Thursday, 14 November 2024

CHETNA MANCH SPECIAL: अरे कहाँ जाना है, कौन से स्टॉप पर खड़ी हो ..

-अंजना भागी CHETNA MANCH SPECIAL: नोएडा। बच्चा भी जब चलना सीखता है तो उसकी टांगें डब्लू के आकार में चलती…

CHETNA MANCH SPECIAL: अरे कहाँ जाना है, कौन से स्टॉप पर खड़ी हो ..

-अंजना भागी

CHETNA MANCH SPECIAL: नोएडा। बच्चा भी जब चलना सीखता है तो उसकी टांगें डब्लू के आकार में चलती हैं। ऐसे ही हर घर का आर्थिक पिछड़ापन दूर हो। महिला भी स्वावलंबी हो इसलिए सरकार ने महिला सवारी के लिए फ्री बस का प्रावधान किया है।
2 कमरों में या एक कमरे में शहरी जिंदगी बिताना कहां से सुंदर है। जो खुले गाँव-देहात के घरों से अपने बच्चों को शहरीकरण में उनका भविष्य संवारने आई हैं। उनका दिल ही जानता है कि कितना कुरूप और अँधेरा है। एक ही कमरा वो भी बिना खिड़की रोशन दान का।  परिवार के साथ बच्चों को लेकर यहां शहरी महंगाई में इसी में खाना बनाना, सोना, रचना, बसना। ये स्त्रियां भी आधुनिकता की दौड़ में कदम रख आत्मनिर्भर होना चाहती हैं।  यह बुरा भी नहीं है न परिवार के लिए न ही देश के ही लिए। महिला अपने परिवार की स्थिति सुधारने को कार्यबल में यदि आना चाहे तो।

CHETNA MANCH SPECIAL

जैसे कि घर का काम काज कर के काम पर जाने के लिए तैयार महिला बस स्टॉप पर आती है। उसको लगता है कि समय से बस मिल जाए और बसों का यह शेड्यूल भी है लेकिन होता यह है कि एक टाइम में एक ही नंबर की 4, 5  बसें  एक ही तरफ जा रही होती हैं। अब जिनको दूसरी ओर जाना है वे क्या करें? आखिर क्यों बिना टाइम सुबह जल्दी से जल्दी जाएं। सिर्फ इसलिए कि बस मिल जाए?  विशेषकर डीटीसी ड्राईवरों का यह कहना है कि ट्रैफिक जाम होता है। उसी रोड पर प्राइवेट बस आराम से आ जाती हैं। शेयरिंग टेंपो आ जाते हैं हर कोई आ जाता है लेकिन डीटीसी की बस कहां ट्रैफिक में फंसी रहती हैं। यदि इस पर थोड़ा ध्यान दे दिया जाए तो महिला का समय बचेगा। वह घर और जॉब दोनों संभाल पायेंगी। बस पकडऩे के लिए मयूर विहार फेज-3 निवासी सरिता के अनुसार मेरा कार्यालय स्थानांतरित हुआ तो मुझे कार्य के लिए सेक्टर-83 एक नए स्थान तक पहुंचना था। बस लेनी थी, सब से पूछ-पाछ कर पता चला की बोटैनिकल गार्डन से नोयडा फेस -2 जाने के लिए अगला बस स्टॉप अमेटी का है उस पर सैक्टर 44 भी लिखा है उस बस स्टॉप से मुझे 8 नंबर नॉएडा फेज-2 जाने वाली बस लेनी है। लेकिन शनिवार, इतवार वहाँ खड़ी हो आप इस बस का इंतजार न करना। जब बस स्टॉप का पता लगा तो सरिता बहुत खुशी-खुशी अपनी 12 बजे वाली शिफ्ट के लिए अमेटी बस स्टॉप पर 11 बजे से भी पहले खड़ी हो गई । सर्दी के मौसम में सीधी लंबी सड़क ऊपर से पेड़ों की घनी छाँव। धूप का कहीं भी नामोनिशान तक नहीं बस स्टॉप पर दिन में 11 बजे से 45 मिनट तक खड़ी रही थी। 8 नंबर फेज 2 की बस भी कभी-कभी निकलती थी, लेकिन ड्राइवर रुकते ही नहीं थे। ऐसे में फिर प्राइवेट ट्रांसपोर्ट से वह पहुंची। सीधी और फ्री बस के लालच में वह 2-3 बार स्टॉप पर गई फिर उसको सर्दी लग गई एक हफ्ता बीमार रहने के बाद वह और जल्दी अमेटी स्टॉप पर जा खड़ी हुई। उस दिन एक सभ्य ड्राइवर ने उसके लिए बस रोकी।  जैसे ही दरवाजा खुला वह उस में चढ़ी। थकावट और लेट होने के कारण काफी एक्सऑसटेड भी थी।

