाडु के प्रसिद्ध कवि तिरुवल्वम के स्टैच्यू का निर्माण किया था। अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे इस मंदिर की अनुमानित लागत 50 से 55 करोड़ रुपए के आसपास बताई गई है। इस मंदिर की ऊंचाई 72 फीट है। आपको यह भी बता दें कि, अखिलेश यादव द्वारा बनवाए जा रहे इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि केदारनाथ मंदिर की भांति केदारेश्वर मंदिर के शिखर पर 12 फुट ऊंचा लकड़ी का 'शिखरम्' बनाया गया है। इस मंदिर में 3 नंदी स्थापित किए गए हैं। मंदिर के निर्माण में करीब 500 ट्रक कृष्ण पुरुष शिला पत्थर णसे इटावा लाया गया है। इसका अनुमानित वजन 75 हजार टन है। मंदिर के मुख्य परिसर के चारों ओर 15 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी पत्थर की कंपाउंड बाउंड्री वॉल बन रही है। मंदिर में प्रवेश और निकासी के लिए 4 द्वार, केदारेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह भवन की ऊंचाई 74 फुट है। इस मंदिर में 7 फीट के शालिग्राम की शिला भी स्थापित है। मंदिर परिसर में प्रवेश में केदारनाथ मंदिर जैसा 10 फुट ऊंचा प्लेटफॉर्म बनाया गया है।

राजनीतिक विश्लेषक बड़ा दांव बता रहे हें मंदिर वाले दांव को

उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने वाले विश्लेषक मंदिर वाले दांव को अखिलेश यादव द्वारा चला गया बड़ा दांव बता रहे हैं। विश्लेषकों का दावा है कि अखिलेश यादव का यह दांव उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा गुल खिला सकता है। अनेक अवसरों पर अखिलेश यादव अपने भाषणों में भव्य मंदिर बनवाने की चर्चा कर चुके हैं। भाजपा के तमाम नेता अखिलेश यादव के मंदिर वाले दांव से भयभीत हैं।
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दिवाली पर यूपी को मिलेगा हाई-स्पीड कनेक्टिविटी का तोहफा, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे तैयार

Lko expressway
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calendar24 JUL 2025 04:09 PM
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Uttar Pradesh Samachar : उत्तर प्रदेश की सड़क कनेक्टिविटी को एक नई रफ्तार मिलने जा रही है। लखनऊ और कानपुर के बीच यात्रियों को घंटों की थकान भरे सफर से राहत मिलने वाली है। 6 लेन वाले लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे का कार्य अब लगभग अंतिम चरण में है और संभावना है कि आगामी दिवाली पर यह जनता को समर्पित कर दिया जाएगा।

90 फीसदी कार्य पूर्ण, दिवाली से पहले उद्घाटन संभव

सरकारी सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक्सप्रेसवे का 90% से अधिक काम पूरा हो चुका है और शेष कार्य युद्धस्तर पर जारी है। यदि शेड्यूल के अनुसार सब कुछ होता है, तो दिवाली पर प्रदेश को यह मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर गिफ्ट मिल सकता है। जहां अभी लखनऊ से कानपुर की दूरी तय करने में औसतन ढाई से तीन घंटे लगते हैं, वहीं इस 62.7 किमी लंबे हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे के जरिए यह सफर महज 40 से 45 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। इस सड़क पर वाहन 100 -125 किमी/घंटे की रफ्तार से फर्राटा भर सकेंगे। यह लखनऊ रिंग रोड से भी जुड़ा रहेगा, जिससे राजधानी के विभिन्न हिस्सों तक आसान पहुंच सुनिश्चित होगी।

कहां से कहां तक फैला है यह एक्सप्रेसवे?

शुरूआत लखनऊ के पिपरसंड से होकर नवाबगंज, बंथरा, बनी, दतौली कांठा, तौरा, नीरना, अमरसस, रावल से होते हुए समापन कानपुर (उन्नाव जिले के आजाद चौक पर) होगी। लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे न केवल उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख औद्योगिक और शैक्षणिक नगरीयों को जोड़ता है, बल्कि इसका उद्देश्य क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी बूस्ट देना है। लॉजिस्टिक्स, औद्योगिक परिवहन, पर्यटन और रोजगार के क्षेत्र में इसके दीर्घकालिक प्रभाव देखने को मिलेंगे। Uttar Pradesh Samachar
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मंदिर विवाद पर सख्त हुआ प्रशासन, एक साथ 25 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर

Vindhyavasini Dham
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calendar24 JUL 2025 02:07 PM
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Uttar Pradesh Samachar: उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मां विंध्यवासिनी धाम में सोमवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब दक्षिणा को लेकर दो पंडों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मामला मारपीट और खून-खराबे तक पहुंच गया। मंदिर परिसर में हुए इस घटना ने न सिर्फ श्रद्धालुओं को दहशत में डाल दिया, बल्कि पुलिस और सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। घटना के बाद मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने विंध्याचल चौकी प्रभारी सहित 24 पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया है। इसके अलावा एक अन्य पुलिसकर्मी को निलंबित कर पूरे मामले में कुल 25 पुलिसकर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।

कैसे भड़की हिंसा?

जानकारी के मुताबिक, 23 जुलाई को दर्शन के लिए आए एक नए जजमान को एक पंडा निवेदित ने पूजा कराई थी। इसी बात पर दूसरा पंडा गुट भड़क गया। दक्षिणा के बंटवारे को लेकर पहले कहासुनी हुई जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गई। आरोप है कि तीन पंडों ने मिलकर निवेदित पर हमला किया। हमला मंदिर के पास एक दुकान के पास हुआ, जहां आरोपियों ने धारदार कैची से निवेदित के चेहरे और हाथ पर वार कर दिए। घायल अवस्था में उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।

पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही विंध्याचल कोतवाली पुलिस हरकत में आई और तीनों हमलावर पंडों को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से हमले में इस्तेमाल की गई कैची भी बरामद कर ली गई है। अपर पुलिस अधीक्षक नितेश सिंह ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद मामला बेहद गंभीर पाया गया। उनके अनुसार, "यह सिर्फ आपसी झगड़ा नहीं बल्कि धार्मिक स्थल की मर्यादा और सार्वजनिक शांति भंग करने की आपराधिक घटना है।"

मंदिर प्रशासन पर भी उठे सवाल

इस हिंसक झगड़े ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और मंदिर की पवित्रता पर गहरा आघात किया है। घटना के बाद बड़ी संख्या में दर्शनार्थी सहमे हुए दिखे। स्थानीय नागरिकों और धार्मिक संगठनों ने मंदिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी नाराजगी जताई है। यह पहली बार नहीं है जब विंध्याचल धाम में पंडों के बीच दक्षिणा को लेकर विवाद हुआ हो, लेकिन इस बार की घटना ने पुलिस प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। अब देखना होगा कि इस कार्रवाई के बाद व्यवस्था में कोई ठोस सुधार आता है या नहीं।