Friday, 20 June 2025

इंदिरापुरम में घर है तो एक्स्ट्रा चार्ज देने को तैयार हो जाएं

Ghaziabad News : यह मामला न सिर्फ कानूनी और प्रशासनिक पेचीदगियों से जुड़ा है, बल्कि आम जनता की जेब पर…

इंदिरापुरम में घर है तो एक्स्ट्रा चार्ज देने को तैयार हो जाएं
Ghaziabad News : यह मामला न सिर्फ कानूनी और प्रशासनिक पेचीदगियों से जुड़ा है, बल्कि आम जनता की जेब पर सीधा असर डालने वाला है। आइए विस्तार से समझते हैं कि इंदिरापुरम के फ्लैट
 मालिकों को आगे क्या झेलना पड़ सकता है, और इस फैसले का कितना बड़ा असर है। इंदिरापुरम गाजियाबाद का एक पॉश और नियोजित आवासीय क्षेत्र, जिसे गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने विकसित
 किया था।

कोर्ट ने यमुना प्राधिकरण को 349 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा

अब सामने आया है कि यह जमीन यमुना प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आती है। भूमि स्वामित्व विवाद को लेकर दोनों प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अब कोर्ट ने जीडीए को आदेश दिया है कि वह यमुना प्राधिकरण को 349 करोड़ रुपये का भुगतान करे। जीडीए के पास इस राशि को चुकाने के लिए कोई अलग फंड नहीं है, इसलिए सबसे आसान तरीका है यह पैसा फ्लैट और मकान मालिकों से वसूलना। यानी जिन लोगों ने फ्लैट खरीदा है, भले ही उन्होंने सारी किश्तें चुका दी हों, अब उन्हें फिर से जेब ढीली करनी पड़ सकती है। यह ‘एक्सट्रा डेवेलपमेंट चार्ज’, ‘लीगल सेटलमेंट फंड’, या ‘लैंड कंपेंसेशन चार्ज’ के नाम से वसूला जा सकता है। Ghaziabad News

रहवासियों की चिंता और विरोध

स्थानीय निवासी आंदोलन या याचिका दाखिल करने की तैयारी में हैं। उनका सवाल है जब हमने फ्लैट बायर्स एग्रीमेंट के अनुसार पूरा भुगतान कर दिया था, तो अब यह अतिरिक्त चार्ज क्यों? इसका किरायेदारों पर क्या असर होगा? सीधा चार्ज मालिक को देना होगा, लेकिन फ्लैट मालिक यह खर्चा आगे जाकर किराए में बढ़ोतरी के रूप में निकाल सकते हैं। यानी किरायेदारों पर भी अप्रत्यक्ष असर संभव है। Ghaziabad News

क्या विकल्प हो सकते हैं?

राज्य सरकार हस्तक्षेप कर सकती है, और जीडीए को बजटीय सहायता दी जा सकती है। किस्तों में वसूली का विकल्प हो सकता है ताकि बोझ एक बार में न पड़े। या फिर, सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटिशन डालकर कुछ राहत मांगी जा सकती है। अगर आप इंदिरापुरम में फ्लैट मालिक हैं, तो आने वाले महीनों में आपको एक नया ‘बिल’ देखने को मिल सकता है जो आपने कभी सोचा भी नहीं था। इस मामले से एक बात और साफ होती है कि शहरी नियोजन और प्रॉपर्टी निवेश में कानूनी स्पष्टता कितनी जरूरी है। Ghaziabad News

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