ड्राईवर ने उसे ऐसी फटकार मारी कि वह धन्य हो गई। ये औरतें खुद को समझती क्या हैं? कहीं भी खड़ी हो जाती हैं, सोचती है हम हाथ हिलाएँगे तो ड्राइवर हमें बस रोक देगा उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा कि यह महिला 5 दिन पहले खड़ी होती थी सीधी सडक़ धूप वहाँ आती ही नहीं इसको सर्दी लग गई होगी। आज यह 5 दिन बाद खड़ी हुई है। ऐसे मैं कब से खड़ी थी। इस ड्राइवर को क्या पता। सविता बहुत खुश थी क्योंकि टेमपु में पैसों के साथ साथ धूल भरी टूटी सड़कों पर टेमपु वाले बार – बार रुक उन्हीं सड़कों पर घूमते रहते यूं घंटा सवा घंटा हिचकोले खाते उसकी पीठ दुखने लगी थी। इसलिए अगले दिन फिर सविता बस स्टॉप पर थी। 34 नंबर,  8 नंबर बॉर्डर वाली, 493 बसों के ड्राइवर धीरे करें पर 8 नंबर नोएडा फेज-2 वाले जिनको सविता हाथ हिलाती बसों को  साइड से निकाल ले जाते थे।  अब नौकेरी थी जाना तो था ही। इस लिए जो रुकता आधे – पोने घंटे में वही बस ले लेती। कष्ट की कोई सीमा नहीं थी। आते समय अंधेरा बहुत हो जायेगा सो टेमपु ही लेते। सातवें दिन 35 मिनट बाद एक बस ड्राइवर ने बस रोकी 3 बसें नहीं रूकी। उसने बस पर सविता के चढ़ते ही फटकार मारी । यह इस बस का स्टॉप है क्या? जहां तुम खडी हो इस नंबर का बस स्टॉप है ये?  सविता ने  कहा स्टॉप पर तो कोई नंबर ही नहीं है वो जोर से चिल्लाया कि मेरी बस जहां से चलती है वहां से सवारियाँ लेकर बस इसके आखरी स्टॉप यानि नॉएडा फेज 2 पर ही रुकती  है। इस तरह से वह बोलता ही चला गया। सेक्टर-83 उतारने पर भी वो ऐसे ही चिल्लाया।

तब एक महिला बोली- आपको किसी जेंट्स ने पैदा किया है। आपके बाप ने पैदा किया है क्या ? जो इतनी बातें आपने सुना दी। फर्क सिर्फ इतना था कि अधिकांशत: महिलाएं चुप रह जाती हैं। लेकिन उस बजुर्ग महिला ने जवाब दिया।  कष्ट सविता को भी बहुत था इस बात की शिकायत भी उसने आई पी डिपो को लिखी  जिसने भी वह शिकायत पड़ी उसने इस समय पर आने वाली सभी महिलाओं को खुश कर दिया। क्योंकि 11:15 बजे एक युवा बेटी ऐ सी  बस चलाती हुई आई। कोई क्रोध नहीं,  मुस्कुराते हुए, कब सच में मुस्कुराते हुए सफर बीत गया पता ही नहीं चला।  हर बस स्टॉप से सबको चढ़ाती और उतारती भी। शायद वो इस रुट  पर नई थी मार्शल उसको रूट गाइड कर रहा था। सविता ने उस युवा ड्राइवर बेटी से इस बारे में बातचीत की । तब मार्शल ने बताया कि ये इसका स्टॉप नहीं आप बोटैनिकल गार्डन से बस पकड़ें । क्या इस प्रकार के ड्राइवर्स की काउंसलिंग नहीं होनी चाहिए। ऐसा नहीं कि सभी बहुत खराब है । 80 प्रतिशत ड्राइवर बहुत अच्छे भी हैं। वे सवारियों को पहचानते हैं मार्शल की मदद से सभी महिला सवारियों को बस में लेकर भी जाते हैं। कितना अच्छा हो यदि बाकी 20 प्रतिशत की कॉउन्सलिंग की  जाए और वे भी ठीक हो जाएं।

कामकाजी महिला को यूँ  फटकार कि चढ़ती भी बिना स्टैंड के हो और उतरती भी बिना स्टैंड। जबकि यह वही स्थान है जहां से कोई ड्राइवर रुक कर चढ़ा भी लेता है और लगभग सभी ड्राइवर उतारते भी हैं यहाँ तक की टिकिट चेकर भी वहीं से चड़े । पर क्या यह एक समस्या नहीं कि इतने दिन कि दुत्कार के बाद सविता को पता चला । सविता ने सोचा शायद यह परेशानी इस ड्राइवर को ही हो तब उसने दूसरे रुट के एक युवा ड्राइवर से महिलाओं को लेकर बातचीत की। वह हैरान रह गई उसके जवाब सुनकर कि महिलाएं आज इतनी बिगड़ गई हैं कि यदि दूध भी लेने जाना है तो बस पर चढक़र जाती है और बस में पुरुषों को उठाकर सीट भी लेती हैं। अब यदि वह ड्राइवर सही था तो महिलाओं से भी ये अपेक्षा नहीं । लेकिन कहीं तो सामंजस्य बिठाना ही होगा! देश को आगे बढ़ाना है तो देश की पचास प्रतिशत आबादी को भी कार्यबल में लाना होगा। इसके लिए परेशानियाँ दूर की जाएँ यूं दुत्कार से महिला का मनोबल न तोड़ा जाये।

DCGI KA ACTION: बिना लाइसेंस दवा बेचने पर अमेजन व फ्लिपकार्ट सहित 20 को नोटिस

Himachal News : शिमला में घर में आग लगने से नाबालिग की मौत

Related Post